व्यवहार कुशलता से कैसे पाएं जीवन में सफलता। रायपुर चातुर्मास प्रवचन 2022 - श्री ललितप्रभ जी।

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  • čas přidán 5. 09. 2022
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    प्रस्तुति : अंतर्राष्ट्रीय साधना तीर्थ, संबोधि धाम, जोधपुर (राजस्थान)
    जैसा आदमी का व्यवहार होता है, वैसा ही उसका जीवन बनता है। तलवार की कीमत उसकी धार से होती है, पर आदमी की कीमत उसके सद्व्यवहार से होती है। जिंदगी में अगर सद्व्यवहार नहीं तो आदमी कैसा भी जीवन जी ले, लोग उसे दिल से याद नहीं करते। बड़ा आदमी बनना बड़ी बात नहीं है, पर अच्छा आदमी बनना बड़ी बात है। यदि आप चाहते हैं कि मैं जहां जाउुं वहां लोग मुझे पसंद करें, मेरा सम्मान करें तो इसका एक ही मंत्र है सबसे सद्व्यवहार। आपका व्यवहार ही आपके व्यक्तित्व की पहचान है।
    सामने वाले ने यदि आपके साथ विपरीत व्यवहार किया, तब भी आपने अपनी शालीनता को बरकरार बनाए रखा, तो समझ लो कि आप जिंदगी की बाजी जीत गए। घर, परिवार, समाज में बड़ा वह होता है, जिसका सद्व्यवहार हमेशा बना रहता है। सबसे पहले आप अच्छे व्यवहार के मालिक बनिए। आपका सद्व्यवहार सामने वाले के जीवन में चमत्कार करेगा। बड़े बनकर न रहें, अपितु बड़प्पन भरा व्यवहार करते रहें। घर-परिवार में भी बहू को बेटी केवल मानने की नहीं वरन् उससे बेटी की तरह सद्व्यवहार की जरूरत है। हमारा थोड़ा सा बड़प्पन भरा व्यवहार घर को स्वर्ग बना देता है।
    जिंदगी में रिश्तों को कभी मत तोड़ना, मानता हूं गंदा पानी पीने के काम तो नहीं आता पर आग लग जाए तो आग बुझाने के काम जरूर आता है। अपने ईगो को छोड़ कर थोड़ा झुक कर तो देखो, सामने वाला झुकने तैयार है। रोज-रोज कीमती उपहार तो दिए नहीं जा सकते पर रोज-रोज अच्छे व्यवहार का उपहार तो दिया ही जा सकता है।
    इस दुनिया में जो आता है वह एक दिन मरता जरूर है। अगर आप चाहते हैं कि मैं न मरूं, तो मैं आपको एक मंत्र देता हूं और वह है- जीवनभर इतने नेक काम करके जाओ कि आप लोगों के दिलों में हमेशा-हमेशा के लिए धड़कते रहो। दुनिया में वो आदमी कभी नहीं मरता, जो लोगों के दिलों में हमेशा जिंदा रहता है।
    व्यवहार का सबसे बड़ा सद्गुण है विनम्रता
    व्यवहार का सबसे बड़ा सद्गुण विनम्रता है। उसका सर आपसे भी ऊंचा होता है, जिसका सर आपके सामने झुका रहता है। अपने जीवन में ईगो पाल कर रखना, यह आदमी की सबसे बड़ी गलती है। संघ का पति वो नहीं होता जो अपने-आपको संघ से बड़ा मानने लग जाए, संघ का पति वह होता है जो संघ को बड़ा मानता है। विनम्रवान को सब लोग पसंद करते हैं, विनम्र व्यक्ति हमेशा दूसरों के दिलों में जगह पाता है। आज से अपने जीवन का यह नियम बना लें कि मैं हमेशा विनम्र रहूंगा।
    अपने धन और रूप का अहंकार कदापि न करें
    आदमी को अक्सर अपने धन और रूप सौंदर्य का अहंकार होता है। जीवन में आदमी को कभी भी धन का अहंकार नहीं करना चाहिए, क्योंकि वक्त को बदलते वक्त नहीं लगता। करोड़पति और रोड़पति में ज्यादा नहीं केवल एक अक्षर ‘क’ का ही फर्क है। वास्तविकता तो यही है कि जो अच्छा कर्म करता है वह अपने जीवन में किसी करोड़पति से कम नहीं। उन्होंने कहा- आप कितने ही महान और बड़े व्यक्ति क्यों न बन जाएं, अपनी जमीन से सदा जुड़े रहें। बड़ा बनना बड़ी बात नहीं है, बड़प्पन बनाए रखना बड़ी बात है। अच्छे फल की निशानी यह है कि वह नर्म भी हो और मीठा भी हो। इसी तरह आदमी के परिपक्व होने की पहचान यही है कि वह विनम्र भी हो और मधुर भी हो। धन ही नहीं अपने पद का भी अहंकार कदापि न करें, कभी यह मत बोलें कि अमुक कार्य मैंने किया है, हमेशा कहें- हमने मिलकर किया है। अपने समाज, गांव, नगर, राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले हर बड़े नेता को मैं यह संदेश देना चाहता हूं कि जिनके योगदान से आप पद पर बने हैं, उन सबको हमेशा साथ लेकर चलें। क्योंकि समाज को एक ही बड़ा हजम नहीं होता और वह है- ‘मैं बड़ा’। अपने छोटेपन का अहसास जिसे सदा बना रहता है, वह बड़ा होकर भी स्वयं को बड़ा नहीं मानता। बड़े-बुजुर्ग इसीलिए कहा करते थे कि जो चैकी पर बैठे वो चैकीदार और जो जमीन पर बैठे वो जमींदार होता है। अपने दिलोदिमाग को बी-पाॅजीट्वि बना लें कि मैं बड़ा बनकर नहीं रहूंगा, सदा विनम्र बनकर रहूंगा।
    आदमी को पहला अहंकार धन का और दूसरा अपने गोरे रंग का होता है। जब सबको एक दिन राख बनकर खाक होना है तो किस बात का अहंकार। आदमी को अपने सौंदर्य का अहंकार नहीं करना चाहिए, क्योंकि सुंदर रूप लोगों को दो क्षण के लिए याद रहता है और आपका सुंदर व्यवहार लोगों के दिलों में सदा राज करता है।
    हम अपने दिल को, अपनी मानसिकता को हमेशा बड़ा रखें। इंसान की मूल्यता उसके सद्गुणों से होती है। हमारे हाथ की अंगुलियां भी एक-दूसरे से छोटी-बड़ी हैं, पर जब हम उन अंगुलियों को साथ-साथ मोड़ते हैं तो वे सब बराबर की हो जाती हैं। जिस प्रकार दूध, दही, मक्खन, घी, छाछ ये सब एक ही कुल के होते हैं, पर सबके गुण और मूल्य अलग-अलग होते हैं। कोई भी वस्तु अपने मूल्य से नहीं बल्कि अपने गुणों से मूल्यवान होती है। वैसे ही आदमी अपने मोल से नहीं बल्कि अपने गुणों से महान होता है। केवल बीस पैसे की एक बिंदिया अपनी गुणधर्मिता के कारण माथे पर सजती है। जिंदगी में एक बात हमेशा याद रखें, अहंकार के हथौड़े से ताला टूटता है और विनम्रता की चाबी से ताला खुलता है। टूटा हुआ ताला कभी उपयोग में नहीं आता पर खुला हुआ ताला हमेशा काम आता है।

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