पावस गोष्ठी | गुरु पूर्णिमा 2019 प्रोमो | आप सबको ‘गुरु पूर्णिमा’ की शुभकामनाएं।
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- čas přidán 23. 07. 2021
- आज गुरु पूर्णिमा है। इस दिन मेरे आत्मीय कवि-कवयित्री मेरे घर आते हैं। आलू-पूरी खाते हैं, अपनी-अपनी कविताएं सुनाते हैं। फिर होती है एक काव्य-गोष्ठी। इस दौरान पावस का महीना होता है, इसलिए उसका नाम रख़ता हूं ‘पावस गोष्ठी’।
इधर पिछले दो वर्षों में तो यह गोष्ठी मुमकिन न हो पाई। सारे कवि तरसते रहे। इस दिन मिलने का अच्छा बहाना होता था। 17 जुलाई 2019 को ‘गुरु पूर्णिमा’ जब विधिवत रूप से अंतिम बार मनाई गई थी और काव्य-गोष्ठी हुई थी, तब हमारे प्यारे वसीम ने उसकी वीडियो रिकॉर्डिंग भी की थी। वह न तो देखी, न कहीं दिखाई। आज उसकी याद आई। इस समय वसीम मेरे सामने बैठे हैं। उस दो घंटे की गोष्ठी का हल्का-फुल्का संपादन कर रहे हैं। सोचा कि आज यहां उसकी घोषणा कर दूं, ताकि उसकी प्रासंगिकता बनी रहे। संपादन में वे कितना समय लगाते हैं, यह उनके ऊपर निर्भर है। आज मैंने सारी फुटेज देखी है। अनौपचारिक सी गोष्ठी है। उसके प्रारंभ और अंत का मेरा उद्बोधन सुन लीजिए बस। पूरी गोष्ठी सुनिएगा, बहुत जल्दी यहां अपलोड करूंगा।
आप सबको ‘गुरु पूर्णिमा’ की शुभकामनाएं।
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जल्दी से मिलाइए पावस गोष्ठी की कविताओं से🙏