रामचरितमानस मूलपाठ: अरण्यकाण्ड(दोहा:६- १३)

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  • रामचरितमानस मूलपाठ: अरण्यकाण्ड प्लेलिस्ट
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    सो. कठिन काल मल कोस धर्म न ग्यान न जोग जप।
    परिहरि सकल भरोस रामहि भजहिं ते चतुर नर ॥ ६(ख) ॥
    मुनि पद कमल नाइ करि सीसा। चले बनहि सुर नर मुनि ईसा ॥
    आगे राम अनुज पुनि पाछें। मुनि बर बेष बने अति काछें ॥
    उमय बीच श्री सोहइ कैसी। ब्रह्म जीव बिच माया जैसी ॥
    सरिता बन गिरि अवघट घाटा। पति पहिचानी देहिं बर बाटा ॥
    जहँ जहँ जाहि देव रघुराया। करहिं मेध तहँ तहँ नभ छाया ॥
    मिला असुर बिराध मग जाता। आवतहीं रघुवीर निपाता ॥
    तुरतहिं रुचिर रूप तेहिं पावा। देखि दुखी निज धाम पठावा ॥
    पुनि आए जहँ मुनि सरभंगा। सुंदर अनुज जानकी संगा ॥
    दो. देखी राम मुख पंकज मुनिबर लोचन भृंग।
    सादर पान करत अति धन्य जन्म सरभंग ॥ ७ ॥
    कह मुनि सुनु रघुबीर कृपाला। संकर मानस राजमराला ॥
    जात रहेउँ बिरंचि के धामा। सुनेउँ श्रवन बन ऐहहिं रामा ॥
    चितवत पंथ रहेउँ दिन राती। अब प्रभु देखि जुड़ानी छाती ॥
    नाथ सकल साधन मैं हीना। कीन्ही कृपा जानि जन दीना ॥
    सो कछु देव न मोहि निहोरा। निज पन राखेउ जन मन चोरा ॥
    तब लगि रहहु दीन हित लागी। जब लगि मिलौं तुम्हहि तनु त्यागी ॥
    जोग जग्य जप तप ब्रत कीन्हा। प्रभु कहँ देइ भगति बर लीन्हा ॥
    एहि बिधि सर रचि मुनि सरभंगा। बैठे हृदयँ छाड़ि सब संगा ॥
    दो. सीता अनुज समेत प्रभु नील जलद तनु स्याम।
    मम हियँ बसहु निरंतर सगुनरुप श्रीराम ॥ ८ ॥
    अस कहि जोग अगिनि तनु जारा। राम कृपाँ बैकुंठ सिधारा ॥
    ताते मुनि हरि लीन न भयऊ। प्रथमहिं भेद भगति बर लयऊ ॥
    रिषि निकाय मुनिबर गति देखि। सुखी भए निज हृदयँ बिसेषी ॥
    अस्तुति करहिं सकल मुनि बृंदा। जयति प्रनत हित करुना कंदा ॥
    पुनि रघुनाथ चले बन आगे। मुनिबर बृंद बिपुल सँग लागे ॥
    अस्थि समूह देखि रघुराया। पूछी मुनिन्ह लागि अति दाया ॥
    जानतहुँ पूछिअ कस स्वामी। सबदरसी तुम्ह अंतरजामी ॥
    निसिचर निकर सकल मुनि खाए। सुनि रघुबीर नयन जल छाए ॥
    दो. निसिचर हीन करउँ महि भुज उठाइ पन कीन्ह।
    सकल मुनिन्ह के आश्रमन्हि जाइ जाइ सुख दीन्ह ॥ ९ ॥
    मुनि अगस्ति कर सिष्य सुजाना। नाम सुतीछन रति भगवाना ॥
    मन क्रम बचन राम पद सेवक। सपनेहुँ आन भरोस न देवक ॥
    प्रभु आगवनु श्रवन सुनि पावा। करत मनोरथ आतुर धावा ॥
    हे बिधि दीनबंधु रघुराया। मो से सठ पर करिहहिं दाया ॥
    सहित अनुज मोहि राम गोसाई। मिलिहहिं निज सेवक की नाई ॥
    मोरे जियँ भरोस दृढ़ नाहीं। भगति बिरति न ग्यान मन माहीं ॥
    नहिं सतसंग जोग जप जागा। नहिं दृढ़ चरन कमल अनुरागा ॥
    एक बानि करुनानिधान की। सो प्रिय जाकें गति न आन की ॥
    होइहैं सुफल आजु मम लोचन। देखि बदन पंकज भव मोचन ॥
    निर्भर प्रेम मगन मुनि ग्यानी। कहि न जाइ सो दसा भवानी ॥
    दिसि अरु बिदिसि पंथ नहिं सूझा। को मैं चलेउँ कहाँ नहिं बूझा ॥
    कबहुँक फिरि पाछें पुनि जाई। कबहुँक नृत्य करइ गुन गाई ॥
    अबिरल प्रेम भगति मुनि पाई। प्रभु देखैं तरु ओट लुकाई ॥
    अतिसय प्रीति देखि रघुबीरा। प्रगटे हृदयँ हरन भव भीरा ॥
    मुनि मग माझ अचल होइ बैसा। पुलक सरीर पनस फल जैसा ॥
    तब रघुनाथ निकट चलि आए। देखि दसा निज जन मन भाए ॥
    मुनिहि राम बहु भाँति जगावा। जाग न ध्यानजनित सुख पावा ॥
    भूप रूप तब राम दुरावा। हृदयँ चतुर्भुज रूप देखावा ॥
    मुनि अकुलाइ उठा तब कैसें। बिकल हीन मनि फनि बर जैसें ॥
    आगें देखि राम तन स्यामा। सीता अनुज सहित सुख धामा ॥
    परेउ लकुट इव चरनन्हि लागी। प्रेम मगन मुनिबर बड़भागी ॥
    भुज बिसाल गहि लिए उठाई। परम प्रीति राखे उर लाई ॥
    मुनिहि मिलत अस सोह कृपाला। कनक तरुहि जनु भेंट तमाला ॥
    राम बदनु बिलोक मुनि ठाढ़ा। मानहुँ चित्र माझ लिखि काढ़ा ॥
    दो. तब मुनि हृदयँ धीर धीर गहि पद बारहिं बार।
    निज आश्रम प्रभु आनि करि पूजा बिबिध प्रकार ॥ १० ॥
    कह मुनि प्रभु सुनु बिनती मोरी। अस्तुति करौं कवन बिधि तोरी ॥
    महिमा अमित मोरि मति थोरी। रबि सन्मुख खद्योत अँजोरी ॥
    श्याम तामरस दाम शरीरं। जटा मुकुट परिधन मुनिचीरं ॥
    पाणि चाप शर कटि तूणीरं। नौमि निरंतर श्रीरघुवीरं ॥
    मोह विपिन घन दहन कृशानुः। संत सरोरुह कानन भानुः ॥
    निशिचर करि वरूथ मृगराजः। त्रातु सदा नो भव खग बाजः ॥
    अरुण नयन राजीव सुवेशं। सीता नयन चकोर निशेशं ॥
    हर ह्रदि मानस बाल मरालं। नौमि राम उर बाहु विशालं ॥
    संशय सर्प ग्रसन उरगादः। शमन सुकर्कश तर्क विषादः ॥
    भव भंजन रंजन सुर यूथः। त्रातु सदा नो कृपा वरूथः ॥
    निर्गुण सगुण विषम सम रूपं। ज्ञान गिरा गोतीतमनूपं ॥
    अमलमखिलमनवद्यमपारं। नौमि राम भंजन महि भारं ॥
    भक्त कल्पपादप आरामः। तर्जन क्रोध लोभ मद कामः ॥
    अति नागर भव सागर सेतुः। त्रातु सदा दिनकर कुल केतुः ॥
    अतुलित भुज प्रताप बल धामः। कलि मल विपुल विभंजन नामः ॥
    धर्म वर्म नर्मद गुण ग्रामः। संतत शं तनोतु मम रामः ॥
    जदपि बिरज ब्यापक अबिनासी। सब के हृदयँ निरंतर बासी ॥
    तदपि अनुज श्री सहित खरारी। बसतु मनसि मम काननचारी ॥
    जे जानहिं ते जानहुँ स्वामी। सगुन अगुन उर अंतरजामी ॥
    जो कोसल पति राजिव नयना। करउ सो राम हृदय मम अयना।
    अस अभिमान जाइ जनि भोरे। मैं सेवक रघुपति पति मोरे ॥
    सुनि मुनि बचन राम मन भाए। बहुरि हरषि मुनिबर उर लाए ॥
    परम प्रसन्न जानु मुनि मोही। जो बर मागहु देउ सो तोही ॥
    मुनि कह मै बर कबहुँ न जाचा। समुझि न परइ झूठ का साचा ॥
    तुम्हहि नीक लागै रघुराई। सो मोहि देहु दास सुखदाई ॥
    अबिरल भगति बिरति बिग्याना। होहु सकल गुन ग्यान निधाना ॥
    प्रभु जो दीन्ह सो बरु मैं पावा। अब सो देहु मोहि जो भावा ॥
    दो. अनुज जानकी सहित प्रभु चाप बान धर राम।
    मम हिय गगन इंदु इव बसहु सदा निहकाम ॥ ११ ॥
    शेष यहाँ:
    sanskritdocume...

Komentáře • 13

  • @vijaypandey220
    @vijaypandey220 Před 5 měsíci +4

    " अब प्रभु कृपा करहुं येहि भाती। सब तजि करहुं भजन दिन राती।।🌹💓🙏🙏😢

  • @mediexeducation
    @mediexeducation Před 2 měsíci +2

    जय श्री सीताराम 💗😘🙇❤

  • @vijaypandey220
    @vijaypandey220 Před 5 měsíci

    " श्रीराम जय राम जय जय राम। श्रीराम जय राम जय जय राम।।"🚩🌹💓🙏🙏

  • @rathodsunil9725
    @rathodsunil9725 Před 4 měsíci +1

    जय श्री कृष्ण

  • @VijaySingh-ul4qp
    @VijaySingh-ul4qp Před 5 měsíci

    ।।जय सियाराम।।जय सियाराम।।जय सियाराम।।

  • @user-uk7to3px2e
    @user-uk7to3px2e Před 3 měsíci +1

    जय श्री गणेश जी जय माता दी जय श्री सीताराम जय श्री सीताराम जय श्री सीताराम जय श्री सीताराम जय श्री सीताराम जय श्री सीताराम जय श्री सीताराम हर हर महादेव

  • @vijaypandey220
    @vijaypandey220 Před 5 měsíci

    " जय श्री सीताराम "🚩🌹💓🙏🙏

  • @premthakur8424
    @premthakur8424 Před 5 měsíci +1

    Jai SHREE-RAM

  • @prashantsingh-fv3mr
    @prashantsingh-fv3mr Před 5 měsíci +2

    जय श्री सीता राम हनुमान जी महाराज जी की ।।कृपा करें दास पर प्रभु।
    दीन दयाल अनाथ पर अपनी कृपा करें।🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

  • @ashishrankawat5529
    @ashishrankawat5529 Před 2 měsíci

    जय श्री राम
    कृपया पार्वती मंगल पाठ भी प्रस्तुत करें। दर्शक और श्रोता आपके बहुत आभारी रहेंगे।

  • @vijaypandey220
    @vijaypandey220 Před 5 měsíci

    " 👌👌🌹💓🙏🙏

  • @jitendrasinghshishodia874
    @jitendrasinghshishodia874 Před 5 měsíci

    💧🪷💧

  • @vijaypandey220
    @vijaypandey220 Před 5 měsíci

    " श्रीराम जय राम जय जय राम। श्रीराम जय राम जय जय राम।।"🚩🌹💓🙏🙏