समारोह संपन्न बहुत ही धूमधाम से हुई। samaroh sampann bahut dhum dham se hua

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  • čas přidán 2. 12. 2023
  • आदिवासी दिवस भारत में एक महत्वपूर्ण सामाजिक और सांस्कृतिक उत्सव है जो हर वर्ष 9 अगस्त को मनाया जाता है। इस दिन देशभर में आदिवासी समुदायों के लोग अपनी अनूठी सांस्कृतिक विरासत को बचाए रखने और समृद्धि का साक्षात्कार करने के लिए एकत्र होते हैं।
    उत्पत्ति और महत्व:
    आदिवासी दिवस का आयोजन भारतीय संविधान के प्रमुख निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर की जन्म तिथि पर होता है, जिससे इसे विशेष महत्व प्राप्त है। आंबेडकर समझदारी और समाज में समानता के प्रति अपने समर्पण के लिए जाने जाते हैं, और इसलिए उनकी जन्म तिथि को आदिवासी दिवस के रूप में चुना गया है। यह दिन आदिवासी समुदायों के समृद्धि, समरसता और विकास की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।
    आदिवासी समुदाय:
    भारत में आदिवासी समुदाय अपनी असली और अनूठी सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध हैं। इन समुदायों में विभिन्न जनजातियां, भाषाएं, और आदिवासी समृद्धि को प्रमोट करने के लिए विभिन्न सांस्कृतिक प्रथाएं हैं। ये समुदाय अपनी परंपराएं, गाने, और नृत्यों के माध्यम से अपनी विशेषता को साझा करते हैं जो उन्हें अन्य समुदायों से अलग बनाता है।
    आदिवासी सांस्कृतिक धारा:
    आदिवासी समुदायों की सांस्कृतिक धारा अत्यंत विविध है और यह समृद्धि और एकता की भावना को साकारात्मक रूप से प्रोत्साहित करती है। इनकी कला, गीत, और नृत्य उनके सशक्तिकरण और सामाजिक संबंधों को मजबूत करने का साधन हैं। आदिवासी समुदायों की शृंगारी भाषा और उनकी सांस्कृतिक प्रथाएं आदिवासी दिवस को एक विशेष रूप से मनाने के लिए बनाती हैं।
    आदिवासी दिवस का आयोजन:
    आदिवासी दिवस का आयोजन राष्ट्रीय स्तर पर और स्थानीय स्तर पर विभिन्न रूपों में होता है। स्थानीय स्तर पर, आदिवासी समुदायों अपनी स्थानीय बाजारों, मेलों, और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। इ
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