बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति अति उत्तम सुविचार श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेव हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे जय श्री राधे कृष्णा
Hamare madhwa indar ne asuro ke100durgo ko ak ke baad ak karke samapt kar diya aur indar bhais rakhne wale yadayo ko hi samapt kiya tha bhais rakhne wale log yadav nahi hai to kya hai aur bhagwan prasuram ne indar sare bansjo ko prithvi par se khoj khoj kar mara tha isliye ham bhagwan prasuram ji ko bahut manta hu irani prasuyo ke farse ke aage koi tik nahi sakta
Jo rajput the o samjhate the ki yaduvanshi kaun hi per akabar dwara mili Singh tital aur Manu vadio ke bahakave me apana satya Nas Kiya Jo AJ yadavo per thikara fodate hi,,,,
आप चंद्रवंशी क्षत्रिय है। आप शायद राजपूत को सूर्यवंशी क्षत्रिय समझ रहे है। राजपूत में सूर्यवंशी और चंद्रवंशी दोनो ही होते है। लेकिन उसी कुल में से होने के बावजूद यदुवंश अलग क्यों हो गया मैं आपको थोड़ा बताने की कोशिश करता हु। ब्राह्मण कन्या देवयानी के ज्येष्ठ पुत्र महाराजा यदु चंद्रवंशी ने महाराजा ययाति के कुल में जन्म लिया। महाराजा ययाति ने राजकुमार यदु से यौवन की मांग करी लेकिन अपना यौवन न देने के कारण राजा ययाति ने राजकुमार यदु को उनकी पत्नी और राजकुमार पुत्र और पुत्रियों को राजसत्ता से वंशित कर दिया। इसीलिए यादव चंद्रवंशी क्षत्रिय होने बावजूद अपने को यदुवंशी क्षत्रिय कहते है क्योंकि महाराजा यदु ने चंद्रवंशी शाखा से यदुवंश स्थापित किया और स्वतंत्र राज्य कायम किया। महाराजा यदु के भाई बंधु चंदीवंशी हुए और महाराजा यदु का स्वतंत्र यदुवंश बढ़ा। राजपूत एक मिश्रित जाति है। ये कई क्षत्रिय वंशों का समूह है। राजपूत के पूर्वज यादव, सूर्यवंशी एवं चंद्रवंशी हैं। यह भी माना जाता है की विदेशी कबीलो जैसे हुण, सक, कुशन, स्काइथियन, जैसे लड़ाकू कबीलो की संतान हैं। ये वर्ण व्यवस्था के अनुसार क्षत्रिय नही है। ये शुद्र भी नही हैं। ये वर्ण में आते ही नही। राजपूत मध्यकाल में पैदा हुए है। मध्य काल के ब्राह्मण वैदिक क्षत्रियों को सत्ता से बाहर होता देख इन विदेशी लड़ाकू( राजपूत )को को वैदिक क्षत्रियों के साथ संबद्ध स्थापित करवा के राजपूत जाति पैदा करी और उन्हें क्षत्रिय घोषित किया जोकि राजस्थान के इलाके में हुआ। बाद में राजपूत के वंशज पूरे उत्तर भारत में फैल गए। एक तरफ यादव अपना राज्य गवाते गए क्योंकि याद रखिए क्षत्रिय आपस के लड़ते भी है वर्चस्व के लिए। एक कुल में पैदा होने से आपसी युद्ध खत्म नही होता। दुर्वाग्यपूर्ण यादव अपने राज्य खोए और खेतीबाड़ी और पशुपालन में कुशल हुए। दक्षिण में यादव राज्य शकुशल रहे पर उत्तर में किसान हो गए। इसके कारण कुछ गरीबी भी आई। एक क्षत्रिय दूसरे क्षत्रिय को पछाड़ने की कोशिश करता हो है। क्षत्रियों प्रतिपत्ध करते हो हैं। उम्मीद है की मैने आपके प्रश्न का उत्तर दे दिया है।
Chandravanshi sirf yadav hote hai Naaki rajput or naahi Rajput suryavanshi hote hai kyuki bhagwat mahapuran ke according suryavansh Kalyug ke start hote hi khtm ho gya or iss vansh ke last raja sumitrak they Rajput ek mixed breed caste hai jisme kai jaatio ka khoon hai ek praman asi khud batata ki ke Gupta period ke time ek jaati prachlit hui thi jo rajasthan ke janglo mei bheel banjare rehtey they wo
श्रीकृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति अति उत्तम सुविचार
श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेव हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे
जय श्री राधे कृष्णा
जय दादा श्री कृष्ण🚩🚩
ॐ नमः
जय श्री राधे कृष्ण
बहुत ही सुंदर विचार, and माता गायत्री को कोटि कोटि Naman ❤
जय श्री कृष्णा राधे राधे जय यादव जय माधव
Very good
जय श्री कृष्णा जय श्री राधे
जय यादव जय माधव 🛕🚩🛕
Om shree chandravanshnathay yadavendray namah
Bahut hi sunder laga.
👍
Excellent disclosure 👍👌😀😁😄😺😃
Jai.maa gaytri
Jai Shri Kirshan
Jay..mata..gayatri
Jay 🕉 yadukul devi gayatri mata .jay yadav jay madhav krishna baldau
Jay yadav Jay madhav
Jai shree Krishna
Sabse purana puran padam puran aur regved m bhi varnan h gaytri ke bare m 100percwnt saty h
Jay Jay Shri R 11:33
adhe Krishna
Jay 🕉 yadav Jay dada krishna baldau
Gaytri mata chandrvanshi kshatry ,yadav kanya thi.
Us kal me doodh dadh bikri nahi hota tha .
log cow paln karte the doodh apne khane pine bhar nikalte the aur baki ke gayon ke bachhro ko doodh pila dete the.
किस ग्रंथ में लिखा हुआ है जितने भी ग्रंथ में लिखा हुआ है उस ग्रंथ का नाम बताए
पद्मा पुराण सृष्टि खंड अध्याय 16
Right
अति सुंदर जबाब
Hamare madhwa indar ne asuro ke100durgo ko ak ke baad ak karke samapt kar diya aur indar bhais rakhne wale yadayo ko hi samapt kiya tha bhais rakhne wale log yadav nahi hai to kya hai aur bhagwan prasuram ne indar sare bansjo ko prithvi par se khoj khoj kar mara tha isliye ham bhagwan prasuram ji ko bahut manta hu irani prasuyo ke farse ke aage koi tik nahi sakta
Jo rajput the o samjhate the ki yaduvanshi kaun hi per akabar dwara mili Singh tital aur Manu vadio ke bahakave me apana satya Nas Kiya Jo AJ yadavo per thikara fodate hi,,,,
यादव असली यदुवंशी क्षत्रिय ही हैं फिर भी सूर्यवंशी क्षत्रिय हमारा विरोध क्यों करते हैं जबकि हम एक ही कुल के हैं
आप चंद्रवंशी क्षत्रिय है। आप शायद राजपूत को सूर्यवंशी क्षत्रिय समझ रहे है। राजपूत में सूर्यवंशी और चंद्रवंशी दोनो ही होते है। लेकिन उसी कुल में से होने के बावजूद यदुवंश अलग क्यों हो गया मैं आपको थोड़ा बताने की कोशिश करता हु।
ब्राह्मण कन्या देवयानी के ज्येष्ठ पुत्र महाराजा यदु चंद्रवंशी ने महाराजा ययाति के कुल में जन्म लिया। महाराजा ययाति ने राजकुमार यदु से यौवन की मांग करी लेकिन अपना यौवन न देने के कारण राजा ययाति ने राजकुमार यदु को उनकी पत्नी और राजकुमार पुत्र और पुत्रियों को राजसत्ता से वंशित कर दिया। इसीलिए यादव चंद्रवंशी क्षत्रिय होने बावजूद अपने को यदुवंशी क्षत्रिय कहते है क्योंकि महाराजा यदु ने चंद्रवंशी शाखा से यदुवंश स्थापित किया और स्वतंत्र राज्य कायम किया। महाराजा यदु के भाई बंधु चंदीवंशी हुए और महाराजा यदु का स्वतंत्र यदुवंश बढ़ा।
राजपूत एक मिश्रित जाति है। ये कई क्षत्रिय वंशों का समूह है। राजपूत के पूर्वज यादव, सूर्यवंशी एवं चंद्रवंशी हैं। यह भी माना जाता है की विदेशी कबीलो जैसे हुण, सक, कुशन, स्काइथियन, जैसे लड़ाकू कबीलो की संतान हैं। ये वर्ण व्यवस्था के अनुसार क्षत्रिय नही है। ये शुद्र भी नही हैं। ये वर्ण में आते ही नही।
राजपूत मध्यकाल में पैदा हुए है। मध्य काल के ब्राह्मण वैदिक क्षत्रियों को सत्ता से बाहर होता देख इन विदेशी लड़ाकू( राजपूत )को को वैदिक क्षत्रियों के साथ संबद्ध स्थापित करवा के राजपूत जाति पैदा करी और उन्हें क्षत्रिय घोषित किया जोकि राजस्थान के इलाके में हुआ। बाद में राजपूत के वंशज पूरे उत्तर भारत में फैल गए। एक तरफ यादव अपना राज्य गवाते गए क्योंकि याद रखिए क्षत्रिय आपस के लड़ते भी है वर्चस्व के लिए। एक कुल में पैदा होने से आपसी युद्ध खत्म नही होता। दुर्वाग्यपूर्ण यादव अपने राज्य खोए और खेतीबाड़ी और पशुपालन में कुशल हुए। दक्षिण में यादव राज्य शकुशल रहे पर उत्तर में किसान हो गए। इसके कारण कुछ गरीबी भी आई। एक क्षत्रिय दूसरे क्षत्रिय को पछाड़ने की कोशिश करता हो है। क्षत्रियों प्रतिपत्ध करते हो हैं। उम्मीद है की मैने आपके प्रश्न का उत्तर दे दिया है।
Chandravanshi sirf yadav hote hai
Naaki rajput or naahi Rajput suryavanshi hote hai kyuki bhagwat mahapuran ke according suryavansh Kalyug ke start hote hi khtm ho gya or iss vansh ke last raja sumitrak they
Rajput ek mixed breed caste hai jisme kai jaatio ka khoon hai ek praman asi khud batata ki ke Gupta period ke time ek jaati prachlit hui thi jo rajasthan ke janglo mei bheel banjare rehtey they wo
@@ayushkumar1734 well said
Jay Shri Krishna