Saaz-o-Sukhan - Lag ja gale Unplugged
Vložit
- čas přidán 12. 09. 2024
- An immortal melody sung by Lata Mangeshkar
Composed by Madan Mohan
Cover by Rahila Sarma
Keyboard - Sarang Mujumdar
देखूँ जो आसमाँ से तो इतनी बड़ी ज़मीं
इतनी बड़ी ज़मीन पे छोटा सा एक शहर
छोटे से एक शहर में सड़कों का एक जाल
सड़कों के जाल में छुपी वीरान सी गली
वीराँ गली के मोड़ पे तन्हा सा इक शजर
तन्हा शजर के साए में छोटा सा इक मकान
छोटे से इक मकान में कच्ची ज़मीं का सहन
कच्ची ज़मीं के सहन में खिलता हुआ गुलाब
खिलते हुए गुलाब में महका हुआ बदन
महके हुए बदन में समुंदर सा एक दिल
उस दिल की वुसअ'तों में कहीं खो गया हूँ मैं
यूँ है कि इस ज़मीं से बड़ा हो गया हूँ मैं
- अशफ़ाक़ हुसैन
Wah Kya baat hai
अति सुन्दर 👌
Beautifully sung Rahila and great job Sarang!
वाह भाई क्या बात है, xyl भी आपकी आवाज की कायल है। गायकी तो बहुत ही बढिया।कुल मिलाकर बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति।
Wow! Treat to my ears!
Wah bhai wah
@Rahila next level soulful singing