बहुत आवश्यकता है इन बिचारों की , स्पीष्ट रीति से बहुत ही अच्छा समझाया। ईश्वर आपको दीर्घायु प्रदान करें। क्योंकि भयावह काल में ऐसी ही दिव्य आत्माओं की आबश्यकता है। जो बेदोंकी ओर ले चले। बहुत ही अच्छा समय देब दयानंद की 200बर्ष की जयंती के समय उपस्थित हुआ है। क्योंकि आगामी 2बर्ष तक लगातार आर्य जनों द्वारा घर,घर इस दिशा में उत्कर्ष , मार्गदर्शन ,किया जाना सुनिश्चित किया है आचार्य जी को शत शत नमन
आदरणीय महोदय आपने गीता अध्याय ६ के अनुसार ईश्वर के ध्यान को अच्छी तरह से समझाया है ,गीता एक समग्र ग्रंथ है इसमें एक और निराकार ओम परमात्मा के ध्यान की पद्धति है अर्थात ध्यान योग है ,तो दूसरा अध्याय स्वयं को जानना सांख्य योग है ,तो बारहवां अध्याय भक्ति योग है , तो चौथा अध्याय निष्काम कर्म योग है ,ईश्वर की उपासना की विधि अनेक हो सकती हैं , जिसमें ध्यान ,भक्ति ,ज्ञानप्राप्ति ,निष्काम समाज सेवा भी हो सकती है , हनुमान परमात्मा की उपासना अपने राम के प्रति समर्पण भाव और भक्ति से करते हैं ,तो मीरा परमात्मा को कृष्ण रूप में अपने भजनों में पति हैं ,तो महायोगी शंकर परमात्मा को अविचल समाधि में पाते हैं ,तो विवेकानंद अपने अदभुत ज्ञान प्रसार में ईश्वर को पाते हैं ,तो महर्षि दयानंद सत्य उल्लेख और अज्ञान पर प्रहार कर परमात्मा की उपासना करते हैं ,तो महात्मा गांधी देश सेवा को ही परमात्मा की प्राप्ति का मार्ग चुनते हैं , मदर टेरेसा दिन दुखियों की सेवा को ईश्वर की साधना का मार्ग चुनती हैं ऐसे ही इस धरती पर अनेक संत ,योगी हुए हैं जिन्होंने अपने ,ज्ञान ,कर्मों को,ईश्वर की प्राप्ति का मार्ग चुना है ,फिर भी गीता ने निष्काम समाज सेवा कर्मों को ईश्वर को समर्पित करना ,ईश्वरीय उपासना का माध्यम बताया है,जिसे कर्मयोग कहा है इस मार्ग पर ध्यान ,भक्ति , ज्ञान स्वयं सिद्ध हो जाते हैं ।
हमारा सनातन धर्म और उसके उपासना कि पद्धति प्रारंभिक और सनातन समय पर एक थी । अब जगह जगह हिन्दू धर्म के कुकर मुत्ते के समान गुरु पैदा हो गय है जो हिंदू समाज को दिशा हीन कर रहे हैं, आप जैसे लोग ही इन दिग्भ्रमित लोगो को सही दिशा दे रहे हैं,आप को नमन
, नेहमी सत्य बोला कष्ट करून आपला उदरनिर्वाह करीत आहे तर तुम्ही नेहमी समाधानी राहणार काही विचार करण्याची गरज नाही परमेश्वर तुम्हाला कधीच काही कमी पडू देणार नाही विस्वास ठेवून कृष्ण भगवान तुम्हाला सांभाळून घेइन हजारदा ही 🎉
ajkal pta nahi chalta kis ki bat ka vishwas kre . ek chenal haye hmara ateet youtube par . bo kahte haye . ved to iran se aye haye aur bhart me 3 parkar ke brahmin haye . greek brahmin , iran ke brahmin aur bhart ke brahmin . ab sach kiya haye bhagwan hi jane
@@jitsingh402 सारी पृथ्वी चाहे किसी भी धर्म में हो सभी परमात्मा के बच्चे हैं वेद चाहे किसी को भी प्रथम मिले हों उनमें परमात्मा का दिया गया ज्ञान है और उसको परमात्मा ही समझा सकते हैं आज भी परमात्मा पृथ्वी पर संत रूप में आए हुए हैं और गीता जी में लिखा है कि जो उल्टे लटके हुए पीपल के वृक्ष रूपी संसार को अलग-अलग बताते हैं कि तना कौन हैं जड कौन हैं पत्ते कौन हैं वो सच्चे संत हैं और वो संत शास्त्रों में प्रमाणित विधि से भक्ति विधि बताते हैं और उनके अनेकों अनुयाई उनसे लाभ प्राप्त कर रहे हैं वो उनके पाप कर्म को काटकर उनको अनेकों बुराईयों से बचाकर उन्हें सुख प्रदान कर रहे हैं उनका नारा है जीव हमारी जाति है मानव धर्म हमारा हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई धर्म नहीं है कोई न्यारा।
जो धर्म को जानकर आचरण करता है और आचरण पश्चात अन्य जिज्ञासुओं हेतु प्रचार करता है । वह निश्चित हि सम्मान का पात्र है। मैं ऐसे सभी सज्जनों करता हूं। वह सभी मेरे लिए पूजनीय हैं।
यीशु ने उससे कहा, पुनरुत्थान और जीवन मैं ही हूँ; जो कोई मुझपे विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए तो भी जियेगा। पवित्रशास्त्र बाईबल की पुस्तक युहन्ना 11:25
Maine bahut se vyakhyan sune hai lekin apki vyakhya Ishwar ke vishya ka gyan ye hi hai. Ye kewal vedo mein hi nhi prantu har kaum ke paas hai. Ye wala episode bahut bahut shudh hai.
वेद सृष्टि विज्ञान का आदि स्रोत है। वेद मे अन्तर्निहित पदार्थ विज्ञान का गणितीय संरूपण, किया जाना चाहिए। और प्रयोगात्मक बनाने का भी कार्य होना चाहिए। आपका व्याख्यान, सरल भाषा में उपासना की तर्कसंगत विश्लेषण , के साथ-साथ गहन अर्थ को उजागर करता है।बहुत-बहुत धन्यवाद। वन्दे भारत मातरम।
यीशु ने फिर लोगों से कहा जगत की ज्योति मैं हूं जो मेरे पीछे हो लगा वह अंधकार में ना चलेगा परंतु जीवन की ज्योति पाएगा । पवित्र शास्त्र बाइबल की पुस्तक यूहन्ना 8:12
मला आज समजल सुख म्हणजे काय शुद्ध स्वरूप प्राप्त करून जगणे म्हणजे परमेश्वर भक्ती करावी ऐवढेच वाटते आहे 🎉
आप के जैसा आचार्य किसी के पास हो तो दुनिया के सारे असाध्य कार्य भी साध्य हो सकते हैं ❤️
भगवंताचे नियमानुसार वागल्यास कांहीच कमी पडणार नाही विस्वास ठेवून कृष्ण भगवान किजय हो 🎉
बहुत सुंदर ज्ञान दिया आचार्य जी कृतज्ञ हुए हम. बहुत भ्रांतियां से आपने हमें ऊपर उगाया
धन्यवाद प्रणाम ,,🙏
बहुत ही सुन्दर एवं सरल तरीके से जो सब की समझ में आ जाय ऐसा प्रवचन, बहुत बहुत साधुवाद, रमापति रस्तोगी, प्रधान आर्य समाज, बिस्वाँ सीतापुर
देवाच्या वचनाला तुमच्या विचारांवर वर्चस्व गाजवू द्या व तुमच्या जीवनावर ताबा घेऊ द्या व मन शांत ठेवून रहा 🎉
बहुत ही सुन्दर सन्देश ज्ञानवर्धक जानकारी। जीवनोपयोगी कुंजियां
आचार्य जी को प्रणाम है, आप की ओजपूर्ण वाणी मे प्रस्तुत व्याख्यान अत्यंत सुंदर, सार पूर्ण तथा सरल है ।
सुनकर मन अति आनंदित हुआ
👌👌👌
धन्यवाद
बहुत आवश्यकता है इन बिचारों की , स्पीष्ट रीति से बहुत ही अच्छा समझाया। ईश्वर आपको दीर्घायु प्रदान करें। क्योंकि भयावह काल में ऐसी ही दिव्य आत्माओं की आबश्यकता है। जो बेदोंकी ओर ले चले।
बहुत ही अच्छा समय देब दयानंद की 200बर्ष की जयंती के समय उपस्थित हुआ है। क्योंकि आगामी 2बर्ष तक लगातार आर्य जनों द्वारा घर,घर इस दिशा में उत्कर्ष , मार्गदर्शन ,किया जाना सुनिश्चित किया है
आचार्य जी को शत शत नमन
Ham kisi key bhee falowar Nahi hai lakin majey kee baat hai. Bhupatia bhuvan patia bhutanam patia patal sab mairy falower hai.
Itne saral sunder vachano se gahan gyan mil rha hai
Dhanyavaad Acharya ji
.per.
Aadrniya guru dev g nmo
Bahut badhiya batbilkul satay🎉
आदरणीय महोदय आपने गीता अध्याय ६ के अनुसार ईश्वर के ध्यान को अच्छी तरह से समझाया है ,गीता एक समग्र ग्रंथ है इसमें एक और निराकार ओम परमात्मा के ध्यान की पद्धति है अर्थात ध्यान योग है ,तो दूसरा अध्याय स्वयं को जानना सांख्य योग है ,तो बारहवां अध्याय भक्ति योग है , तो चौथा अध्याय निष्काम कर्म योग है ,ईश्वर की उपासना की विधि अनेक हो सकती हैं , जिसमें ध्यान ,भक्ति ,ज्ञानप्राप्ति ,निष्काम समाज सेवा भी हो सकती है , हनुमान परमात्मा की उपासना अपने राम के प्रति समर्पण भाव और भक्ति से करते हैं ,तो मीरा परमात्मा को कृष्ण रूप में अपने भजनों में पति हैं ,तो महायोगी शंकर परमात्मा को अविचल समाधि में पाते हैं ,तो विवेकानंद अपने अदभुत ज्ञान प्रसार में ईश्वर को पाते हैं ,तो महर्षि दयानंद सत्य उल्लेख और अज्ञान पर प्रहार कर परमात्मा की उपासना करते हैं ,तो महात्मा गांधी देश सेवा को ही परमात्मा की प्राप्ति का मार्ग चुनते हैं , मदर टेरेसा दिन दुखियों की सेवा को ईश्वर की साधना का मार्ग चुनती हैं ऐसे ही इस धरती पर अनेक संत ,योगी हुए हैं जिन्होंने अपने ,ज्ञान ,कर्मों को,ईश्वर की प्राप्ति का मार्ग चुना है ,फिर भी गीता ने निष्काम समाज सेवा कर्मों को ईश्वर को समर्पित करना ,ईश्वरीय उपासना का माध्यम बताया है,जिसे कर्मयोग कहा है इस मार्ग पर ध्यान ,भक्ति , ज्ञान स्वयं सिद्ध हो जाते हैं ।
आपका कॉमेंट अच्छा है
@@aks9393 😂
Om Shanti good evening aapprjapita brhma kumari eshvriye vishvbidyalyasejrurjure
हमारा सनातन धर्म और उसके उपासना कि पद्धति प्रारंभिक और सनातन समय पर एक थी । अब जगह जगह हिन्दू धर्म के कुकर मुत्ते के समान गुरु पैदा हो गय है जो हिंदू समाज को दिशा हीन कर रहे हैं, आप जैसे लोग ही इन दिग्भ्रमित लोगो को सही दिशा दे रहे हैं,आप को नमन
अति उत्तम व सराहनीय ढंग से समझाने के लिए आप को सादर प्रणाम।🎉
, नेहमी सत्य बोला कष्ट करून आपला उदरनिर्वाह करीत आहे तर तुम्ही नेहमी समाधानी राहणार काही विचार करण्याची गरज नाही परमेश्वर तुम्हाला कधीच काही कमी पडू देणार नाही विस्वास ठेवून कृष्ण भगवान तुम्हाला सांभाळून घेइन हजारदा ही 🎉
बहुत ही सुन्दर ढंग से गम्भीर विषय को साधारण भाषा में विस्तार से कहा गया कोटिशः धन्यवाद
आचार्य जी का परिचय भी वीडियो में होना चाहिये
आचार्य जी प्रणाम🙏 सुन्दर सारगर्भित व्याख्या
आप का समझाने का तरीका बहुत ही सुंदर ,तार्किक और सटीक है,ऐसी ही ओजपूर्ण व्याख्यान प्रस्तुत करते रहें आपकी अति कृपा होगी....!!! OM NAMAH SHIVAY
अत्यंत प्रेरणा दायक प्रवचन सादर नमस्ते आचार्य जी
आचार्य जी आपका ज्ञान सुनने में आनंद आ रहा है
वेद परमात्मा द्वारा दिया गया ज्ञान है और इसको परमात्मा के बिना कोई नहीं समझ सकता।
ajkal pta nahi chalta kis ki bat ka vishwas kre . ek chenal haye hmara ateet youtube par . bo kahte haye . ved to iran se aye haye aur bhart me 3 parkar ke brahmin haye . greek brahmin , iran ke brahmin aur bhart ke brahmin . ab sach kiya haye bhagwan hi jane
@@jitsingh402 सारी पृथ्वी चाहे किसी भी धर्म में हो सभी परमात्मा के बच्चे हैं वेद चाहे किसी को भी प्रथम मिले हों उनमें परमात्मा का दिया गया ज्ञान है और उसको परमात्मा ही समझा सकते हैं आज भी परमात्मा पृथ्वी पर संत रूप में आए हुए हैं और गीता जी में लिखा है कि जो उल्टे लटके हुए पीपल के वृक्ष रूपी संसार को अलग-अलग बताते हैं कि तना कौन हैं जड कौन हैं पत्ते कौन हैं वो सच्चे संत हैं और वो संत शास्त्रों में प्रमाणित विधि से भक्ति विधि बताते हैं और उनके अनेकों अनुयाई उनसे लाभ प्राप्त कर रहे हैं वो उनके पाप कर्म को काटकर उनको अनेकों बुराईयों से बचाकर उन्हें सुख प्रदान कर रहे हैं उनका नारा है जीव हमारी जाति है मानव धर्म हमारा हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई धर्म नहीं है कोई न्यारा।
@@jitsingh402Tum jaiso k saath aisa hi hona chahiye. Ja k dub mar
बहुत ही उच्चकोटि का व्याख्यान है अचार्यजी आपका ।उदाहरण भी बहुत सटीक हैं । धन्यवाद ।
महोदय,आपके विडियो बहुत अच्छे होते हैं। लेकिन इनकी अवधि बहुत ज़्यादा होती है। यदि संभव हो तो आधे घंटे की अवधि तक सीमित करें।
@@satyadeosharma2771😂
@@satyadeosharma2771में भी एक कला और संस्कृति 🎉से 😅😮😮😮😮😮😮😮😮😮😮😮😮😅पहले 😅पार्टनर 😅में है 😅😅😅😅😅😅😅😅🎉😮😮😮🎉🎉दिलाएंगे 🎉😅😮🎉
@@surajbhandagar2017nn ññ jnn ñnnñjjn nn ñ nn jññn nn ñn
@@satyadeosharma2771😢😢klp😢🎉
आचार्य जी हार्दिक शुभकामनाएं जी
अतिउत्तम एवं आवश्यक व्यख्यान।
अत्यधिक उपयोगी विडियो है आचार्य जी आपका
आपके सभी व्याख्यान बहुत ही मननीय होते हैं।
Prabhakar ji bahut uttm vykhya hy
Bhutsunder
बहुत ही सुन्दर आचार्य जी को सादर नमस्कार
Ram
बहुत सुन्दर जानकारी दी।उसके लिए बहुत बहुत धन्यबाद।
अति सुंदर व्याख्यान🙏🙏🙏🙏
जो धर्म को जानकर आचरण करता है और आचरण पश्चात अन्य जिज्ञासुओं हेतु प्रचार करता है । वह निश्चित हि सम्मान का पात्र है। मैं ऐसे सभी सज्जनों करता हूं। वह सभी मेरे लिए पूजनीय हैं।
यीशु ने उससे कहा, पुनरुत्थान और जीवन मैं ही हूँ; जो कोई मुझपे विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए तो भी जियेगा। पवित्रशास्त्र बाईबल की पुस्तक युहन्ना 11:25
🙏 om
Very nice
Thanks 👍🙏👍🙏👍🙏🙏
I like at guru ji
बहुत ही उत्तम ज्ञान से अवगत कराया है आपने ,आपका कोटिश:धन्यवाद ।।
Bahut Sunder sargarbhit vyakhya hai sader namste Acharya ji pervachan ke liye thanks 🙏🏽🙏🏽🙏🏽👍
कर्म ही पूजा है कर्म ही इबादत है
जय सत्य सनातन संस्कृति की जय
जय सत्य सनातन धर्म की जय
ईबादडत को पूजा का समान अर्थी मत समझ बैठो!
बहुत सुंदर व्याख्यान दिया है। धन्यवाद आपका
Great.
Namasteji.... very beautiful message
Acharya ji namaste, This is the true processes to realise truth.
नमस्ते आचार्य जी आपका व्याख्यान अति श्रेष्ठ और अत्यंत प्रभावकारी है बहुत बहुत धन्यवाद आचार्य जी
Bahut bahut dhanyawad achaya ji apko
उपनिषदपर आपका बहोतही प्रभुत्व है आचार्य जी . सबका सार आप कहेते है. सुनकर बहोत खूषी हुई.
निर्भ्रान्त कर देने वाली श्रेष्ठ व्याख्या.
आभार
वेद मंत्र व्याख्या अति सुंदर एवं सर्व ढंग से की गई है।सादर नमन
बहुत ही उच्च कोटि के प्रवक्ता आचार्य जी आपको बहुत बहुत धन्यवाद आपने इतना सुन्दर ढंग से समझाया.🙏🙏
अति सुंदर
Bahut sundar
आचार्य जी सादर प्रणाम आपको बहुत अच्छा प्रवचन देते हैं
Bahut sunder vyakhyan aacharya
Bahut achha aacharya ji aapko sadar pranam
जब प्रकृति का सुख ही ईस्वर है तो ऐसे ईस्वर की उपासना पूरा संसार करने में लगा है आचार्य जी
बहुत-बहुत धन्यवाद आचार्य जी, आपका आभार 🌹🌹☂️
बहुत सुंदर ।धन्यवाद जी ।
આચાર્ય શ્રી ધન્ય વાd. Very nice
सटीक ज्ञान दे रहें हैं आपने , आचार्य जी ।
आप*
ओम नमस्ते आचार्य जी आपका वेद के बारे में अति श्रेष्ठ ज्ञान है
Bohut sundar pravachan
धन्यवाद
Maine bahut se vyakhyan sune hai lekin apki vyakhya Ishwar ke vishya ka gyan ye hi hai. Ye kewal vedo mein hi nhi prantu har kaum ke paas hai. Ye wala episode bahut bahut shudh hai.
Upasna only pura paribar bhagwan ka charno men laga rahay appnay laya kush nhee mangay sub ko sudbudhi day Hari om jee
ज्ञानवर्धक, उत्तम व्याख्या । नमन
Very Nice 👍👍👍👍 RAMCHAND Goyal Ballabgarh
सुंदर सारगर्भित व्याख्या
An eye opener
Bahut achha
पूर्णतया सत्य
Acharya Ji Dhanyavad for sharing Up asana padaty
Shri md Bhagwat ji
🎉
Best knowledge of Adhyatmik
I am very happy to you ❤
Hamare margdarshan karane ke liye aapko bahut bahut dhanyvad
आपने पुजा और ईश्वर साधना के बारे बहुत सही और वेद प्रमाणित और वैज्ञानिक पध्दती बताई है।
आचार्य जी नमन l बहुत सुन्दर तार्किक पूर्ण ब्याख्या l
Ati sunder guru Ji
ओ३म्
Om shanti
बहुत सुन्दर आचार्य जी धन्यवाद सादर नमस्ते जी ,ईश्वर की कृपा आप सभी पर सदैव बनी रहे ओ३म् ओ३म् ओ३म् ओ३म् ओ३म्ओ३म्
वेद परमात्मा का दिया हुआ ज्ञान है इनको इंसान नहीं समझ सकता।इसको परमात्मा ही पृथ्वी पर आकर बताते हैं।
Acharjee aap ka udaharn se bahut Santosh. Lage ❤
आपको कोटि कोटि नमन
गीता के अध्याय 6 श्लोक10
बहुत बहुत धन्यवाद।
बहुत ही सुन्दर पॖवचन
Sab ke Malik .kabir
Manav Hi Ved Hai manav Hi Bhagavan
अति सुंदर एवं सरल व्याख्या। टी पी कोहली
Acharya ji sadar namste ji. 🙏🙏
ग़ज़ब व्याख्यान
मैं भटक रहा था लेकिन आपका विचार सुनकर दिल बाग बाग हो गया
वेद सृष्टि विज्ञान का आदि स्रोत है। वेद मे अन्तर्निहित पदार्थ विज्ञान का गणितीय संरूपण, किया जाना चाहिए। और प्रयोगात्मक बनाने का भी कार्य होना चाहिए। आपका व्याख्यान, सरल भाषा में उपासना की तर्कसंगत विश्लेषण , के साथ-साथ गहन अर्थ को उजागर करता है।बहुत-बहुत धन्यवाद।
वन्दे भारत मातरम।
वेदों और उपनिषदों में ईश्वर शब्द नहीं है । सिर्फ ईशोपनिषद में ईश आया है और वृहदारण्यक उपनिषद् में परम और ब्रह्म ।
यीशु ने फिर लोगों से कहा जगत की ज्योति मैं हूं जो मेरे पीछे हो लगा वह अंधकार में ना चलेगा परंतु जीवन की ज्योति पाएगा । पवित्र शास्त्र बाइबल की पुस्तक यूहन्ना 8:12
चांगली.माहीती.दीली..धन्यवादरोजदेने.हि.विनती
Thanku acharya ji 🙏
आचार्य श्री जी सादर नमस्ते जी
अति उत्तम
🙏🙏🙏🙏💯💯💯
ओम्