कारगिल दिवस पर डॉ.(कर्नल) वी. पी. सिंह का भी अभिनंदन
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- čas přidán 27. 07. 2020
- कारगिल दिवस पर डॉ.(कर्नल) वी. पी. सिंह का भी अभिनंदन करना चाहता हूं।
उन्होंने सेना में फ़िजीशियन के रूप में 30 वर्ष कार्य किया। आर्म्ड फोर्सैज़ मैडिकल कॉलेज, पुणे में मैडिसिन के प्रोफेसर रहे। वड़ोदरा में मैडिकल यूनिवर्सिटी के उपकुलपति पद पर प्रशासनिक कार्य किए। विश्व संघ शान्ति सेना के लिये अफ्रीका में ड्यूटी निभाई।
और सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि कारगिल युद्ध में गोलियों की बौछार के बीच सक्रिय हिस्सेदारी की।
पिछ्ले 25 वर्षों से हिंदी मंच पर राष्ट्रीय चेतना के कवि के रूप में काव्यपाठ कर रहे हैं।
कारगिल पर आधारित काव्य संग्रह " रक्तांजलि " का तत्कालीन प्रधान मंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा आज के ही दिन 2001 में कारगिल विजय दिवस पर विमोचन किया गया।
हिंदी कविसम्मेलन मंच के वे अकेले शीर्षस्थ लोकप्रिय कवि हैं जिन्होंने मोर्चे पर आहत जवानों का इलाज किया।
श्री मनोज ‘भावुक’ Achiever's Junction पर उनकी जीवन-यात्रा पर एक कार्यक्रम बना रहे हैं। शुभकामना के रूप में मैंने आज ही भावुक जी को अपनी एक वीडियो क्लिप भेजी है।
उनकी एक सुदीर्घ कविता का एक अंश प्रस्तुत कर रहा हूं, जिसमें वे भारत की गंगा-जमुनी संस्कृति से परिचित करा रहे हैं।
कितना लंबा इतिहास है ये
सारे देशों में ख़ास है ये
गंगा जमुना की धारा है
ऐसा यह देश हमारा है।
ये देश राम का कान्हा का
ये देश शिवा का राणा का
नानक अशोक ये महावीर
विक्रमादित्य सम्राट धीर
ये बुद्ध आदि शंकर का है
ये चंद्रगुप्त अकबर का है
बहादुरशाह जफर का है
आज़ाद चंद्रशेखर का है।
ये पृथ्वी राज चौहान का है
सैनिक का है सुल्तान का है
ऊधम बिस्मिल की ज्वाला है
ये तो सुभाष मतवाला है
ये ही झांसी की रानी है
ये भगत सिंह बलिदानी है
अब्दुल हमीद अशफ़ाक उल्ला
छागला यही हिदायतुल्ला
एक ज़िंदा इंकलाब है ये
अब्दुल कलाम का ख्वाब है ये।
ये देश रफ़ी के गानों का
ये देश लता की तानों का
ज़ाकिर हुसैन की थापों का
डागर के ध्रुपद अलापों का
यह रविशंकर का है सितार
बिरजू के कत्थक का श्रृंगार
यह है अमजद का मृदु सरोद
अलाउद्दीन का राग पोत
ये भीमसेन जोशी का स्वर
ये भातखंडे ये पौलुस्कर
बांसुरी बजाता रसिया है
ये हरि प्रसाद चौरसिया है
शिव शर्मा का संतूर है ये
रस रंगों से भरपूर है ये
बिस्मिल्लाह की शहनाई है
मीठी धुन की पुरवाई है
राशिद खां की आवाज़ है ये
सुलतान खान जसराज है ये।
.......................
सूफी संतों की भाषा है
संबंधों की परिभाषा है
गाँधी का अमर विचार है ये
टैगोर तिलक का प्यार है ये
ये भगवा और हरा भी है
रंगों से भरा भरा भी है
ये भजन नात कव्वाली है
ये ईद और दीवाली है
रोज़ा कलमा रमजान है ये
गीता है औ’ कुरआन है ये
कर्तव्य वफ़ा ईमान है ये
दोनों का हिन्दुस्तान है ये
दोनों का हिन्दुस्तान है ये।
ओज की वाणी के इस कवि को मैं बहुत प्यार करता हूं।
आज कारगिल दिवस पर डॉ.(कर्नल) वी. पी. सिंह का भी अभिनंदन करना चाहता हूं।
उन्होंने सेना में फ़िजीशियन के रूप में 30 वर्ष कार्य किया। आर्म्ड फोर्सैज़ मैडिकल कॉलेज, पुणे में मैडिसिन के प्रोफेसर रहे। वड़ोदरा में मैडिकल यूनिवर्सिटी के उपकुलपति पद पर प्रशासनिक कार्य किए। विश्व संघ शान्ति सेना के लिये अफ्रीका में ड्यूटी निभाई।
और सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि कारगिल युद्ध में गोलियों की बौछार के बीच सक्रिय हिस्सेदारी की।
पिछ्ले 25 वर्षों से हिंदी मंच पर राष्ट्रीय चेतना के कवि के रूप में काव्यपाठ कर रहे हैं।
कारगिल पर आधारित काव्य संग्रह " रक्तांजलि " का तत्कालीन प्रधान मंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा आज के ही दिन 2001 में कारगिल विजय दिवस पर विमोचन किया गया।
हिंदी कविसम्मेलन मंच के वे अकेले शीर्षस्थ लोकप्रिय कवि हैं जिन्होंने मोर्चे पर आहत जवानों का इलाज किया।
श्री मनोज ‘भावुक’ Achiever's Junction पर उनकी जीवन-यात्रा पर एक कार्यक्रम बना रहे हैं। शुभकामना के रूप में मैंने आज ही भावुक जी को अपनी एक वीडियो क्लिप भेजी है।
उनकी एक सुदीर्घ कविता का एक अंश प्रस्तुत कर रहा हूं, जिसमें वे भारत की गंगा-जमुनी संस्कृति से परिचित करा रहे हैं।
कितना लंबा इतिहास है ये
सारे देशों में ख़ास है ये
गंगा जमुना की धारा है
ऐसा यह देश हमारा है।
ये देश राम का कान्हा का
ये देश शिवा का राणा का
नानक अशोक ये महावीर
विक्रमादित्य सम्राट धीर
ये बुद्ध आदि शंकर का है
ये चंद्रगुप्त अकबर का है
बहादुरशाह जफर का है
आज़ाद चंद्रशेखर का है।
ये पृथ्वी राज चौहान का है
सैनिक का है सुल्तान का है
ऊधम बिस्मिल की ज्वाला है
ये तो सुभाष मतवाला है
ये ही झांसी की रानी है
ये भगत सिंह बलिदानी है
अब्दुल हमीद अशफ़ाक उल्ला
छागला यही हिदायतुल्ला
एक ज़िंदा इंकलाब है ये
अब्दुल कलाम का ख्वाब है ये।
ये देश रफ़ी के गानों का
ये देश लता की तानों का
ज़ाकिर हुसैन की थापों का
डागर के ध्रुपद अलापों का
यह रविशंकर का है सितार
बिरजू के कत्थक का श्रृंगार
यह है अमजद का मृदु सरोद
अलाउद्दीन का राग पोत
ये भीमसेन जोशी का स्वर
ये भातखंडे ये पौलुस्कर
बांसुरी बजाता रसिया है
ये हरि प्रसाद चौरसिया है
शिव शर्मा का संतूर है ये
रस रंगों से भरपूर है ये
बिस्मिल्लाह की शहनाई है
मीठी धुन की पुरवाई है
राशिद खां की आवाज़ है ये
सुलतान खान जसराज है ये।
.......................
सूफी संतों की भाषा है
संबंधों की परिभाषा है
गाँधी का अमर विचार है ये
टैगोर तिलक का प्यार है ये
ये भगवा और हरा भी है
रंगों से भरा भरा भी है
ये भजन नात कव्वाली है
ये ईद और दीवाली है
रोज़ा कलमा रमजान है ये
गीता है औ’ कुरआन है ये
कर्तव्य वफ़ा ईमान है ये
दोनों का हिन्दुस्तान है ये
दोनों का हिन्दुस्तान है ये।
ओज की वाणी के इस कवि को मैं बहुत प्यार करता हूं।
Facebook :- / ashokchakradhar
Twitter :- / chakradharashok
Official Website:- chakradhar.in/
@Ashok chakardhar Sir , aapke video me apki voice sound bahut kam hai
To my status
Ashok ji chakardhar a poet of nation
सर नमस्कार
🎤🙏🇮🇳
🙏🙏🙏
Salute to v.p. singh sir...
🌞🌈🌿👨🎓🍎💐🙏
जय हिंद जय भारत
Salute to sir VP Singh saab
Charan sparsh guruji🙏🙏🙏🙏🌻🌻🌻🌻🌻🌺🌺🌺🌺🌼🌼🌼🌼🌼
Jay Hind sir
देश के वीर जवानों को मेरा सलाम।
🙂
Marvelous celebration of Indian culture by a doctor-soldier-poet; and a fitting tribute by one gifted Indian to another!
🙏 beautiful message Sir. Apki vani sukhad hai. Vichar Shudh hai.
एक धीर के शब्दों में एक वीर। वाह वाह। सुंदर वीडियो।