Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 09

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  • čas přidán 30. 04. 2024
  • यज्ञार्थात्कर्मणोऽन्यत्र लोकोऽयं कर्मबन्धन: |
    तदर्थं कर्म कौन्तेय मुक्तसङ्ग: समाचार || 9||
    यज्ञ-अर्थात् - बलिदान के लिए ; कर्मणः - कर्म से ; अन्यत्र - अन्यथा ; लोकः - भौतिक संसार ; अयम् - यह ; कर्म-बंधनः - कर्म के माध्यम से बंधन ; तत् - वह ; अर्थम् - के लिए ; कर्म - क्रिया ; कौन्तेय - कुंती के पुत्र अर्जुन ; मुक्त-संगः - आसक्ति से मुक्त ; समाचर - उचित ढंग से कार्य करना

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