क्यों न्यायाधीशों ने कॉलेजियम पर लगाए पक्षपात के आरोप?
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- čas přidán 12. 05. 2024
- Ignoring merit in collegium system: Case in Supreme Court. Why did the judges accuse the collegium of bias? Two district judges of Himachal Pradesh move Supreme Court, raise questions on choice of HC collegium
कॉलेजियम सिस्टम में योग्यता की अनदेखी: मामला सुप्रीम कोर्ट में,
क्यों न्यायाधीशों ने कॉलेजियम पर लगाए पक्षपात के आरोप?
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About Vijay Sardana:
➢Advocate, Supreme Court of India, Delhi High Court, National Green Tribunal and Tribunals
➢Independent Director on Corporate Boards & on Expert Committees Techno-legal, Techno-commercial & Techno-Economic Policy Expert
➢Agribusinesses Value Chain Investment Strategy & Trade Advisor
➢Research & Innovation Management Advisor
Alumni of PGDM (IIM, Ahmedabad), LLB, M.Sc. (Food Tech) (CFTRI), B.Sc. (Dairy Tech), IPR (WIPO); PGD in Arbitration, Intl. Trade Laws & Alt. Dispute Resolution (ILI, New Delhi), ESG (CFI, US); Intl. Trade Laws (UNCITRAL, Vienna), Contract Law (Yale, USA); Justice (Harvard), International Environmental Laws; Negotiation Strategy (Michigan), Bankruptcy Law (Moscow), Ph.D. (Circular Bio-economy) (in progress) (JGU)
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तीस्ता सीतलवाड़ को छुट्टी वाले दिन रात को
न्याय देने वाले जजों ने उस रात तीस्ता
सीतलवाड़ से कितनी और कैसी फीस वसूल की होगी यह तो कल्पना का मामला है।
3-4 घंटे में 2 बार जजों की पेनल बिठाया गया था वो भी डांस का प्रोग्राम देखते बनाया गया था
Teesta ki teeese nikva k 😂
@@hemantldesai7166INDIAN JUDICIARY TATTI HAI, INDIAN JUDGES SUVAR KI TATTI HAI😂😂😂
सुप्रीम कोर्ट आम जनमानस में अपनी विश्वसनीयता एवं प्रतिष्ठा खोती जा रही है। जोकि चिंताजनक है।
Open len den, bail de diya, kheda was granted readymade bail by none other than DYC.
सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट के बाहर बोर्ड लगा देना चाहिए _
" हम बिकाऊ हैं पैसा फैंकों मनपसंद फैसला पाओ "
इसका उदाहरण है _ केजरीवाल को लोअर कोर्ट हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली लेकिन सुप्रीम कोर्ट के भ्रष्ट जज हाईकोर्ट का फैसला पलट देते हैं तो क्या हाईकोर्ट के जज नासमझ हैं क्या इनको कानून की समझ नहीं है ?
'Paisa pheko,notanki Dekho.'
There should be either SC or Only Highcourts. If judgement given by highcourts are reversed by SC, why waste time in high court ?
पैसा ही कोर्ट पावर सिस्टम को चलाता है । सब बिकता है , कुछ डालर में और कुछ ₹ में ।
😂😂😂
Chandrachud ko issi harkat se kejriwal jaise bhrashtachri, atankwadi crime karne ke baad bhi bahar aa jayange. Aise me President Murmu Ji Chandrachud, Sanjeev Khanna and dipankar dutta jaise judges ko suspend kar dena chahiye.
कोई फ़र्क़ नहीं होगा जब तक परिवारवादी सिफ़ारिशी जज सिस्टम में बैठे है । ऑक्सफ़ोर्ड कैम्ब्रिज हॉर्वर्ड से पढ़े सुप्रीम कोर्ट में न्याय देंगे ये मूर्खता है सब गोरो के हिसाब और हित के लिए ही है या माल कमाने को ही है ये समानांतर सत्ता केंद्र है
विजय सरधना साहब आपको सलूट है इन बातों को सुनने में बहुत दुख होता है मेरे देश की न्याय प्रणाली को क्या होता जा रहा है मैं समझता हूं इसका एक ही उपाय मोदी जी को करें 400 पर तभी होगा सुधार जय हिंद
विजयसरदाना जी का विश्लेषन बहुत ही उच्च कोटि का है ।यदि ऐसे वकील सुप्रीमकोर्ट के जज बने तो निश्चित ही गरीब लोगों को न्याय मिलने लगेगा और अभिषेक मनु सिंघवी कपिल सिब्बल प्रशांत भूषण जैसे दलालों की दुकानें बंद हो जायेंगी
इनकी दुकानें बंद होने की सम्भावना नहीं है क्योंकि इनके साथ सारे परिवारवादी राजनीतिक दल, विदेश में बैठे भारत विरोधी, टुकड़े- टुकड़े गैंग आदि खड़े नजर आ रहे हैं।
फिर भी आशावादी तो होना ही चाहिए।
केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट के जजों को 1,1 बिटकॉइन दे दिया होगा
કેજરીવાલ ને.સુસ્પિમ.કોટૅ.ના.બને.જજ.ને.પેટભરિ.બીટ.કોઇન.આપેલ.હશે.જેથી.આ.પરીણામ.આપેછે.
5 million dolars deye judges ko kejriwal ne
Bitcoin aur bottle
भारत में न्याय बिकाऊ है
वर्तमान में संचालित कॉलेजियम सिस्टम लोकतंत्र पर लगा हुआ एक बदनुमा दाग है जिसे फोर्सफुली हटाकर एक बेहतर न्यायिक व्यवस्था लागू किया जाना अत्यावश्यक है। स्वच्छता अभियान के तहत ही इस मुद्दे का प्राथमिकता के आधार पर निराकरण किया जाना देश की संसद से अपेक्षित है।
इसलिए तो ये कोलेजियम वाले भी नहीं चाहते कि मोदी बहुत बड़े बहुमत से पुनः सत्ता में आए ;इलेक्टोरल बांड, तीस्ता सीतलवाड़ को बेल, ईडी सीबीआई के ईमानदार मेहनत पर पानी फेरने वाला फैसला सभी स्वस्थ कानून व्यवस्था को हतोत्साहित करता है।
आप बहोत मासूम है विजय सरदानाजी | कोई अपवाद को अगर छोड़ दिया जाए , सुप्रीम कोर्ट का कोईभी जज कॉलेजियम को बंद करनेका सोच भी नहीं सकता | कॉलेजियम व्यवस्था स्वार्थ ओर भ्रस्टाचार के ऊपर चलती हे , जो सबसे ज्यादा भ्रस्ट है उसे ही कॉलेजियम आगे भेज देता है, इसी लिए सुप्रीम कोर्ट मे सारे लोग भ्रस्ट है , किसी ईमानदार को सिर्फ मज़बूरी मे है जज बनाया जाता है |
जिन जजों ने सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई चंद्रचूडड़ को शिकायत की है उन्हें अभिषेक मनु सिंघवी को मोटी फीस देकर अपना वकील बनाना होगा , अन्यथा न केवल उनकी पेटिशन रिजेक्ट कर दी जायेगी , बल्कि उन पर कोर्ट का समय बर्बाद करने की भारी पेनल्टी भी लगाई जायेगी
Interim bail to Kejriwal is very bad decision in law.
संविधान से दो शब्द निकाल देना चाहिए ,एक--सत्य मेव जयते,दूसरा समानता का अधिकार। केवल सत्य है।
Satya bachan Singhavi apane sambandh ke aadhar hi case nahi jitate bulki apane sath- sath ek aur insan ke ghar me bhi hariyaali pradan karate hain to phir manmafik kam hone ki guarantee hai.
AasssssssssssssssssssssssßsssssaaaassssssSSsssssssssssssss
🤣🤣🤣
The collegium system must be stopped immediately.
CJI Supreme Court सारे अधिकार अपने एवं कॉलेजियम के पास ही रखना चाहते हैं। अपने आप को भगवान से भी ऊपर मानते हैं।
सरदाना जी कलोजियम सिस्टम कुछ नहीं है केवल परिवार वाद है पहले जो कलोजियम के मेम्बर थे उन्होंने एक दुसरे के बच्चों का, नाती नातिन पोते पोतियों का व क्लाइमेट दोस्त सबका ख्याल रखा जाता है
वो तो जनता ने देख लिया है नटवर लाल को यदि प्रचार के लिए बेल देनी थी तो सारे नेताओं को भी बेल देनी चाहिए थी केजरीवाल ने बेल तो माँगी ही नहीं थी अब बाहर आ कर कह रहा है गठबंधन जीता तो उसे जेल नहीं जाना पड़ेगा ।
उन जजो को सेटिंग करने के लिए कपिल सिब्बल और सिधवी से सम्पर्क करना चाहिए।
जो जज ईडी को नसीहत देते हैं की इस को क्यों पकड़ा केजरीवाल को कुछ भी नहीं बोलते हैं कि 9 समन में क्यों हाजिर नई हुआ आप ही समझ जाए की शराब में कितना तागत है दिन को रात और रात को दिन करदेते हैं धन्य धन्य है दत्ता,सीजेआई और न्याय व्यवस्था।
Sharab ka nasha bahut hi takatbar hota hay.
पब्लिक को इसे गंभीरता से ले
जब तक पब्लिक जागरूक न होगी तब तक कुछ नहीं होगा मैं 67 years old का हूँ और होश सम्भालने से अभी तक वही कहानी है
If Kejriwal did not turn up before the ED 's 9 consecutive summons , the fault lies squarely on the shoulders of the ED officials of Delhi. Will they answer why they gave a long rope to Kejriwal and is this a usual practice in PMLA procedure. A similar thing happened in the case of the erstwhile Maharashtra Home Minister who appeared before the ED onlybafter several summons
The Constitution should be amended if a person holding public office is jailed and clings to his post claiming there is nothing in the law to force one's resignation if jailed.
जजों की नियुक्ति की इस प्रक्रिया को शीघ्र बदला जाए।यह देश में बढ़ते भारस्ताचार का एक कारण है।
शीर्ष न्यायालयों की नियुक्ति के लिए पारदर्शी संस्था की आवश्यकता है।
सरदाना जी आपने बहुत ही उम्दा सुज़ाव दिया है। फ़िलहाल जो कोलेजियम सिस्टम है वो "अंधा बांटे रेवड़ी अपनों अपनों के दें" कहावत को चरितार्थ करता है, जिसे बदलने की नितांत आवश्यकता है।
आपका कथन बिल्कुल सही है, ऐसा सिस्टम डी ओ पी टी जैसी संस्था अवश्य बनाई जानी चाहिए!
सुप्रीम कोर्ट ने जिस आधार पर अंतरिम न मांगने पर दी। उससे जनमानस प्रभाव नहीं आपने बहुत अच्छे।फेसले दिये। धन्यवाद
यह सिर्फ भारत में ही सम्भव है की जो जिनकी उत्पति ही भ्रष्टाचार से होती है वो ही भ्रष्टचार पर फैसला देते है
हिन्दुस्तान का सबसे बेईमानी वाली जगह। सबसे ज्यादा भ्रष्ट सिस्टम।
यदि मोदी जी ने सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट के सिस्टम को नही सुधारा तो ये जज किसी दिन मोदी जी को ही पद से हटा द्गे जार्ज सोरोस सी.आई.ए. के पैसों का कमाल देख ही चुके है
It is not possible for PM to change judiciary unless he has 2/3rd majority in both loksabha and rajyasabha as the opposition never support the ruling party . Or the judiciary itself must be pro changes otherwise whatever the ruling party does will be repealed by the Supreme court. Just blaming the PM is not sufficient.
भारत की न्याय व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है । सुप्रीम कोर्ट में जजों की टिप्पणियां और जजों निर्णय देश की जनता के घातक बन रहे है । सबसे पहले जजों की नियुक्ति में क्लोजाइम सिस्टम को समाप्त कर देना चाहिए । जय हिंद ।
परिवारवादी न्याय व्यवस्था खत्म होनी चाहिए ✅
केजरीवाल को बेल मिलना और केजरीवाल के साथियों को बेल न मिलना मुझे इसमें साजिश की बू आ रही है
वाह! बेहतरीन और अति प्रासंगिक विश्लेषण न्यायपालिका पर।
मुझे उम्मीद है हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी इस न्याय व्यवस्था को अच्छी तरह समझ रहे हैं और वह जल्दी कुछ ना कुछ फैसला लेंगे और कानून में बदलाव करेंगे सुप्रीम कोर्ट नहीं यह परिवारवाद सुप्रीम कोर्ट है तो फैसला भी ऐसे ही देंगे बड़े बड़े नेताओं जिनके परिवारवाद है तभी तो इनको जमानत मिली हुई है ऐसे जजों के खिलाफ महाभियोग चलना चाहिए
भारतीय न्याय व्यवस्था वास्तव में अन्याय पालिका बन चुकी है।
क्या कोई ऐसा सिस्टम भारत में नहीं है जो इन तथाकथित न्यायमूर्तियों की जवाबदेही तय कर सकें 😮😮😮
आदरणीय सरदाना जी अंधे के आगे बीन बजाना है, इन जजों को सलाह देने का कार्य।
कोर्ट को भर्ती प्रकिया योग्यता और इंटलेक्चुअल के बेस पर सी जे आई का सेलेक्शन होना चाहिए। कालेजियम सिस्टम मे भाई भतीजा वाद हो सकता है।सुप्रिम कोर्ट बहुत अहम है।
जब तक कालेजियम द्वारा जजों का चुनाव होगा तब तक भाई भतीजा बाद जारी रहेगा
सुन्दर बहुत ही सुन्दर । सुप्रीम कोर्ट को भी स्वयं पर लग रहे आरोपों पर ध्यान देकर उसमें सुधार करना चाहिए ।
You are absolutely right sir. The collegium system must be repealed in Bharat.
अजीब सिस्टम है अपने आप ही अपने उत्तराधिकारी का चयन कर लिया जाता है
उच्चतम न्यायालय में निष्पक्षता, पारदर्शिता और सत्यनिष्ठा नहीं है।
आदरणीय विजय सरदाना जी नमस्ते मान्यवर आज जनता के साथ कोई नई समस्या नहीं पैदा हो रही है। समस्याएं शुरू से ही रही है शुरू से हो रही थी शुरू से हो रही है और होती रहेगी। मान्यवर सरदाना जी हमें सबसे पहले देश में चरित्र का निर्माण करना होगा और देश के हर व्यक्ति में संविधान मैं वर्णित प्रस्तावना को भरना होगा। मिस्टर सरदाना जी सच्चाई है कि Aaj भारत की जनता का हर क्षेत्र में पतन हो रहा है संस्थाएं कैसे ठीक बनी रह सकती है? धन्यवाद सुखवीर सिंह k e m w a l
लेकिन बिल्ली के गले में घंटी बांधेगा कौन ? बिल्ली (सुप्रीम कोर्ट) खुद तो अपने गले में घंटी बांधने नहीं वाली और केंद्र सरकार में हिम्मत नहीं है ।
कमाल कर दिया साहब।
अब हम समझ गए,
मूल जड़ बीमारी की,
जो देश को कमज़ोर, खोखला और दो कौड़ी की कीमत वाला देश समाज बनाए हुए है
Sir ji, जिसको लगता है कि हम इस देश के भगवान है और पावर इतना की इस देश की जनता द्वारा चुनी हुए सरकार के द्वारा NJAC को नहीं माना. मोदी 4 जून के बाद colijium सिस्टम को तुरंत खत्म कर देना चाहिए चाहे अगर mahaviyog ही कियो ना लगाना परे. इस सिस्टम को सही करना और जवाब देह बनाना जरूरी है
पैसा और पावर से ही न्याय मिलने लगे ये भी ग़लत है । विदेशों में न्यायालय कैसे काम करते हैं ।ये भी देंखें । मुख्य न्यायाधीश यदि राष्ट्रपति घोषित करें तो सारा ज्यूडिशियरी सिस्टम सरकार के अधीन हो जाएगा । वो भी ग़लत होगा । कोलेजियम सिस्टम गलत है ही ।
विजय सरदाना जी, आपका विश्लेषण बहुत ही तार्किक होता है। साथ ही उसका प्रस्तुतिकरण बहुत ही साफ तथा सुलझे हुए तरीके से करते हैं। साथ ही इसमें कहीं से भी किसी के प्रति पक्षपात की बू नहीं आती। आपको साधुवाद। आप स्वस्थ रहें, तथा अपने ज्ञान का प्रसार करते रहें।
हमारे देश में ब्यूरोक्रेसी जैसा लॉ कमिशन यूपीएससी जैसा होना चाहिए। जब इतना केस पेंडिंग है तब जजेस की संख्या बढ़ना चाहिए कोर्ट बढ़ना चाहिर्य। एक parallel सुप्रीम कोर्ट होना चाहिए अगर इन लोगों ने कॉलिजियम सिस्टम पर अड़े रहते है तब।
आपने सही आवाज़ उठाई है कोलोजियम सिस्टम में मैं आपकी बातो से सहमत हु
सरदाना जी
कहावत है Absolute power corrupts abslutely।
हमारा सुप्रीम कोर्ट तो प्वेरफुल है ना, absolutely powetful
ना तो सुप्रीम कोर्ट के जज और उच्च न्यायालय के जज साहिब लोग स्वयं की संपत्ति का विवरण सार्वजनिक क्यूँ नहीं करते है? जब कि जिला न्यायालय के न्यायाधीश को अपनी सालाना विवरण में अचल संपत्ति का विवरण देना होता है जो अनिवार्य है l🙏🙏🙏
जज साहेब आम आदमी जो जेल में बंद हे गरीब हे अभिषेक मनु सिंघवी जैसे वकील न हो उसको इस तरह की जमानत की छूट मिलेगी क्या या वो गरीब धन के आभाव में जेल में ही पड़ा रहेगा जज साहेब न्याय के मंदिर में तो सबको न्याय मिलना चाहिए नही तो कैसा न्याय का मंदिर हे।
सरदाना जी क्लोजिंग सिस्टम ही बंद कर देना चाहिए अच्छे अच्छे पढ़े लिखे वकील हैं इनको जज बनना चाहिए सिफारिश से नहीं तभी तो इस देश में रिश्वत देखकर नौकरी लगते हैं तो क्या सुप्रीम कोर्ट में भी ऐसा होता है यह सोचने वाली बात है
Shri Vijay sardhana ji aap khudh vakil hain aur aap court ke baare main jo vishleshan karke samachar sunate hain iske liye aapka bahut bahut dhanyad jai hind jai bharat Mata ki
जजों के चुनने के लिए एक संस्था ज़रूर होनी चाहिए
अतिसुन्दर विश्लेषण , सादर प्रणाम ।
पिछले दस साल मे जितने जजिस रेटायर हुए है और जितने मौजूदा जजिस कार्यरत है उन सभीसे कोलेजीयम और जजिस के प्रमोशन के बारेमे राय मगवानी चाहिए और उसपर विचार करके सविधान मे जरुरी संसोधन करके योग्य सिस्टम बनाना चाहिए और सुप्रीम कोर्ट जजमेंट तभी अमली होना चाहिए जब राष्ट्रपति उस पर अपनी माहौर लगता है.
एक चपरासी भी जब उसका बच्चा एग्जाम दे रहा होता है तो ड्यूटी से हट या हटा दिया जाता है पर ये SC के जजों की बेशर्मी देखो! क्या इनको ही माननीय कहा जाये? आ थू..
I agree with you sir. Colligium system need to be abolish immediately.
सरदाना जी आपका विश्लेषण एवं सुझाव बहुत सुंदर है मैं आपके विचारों का पुर्ण समर्थन करता हूं। इस अति श्रेष्ठ कार्य के लिए आपको साधुवाद।
जितने चाहे कानून पार्लियामेंट से पास करा लें कॉलेजियम के विरुद्ध उसे सुप्रीम कोर्ट रद्द कर देगा।अन्यथा अपने बच्चो को कैसे जज बनाएंगे
देश के पूरे तन्त्र की तरह ही न्यायपालिका भी तो है, अलग कैसे होगी,
प्रजातन्त्र में, जैसी प्रजा वैसा राजा
स्वतन्त्रता भी तो टुकड़े टुकड़े थी,
जिन कारणों से हम परतन्त्र हुए, उन से उबर कर ही तो स्वतन्त्रता सार्थक होगी,
स्वच्छता अभियान चल रहा है,
स्वयं पर भरोसा और अभियान की पूर्णता परिणाम देंगे
100% agree with Mr. Sardana.
अगली बार , कॉलेज़ियम पर वार ❤
जजों और कोर्ट से लोगो का भरोसा उठ रहा है न्याय सिर्फ नेताओ के लिए है
Very well said, Vijay ji! We seriously need judicial reforms.
न्यायालय में सुधार की गुंजाइश है आपके द्वारा जो चिंतन और विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है वह वास्तव में न्याय की धरातल की वास्तविकता को स्पष्ट करता है लेकिन न्यायालय के न्यायाधीश जो कॉलेजियम सिस्टम में बैठते हैं वह अपने आप को अत्यधिक विद्वान और पारिवारिक पृष्ठभूमि से प्रभावित होने के कारण अन्य सभी योग्यताएं जो किसी मजिस्ट्रेट में होनी चाहिए वह अनदेखी की कर दी जाती है इसी कारण से न्याय व्यवस्था भ्रष्टाचार से प्रभावित होकर न्यायालय प्रतिष्ठा पर प्रश्न चिन्ह लग गया है वर्तमान समय में आम आदमियों का विचार न्यायालय के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण का प्रतिदिन होता जा रहा है
आपका विश्लेषण सही सटीक और vishvasniy है
Abolish collegium system as early as possible.
Yes Sir,I fully support,there must be organasation like DOPT for appointment etc for d Judicial officers also.
विजय जी प्रणाम
सुप्रीम कोर्ट में जजों कि नियुक्ति में आमूल चूल परिवर्तन की आवश्यकता है समय समय पर सुप्रीम कोर्ट के जजों के निर्णयों को लेकर जनआक्रोश सामने आता रहता है कालेजीयम सिस्टम द्वारा जजों की नियुक्ति में पारदर्शिता नहीं है और ना ही उनकी कोई जबाब देही तय है
ज्यूडिशरी सिस्टम में बदलाव करने की जरूरत है अब समय आ गया है
जजेस का अप्वाइंट यूपीएससी को करना चाहिए। सारे कॉलेजियम तो डिसमिस करें और योग्य लोगों को अप्वाइंट करें सरकार।
यह वहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है जी
न्यायिक प्रिक्रिया में बहुत सुधार की जरूरत है, हमारे देश में जितनी भी अदालतें है उन में आपस में कोई भी सामजस्य नहीं है, लोअर कोर्ट कुछ कहता है, हाई कोर्ट कुछ और कहेगा और सुप्रीम कोर्ट की अलग धुन चलती है, यदि हाई कोर्ट कुछ फैसला देता है, तो सुप्रीम कोर्ट बदल देता है, आपस में कोई तालमेल नहीं है, सब अपने मन की करते है
आपका सुझाव एक दम सही है कि कानून में (judiciary) recruitment training & placement का एक independent system होना चाहिए - सुप्रीम कोर्ट व high courts में judges की appointment एक तह सिस्टम के जरिए होनी चाहिए जैसे कि IAS allied services & defence services में appointment & promotion is thru a well defined system. However the present SC collegium will try to evade such a system b'cos selective appointment/s and favour to "their own" will stop - and control over the higher judiciary by a few families will stop... That's the irony of the situation today -
ओपन एग्जाम होनी चाहिए,,केवल वकील को नही कोई भी जज बन सके।
आदरणीय सर ये कॉलेजियम सिस्टम ही ख़राब है से मैं सारे जज अपने करीबी को प्रमोट करते है कॉलेजियम मैं कार्यपालिका और न्यायपालिका नेता प्रतिपक्ष और कानूनविद और शिक्षाविद् होने चाहिये जो डिसाइडकरे जजो का प्रमोशन
Bahut sahi analysis Kiya aapne Sir
SC judges have not given the right decision to free Sad ji.
How the system is operating
Ek desh drohi ED has given enough proofs even then sad ji is given bail.
Jai Sree Ram
Jai ho Modi
Mr Sardana is the most sensible and analytical voice on issues of legal jurisprudence, agriculture and public policy. We appreciate you Vijay-ji. 🙏🏽
You are absolutely correct sir this is very important issues for our country
आपका विश्लेषण तार्किक है,पूर्ण समर्थन
जजेज के अगेंस्ट में जजेज तो फैसला कौन करेगा। क्या राष्ट्रपति महोदया को अब इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए ⁉️
जजो कि परिक्षा के द्वारा नियुक्त करे भारत सरकर
Judiciary reform ki jaroorat hai. Collegium system hatao, democracy ko bachao. Democracy me janta janardan sabse badi aadalat hoti hai. JAGO Janta Janardan Jago...JAY SHREE RAM. JAY HIND JAY BHARAT AKHAND BHARAT.
You are absolutely right sir. It is the utmost requirement. I am surprised that it should have come into their mind. The main reason behind this is the power factor. DOPT type of institution will surely reduce the burden on the Supreme Court and there will be less number of disputes. Ultimately everyone concerned will be benefited.
Collegium system should be stopped. It should be given to Law ministery & law minister should make a panel with imminent members from different fields including opposition
The Collegium system should be replaced by some other institution.
DOPT is really a must department n very good suggestion
कॉलेजियम सिस्टम की आड़ में जूनियर जजों को हाई कोर्ट का जज लगाने के लिए डिजर्विंग जजों को जो की वरिष्ठ होते हैं उन्हें इग्नोर किया जाता है 😢😮
Yes , you are Absolutely right to have a development system for Judicial appointments .
I totally agree with your argument,thanks sir
Collegium system jald hi hat jana chahiye.
आपका विश्लेषण तथ्यों पर आधारित होता है बहुत बहुत धन्यवाद।
💐💐💐
विजय साहब,
बहुत मजेदार लगता है जब बड़े बड़े स्वघोषित ज्ञानी लोग न्याय देने-दिलाने करने-कराने, के लिए "बेंच", "बेंच" खेलने लगते है। अपनी नौकरी, salary+perks को सुरक्षित कर लेते है।
Full Timepass..
Entertainment के लिए कुछ भी करेगावाली स्थिति दिखती है।
अवश्य होनी चाहिए
Justice should not only be done but appear to be done is one of the ideas taught to students of Law.Collegium system doesn't appear to pass the test.
बहोत महत्वपूर्ण विडिओ. सही विचार. लेकिन CJI जो खुदको सबसे होशियार समजता है और हरदिन दुसरोको सिखाता है उसे कैसे समजावे. कोर्टमे सालोसाल केसेस पडे है लेकिन वो डाटेंगे ED CBI पोलीस अफसरको, उसे उसकी पुरी उम्मीद निकल जाय. इसलिये लगता है कही साल जजका काम और कही साल ED CBI मे उन्हे काम करणा पडा तो जज समज जायेंगे investigation officer की कठीनाये. केजरीवाल केसमे कुछ न कुछ कोर्टमे हर दिन चला है investigation officer कोर्टमे रुके या investigation करे? आखिर कोर्ट डाटेगा investigation क्यो नहीं पुरा हुआ और जमानत दे दे. तब investigation और कठीण हो जाता है और ऑफिसरकी निंद हराम. सत्यमेव जयते.
Collegium System ऐसे ही है जैसे कोई दबंग गांव की शामलाट भूमि पर कब्ज़ा कर ले और पंचायत उसे छुड़ा न सके। संविधान में ऐसी कोई व्यवस्था ही नहीं और केंद्र सरकार मजबूर है ।
100% need to revamp the procedure for appointment, promotion and transfer of judges so that the faith of people in judicial system does not diminish.
The only Country in the World, where Judges choose judges for promotion.
Sir this type of judicial system should be reviewed immediately
Thanks Vijay Sardanaji for the detailed analysis of the functioning of the judges of our Courts especially the Supreme Courts Judges who are seen overruling the judgements of the High Court.
We appreciate the suggestion given by the Senior Supreme Court Lawyer Shri Vijay Sardanaji. The above system of Collegium should be modified utilising the available technology of Data analysis which will ensure fair and unbiased trials for the common man who approaches the courts for a fair trial is suffering because of the delay in getting a unbiased judgement depending on the merits of the case.
Bahut achha.Dopt jaisi sanstha atiaavasyak