Full HD Video गोवर्धन लीला (जब श्री कृष्ण ने तोडा इंद्र का घमंड) Govardhan Leela

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  • čas přidán 31. 10. 2019
  • ©SAV 19071_Tr live
    Title Video - Govardhan Leela
    Album Name - Govardhan Leela
    Singer - Brijesh Kumar Shastri
    Lyrics - Brijesh Kumar Shastri
    Music - Awdhesh
    DIGITAL WORK - Vianet Media Pvt. Ltd
    Presented By - #RajputCassettes
    Label - Rajput Cassettes
    Music & Copyrights - Shubham Audio/Video
    RajputCassettes - bit.do/rajput-cassettes
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    (भगवान श्रीकृष्ण अपने सखाओं और गोप-ग्वालों के साथ गाय चराते हुए गोवर्धन पर्वत पर पहुँचे तो देखा कि वहाँ गोपियाँ 56 प्रकार के भोजन रखकर बड़े उत्साह से नाच-गाकर उत्सव मना रही हैं। श्रीकृष्ण के पूछने पर उन्होंने बताया कि आज के दिन वृत्रासुर को मारने वाले तथा मेघों व देवों के स्वामी इन्द्र का पूजन होता है। इसे 'इन्द्रोज यज्ञ' कहते हैं। इससे प्रसन्न होकर इन्द्र ब्रज में वर्षा करते हैं और जिससे प्रचुर अन्न पैदा होता है। श्रीकृष्ण ने कहा कि इन्द्र में क्या शक्ति है? उससे अधिक शक्तिशाली तो हमारा गोवर्धन पर्वत है। इसके कारण वर्षा होती है। अत: हमें इन्द्र से भी बलवान गोवर्धन की पूजा करनी चाहिए। बहुत विवाद के बाद श्रीकृष्ण की यह बात मानी गई तथा ब्रज में इन्द्र के स्थान पर गोवर्धन की पूजा की तैयारियाँ शुरू हो गईं। सभी गोप-ग्वाल अपने-अपने घरों से पकवान लाकर गोवर्धन की तराई में श्रीकृष्ण द्वारा बताई विधि से पूजन करने लगे। श्रीकृष्ण द्वारा सभी पकवान चखने पर ब्रजवासी खुद को धन्य समझने लगे। नारद मुनि भी यहाँ 'इन्द्रोज यज्ञ' देखने पहुँच गए थे। इन्द्रोज बंद करके बलवान गोवर्धन की पूजा ब्रजवासी कर रहे हैं, यह बात इन्द्र तक नारद मुनि द्वारा पहुँच गई और इन्द्र को नारद मुनि ने यह कहकर और भी डरा दिया कि उनके राज्य पर आक्रमण करके इन्द्रासन पर भी अधिकार शायद श्रीकृष्ण कर लें। इन्द्र गुस्से में लाल-पीले होने लगे। उन्होंने मेघों को आज्ञा दी कि वे गोकुल में जाकर प्रलय पैदा कर दें। ब्रजभूमि में मूसलाधार बरसात होने लगी। बाल-ग्वाल भयभीत हो उठे। श्रीकृष्ण की शरण में पहुँचते ही उन्होंने सभी को गोवर्धन पर्वत की शरण में चलने को कहा। वही सबकी रक्षा करेंगे। जब सब गोवर्धन पर्वत की तराई मे पहुँचे तो श्रीकृष्ण ने गोवर्धन को अपनी कनिष्ठा अंगुली पर उठाकर छाता-सा तान दिया और सभी को मूसलाधार हो रही वृष्टि से बचाया। सुदर्शन चक्र के प्रभाव से ब्रजवासियों पर एक बूँद भी जल नहीं गिरा। यह चमत्कार देखकर इन्द्रदेव को अपनी की हुई गलती पर पश्चाताप हुआ और वे श्रीकृष्ण से क्षमा याचना करने लगे। सात दिन बाद श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत नीचे रखा और ब्रजवासियों को प्रतिवर्ष गोवर्धन पूजा और अन्नकूट का पर्व मनाने को कहा। तभी से यह पर्व के रूप में प्रचलित है )
  • Zábava

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