"कब अइहें पियावा" पद की व्याख्या
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- čas přidán 19. 06. 2024
- कहीं हम इन्हें भूल न जाएं
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सारण के धरोहर
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संत कवि लक्ष्मी सखी जी महाराज
@प्रो (डॉ) अमर नाथ प्रसाद, अंग्रेजी विभागाध्यक्ष, जयप्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा, बिहार
ईमेल.amarnathprasad67@gmail.com
एक बार प्रेम से बोलिए संत कवि लक्ष्मी सखी बाबा की जय
अंग्रेजी साहित्य के महान विद्वान और कवि Thomas Gray ने अपनी प्रसिद्ध कविता "Elegy Written in a Country Churchyard" में लिखा है:
Full many a gem of purest ray serene,
The dark unfathom'd caves of ocean bear:
Full many a flower is born to blush unseen,
And waste its sweetness on the desert air.
अर्थात् बहुत से ऐसे बहुमूल्य हीरे, मोती, जवाहर हैं जो समुद्र के निचले सतह में बैठे हैं ,कोई वहाँ जाता नहीं उन्हें देखने के लिए ,कोई नहीं जाता उन्हें परखने के लिए ; वे वहींअपनी खुशियां ,वही अपना सौंदर्य और अपना रौनक अनदेखे गवां देते हैं ।उसी तरह बहुत से ऐसे फूल भी हैं जो खिलते तो जरूर हैं ,मुस्कुराते भी हैं ,परंतु सुदूर जंगलों में ,जहां कोई नहीं जाता उन्हें देखने के लिए ,कोई नहीं जाता उन पर कविता लिखने के लिए और कोई नहीं जाता उनके सुगंध को लेने के लिए। वैसे ही एक खूबसूरत और सुगंधित फूल का नाम है संत कवि लक्ष्मी सखी।
भोजपुरी भाषा के महान संत कवि लक्ष्मी सखी का पवित्र समाधि स्थल सारण मंडल के अंतर्गत गोपालगंज जिले के टेरूवां ग्राम में अवस्थित है जो गोपाल गंज जनपद ,बैकुंठपुर प्रखंड के अंतर्गत राजापट्टी स्टेशन से पाँच किलोमीटर उत्तर क्रेतपुरा बंगरा गाँव के नजदीक है ।यह स्थान बहुत ही रमणीय और प्राकृतिक है ।नारायणी नदी के तट पर अवस्थित यह पवित्र स्थल शहर के कोलाहल से दूर अध्यात्म से परिपूर्ण स्थान है जहां कोने-कोने से लोग आते हैं ,बाबा की समाधि स्थल पर प्रसाद चढ़ाते हैं और अपनी मन्नतें मांगते हैं ।ऐसी मान्यता है कि जो भक्त भी श्रद्धा भाव से यहां आता है और भक्ति भाव से बाबा की आराधना करता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। यह एक पवित्र और जागृत मठ है ।इस मठ की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इस मठ पर कभी भोजन नहीं बनता बल्कि दोनों समय भोजन अगल बगल के गांव के लोग स्वयं पहुंचा जाते हैं और यह सैकड़ों वर्षो अनवरत चलते आ रहा है। बाबा के पावन समाधि पर यहां हर वर्ष पौष पूर्णिमा को एक मेला लगता है जिसमें दूर दूर से संत पहुंचते हैं, कई गायक कलाकार भी पहुंचते हैं और रात भर यहां भजन कीर्तन होता है और मुझे इस मठ पर रात भर जगने का और भजन कीर्तन का आनंद लेने का सौभाग्य भी मिला है जिसका वीडियो मैंने यूट्यूब पर भी डाल रखा है जिसमें लक्ष्मी सखी जी महाराज का एक भजन को श्री जनार्दन सखी जी महाराज(अब गोलोक वासी) हारमोनियम बजाते हुए गा रहे हैं। कृपया इस भजन को यूट्यूब पर सुने और बाबा के साहित्य को राष्ट्रीय पहचान दिलाने के लिए इस यूट्यूब को आगे भेजें और अधिक से अधिक लाइक करें। कृपया अधिक जानकारी के लिए निम्नलिखित लिंक को क्लिक कर सब्सक्राइब करें और फॉरवर्ड करें:
/ @amarnathprasad1028
संत कवि लक्ष्मी सखी सखीसंप्रदाय के प्रवर्तक है। सखी संप्रदाय हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण अंग है और ईश्वर भक्ति धारा का एक रूप है। इस संप्रदाय के लोग भगवान को पति भाव में पूजते हैं। हम जानते हैं की भक्ति कालीन युग में ईश्वर भक्ति की कई प्रशाखाएं प्रचलित थी जिसमें भक्त कवियों ने भगवान को कई रूपों और भावों में आराधना की है। चैतन्य महाप्रभु ने गीत संगीत के माध्यम से ईश्वर की आराधना की है , तो दूसरी तरफ मीराबाई ने भगवान को पति रूप में मानकर उनकी पूजा अर्चना की है ।तुलसीदास ने दास्य भाव में भगवान की पूजा की है। सूरदास का वात्सल्य प्रेम तो सर्व प्रसिद्ध है। उन्होंने परमपिता परमेश्वर को अपना मित्र मानकर पूजा अर्चना की है। उसी तरह संत कवि लक्ष्मी सखी ने भगवान को "सुंदर पियावा" कहा है, अर्थात वह ईश्वर को माधुर्य भाव के माध्यम से पति के रूप में रिझाना चाहते हैं। जैसे मीराबाई के हर पद में "मीरा के प्रभु गिरिधर नागर " तथा कबीर दास के हर पद में " कहत कबीर सुनो भाई संतो" का प्रयोग हुआ है ठीक उसी प्रकार संत कवि लक्ष्मी सखी जी के प्रत्येक पद में "लक्ष्मी सखी के सुंदर पियावा" का प्रयोग हुआ है । सुंदर पियावा से कवि का तात्पर्य उस परमपिता परमेश्वर से है जो इस ब्रह्मांड का सबसे सुंदर पति है।
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जय जय 🙏
Jai Shree SitaRam jai Shree Hanuman
Lakshmi sakhi Maharaj ki Jai ho.Bahut hi sundar compose kiye hai sir ji aapne.Bhojpuri literature mein jo rus hai o kisi v literature mein nahi hai. Bahut bahut dhanyawad sir ji 🎉🙏
वीडियो देखने प्रशंसा करने और इस पर कमेंट करने के लिए बहुत बहुतधन्यवाद