जय जय राम कुष्ण हरी तुमच्या चरनी शतकोटी नमन श्री गुरुदेव माऊली तुमच्या चरनी शतकोटी नमन श्री गुरुदेव माऊली तुमच्या चरनी कोटी कोटी नमन श्री गुरुदेव माऊली🙏👍🙏
ज्ञानेश्वरांबद्दल आदर होताच पण प्रा. शेवळकरांचे पसायदानाने विश्लेषण ऐकून अजून आदर वाढला आहे. न भूतो न भविष्यतो अशी ही महान व्यक्ती ज्ञानेश्वर माऊली आपल्या महाराष्ट्राला लाभली हे आपल परम भाग्य आहे.
संत ज्ञानेश्रर जी ने ज्ञानेश्वरी ग्रंथ अर्थात "सटीक भावार्थ दीपिका" पूर्ण करने के उपरांत ईश्वर को जो प्रार्थना लिखी थी,उसे 'पसायदान' से मराठी विश्व में ख्याति प्राप्त हुई है। अत्यंत कष्टदायी जीवन बिताने पर गीता ग्रंथ पर सटीक विवरण प्राकृत मराठी में लिखा। संन्यासी के पुत्र के नाम से जाति से बहिष्कृत किया गया। सनातन धर्म की ज्योत प्रज्वलित करके आम लोगों में ज्ञान गंगा प्रवाहित की। तत्कालीन आसान प्राकृत भाषा में गीता का ज्ञान प्रवाहित किया जो वर्षों से संस्कृत भाषा की मर्यादा में बंधा हुआ था।संत ज्ञानेश्वर संतों में क्रांतिकारक संत थे जिहोंने दीन दुखी आम लोगों के लिए धार्मिक कार्य किया। मराठी के प्रथम आद्य कवि, अनुवादक, समीक्षक, मार्गदर्शक संत ज्ञानेश्वर के चरणों पर पसायदान का हिंदी अनुवाद सविनय सादर प्रस्तुत है। मेरी अल्प बुद्धि से यह अनुवाद प्रस्तुत कर रहा हूँ।इस अनुवाद की समीक्षा,सुधार हेतु हिंदी लेखिका कवियत्री डॉडॉ. अन्नपूर्णा सिंह जी हार्दिक धन्यवाद। *पसायदान* विश्वरचयिता ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ मेरे वाक यज्ञ से संतुष्ट होकर मुझे अनुग्रहित करके प्रसाद प्रदान करें। (1) दुष्टों की दुर्भावना का अंत हो, सत्कर्म के प्रति दुष्टों की आस्था बढ़े विश्व में मित्र भाव प्रवाहित होकर सभी जीवों में मित्रता बढ़े । (2) पापी के मन का अज्ञान रुपी अंधकार दूर हो विश्व में स्वधर्म रुपी उषा काल हो सभी जीवों की मंगल मनोकामनाएँ पूर्ण हो (3) सर्वत्र मंगल वृष्टि से सकल विश्व को पुलकित करनेवाले ईश्वरनिष्ठ संत सभी जीवों पर कृपा करें (4) वे सभी सुसंवादी संत कल्पतरु समान उद्यान हैं चेतनारूपी चिंतामणी रत्नों के पुर हैं अमृत स्वर की गर्जना करनेवाले समुद्र हैं (5) बेदाग पूर्णिमा के चंद्र और ताप रहित सूर्य के समान संत सज्जन सभी जीवों के मित्र हो जाएं (6) त्रिलोकों में सर्व सुख सम्पन्न पूर्ण होकर विश्व के आदि पुरुष की सेवा करें (7) यह ग्रंथ जिनका जीवन है वे इस विश्व के दृश्य और अदृश्य भोग पर विजय प्राप्त करें (8) इति विश्वेश्वर गुरु श्री निवृत्तिनाथ आशीर्वाद देकर बोले यह प्रसाद तुझे प्राप्त हो यह वर पाकर ज्ञानदेव सुखी हो गया (9)
सुंदर निरूपण. मन भारावून गेले. ज्ञानेश्वर माउलींच्या चरणी साष्टांग दंडवत. ईश्वरनिष्ठांची मांदियाळी खरेच या भूतलावर अवतरो ही त्या जगन्नियंत्या विश्वात्मकाकडे प्रार्थना.
राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम
प्रो.राम शेवाळकरांनी अमोघ रसाळ वाणीत ज्ञानेश्वरांच्या पसायदानाचे निरुपण केले आहे. मात्र सर पसायदानातील तिस-या ओवीचे निरुपण करतांना थोडे गडबडलेले वाटतात. दुरीताचे तिमीर जाओ विश्व स्वधर्म सूर्ये पाहो। ......... .......... यातले दुरीत कोण.....? वैश्विक स्वधर्म, जो सूर्याच्या अस्तित्वा पर्यंत अक्षय रहावा असे माऊलीला वाटते तोे नेमका कोणता धर्म आहे? " चातुर्वर्ण्यं मयाश्रेष्ठं गुण कर्म विभागश:। " गीतेतून श्रीक्रुष्णाने निर्माण केलेला वर्ण धर्म तर, नाही....! ती तर, जन्माने निर्माण होणारी जात व्यवस्था! याच धर्म व्यवस्थेने ज्ञानेश्वर माऊली आणि त्यांच्या बहिण भावंडांना जन्मभर अमानुषपणाने छळलेले आहे! सरांनी या विश्व धर्माच्या व्याप्तीचे मुद्दाम निरुपण केले नाही. ते त्यांना अडचणीत टाकणारे वाटले असावे. पुढे तर,सर आठवी ओवीच निरुपणातून वगळतात.त्यांना आठव्या ओवीत माऊली विश्वात्मक देवाला कुणाच्या द्रुष्टांद्रुष्टांत विजयाची मागणी करतात....? "आणि ग्रंथोपजीवी,विशेषी लोके..... ............। " म्हणजे ज्ञानेश्वर माऊली विश्वात्मक देवाकडे कोणाचा अक्षय विजयाचे दान मागतात,तर जे ग्रंथ ,अर्थात वैदिक ग्रंथांवर ज्यांनी आपल्या आणि आपल्या आप्तजनांच्या पोटापाण्याचा प्रश्न मिटविला.आपले इतरांपासूनचे वेगळेपण कायम करीत समाजात जातींचा नर्क निर्माण करणाऱ्या ऐश्वर्यसंपन्न विशेष लोकांंच्या अक्षय विजयाचे ! पसायदानात ही ओवी इतकी विरोधाभासी आहे कि,या एका ओवीने पसायदानाचा संपूर्ण अर्थ, प्रयोजन,आणि वैश्विकपणच गळून पडते.माऊलींच्या मुळ पसायदानात हे प्रक्षेपण तर झाले नसावे! सरांची इथे निश्चित अडचण झाली असावी, आणि म्हणून ते या ओवीला स्पर्श न करता पुढे जातात.
अमरावती मधे हनुमान प्रसारक मंडळ मधे आदरणीय हृदयनाथ मंगेशकर यांचेसोबत झालेला सरांचा कार्यक्रम अजूनही मी विसरलेलो नाही.मी या बाबत स्वत ला भाग्यवान समजतो.
कृपया ज्ञानेश्वर महाराजांविषयी बोलताना त्यांना ज्ञानेश्वरांनी असं संबोधन लावण्यापेक्षा ज्ञानेश्वर महाराज किंवा माऊली असे संबोधन वापरून त्यांच्याविषयी बोलल्यास अधिक छान वाटते
जय जय राम कुष्ण हरी तुमच्या चरनी शतकोटी नमन श्री गुरुदेव माऊली तुमच्या चरनी शतकोटी नमन श्री गुरुदेव माऊली तुमच्या चरनी कोटी कोटी नमन श्री गुरुदेव माऊली🙏👍🙏
🙏🙏🙏🙏🙏 माउली कोटी कोटी प्रणाम जग तुमच्या विचार प्रमाणे होवो अशी प्रार्थना 🙏🙏🙏🙏🙏
पसायदान खूपच छान शेवाळकरांचे निरूपण खूपच छान डोळ्यात पाणीच आले
ज्ञानेश्वरांबद्दल आदर होताच पण प्रा. शेवळकरांचे पसायदानाने विश्लेषण ऐकून अजून आदर वाढला आहे. न भूतो न भविष्यतो अशी ही महान व्यक्ती ज्ञानेश्वर माऊली आपल्या महाराष्ट्राला लाभली हे आपल परम भाग्य आहे.
🙏🌹वासुदेव हरी🌹🙏।। हरी भजनी घेता गोडी । निवारी जन्म मरण कोडी ।।१।। भावे करिता हरीचे भजन । मना होय समाधान ।।२।। हरी भजनाची आवडी । काळ गेला देशोधडी ।।३।। एका जनार्दनी भजन भजन । भजनी पावे समाधान ।।४।।🙏🌹राधे कृष्ण गोपाल कृष्ण🌹🙏
🙏.....🚩....vishwaswadharmsurye paho...🙏🚩....
शब्द व अर्थबोध अवर्णनिय आणि आनंद वाटणारे आहेत! प्रा शेवाळकर सराबदल. माझ्या सारख्याने काय मत मांडावे?
माउली महा वैष्णव संत श्रेष्ठ ज्ञानेश्वर महाराज कि जय साष्टांग दंडवत
श्री राम शेवाळकर सरांनी सांगितलेला पसायदानाचा अर्थ ऐकताना खुद्द माऊलीच आपल्याशी संवाद साधत आहे असे वाटते. ।।माझी माऊली ज्ञानेश्वर माऊली.।।
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
रामकृष्ण हरि🙏🌺
संत ज्ञानेश्रर जी ने ज्ञानेश्वरी ग्रंथ अर्थात "सटीक भावार्थ दीपिका" पूर्ण करने के उपरांत ईश्वर को जो प्रार्थना लिखी थी,उसे 'पसायदान' से मराठी विश्व में ख्याति प्राप्त हुई है। अत्यंत कष्टदायी जीवन बिताने पर गीता ग्रंथ पर सटीक विवरण प्राकृत मराठी में लिखा। संन्यासी के पुत्र के नाम से जाति से बहिष्कृत किया गया। सनातन धर्म की ज्योत प्रज्वलित करके आम लोगों में ज्ञान गंगा प्रवाहित की। तत्कालीन आसान प्राकृत भाषा में गीता का ज्ञान प्रवाहित किया जो वर्षों से संस्कृत भाषा की मर्यादा में बंधा हुआ था।संत ज्ञानेश्वर संतों में क्रांतिकारक संत थे जिहोंने दीन दुखी आम लोगों के लिए धार्मिक कार्य किया। मराठी के प्रथम आद्य कवि, अनुवादक, समीक्षक, मार्गदर्शक संत ज्ञानेश्वर के चरणों पर पसायदान का हिंदी अनुवाद सविनय सादर प्रस्तुत है। मेरी अल्प बुद्धि से यह अनुवाद प्रस्तुत कर रहा हूँ।इस अनुवाद की समीक्षा,सुधार हेतु हिंदी लेखिका कवियत्री डॉडॉ. अन्नपूर्णा सिंह जी हार्दिक धन्यवाद।
*पसायदान*
विश्वरचयिता ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ
मेरे वाक यज्ञ से संतुष्ट होकर
मुझे अनुग्रहित करके प्रसाद प्रदान करें। (1)
दुष्टों की दुर्भावना का अंत हो,
सत्कर्म के प्रति दुष्टों की आस्था बढ़े
विश्व में मित्र भाव प्रवाहित होकर
सभी जीवों में मित्रता बढ़े । (2)
पापी के मन का अज्ञान रुपी अंधकार दूर हो
विश्व में स्वधर्म रुपी उषा काल हो
सभी जीवों की मंगल मनोकामनाएँ पूर्ण हो (3)
सर्वत्र मंगल वृष्टि से
सकल विश्व को पुलकित करनेवाले
ईश्वरनिष्ठ संत
सभी जीवों पर कृपा करें (4)
वे सभी सुसंवादी संत कल्पतरु समान
उद्यान हैं
चेतनारूपी चिंतामणी रत्नों के पुर हैं
अमृत स्वर की गर्जना करनेवाले समुद्र हैं (5)
बेदाग पूर्णिमा के चंद्र और
ताप रहित सूर्य के समान संत सज्जन
सभी जीवों के मित्र हो जाएं (6)
त्रिलोकों में सर्व सुख सम्पन्न पूर्ण होकर
विश्व के आदि पुरुष की सेवा करें (7)
यह ग्रंथ जिनका जीवन है
वे इस विश्व के दृश्य और अदृश्य
भोग पर विजय प्राप्त करें (8)
इति विश्वेश्वर गुरु श्री निवृत्तिनाथ
आशीर्वाद देकर बोले
यह प्रसाद तुझे प्राप्त हो
यह वर पाकर ज्ञानदेव सुखी हो गया (9)
अत्यंत मौलिक विवेचन.... पसायदान.
आदरणीय बाबा, नमस्कार. पुन:पुन्हा ऐकावेसे वाटणारे निरुपण! 🙏🏻
सरांचे मी खूप वर्षा पूर्वी व्याख्याने ऐकली खूप अप्रतिम व अनुभवाने ओतप्रोत असायची।
Pradhyapak Ram shevalkar Maharashtra Ratn ahet..undoubtedly.
Ram Krishna Hari Mauli
फार मवाळ भाषेतून निरूपण,
Chhan nirupan, mauli, mauli
अतिशय प्रासादिक विवेचन केले आहे, अगदी मन सद्गदित झाले🙏🙏
ज्ञानेश्वर माऊली नमन करतो.
अतिशय सुंदर आणि सुलभ शब्दात प्रोफेसर शेवाळे सरांनी पसायदानाचा अर्थ सांगितला आहे, अतिशय सुरेख ,, धन्यवाद सर
🙏
Jai Shree Krishna
🙏🏻माउली माउली 🙏🏻
अत्यंत उद्बोधक अशी माहिती.
सुंदर निरूपण. मन भारावून गेले. ज्ञानेश्वर माउलींच्या चरणी साष्टांग दंडवत. ईश्वरनिष्ठांची मांदियाळी खरेच या भूतलावर अवतरो ही त्या जगन्नियंत्या विश्वात्मकाकडे प्रार्थना.
राम कृष्ण हरि
पसायदान हे सूफी संत प्रवाहातला हिरा.. सबका मालिक एक .
अल्लाह देवे..अल्ला दिलावे.अल्ला दारो अल्ला खिलावे
aapko.koti.koti.naman
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
राम शेवाळकर. ...ग्रेट
🎉jay sadhguru 🎉. Jay jay shree vitoba rakhumai 🎉
Mauli he showed everyone how to do bhakti ...
🙏🙏👌👌
अप्रतीम 🙏
Sri jagatguru dayndev maharaj.,
अर्थपूर्ण,समर्पक,समग्र विवेचन..खूप अभ्यासपूर्ण पणे समजावून सांगितलं.
अप्रतिम विवेचन🙏🙏
Shree Jnaneshwar: The Ultimate Philosopher Saint. Shree Jnaneshwari: The Ultimate Philosophical Text. Pasayadan: The Ultimate Prayer. Jnaneshwara Mauli Gyanaba Tukaram.
Anand
खुप छान आवडल 👌👌👌🌹🙏🙏🙏🌹
अत्यंत प्रतिभावान वाणीतून निघालेली साहेबांची शब्द कळा , नादमय , अवर्णनीय आहे.
खूपच छान आणि अर्थपूर्ण विवेचन
अप्रतिम व्याख्यान
खूप, खूप छान.
Farch chan 🌹🙏Ram Krishna Hari 🙏
🙏🙏🙏
फारच छान
शब्ददेव श्री राम शेवाळकर सर💐🙏
अप्रतिम विवेचन
Jay Jay Ram Krishna Hari
Very nice explanation
Great
Mazi mauli 🙏🙏
☘️🙏🙏🙏☘️
Thanks.
राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम
Bharat utkrusht
🕉
🙏🙏🙏🙏🙏अप्रतिम चिंतन 🙏🙏🙏🙏🙏
Very nice explanation
A man who was troubled by all can wish betterment of all
This is divine only
हे प्राचार्य शिवाजीराव भोसले यांचं विवेचन आहे.
सुंदर विवेचन
अतिशय सुंदर,,👌👌
Good nice
Great explanation
Khupach sundar
👏👌🙏
Khup sundar
वक्तादशसहस्त्रेशू
Lived the pravachan. Very well explained to the learner. Would like to hear more explanations of more Dnyaneshwri Shlokas.
Liked the pravachan.
sorry for the above error. Read as liked and not lived.
Nice
प्रो.राम शेवाळकरांनी अमोघ रसाळ वाणीत ज्ञानेश्वरांच्या पसायदानाचे निरुपण केले आहे.
मात्र सर पसायदानातील तिस-या ओवीचे निरुपण करतांना थोडे गडबडलेले वाटतात.
दुरीताचे तिमीर जाओ विश्व स्वधर्म सूर्ये पाहो।
.........
..........
यातले दुरीत कोण.....? वैश्विक स्वधर्म, जो सूर्याच्या अस्तित्वा पर्यंत अक्षय रहावा असे माऊलीला वाटते तोे नेमका कोणता धर्म आहे?
" चातुर्वर्ण्यं मयाश्रेष्ठं गुण कर्म विभागश:। "
गीतेतून श्रीक्रुष्णाने निर्माण केलेला वर्ण धर्म तर, नाही....! ती तर, जन्माने निर्माण होणारी जात व्यवस्था! याच धर्म व्यवस्थेने ज्ञानेश्वर माऊली आणि त्यांच्या बहिण भावंडांना जन्मभर अमानुषपणाने छळलेले आहे!
सरांनी या विश्व धर्माच्या व्याप्तीचे मुद्दाम निरुपण केले नाही. ते त्यांना अडचणीत टाकणारे वाटले असावे.
पुढे तर,सर आठवी ओवीच निरुपणातून वगळतात.त्यांना आठव्या ओवीत माऊली विश्वात्मक देवाला कुणाच्या द्रुष्टांद्रुष्टांत विजयाची मागणी करतात....?
"आणि ग्रंथोपजीवी,विशेषी लोके.....
............। "
म्हणजे ज्ञानेश्वर माऊली विश्वात्मक देवाकडे कोणाचा अक्षय विजयाचे दान मागतात,तर जे ग्रंथ ,अर्थात वैदिक ग्रंथांवर ज्यांनी आपल्या आणि आपल्या आप्तजनांच्या पोटापाण्याचा प्रश्न मिटविला.आपले इतरांपासूनचे वेगळेपण कायम करीत समाजात जातींचा नर्क निर्माण करणाऱ्या ऐश्वर्यसंपन्न विशेष लोकांंच्या अक्षय विजयाचे !
पसायदानात ही ओवी इतकी विरोधाभासी आहे कि,या एका ओवीने पसायदानाचा संपूर्ण अर्थ, प्रयोजन,आणि वैश्विकपणच गळून पडते.माऊलींच्या मुळ पसायदानात हे प्रक्षेपण तर झाले नसावे!
सरांची इथे निश्चित अडचण झाली असावी, आणि म्हणून ते या ओवीला स्पर्श न करता पुढे जातात.
Beautiful !!
At loss of words of what it actually meant!!
अमरावती मधे हनुमान प्रसारक मंडळ मधे आदरणीय हृदयनाथ मंगेशकर यांचेसोबत झालेला सरांचा कार्यक्रम अजूनही मी विसरलेलो नाही.मी या बाबत स्वत ला भाग्यवान समजतो.
पसायदानावर काम करूया महाराज
Very Good
कान तृप्त झाले
अतुल दादा, पसायदानाच्या उर्वरीत ओव्यांचे निरूपण कसे उपलब्ध होईल ?
फारच चुकचुकल्या सारखे वाटते !
कृपा होईल का ?
कृपया ज्ञानेश्वर महाराजांविषयी बोलताना त्यांना ज्ञानेश्वरांनी असं संबोधन लावण्यापेक्षा ज्ञानेश्वर महाराज किंवा माऊली असे संबोधन वापरून त्यांच्याविषयी बोलल्यास अधिक छान वाटते
Fakt "Dnyaneshwar Mauli" asech mhanave.
ज्ञानदेवांनी शब्द खरोखर अगदी बरोबर वापरले.पण आपण अर्थ सांगताना सर्व अर्थ चुकिचा काढलाय त्याचे काय.चेतना चिंतामणी चे गाव ईथ तुम्ही चुकलेले आहात
Sir jya mansan kade genuine daivik buddhi aste tyanchya sathi kahi magaychi garajach nahi. Dharmo Rakshati Rakshitaha. Jyane swatahachya aat Dharmache rakshan kele tyala sadaiva Dharmachi rakshan prapt asta ani Dharmacha rakshan Z+ security preksha kayi pati ne strong aste. Je durbuddhiche gulam astat tyanna krupechi garaz aste karan tyanna kuchakratun baher yeta yet nahin ,🙏
Thank you for this Santa vani. Khoop chan vata aikala. Ratri jhoptana aukte ani shikaycha prayatna karte 🙏
Bhakti marga
फारच छान
🙏🙏🙏
अप्रतिम व्याख्यान
खूप छान
🙏🙏🙏