सकारात्मक भाव युक्त भक्ति | भक्त जब भक्ति के रंग में होता है तब वह हर पल आनंद का अनुभव करता है।
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- čas přidán 27. 02. 2024
- भक्त जब भक्ति के रंग में होता है तब वह हर पल आनंद का अनुभव करते हुए इस दातार की रजा में रहकर सकारात्मक दृष्टिकोण को अपना लेता है। इस प्रकार भक्ति करते-करते भक्त का दृष्टिकोण सकारात्मक बन जाता है
सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने समझाते हुए फरमाया है कि शाश्वत आनंद की निरोल अवस्था को निरंतर कायम रखने के लिए प्रभु इच्छा को सर्वोपरि मानना होगा। तभी भक्ति मार्ग पर चलते हुए आनंद की अवस्था को प्राप्त किया जा सकता है। जब हम इस निरंकार प्रभु-परमात्मा से जुड़ जाते हैं तब भक्ति का एक ऐसा रंग हम पर चढ़ जाता है जिससे कि सदैव ही आनंद की अनुभूति प्राप्त होती रहती है। इस आनंद में भक्त इस प्रकार से तल्लीन रहता है कि फिर किसी के बुरे शब्दों या व्यवहार का उस पर कोई प्रभाव ही नहीं पड़ता क्योंकि वह भक्ति द्वारा आनंद की अवस्था को प्राप्त कर चुका होता है - Zábava
Tu hi nirankar ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤