प्राचीन कैलाश नाथर मंदिर पत्थरों से नहीं बना था? उन्नत प्राचीन तकनीक का खुलासा | प्रवीण मोहन
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- čas přidán 11. 07. 2024
- क्या प्राचीन निर्माता जियोपॉलीमर तकनीक का उपयोग कर रहे थे? आइए जानते हैं कि इन महान संरचनाओं का निर्माण कैसे हुआ। क्या प्राचीन निर्माताओं ने इस असाधारण काम को अंजाम देने के लिए उन्नत तकनीक और उच्च प्रौध्यौगिकी का प्रयोग किया था ? 🤔🤔
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00:00 - परिचय
00:42 - जटिल डिज़ाइन!
01:43 - एक अजीब सा लेटिस वर्क!
03:07 - C.N.C मशीन जैसी मशीन का प्रयोग?
03:52 - शेरों की शृंखला को देखिए..
04:57 - ड्रिलिंग मशीन का प्रयोग?
06:08 - आधुनिक समय में जाली बनाने का तरीका!
08:00 - जियो पॉलीमर तकनीक!
09:35 - कैलाश नाथर मंदिर में मिले जियो पॉलीमर के सबूत!
12:10 - 5 असफल प्रयास!
13:46 - तैरने वाले पत्थर!
14:39 - निष्कर्ष
हैलो दोस्तों, आज हम कई सदियों पहले भारत में प्रयोग की गई एक बहुत अलग तकनीक को देखने जा रहे हैं | ये प्राचीन स्थान वारंगल किले के नाम से जाना जाता है और यह एक बहुत बड़ा स्थान है, जो कि अब पूरी तरह नष्ट हो चुका है | आप देख सकते हैं कि यह बिल्कुल भी एक किले जैसा नहीं दिखता है, पर इसे एक किला इस लिए कहा जाता है क्योंकि, इसके चारों ओर दुर्गों और सुरक्षा प्रणाली के कई स्तर हैं, पर उनकी परिधि(सर्कमफेरेंस) बहुत बड़ी है इसलिए हम उन्हें यहां से देख नहीं सकते |
चलिए आज , विशेष रूप से देखते हैं कि ये चट्टानें कैसे काटी गयी थीं | जब आप पहले इस जगह पर प्रवेश करते हैं, तो यहां चारों ओर बिखरी हुई, ढेर लगी हुई हजारों चट्टानों को देख कर आश्चर्यचकित रह जाते हैं | जब आप इन चट्टानों का निरीक्षण नज़दीक से करते हैं, आप आश्चर्यचकित रह जाते हैं क्योंकि... जरा देखिए हर एक ब्लॉक कितना जटिल है | यह शानदार संरचना कैसे बनाई गई थी ?
पुरातत्वविद और इतिहासकार इस बात को लेकर अटल हैं और दावा करते हैं कि ये सभी संरचनाएं, कुछ और नहीं बल्कि केवल प्राथमिक औजारों और कठिन परिश्रम से बनाई गयी थीं | क्या यह सच है ? या फिर प्राचीन निर्माताओं ने इस असाधारण काम को अंजाम देने के लिए उन्नत तकनीक और उच्च प्रौध्यौगिकी का प्रयोग किया था ? चलिए इन पत्थर की कलाकृतियों पर नजर डालते हैं |
इनके ऊपर एक अजीब सा लेटिस वर्क किया गया है, जिसे भारत में जाली कहा जाता है | हर एक जाली वाले पत्थर में बहुत से छेद होते हैं और ये एक रोशन-दान या खिड़की जैसे दिखता हैं, पर ये सीधी दरारें या गोल छेद नहीं हैं | हर छेद में कई किनारे हैं | पर यह असली समस्या नहीं है, एक कई किनारे वाले छेद को साधारण औजारों से बनाना बिल्कुल संभव है | समस्या यह है कि, ये सभी बहुत सारे किनारों वाले छेद एकदम सटीकता के साथ एक दूसरे के समान हैं |
विशेषज्ञ हैरान हैं कि, इनके सभी आयाम इतनी सफाई से एक जैसे कैसे हैं, वे एक मिली मीटर तक एक समान हैं | अगर हम इनका ध्यान से अध्ययन करें, तो यह डिज़ाइन ऐसे लगते हैं जैसे उन्हें किसी कुकी कटर जैसे मशीनी उपकरण से बनाया गया हो | विशेषज्ञ मानते हैं कि ऐसी सटीकता मानवीय रूप से संभव नहीं है | क्या प्राचीन निर्माणकर्ताओं ने इन संरचनाओं के निर्माण के लिए किसी कुकी कटर जैसे उपकरण का प्रयोग किया था ?
भू-विज्ञानियों ने इन संरचनाओं का पूरी तरह निरीक्षण नहीं किया है, पर वे सोचते हैं कि ज्यादातर जाली काले बसाल्ट से बनी हैं, जो की बहुत कठोर चट्टान है | प्राचीन तकनीक तो भूल ही जाएं, हमारे पास आज भी ऐसे उपकरण नहीं है जो बसाल्ट जैसे कठोर पत्थर पर बिल्कुल एक जैसे आकार काट सकें | हमें ऐसे एक जैसे छेद काटने के लिए कम्प्यूटर और C.N.C. मशीन की जरूरत पड़ेगी | क्या प्राचीन निर्माणकर्ताओं ने C.N.C मशीन जैसी किसी चीज का प्रयोग किया था ?
या फिर उन्होंने किसी और तकनीक का प्रयोग किया था ? पर यह एक सा दिखने वाला डिज़ाइन बस छेदों तक सीमित नहीं है, यह दूसरे ब्लॉक्स में भी दिखता है उदाहरण के लिए इन शेरों की शृंखला को देखिए - यहां इस ब्लॉक में बहुत सारे शेर हैं, पर अगर आप उनका ठीक से अध्ययन करते हैं, तो वे सब एक समान हैं | याद रखिए, कि यह स्थान दिल्ली के सुल्तान के द्वारा धार्मिक कारणों से नष्ट कर दिया गया था, और इतिहासकार पुष्टि करते हैं कि यह पत्थर लगभग 700 सालों से धूप और बारिश में पड़े हुए हैं |
पर 700 सालों के क्षरण, पतन और जानबूझकर किये गये विनाश के बाद भी ,हम सिर्फ मामूली नुक्सान ही देख सकते हैं | इनके बीच की त्रिआयामी दूरी को देखिए | क्या मानवीय रूप से इन जगहों के नीचे नक्काशी करना संभव है, या फिर वो इनग्रेविंग, कार्विंग और ड्रिलिंग मशीन जैसी मशीनों का प्रयोग कर रहे थे? इतिहासकार और पुरातत्वविद इस बात की पुरजोर बहस करते हैं कि, प्राचीन निर्माताओं ने हर चीज छेनी और हथौड़ी से बनाई थी और उन्होंने रोटेटिंग मशीन का प्रयोग नहीं किया था, पर यह जगह इस बात के ठोस सुबूत देती है कि प्राचीन समय में ड्रिलिंग मशीन का प्रयोग हुआ था |
यहां हम एक सटीकता से ड्रिल किया हुआ छेद देख सकते हैं | क्या ये छेनी के निशान जैसे दिखते हैं? आप यहां एक समान केंद्र बिंदु वाले, ड्रिल से बने हुए गोले को देख सकते हैं | पुरातत्वविद पुष्टि करते हैं , कि ये वास्तव में प्राचीन औजारों के निशान हैं | यह ऐसा 700 सालों तक बारिश और धूप में रहने के बाद दिख रहा है, और देखिए फिर भी ये कितना बढ़िया दिखता है |
#हिन्दू #praveenmohanhindi #प्रवीणमोहन
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आपको सहृदय साधुवाद मोहन जी 🙏
आपका बहुत बहुत धन्यवाद सर जी 🙏🙏
आप वामपंथी इतिहासकारों को बहुत ही तार्किकता से तमाचा मारते हो।
धन्यवाद आपकी पूरी टीम को।
अद्भुत हो आप
अगर आपसे कभी मिल पाया तो धन्य मानूँगा अपने आपको।
🙏💗🙏
आप अदभुत इंसान है आप को भारत पुरातत्व विभाग में होना चाहिए
ऐसा सिर्फ भारत और सनातन संस्कृति में ही संभव था । जय हिंद
जय सनातन धर्म
सनातन धर्म.. मतलब ब्राम्हण धर्म... चुतिये.....😅😅😅
अद्भुत ज्ञान का भण्डार,,,,,
आप की हर वीडियो एक अद्भुत ज्ञान का भण्डार होती है।
जो मुझे प्रतिपल पुरातन भारत में प्रचलित तकनीक पर विचार करने के लिए प्रेरित करती है।
बहुत बहुत धन्यवाद पुनीत जी🙏🏻
Aap Ko NAMAN Hamara Payara Mohan. 🙏🙏🚩🥀🥀🥀🥀🥀
वीडियो देखने के लिए धन्यवाद
ॐ त्रयंम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्, उर्वारुकमिव वंधनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।
।।ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय।।
ॐ नमः शिवाय
अद्भुत!👌
ऐसी महत्वपूर्ण जानकारी के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
🙏🏻🙏🏻
I find what you say is authentic, true and scientific... You are so intelligent and genius PRAVEEN SIR... thank you soooooooooooo much ..jai shri KRISHANA !
@Diksha op reply.😂
Jai Shree Krishna
Logically seems correct and may be sent for lab testing.I personally think they might have had / used technology like:
Geopolymer( in cold state) and Lava pouring like casting/ and like our present technology powder coating,and metal/ non metal spraying and added with manual dressing to create flawless pseudo carvings.
All those technologies are non existant.
If we seriously make a reasearch and develop we will create the same as ancient.
Above all the cost and need are the primary criteria.
Thanks Praveen Mohan.
Is govt. doing anything????
A.S.I. kis kaam k liye hai?!?!
India need's such a historian's 🙏🏻
🙏🏻🙏🏻
No, No........ we want Romila Thapar, Irfan Habib and Ramachandra Guha.
आपका कार्य बहुत प्रशंसनीय है जो हमें हमारे को हमसे मिलआता है आपके पास सनातन के बारे में इतना विस्तृत रूप से ज्ञान आपको एकादश गुरु बनाता है
आप अपने इस ज्ञान से भारत की सेवा कर रहे हैं, आपको बहुत बहुत आभार, धन्यवाद।
🙏🙏
सेवा नहीं जुठ फेला रहा है.... अभी तो रशिया के लोगो को भी पता चला..... सनातन धर्म जुठा धर्म है
आज इंसान से अपने मस्तिष्क का सिर्फ 10% ही इस्तेमाल किया है तो इतनी तरक्की की है.... हो सकता है उस समय हमारे पूर्वजों ने अपना 100 % मस्तिष्क इस्तेमाल किया हो ..इसी कारण वो इतने तेजस्वी और महान थे और इतने अद्भुत कार्य करते थे....मुगलों ने इसलिए ही इन मंदिरों और शास्त्रों का नाश किया ताकि हमें सनातन की असलियत का पता ना चले और स्कूल में भी इतिहास मे सब गलत पड़ाते है....
जिओ पोलिमर का ही बना और आप अनुमान सही है ये कटिंग एडवांस मशीन से ही बनाया गया होगा जो हमारे पूर्वजों की प्रयोगशाला थे उन्हें विदेशी आक्रमण कारीयों ने नस्ट कर दिया ताकि आने वाले नस्ले पुरानी अविष्कार भूल जाए
परन्तु आपका कार्य सराहनीय है जो पुरानी अविष्कार की खोज कर रहें है. धन्यवाद 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
🚩🚩Har Har Mahadev 🚩🚩🇮🇳🇮🇳
Bohot sara pyaar ❤️❤️❤️❤️
श्रीमान प्रवीण जी,
आपका प्रयास अद्भुत रूपसे प्रसंशनीय है और वो भी हिंदीमें ! वाह, लाजवाब !!
प्राचीन लोग इतने उन्नत थे की आपने बताएं दोनो तरीके से काम करने की महारथ हाँसिल थी , और ब्रिटिश काफी नुकसान कर चुके , हर तरीके से
बहेनजी भारतीय इतिहासमे गलत जानकारी लिखकर ब्रिटिश लोगोने बहुत नुकसान जरूर किया है ,यह सच है.लेकीन भारतीय प्राचीन धरोहर ,प्राचीन ,मध्ययुगीन शिल्प ,वास्तूके संरक्षणभी किया है ब्रिटिश सरकारने.
भारतीय पुरातत्व विभाग निर्माण किया था .
प्राचीन ,मध्ययुगीन भारतके धरोहरका विधवन्स ,नुकसान ,हानी तो वास्तवमे रेगीस्तान के शेतानोने किया है.
This video is eye opener for many of us
आप का वीडियो देख कर हमे हमारे पूर्वजों के ज्ञान पर बहुत गर्व होता है आपका बहुत बहुत धन्यवाद
हर हर हर महादेव |
हर हर महादेव
I respect you for giving us such detailed knowledge about our Country Bharat I Mao proud to be born in this country👍🙏🙏🙏🙋
आपके विश्लेषण पर कोई भी शक नहीं कर सकता, तथाकथित आधुनिक विज्ञान भी नहीं.
बताने के लिये आप का धन्यवाद.
हमारे वेदों और पुराणों और उपनिषदों और रामायण और महाभारत को काल्पनिक बताकर हमें अपने इतिहास से दूर रखा गया है ताकि हम आर्य है वह कभी भी जान ना सके। लेकिन आज हम आप जैसे ज्ञान के उपासकों की वजह से हमारे पूर्वजों के सच के करीब पहुंच रहे हैं। सनातन धर्म की जय 🙏🙏। हर हर महादेव 🙏🙏
उस समय आज से भी उन्नत तकनीक थी।👍💯🔥
Proud of our Ancestors 🕉️🚩
Amazing 👏🙀
Are we so behind from our ancestors that were so so powerful in technology and we just rediscovering it. You have a different eye to it.
जय श्रीं राम
🙏🙏🙏🙏🙏
🚩🚩🚩🚩🚩🚩
Praveen sir,You need to visit Nepal. This country is shrouded in mysteries . Ancient temples and caves could tell the biggest tale of mankind.
आदरणीय प्रवीण जी, इसलिए तो भारत भूमि दैवीय भूमि है जहां देव व मानव एकसाथ रहते थे ।
👍true
🌻उन्नत तकनीक 🌹अद्भुत विश्लेषण 🙏धन्यवाद🙏
Jai sree ram 🙏🙏🙏⛳⛳⛳⛳⛳⛳
उतकृष्ठ हिन्दी के लिए बहुत बहुत बहुत आभार |
धन्यवाद
Praveen sir you are doing incredible work
Thanks
ऐसी अद्भुत जानकारियों के लिए आप को धन्यवाद है कृपया इन जानकारियों को संजोकर रखे ये भारत की अनमोल विरासत हे 🙏🙏🇮🇳🇮🇳
वीडियो देखने के लिए धन्यवाद, कृपया इस वीडियो को अपने मित्रों के साथ शेयर करें|
Har har mahadev praveen bhai
जय शिव शंकर
धन्यवाद सर.
God bless you.
धन्यवाद
Through you I can see the rich culture of our past. I appreciate your dedication.
Yes, Praveen sir explained very well
Pravinji namskar, i saw so many video's of yours. your approach and intention is clearly said that our ancient Hindu Sanskriti and the technique was very advanced at that time. they leave so many proofs for us about the same. our duty is now to spread this message very loudly in the whole world. all your findings has to reach to all hindu community as well as govt. of india (now the govt.of india fortunately having strong faith in hinduism)...thanks for your efforts..
The main roof stones beautifully carved and weighs hundreds of tonnes
is found left over ,might be
prepared for temple constructions and due to
reasons unknown has become marks of the
Great Indian architecture
from the twilight beginning
of Indian civilisation
आप ऐसे क्षेत्र मे ले जाते हो की वहाँ चमत्कार के सिवाय कुछ भी नही.
👌💐
🙏🏻वीडियो देखने के लिए धन्यवाद🙏🏻
घुमते रहना चाहिए जी कभी कभी ऐसे स्थान पर और समय भी देना चाहिए
I appreciate your efforts to show us ancient amazing architecture , sculpture ,carving & engraving fine arts. We astonishingly enjoy ancient heritage without undertaking travels. Thanks a lot, dear , Mr. Praveen Mohan Ji . Keep doing your business like this.
Ye sara mhatvpurn Gyan humari or vishwas ki sari pustakon me padhaya jana chahiye jisse humare itihaas ki mahanta ka abhas sare vishav ko bhi ho 🙏🙏
You are simply great through this or more try to reach Ministry for Revival of Sanatan Hindu Dharma and The Mother Science.
Salute to you.
VANDEMATARAM.JAI HIND.
Bahut badhia sir
प्रवीण मोहन जी🙏 |
Praveen, who are you?? क्या आप भी 😀एलियन हो, इतनी सूक्ष्म दृष्टि...अद्भुत, you are also a great heritage in my country👌🏼👌🏼👌🏼👌🏼🌹🌹🌹 - डॉ अरविन्द शर्मा
You are deserving for award...
Very nice information and narration about our ancient architectural wisdom sir , आपको सादर प्रणाम ।
Yes it is geo polymer
Salute mohan ji
Deserve international archeological award.
Love you and your findings
आपको पुरे भारत की तरफ से कोटी कोटी नमन
यदि आप के कार्य में govt support करे तो पूरा देश एक जुट हो जाएगा मुल्लो के खिलाफ शांति दूत के कारनामे देख कर
must visit chittorgadh fort...u love it✅✅✅✅✅✅✅
Jai MAHAKAL🙏🙏🙏
हर हर महादेव
Thank you sir for sach a beautiful knowledge
बहुत ही उल्लेखनीय विश्लेषण
प्रवीण भैया
नमस्कार
प्रवीण जी, बहुत अच्छी जानकारी दिया है आपने। हमारी दादी नानी हमें बचपन में भगवान विश्वकर्मा द्वारा पृथ्वी पर सभी हिंदू मंदिरों के निर्माण मात्र छह माह में निर्माण किया। जैसे आपके द्वारा भीं यही संदेह बताया गया है, सही है जो शास्त्रों में इनके निर्माण के बारे में जो भी कुछ लिखा वह बायस या हिंदू धर्म के द्वेषपूर्ण व्यवहार के कारण किया है। अंग्रेजो ने हमारी संस्कृति को गलत लिखा और मुस्लिमो द्वारा इसे नष्ट करने की पुरजोर कोशिश की गई। लेथ मशीन या लेजर तकनीक से लैस जैसे या पॉलिमर पदार्थ से इन सभी मंदिरों का निर्माण किया गया था। बस हमे वह पता लगाने की आवश्यकता है। Thanks
ye sab bouddha dharohar hai...
Jai shree ram❤🤗
When you explain then it's looks logical! Thanks for giving a new angle to our temple's.
आपने प्रचीन भारतीय ज्ञान का सुंदर चित्रण किया है
बहुत-बहुत धन्यवाद
मोहन जी आप बहुत मनमोहन हो, मनमोहन का मतलब होता है मन को मोहने वाला, आप एक असाधारण काम कर रहे हैं, आप का नाम,आने वाले समय में गॉड फादर ऑफ आर्कोलॉजिकल सर्वे , के नाम से जाना जाएगा, आप का नाम सोने के शब्दों से लिखा जायेगा।
Astonishing !! Very Interesting and thought provoking indeed.
Excellent research. ASI should include him in his team.
भगवान भोलेनाथ की कृपा से मुझे यहां जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है
प्रवीण मोहन जी लाख लाख धन्यवाद
Worth watching
Makes chair bound
Journey into another world
Your all videos is very very good 👍 God's bless you 🙏
प्राचीन खोजको बारीकी से समझाने के लिए प्रवीणजी बहोत बहोत धन्यवाद।
सरकार ने आप को पद्मश्री देना चाहिए ।
Friends Good Morning
I just attention to you that we the Indian spl. (Hindus) are aware & know that how can Great ancient Hindu culture & History distorted and not recognised to the world by politician in the past. Now time to expose & recognised Greatest Hindu Civilisation to the world by school to college textbooks.
ऐसा ज्ञान और कहीं नहीं है जैसे आप हमें पहुंचा रहे हैं आपको धन्यवाद
बहुत-बहुत धन्यवाद🙏🏻 कृपया अधिक से अधिक लोगों को इस परिवार से जोड़े। जिससे हमारी नई पीढ़ी भी प्राचीन ज्ञान से अवगत हो सके।
It's just amazing
बहोत सही जाणकारी मै बहोत दिनो से इस व्हिडीओ की राह देख रही हुं,मैने भी इस विषय मै थोडा बहुत पढा है,आगे भी आप इस तरह की जानकारी देते रहेंगे ,आपको बहोत बहोत धन्यवाद
सारी प्राचीन तकनीक ज्ञान के भण्डार में ऋषियों ने वेदों में संकलित किया है जिसे पवित्रता के साथ आत्मसात किया जा सकता है 🇮🇳 जय हिन्द 🇮🇳
Proud of you brother...
Ram Ram Praveen Bhai.🙏🙋🚩
Very nice
इस्लाम को जितना जानने की कोशिश करता हूं पता चलता है कि इस्लाम एक शैतानी मजहब है और शैतान का कोई मजहब है तो वह है इस्लाम।
एक शैतान को जो कुछ भी चाहिए वह इस्लाम में है- झूठ, धोखा, मक्कारी, लूट, चोरी, बलात्कार, हिंसा, बदमाशी, ऐयाशी, ठरक और यह सबकुछ करने के बाद माफी यानी हर वो चीज जो एक शैतान को चाहिए।
Respect our culture and sanskriti which is🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
Jay satya sanatan dharm ki🙏
Naa aadi na ant vo hai satya sanatan dharm🙏🙏🙏🙏🙏
Jai mahakal 🙏🙏🙏
हर हर महादेव
यह कमेंट है क्या?🤦♀️👎
दो-चार लाईन भी नहीं लिख सकते हो, प्राचीन कला के लिए?👊
लानत है।
Sir we proud of you
Thanks for your kind words
Excellent Analysis.... Proud and ashamed both after seeing it 🙏
नमन हमारे प्राचीन कारीगरों को ,नमन हमारी संस्कृति को, जाहिलो ने कारीगरों की मेहनत को नास किया , कितनी घिनौनी संस्कृति दुनिया में आई की उसे अपने पूर्वजों की कला को संजोना धर्म विरुद्ध लगता है ,कहते है ऐसा धर्म जो विनाशक हो उसका विनाश खुदा खुद करेगा
You explain things with such clarity and detailed evidences that there seems to be no other justification.
Great work मोहनजी simply great please pursue ASI or Govt to lab test the things. It will prove greatest tribute to our forefathers.
Our koti koti naman. Radhe Radhe 🙏 🙏 🙏 🙏 🙏 🙏 🙏 🙏
Radhe Radhe 🙏🏻🙏🏻
Praveenbhai- when will you upload in English channel? Hope you have recovered fully 🙏🏻
Sir Your all videos are incredible.. Your research is awesome and practical.. Respect from me to you
काशी, अयोध्या और मथुरा ये तीनो वर्तमान नगर कब से नगर हैं? क्या इस पर कोई शोध कर सकता है कि ये तीनों नगर कब से बसे हुए हैं और इन्हे किसने बसाया है? सत्यमेव जयते
Current leader will definitely do that.
Your research is definily give meterial for advance research on basis our ancient literature so preserved in muths of our shankracharyas and we need to involve them study and explaining of what is recorded in ancient books .very few are left with us rest are obviously pilfered and their contents advertised as new discoveries by western worlds understandably all new so called investions and discoveries started pouring in fron few centuries back and from early days.
I'm a post graduate in history and I'm addicted to your utube channel
Each video is full of Amazing knowledge...and leaves us with more inquest or thurst to look for answers....mesmerised and mind boggling 😍 God Bless You Mr Mohanji 🙏❤️🙏
मुझे लगता है की हमारे पूर्वजों ने पत्थर को पिघलाने का कोई तरकीब जानते होंगे
आप का बहुत बहुत धन्यवाद
वीडियो देखने के लिए धन्यवाद 🙏🏻 कृपया इस वीडियो को अपने मित्रों के साथ शेयर करें| इस ज्ञान को भावी पीढ़ी तक पहुँचाना है|
परवीन जी इन भारतीय निर्माणों को और वर्तमान की तकनीकी विकास की तुलना करें तो निश्चित ही यह सब काम बाहरी दुनिया का लगता है।
वैज्ञानिक बुद्धि वाले एलियन की कल्पना करेंगे और आद्यात्मिक बुद्धि वाले किसी ईश्वरीय शक्ति की।
आपका कार्य बहुत ज़बरदस्त है। सारी जानकारियों के लिए स्थानीय कहानियों और संस्कृतियों का विश्लेषण ज्यादा सटीक उत्तर देंगे।🎉🎉
Amazed at the priest's knowledge about the sculptures and language capabilities!
❤️❤️❤️ from Arunachal Pradesh 👍👍👍
बहुत ही अदभुत जानकारी । बहुत हीं सरहनीय कार्य
धन्यवाद🙏🏻
Great mera bharat mahan.
एकःहिन्दूअःएकः गायः साधुवादः
Fact to rethink for Archiologists and Historians👍🙏
संस्कार और संस्कृति को इतने विस्तार से समझाने के लिए साधुवाद🙏🙏🙏🙏आपने कितना रिसर्च किया है
🙏🏻वीडियो देखने के लिए धन्यवाद, कृपया इस वीडियो को अपने मित्रों के साथ शेयर करें| धन्यवाद🙏🏻
आप सही कह रहे है ये सब बिना मशीन के नहीं बन सकता . आप इतना गौर से हर चीज देखकर जांच पड़ताल करते है. इनता गौर तों पुरातत्व वाले भी नहीं धयान नहीं देते है
Praveen ji...salute to your efforts,knowledge,concept, logical conclusion . All your videos will be base for evidences and referal purposes in future .
Mohan ji you are very manmohan, manmohan means captivating mind, you are doing an extraordinary work, your name will be known as god father of archaeological survey in coming time, your name will be gold Words will be written.