वेद में लिखे हैं भगवान के 11 गुण। सत्यार्थ प्रकाश सातवाँ समुल्लास। आचार्य अंकित प्रभाकर
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- čas přidán 15. 02. 2023
- स पर्यगाच्छुक्रमकायमव्रणमस्नाविरँ शुद्धमपापविद्धम् ।
कविर्मनीषी परिभूः स्वयम्भूर्याथातथ्यतोर्थान्व्यदधाच्छाश्वतीभ्यः समाभ्यः ॥ यजुर्वेद 40।8
पदार्थ - हे मनुष्यो! जो ब्रह्म (शुक्रम्) शीघ्रकारी सर्वशक्तिमान् (अकायम्) स्थूल, सूक्ष्म और कारण शरीररहित (अव्रणम्) छिद्ररहित और नहीं छेद करने योग्य (अस्नाविरम्) नाड़ी आदि के साथ सम्बन्धरूप बन्धन से रहित (शुद्धम्) अविद्यादि दोषों से रहित होने से सदा पवित्र और (अपापविद्धम्) जो पापयुक्त, पापकारी और पाप में प्रीति करनेवाला कभी नहीं होता (परि, अगात्) सब ओर से व्याप्त जो (कविः) सर्वत्र (मनीषी) सब जीवों के मनों की वृत्तियों को जाननेवाला (परिभूः) दुष्ट पापियों का तिरस्कार करनेवाला और (स्वयम्भूः) अनादि स्वरूप जिसकी संयोग से उत्पत्ति, वियोग से विनाश, माता, पिता, गर्भवास, जन्म, वृद्धि और मरण नहीं होते, वह परमात्मा (शाश्वतीभ्यः) सनातन अनादिस्वरूप अपने-अपने स्वरूप से उत्पत्ति और विनाशरहित (समाभ्यः) प्रजाओं के लिये (याथातथ्यतः) यथार्थ भाव से (अर्थान्) वेद द्वारा सब पदार्थों को (व्यदधात्) विशेष कर बनाता है, (सः) वही परमेश्वर तुम लोगों को उपासना करने के योग्य है॥८॥
भावार्थ - हे मनुष्यो! जो अनन्त शक्तियुक्त, अजन्मा, निरन्तर, सदा मुक्त, न्यायका���ी, निर्मल, सर्वज्ञ, सबका साक्षी, नियन्ता, अनादिस्वरूप ब्रह्म कल्प के आरम्भ में जीवों को अपने कहे वेदों से शब्द, अर्थ और उनके सम्बन्ध को जनानेवाली विद्या का उपदेश न करे तो कोई विद्वान् न होवे और न धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के फलों के भोगने को समर्थ हो, इसलिये इसी ब्रह्म की सदैव उपासना करो॥८॥
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Bahut sunder prastuti h aachary ji dhanywad aapka 🙏🙏🙏🙏
आप बहुत मेहनत करके प्रस्तुति देते हैं । आप गुरु परम्परा का ठीक निर्वाह कर रहे है, धर्मवीर जी की कमी को पुरा कर रगे हैँ। साधुवाद ।
भगवान के11गुण भी ह और गुणों के भंडार हैं ओम शांती
बहूत अछा परवचन है नमस्तै आचार्य जी
🙏🙏🙏 you are very nearest to God भगवान आ चुके हैं कृपया प़जापिता ब्रम्हाकुमारीज संस्थांमे आकरके समझो धन्यवाद ओम शांती 🙏🙏🙏
QQrishi ko janana aur batane ke liye aharnish dhanyabad
Jey ho
दंडवत प्रणाम गुरु जी
🙏 Guruji 🙏 namasthe 🙏
हम सबके *वास्तविक मूल पिता* के बारे मे हम सबको विशेष अनूठे ढ़ंग से अवगत करवाने पर आपका बहुत बहुत धन्यावाद!
माधव देवराला
V nice sir 🎉 namo
Narayan.
Namste guru ji
।।ओ३म्।।
चरण स्पर्श आचार्य जी
Prenadayak
आचार्य जी सादर नमस्ते
Achary ji sadar pranam
अभी तक जो कुछ भी ईश्वर के बारे में या अल्लाह के बारें में कहा गया है वह सब कल्पना है, क्योंकि ईश्वर को कोई देख ही नहीं सकता क्योंकि उसका कोई रूप है ही नहीं।
Very nice, namaskar
🙏🙇
आचार्य जी नमस्ते मैं कई दिनों से आप का प्रवचन सुन रहा हूं बहुत ही सुन्दर आपका बहुत बहुत धन्यवाद 😮 ओमप्रकाश शुक्ल आर्य समाज वसई
स्वागत है
🙏🕉🙏
So Nice , easy explanation
Achary pranam
बहुत अछा धन्यवाद जी परनाम
आचार्य जी सादर प्रणाम 🚩🔱🌞🔱🚩🙏🙏🙏👍❤️👍🌹🌹
Namaste ji 🙏
Acharyji namaste
Aachchh laga सुनकर
🙏🙏🙏
आपके श्री चरणों में मेरा सादर प्रणाम पहुंचे 🙏🙏
नमस्ते
Aacharya ji namste
किसने देखा है ईश्वर को? जो वेदों में लिखा है उसका आधार क्या है? क्योंकि ईश्वर न जन्म लेता है और न ही उसकी मृत्यु होती है, न ही कोई उसका रूप है और न ही कोई उसकी कल्पना कर सकता है।
Bhagwan sabd k bare me kahte hai kii Jo samrthwaan hai unhe bhagwaan kahte, jaise Kuber- bahut dhan hona, gyanwaan hai,etc. Ye Maine Yogesh ji se suna hai.
बहुत सुन्दर ।
वीडियो की अवधि कुछ कम हो सकती थी ।
बहुत ही सुंदर !...
🙏🏻🙏🏻🙏🏻
आचार्य जी को बहुत बहुत आभार!
वेद प्रवचन पुस्तक कैसे प्राप्त होगा फिर से मार्ग दर्शन करेंगे।
राम निवास प्रसाद सिंह दिल्ली एनसीआर
ओम् नमस्ते जी
If people understand true nature of Eeshwar, all problems , local or global , will die out naturally.
Very informative. Thank you Guru jee.
Aacharya ji pranam mera prashna yah hai ki ghar men jo ganesh ji lakshmi ji ko jo murti rakhakar puja karte hain o galat hai
Guru namaskar byaritika artha kya hai
Are the vedas written by God?
Prati din stuti kaise kare or konsa ved mantra pathna kare
आचार्य जी कवि सब्द को कबीर पन्थके लोग कबीर साहब को पूर्ण परमात्मा बताते हैं।
ईश्वर की परिकल्पना भ्रम के अतिरिक्त और कुछ भी नहीं है। सृष्टि का आधार कर्म है, क्रिया है और उसी की प्रतिक्रिया दृष्टिगोचर है, कथित ईश्वर का इससे कोई लेना देना नहीं है। कृपया भ्रम न फैलाएँ।
आचार्य जी नमस्ते आपने परिभू: का अर्थ शत्रुओं का पराभव करने वालाबतलाया, जबकि उपनिषद में ईश्वर सब जगह व्याप्त है ऐसा लिखा है,हम कौन सा अर्थ सही माने
कुसुम मित्तल
panday jhooth na bol tera dayanand v Nanak ka Kabir ka gian vrt kr unki he buriayi ki gian churaya usnay