बलि श्री गुरुदेव कृपाल की। BALI SHRI GURUDEV KRIPAL KI | Jagadguru Shri Kripalu Ji Maharaj

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  • čas přidán 22. 08. 2024
  • बलि श्री गुरुदेव कृपाल की।
    जिनके दिव्य वचन सुनि छूटत, ग्रंथि अविद्या-जाल की।
    जिनके वरद-हस्त के सन्मुख, चल न चाल कलिकाल की।
    जिनके बनत बिगारि सकत नहिं, मायाशक्ति गुपाल की।
    जिनके युगल-चरन परसत मन, पावत रति नंदलाल की।
    लखत 'कृपालु' अनुग्रह गुरु के, लीला लाड़लि लाल की ।।
    भावार्थ - कृपालु गुरुदेव पर बार-बार बलिहार जाता हूँ। उनके दिव्य उपदेशों को सुनकर अविद्या की गाँठ खुल जाती है। उनकी कृपा हो जाने पर कलिकाल का प्रभाव जाता रहता है। उनके दास बन जाने पर अतिशय प्रबल मायाशक्ति बाल तक बाँका नहीं कर सकती। उनके युगल चरणों को भक्तिपूर्वक स्पर्श करने पर कृष्ण प्रेम प्राप्त होता है। 'कृपालु' कहते हैं कि सद्गुरु की कृपा से मैं सदा श्यामा श्याम की नयी-नयी लीलाओं का रस लेता हूँ।
    सद्गुरु-माधुरी - 5
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