आपकी पसन्द-167/दिनांक-15 जून, 2024/Aapki Pasand -167 Dt.15th June 2024

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  • čas přidán 25. 07. 2024
  • आपकी पसन्द-167
    दिनांक-15 जून, 2024
    सौजन्य-आकाशवाणी रोहतक
    कलाकार-उमेद सिंह टिटोलिया, सतबीर सिंह भैंसवालिया, मुनिगर पाबड़िया, पासी नैययर, नरसिंह
    रचनाकार-श्री मांगेराम, श्री लखमीचन्द, श्री रणधीर सिंह, श्री रामन सिंह, श्री राजेराम
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    Time Line:
    00:00 प्रारम्भिक धुन
    00:37 मां की गेल्यां मामा के घर प्यार कर आले हो सैं
    08:23 कथा सुणी जति सति के धर्म की जो याद रहेगी मन में
    15:57 सावित्री होया दर्द मेरा जी यो काल दिखाई दे सै
    22:35 मैं होइयो ही पड़ी सूं घाल मेरे मतना हाथ लगावै
    27:18 चाल्ले तै मेरे साथ में दुनियां की सैर कराउं
    1. प्रारम्भिक धुन
    2. मां की गेल्यां मामा के घर प्यार कर आले हो सैं,
    आगे पाछे आदमी तकरार करण आले हो सैं।।
    स्वर-श्री उमेद सिंह टिटोलिया/रचना-श्री मांगेराम/किस्सा-नल-दमयन्ती
    3. कथा सुणी जति सति के धर्म की जो याद रहेगी मन में,
    ना छोड़ी मर्याद पुरानी यो सुख हरि भजन में।।
    स्वर-श्री सतबीर सिंह भैंसवालिया/रचना-श्री लखमीचन्द/किस्सा-सेठ ताराचन्द
    4. सावित्री होया दर्द मेरा जी यो काल दिखाई दे सै,
    चार घड़ी में मर लूंगा इसा हाल दिखाई दे सै।।
    स्वर-मुनिगर पाबड़िया/रचना-रणधीर सिंह/
    किस्सा-सत्यवान सावित्री
    5. मैं होइयो ही पड़ी सूं घाल मेरे मतना हाथ लगावै,
    मतना हाथ लगावै।।
    स्वर-पासी नैययर/रचना-श्री रामन सिंह/किस्सा-पूर्ण मल
    6. चाल्ले तै मेरे साथ में दुनियां की सैर कराउं,
    दुनियां की सैर कराऊँ।।
    स्वर-श्री नरसिंह/रचना-राजेराम/उपदेशक भजन
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    नोट: आपकी पसन्द प्रोग्राम हर शनिवार आकाशवाणी रोहतक से मीडियम वेव 262.47 मीटर बैंड यानि 1143 किलोहार्टज पर प्रसारित किया जाता है। आजकल यह प्रोग्राम एमएम बैड 103.5 पर प्रसारित किया जारहा है क्योंकि पिछले दिनों आए तूफान के कारण एमएम टावर क्षतिग्रस्त हो गया है। जिसे ठीक किया जा रहा है। जैसे ही ठीक होगा इसे पुनः मीडियम वेव पर प्रसारित किया जाएगा। इसे आप आकशावाणी की मोबाईल ऐप न्यूज आन एयर पर भी सुन सकते हैं। श्रोताओं की सुविधा के लिए मैं इसको रिकार्ड करके अपने चैनल पर अपलोड कर रहा हूं जिससे दूर दराज के श्रोता इससे लाभ उठा सकें और वो जब चाहें अपनी सुविधानुसार इस प्रोग्राम को सुन सकें और हरियाणवी संस्कृति के चाहने वाले देश-विदेश के श्रोता इससे लाभ उठा सकें। इसमें मेरा कोई निजी हित सम्मिलित हित नहीं है।
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