बैरागी व गृहस्थी के लक्षण और मर्यादा क्या हैं? - वृत्तांत EP 44 || VKabeerVichaar
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- čas přidán 12. 04. 2024
- This Podcast is based on the true message of knowledge preached by Sadhguru Kabir Saheb to his supreme disciple Dhani Dharmdass Saheb adduced in Anurag Sagar (Book).
Vritant - The Podcast - Episode 44
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सदगुरु कबीर धर्मदास साहेब चार गुरु वंश बयालीस के पावन चरण कमलों में कोटि कोटि
🙏॥ सप्रेम साहेब बंदगी साहेब ॥🙏
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#सदगुरु_कबीर_साहेब #पंथ_श्री_प्रकाशमुनि_नाम_साहेब #V_Kabeer_Vichaar
साहब जी के पावन चरण कमलो मे कोटि कोटि सप्रेम साहेब बंदगी साहेब जी
Saheb bandagi saheb
रह सप्रेम साहेब बंदगी साहेब🙏🌹
साहिब जी के रहनी गहनी पर अति सुन्दर एवम व्यापक वर्णन के लिए बहुत धन्यवाद ❤
sat saheb ❤
Sprem saheb bandagi saheb 🙏🙏 bhut gyanvardhak
हृदय प्रेम से सुरति कर, सतगुरू में परतीत । सकल पसारा मेट कर चित लाए नवनीत।।
😮😊😮😊😊
सप्रेम साहिब बंदगी जी
साहेब बंदगी साहेब
साहेब नाद बिंद का महत्व क्या हे मार्ग दर्शन करने का कृपा करे साहेब बंदगी साहेब
czcams.com/video/FasP5l_Hb8U/video.htmlsi=Lu94hmpRdPNWDxLf
Saheb ji ke charanon mein koti koti kis Naam ki Sadhna karni chahie
कबीर साहेब द्वारा अशीर्वादित व अधिकारित धर्मदास साहेब के वंश बयालीस गुरुजनो अथवा उनके महंत जनों से प्राप्त सार शब्द ( नाम दीक्षा)
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Oham soham mantar doe pade so mukti hoe ek lakhay ek shudae to parani nijj ghar jae
Aak ke time me sacha guru kon hai naam dan kaha se le
तेरा बैरी कोई नहीं तेरा बैरी मन, जीव के संग मन काल रहाई, अज्ञानी नर जानत नहीं, मन ही आये काल कराला जीव नाचाय करे बेहाला,यह मन यानि दिमाग हमारे ध्यान यानि आत्मा को २४ घंटे इस दुनिया में घुमाता रहता है और अंत में 84 लाख योनिओ में ले जाता है जागत सोवत धर धर मारे सतगुरु कबीर साहिब जी दिमाग 1300 ग्राम से लेकर 1400 ग्राम का है यही इस शरीर की इन्द्रियों का स्वामी है और यही मन है इसी से यह संसार अनुभव हो रहा है इसी से हमें याद है की यह मेरे माता पिता है यह मेरा भाई है यह मेरी बहिन है यह मेरी पत्नी है मन खाये, मन सोय, मन जगे, मन हंसे, मन रोए, मन लेवे, मन देवे, मन ही कायर मन ही सूरमा, मन कामी, मन क्रोधी, मन लालची, मन चंचल, मन चोर, मन के मते न चालिए यह पलक पलक विच और सतगुरु कबीर साहिब जी, सतगुरु मधु परम हंस जी साहिब बंदगी
कोटि नाम संसार में तिनते मुक्ति न होय, मूल नाम वो गुप्त है जाने बिरला कोई, कहा न जाये लिखा न जाये बिन सतगुरु कोई नहीं पाए, गुरु संजीवन नाम बताये , पूरा गुरु अकह समझाए जाके बल हंसा घर जाये
मेरा एक प्रश्न है
साहब की जो आरती करते हैं उसका क्यामहत्व है और आरती की विधि इसी प्रकार की क्यों है। मैं चौका आरती के बारे में नहीं पूछ रहा दीपक जलाकर जो संध्या आरती की जातीहै उसके बारे में बताएं