क्या भगवान के पास संसार को बनाने लिए हाथ हैं? सत्यार्थ प्रकाश सातवाँ समुल्लास। आचार्य अंकित प्रभाकर
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- čas přidán 12. 03. 2023
- प्रश्न- जब परमेश्वर के श्रोत्र, नेत्रादि इन्द्रियाँ नहीं हैं, फिर वह इन्द्रियों का काम कैसे कर सकता है?
उत्तर- अपाणिपादो जवनो ग्रहीता पश्यत्यचक्षुः स शृणोत्यकर्णः ।
स वेत्ति विश्वं न च तस्यास्ति वेत्ता तमाहुरग्र्यं पुरुषं पुराणम् ॥ -श्वेताश्वतर उपनिषत् ३/१९
परमेश्वर के हाथ नहीं, परन्तु अपनी शक्तिरूप हाथ से सब का रचन, ग्रहण करता; पग नहीं, परन्तु व्यापक होने से सबसे अधिक वेगवान् चक्षु का गोलक नहीं, परन्तु सब को यथावत् देखता; श्रोत्र नहीं, तथापि सब की बातें सुनता; अन्तःकरण नहीं, परन्तु सब जगत् को जानता है और उसको अवधिसहित जाननेवाला कोई भी नहीं; उसी को सनातन, सबसे श्रेष्ठ, सबमें पूर्ण होने से 'पुरुष' कहते हैं। वह इन्द्रियों और अन्तःकरण के विना अपने सब काम अपने सामर्थ्य से करता है।
प्रश्न - उसको बहुत से मनुष्य निष्क्रिय और निर्गुण कहते हैं?
उत्तर- न तस्य कार्य्यं करणं च विद्यते, न तत्समश्चाभ्यधिकश्च दृश्यते ।
परास्य शक्तिर्विविधैव श्रूयते, स्वाभाविकी ज्ञानबलक्रिया च ॥ -श्वेताश्वतर उपनिषद् ६/८
परमात्मा से कोई तद्रूप कार्य्य और उसको करण अर्थ���त् साधकतम दूसरा अपेक्षित नहीं। न कोई उसके तुल्य और न अधिक है। सर्वोत्तमशक्ति अर्थात् जिसमें अनन्त ज्ञान, अनन्त बल और अनन्त क्रिया है, वह स्वाभाविक अर्थात् सहज उसमें सुनी जाती है। जो परमेश्वर निष्क्रिय होता तो जगत् की उत्पत्ति, स्थिति, प्रलय न कर सकता, इसलिये वह 'विभू' तथापि 'चेतन' होने से उसमें क्रिया भी है।
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ओम् नमस्ते आचार्य जी
🕉🕉🕉🙏🙏🙏
।।ओ३म् ।।
ॐ ॐ ॐॐॐॐ नमस्ते ।
Jai Nepal
बहुत सुंदर बयाख्यां आचार्य जी
ओम् आचार्य जी सादर नमस्ते 🙏
Aaj ki kasha sundar thi
Prem chand Arya
Om
Namaste ji 🙏
भगवान बिना शरीर के भी सब कुछ कर सकते हैं.. उनका शरीर भी है जब वो इन्सान को बना सकते हैं तो अपना शरीर भी बना सकते है विश्वाश की बात है जब भगवान पर पूर्ण विश्वास हो जाता है तब मन कहता है कि भगवान के शिवा इस दुनिया मे कुछ भी नहीं है
Namaste ji
Namaste ji bawut Barya from Mauritius
सब अपना अपना फिलोसफि मनगडनत कहानिया है
Nameste aceharya ji 🙏🙏🙏👌🙏👌
ओ ३ म् ।।
🙏 Guruji 🙏 namasthe 🙏 pranam 🙏
अत्यंत सुंदर सरल व्याख्या
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🕉नमस्ते जी, कृपया इसपर भी प्रकाश डाले कि संसार कैसे सूक्ष्म से स्थूल स्वरूप मे बना, और बनाया 🙏🏼
बहुत बहुत सुन्दर प्रस्तुति दी आप ने जारी रखें आचार्य जी सादर नमस्ते 🙏🙏💐💐
सूर्यास्त के बाद यदि यज्ञ नही करना चाहिए तो शाम को दीप प्रज्ज्वलित करना भी क्या गलत है?
Om
Om