बिम्स्टेक और खाड़ी: भविष्य की दिशा पर नालंदा अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में संगोष्टि

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  • čas přidán 7. 09. 2024
  • नालंदा विश्वविद्यालय में बिम्सटेक पर संगोष्ठी का आयोजन
    विदेश मंत्रालय के सचिव (ईस्ट) जयदीप मजूमदार रहे मुख्य अतिथि
    नालंदा विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर बे ऑफ बंगाल स्टडीज (CBS) ने "BIMSTEC और खाड़ी: भविष्य की दिशा" पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया। प्रो. अभय कुमार सिंह, माननीय कुलपति (अंतरिम) ने अतिथियों का स्वागत किया और क्षेत्रीय सहयोग और विकास के लिए BIMSTEC और खाड़ी के महत्व को उजागर किया। प्रो. सिंह ने कहा कि नालंदा ने भारत के पड़ोसी देशों के साथ संबंध स्थापित करने में एक सेतु की भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि BIMSTEC इससे जुड़े सदस्य देशों के बीच सहयोग की भावना का प्रतीक है।
    राजदूत श्री जयदीप मजूमदार, सचिव (ईस्ट), विदेश मंत्रालय इस संगोष्ठी के मुख्य अतिथि थे। संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए राजदूत मजूमदार ने कहा, "नालंदा वैश्विक परिदृश्य पर एक ऐसा शिक्षा केंद्र है जहां अनेक राष्ट्र के विद्यार्थी व शिक्षक मौजूद हैं, यह 'वसुधैव कुटुंबकम' की भावना का प्रत्यक्ष उदाहरण है। इसलिए यह उचित ही है कि यह बंगाल की खाड़ी अध्ययन केंद्र नए नालंदा विश्वविद्यालय के परिसर में स्थित है।"
    राजदूत मजूमदार ने नालंदा विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर बे ऑफ बंगाल स्टडीज को संगोष्ठी आयोजित करने के लिए अंतरिम कुलपति प्रोफेसर अभय कुमार सिंह, डॉ राजीव चतुर्वेदी और अन्य सहयोगियों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय संबंध और शांति अध्ययन से संबंधित स्कूल का शुभारंभ नालंदा को अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान का एक प्रमुख केंद्र बनाने का सफल प्रयास साबित होगा। राजदूत मजूमदार ने कहा BIMSTEC का महत्व अतुलनीय है। हमारे सात सदस्य देशों की कुल आबादी 1.8 बिलियन हैं, जो वैश्विक आबादी का लगभग 22% है।
    उन्होंने कहा कि इस जनसंख्या की ताकत हमारे सामरिक भौगोलिक स्थिति के साथ संयुक्त है, जिससे BIMSTEC दो महत्वपूर्ण क्षेत्रों को जोड़ने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत के दृष्टिकोण को उजागर करते हुए उन्होंने कहा, "BIMSTEC के लिए भारत की दृष्टि समावेशी, सतत विकास और क्षेत्रीय शांति, सुरक्षा और स्थिरता की है।" उन्होंने यह भी जोर दिया कि भारत, कृषि, ऊर्जा, स्वास्थ्य या डिजिटल क्षेत्र सहित अन्य क्षेत्रों में अपनी क्षमताओं को सभी BIMSTEC सदस्य देशों के साथ साझा करने के लिए संकल्पित है। उन्होंने कहा, "BIMSTEC एक परिवर्तनकारी यात्रा के कगार पर खड़ा है। हम भविष्य के लिए साझा समृद्धि, सतत विकास और शांति और सुरक्षा से युक्त एक क्षेत्र बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
    अन्य प्रमुख वक्ताओं में वक्ताओं में एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) के पूर्व प्रबंध निदेशक-जनरल डॉ. रजत एम. नाग, एशियन कॉन्फ्लुएंस, शिलॉन्ग के कार्यकारी निदेशक और संस्थापक श्री सब्यसाची दत्ता, मणिपुर सेंट्रल विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर डॉ. लोइटोंगबाम बिश्वजीत सिंह, और ओ. पी. जिंदल ग्लोबल विश्वविद्यालय की प्रोफेसर श्रीराधा दत्ता शामिल थे।
    बंगाल की खाड़ी अध्ययन केंद्र के समन्वयक डॉ. राजीव रंजन चतुर्वेदी ने अतिथियों को धन्यवाद दिया और कहा, "बंगाल की खाड़ी द्वारा एकीकृत, BIMSTEC राष्ट्र क्षेत्रीय सहयोग और सतत विकास को बढ़ावा देने के साझा दृष्टिकोण से जुड़े हुए हैं।" उन्होंने कहा कि BIMSTEC के जरिए भारत अपने बढ़ते राजनीतिक समर्थन और प्रतिबद्धता का साक्षी बन रहा है।
    ध्यातव्य है कि बंगाल की खाड़ी भारत के व्यापार, वाणिज्य और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए एक सेतु की भूमिका निभाती रही है। यह समुद्रीक रेखा न केवल भौगोलिक रूप से बल्कि आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से भी खाड़ी देशों को आपस में जोड़ती है। आज की चर्चाओं के जरिए उपस्थित श्रोता व नालंदा का आकादमिक समुदाय बिम्सटेक देशों से जुड़े मुद्दों तथा उनसे संबधित भारत की समुद्रीक सुरक्षा, आर्थिक एकीकरण, पर्यावरणीय स्थिरता और सांस्कृतिक कूटनीति के विभिन्न पहलुओं से रूबरू हुए ।

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