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Class 8.43। कर्म बन्ध विज्ञान - जानिए अंतराय कर्म कैसे काम करता है सूत्र 13

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  • čas přidán 3. 07. 2024
  • Class 8.43 summary
    हमने कर्म-प्रकृतियों के उत्तर भेदों में
    अन्तिम कर्म, अन्तराय के पाँच भेदों को जाना
    पहला दान का अन्तराय दानान्तराय,
    दूसरा लाभ में अन्तराय डालने वाला लाभान्तराय,
    भोग में अन्तराय डालने वाला, भोगान्तराय
    उपभोग में अन्तराय, उपभोगान्तराय
    और उत्साह में, शक्ति में विघ्न डालने वाला वीर्यान्तराय
    ये पाँचों कर्म-प्रकृतियाँ
    ज्ञानावरण, दर्शनावरण की तरह
    क्षयोपशम भाव के साथ होती हैं।
    अर्थात् इनमें कुछ का क्षय और कुछ का दबना;
    ऐसा मिश्र-भाव होता है।
    ज्ञानावरण की तरह अन्तराय का क्षयोपशम भी
    प्रत्येक जीव में अवश्य होता है
    क्योंकि क्षयोपशम से होनेवाली दशाएँ कभी पूर्णतया नहीं मिटती
    जैसे-जैसे जीव में ज्ञान-दर्शन वृद्धिंगत होते हैं
    वैसे-वैसे इन्द्रियों का क्षयोपशम,
    और वीर्यान्तराय आदि कर्मों की शक्तियाँ भी बढ़ती हैं।
    वीर्यान्तराय के क्षयोपशम से आत्मशक्ति
    अर्थात् जानने की शक्ति प्राप्त होती है,
    और आत्मशक्ति होगी तो शरीर शक्ति होगी।
    ज्ञान के क्षयोपशम के साथ वीर्यान्तराय का क्षयोपशम अवश्य बढ़ता है
    जैसे एकेन्द्रिय जन्य ज्ञान के साथ जीव के आत्मशक्ति थोड़ी होती है।
    इन्द्रियाँ बढ़ जाने पर
    अधिक इन्द्रियों के ज्ञान से
    उसके ज्ञान की शक्ति बढ़ जाती है,
    पदार्थों को जानने के लिए शक्ति - वीर्यान्तराय कर्म का क्षयोपशम देता है।
    हमने जाना
    यदि हम किसी के दान में
    विघ्न डालें,
    कोई अन्तराय डालें ,
    उसको नहीं करने दें,
    तो हम दानान्तराय कर्म बांधते हैं।
    पूर्वबद्ध दानान्तराय के फल से
    हमारे दान में व्यवधान पड़ते हैं
    देने का भाव होते हुए भी ,
    हम कुछ दे नहीं पाते
    या कोई हमें देना भी चाहे तो दे नहीं पाता
    देते-देते भी वह चीज वापिस लौट जाती है
    यदि हम किसी के profit में
    किसी को कुछ वस्तु मिलते हुए,
    व्यवधान डालें,
    तो हम लाभान्तराय का बन्ध करते हैं
    यह आगे हमारे भी किसी लाभ में अन्तराय लाता है।
    वर्तमान का पुरुषार्थ अलग है,
    वह तो अपना फल समय पर देगा
    लेकिन पूर्वबद्ध कर्मों के फल हमें मिलते रहते हैं।
    इन्हीं के फल से हमारे दान या लाभ में विघ्न पड़ता है।
    इसी प्रकार
    किसी की भोग सामग्री में व्यवधान डालना,
    भोगान्तराय के बन्ध का कारण है।
    भोग मतलब जो चीजें एक बार भोगने में आयें जैसे अन्न-पानी
    इनमें विघ्न डालने से
    आगे कर्म के उदय में, कभी हमें चाहते हुए भी अन्न-पानी आदि नहीं मिलता।
    उपभोग मतलब
    प्रतिदिन उपभोग में, काम में आने वालीं
    घर की चीज़ें - जैसे वस्त्र, घर-मकान आदि
    उपभोगान्तराय कर्म इनके उपभोग में विघ्न डालता है
    हमें इनका उपभोग नहीं करने देता।
    जैसे हमें घर से दूर कर देना,
    या घर में ही रहकर व्याधियों के कारण उपभोग न कर पाना।
    यदि कोई बहुत उत्साह के साथ काम करना चाहे
    और हम उसे दबा दें, मना कर दें
    तो उत्साह भंग करने से हम वीर्यान्तराय कर्म बांधतें हैं
    इसके फलस्वरुप
    किसी कार्य के लिए उत्साहित होते हुए भी
    हम उसे नहीं कर पाते,
    उसमे पीछे रह जाते हैं
    इस प्रकार हमने कर्म सिद्धान्त का
    tit for tat
    यानी ‘जैसा करेंगे वैसा भरेंगे’, रूप जाना
    इसे ध्यान में रख, हम वर्तमान के पुरुषार्थ से अपना भविष्य सुधार सकते हैं
    हमारे भावानुसार कर्मबन्ध होता है
    राग-द्वेष के परिणामों से बांधे हुए कर्म
    समय पर बाधक बनकर फल देते हैं।
    इस प्रकार हमारा प्रकृति-बन्ध का प्रकरण पूर्ण हुआ
    प्रकृति मतलब किस कर्म का क्या स्वभाव है?
    किसकी क्या प्रकृति है?
    उसके nature के अनुसार ही वह कर्म, फल देता है।
    और वह कर्म कितने समय के लिए बंधा
    उसके अन्दर कितना time set हुआ?
    यह स्थिति बन्ध का विषय है
    इसी के कारण हमारे अन्दर जन्म-जन्मान्तर के सञ्चित किए हुए कर्म पड़े हैं।
    हमारी उम्र तो पचास-सौ वर्ष होती है
    पर कर्मों की उत्कृष्ट स्थितियाँ, असंख्यात, सागरोपम वर्षों तक की होती हैं।
    Tattwarthsutra Website: ttv.arham.yoga/

Komentáře • 26

  • @poojawadkar7096
    @poojawadkar7096 Před měsícem

    नमोस्तु गुरुदेव जी 🙏🙏🙏

  • @arunjain1571
    @arunjain1571 Před měsícem

    णमौस्तू गूरूवर, कोटिश: नमन्...सूरत से

  • @SuganchandJain
    @SuganchandJain Před měsícem

    Namostu Gurudev Gurudev

  • @vinayjain4748
    @vinayjain4748 Před měsícem

    Namostu guruver bhagwan

  • @babitajain3899
    @babitajain3899 Před měsícem

    Namostu Guruvar ji

  • @mainadevijain813
    @mainadevijain813 Před měsícem

    Namostu Gurudev 🙏🏻 🙏🏻 🙏🏻

  • @neetujain8188
    @neetujain8188 Před měsícem

    🙏🙏🙏 Namostu Gurudev 🙏🙏🙏

  • @anjujain3552
    @anjujain3552 Před 21 dnem

    Namostu gurudev 🙏🙏🙏

  • @nainasoni5314
    @nainasoni5314 Před měsícem

    Namostu Gurudev

  • @arunasethi8648
    @arunasethi8648 Před měsícem

    Namostu bhagwan, gurdev

  • @manjujain1039
    @manjujain1039 Před měsícem

    Namostu guru dev Namostu 🙏🏻🙏🏻🙏🏻

  • @sandhyakhadke3218
    @sandhyakhadke3218 Před měsícem

    Namostu Gurudev Namostu Gurudev Namostu Gurudev 🙏🙏🙏

  • @anilsingla8730
    @anilsingla8730 Před měsícem

    NAMOSTU NAMOSTU NAMOSTU MAHARAJ SHREE JI

  • @ruchijain5462
    @ruchijain5462 Před 21 dnem

    Namostu gurudev 😊

  • @aneetajain4903
    @aneetajain4903 Před měsícem

    Nmostu gurudev 🙏🙏

  • @rajada033
    @rajada033 Před měsícem

    Jai GURU...

  • @nainasoni5314
    @nainasoni5314 Před měsícem

    Shri Tattvarthsutra Granth ki Jai

  • @pragatichankeshwar3674
    @pragatichankeshwar3674 Před měsícem

    🙏🙏🙏

  • @babitajain66
    @babitajain66 Před měsícem

    Mere Aaradhya gurudev ke charnon me namostu namostu namostu

  • @PJSJ1235
    @PJSJ1235 Před měsícem

    Request to gurudev to pls give exact steps and procedures for shredding all these karmas.... Ppl just say 12 tapas but pls elaborate more on the mindset the energy behind it etc. thanks

  • @TanusTips
    @TanusTips Před měsícem

    नमोस्तु गुरूदेव आचार्य श्री जी की जय हो 🙏🙏🙏🙏🙏🙏

  • @promilajain9774
    @promilajain9774 Před 24 dny

    देवानंदा जी का जो गर्भ संहरण होकर माता त्रिशला के गर्भ में स्थापित किया गया इसमें क्या लाभांतराय कर्म का रोल था?

  • @vinayjain4748
    @vinayjain4748 Před měsícem

    Answer 4 ..virantarye

  • @vinayjain4748
    @vinayjain4748 Před měsícem

    Namostu guruver bhagwan

  • @nehajain7265
    @nehajain7265 Před měsícem

    Namostu gurudev🙏🙏🙏

  • @ektajain7812
    @ektajain7812 Před měsícem

    Namostu gurudev 🙏🙏🙏