What Gift Did Meena Kumari Guve to Selfish Husband in Lieu of Divorce? Filmszone Golden Era

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  • čas přidán 8. 09. 2024
  • Meena kumri Born 1933 into a poor Parsee theatre family of Ali Bux and dancer Iqbal begum in Bombay, Maharashtra, India. Entered films to support family in difficult times. She was six when hired for Leatherface (1939) in 1939 by Vijay Bhatt and named Baby Meena. Later she became Meena Kumari when cast for Bhatt's Baiju Bawra (1952). She did mythological films with Homi Wadia and then comedies like Miss Mary (1957). She became personified as the archetypal good Hindu wife through many roles, long suffering and always true to the man. She excelled at tragedy and was often shown in a white sari carrying the film with her emotive acting. She was also thought to be the only actress who could sell a film on the strength of her name alone. Her major films are Daaera (1953), Baiju Bawra (1952), 0046164, and of course her most well known film, Pakeezah (1972). She was married to Kamal Amrohi with whom she started making "Pakeezah". They separated in 1964. She was also an accompalished Urdu writer and had several poems published by Gulzar after her death. She battled alcoholism and loneliness and finally died, alone, in 1972.
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    1 अगस्‍त, 1932 वो ख़ास दिन जब महजबीन इस दुनिया में आई थी. लेकिन घर के हालात ऐसे थे कि पिता अली बख्‍श और मां इकबाल बेगम (मूल नाम प्रभावती) के पास डॉक्‍टर को देने के पैसे नहीं थे और इन्होने तय किया कि इस बच्‍ची को मुस्लिम यतीमखाने के बाहर सीढ़‍ियों पर छोड़ दिया जाए. लेकिन माता-पिता का दिल भला इतना कठोर कैसे हो सकता है......................अली बख्‍श भागे अपनी बच्‍ची को गोद में उठा कर घर ले आए...............
    होनहार बिरवान के होत चिकने पात......................महजबीन ने छोटी उम्र में ही घर का सारा बोझ अपने कंधों पर उठा लिया और महज 7 साल की उम्र से ही फिल्‍मों में काम करने लगीं. महजबीन पहली बार फिल्‍म ‘फरजद-ए-हिंद’ में नजर आईं, और यहीं से बानगी मीना कुमाई......................इसके बाद लाल हवेली, अन्‍नपूर्णा, सनम, तमाशा आदि कई फिल्‍में कीं. लेकिन 1952 में आई फिल्‍म ‘बैजू बावरा’ ने मीना कुमारी को हर दिल में बसने वाली रानी बना दिया...........इस फिल्‍म के बाद मीना शोहरत की बुलंदियों पर चढ़ती गईं..............
    लेकिन मीना की जिन्दगी कभी सुकून और आराम में नहीं गुजरी...................‘बैजू बावरा’ रिलीज होने के बाद ही मीना ने कमाल अमरोही से चोरी से निकाह कर लिया. हालांकि कमाल अमरोही वही शख्‍स थे, जो कभी स्‍टार डायरेक्‍टर थे और मीना कुमारी के सलाम का जवाब तक नहीं दिया था............लेकिन मीना भी कम कहां ...........एक दिन मीना कुमारी को पिता ने बताया कि कमाल अमरोही उन्‍हें अपनी अगली फिल्‍म में लेना चाहते हैं, तो इस पर मीना कुमारी को उनका ‘अक्‍खड़पन’ याद आ गया और उन्‍होंने मना कर दिया....हालांकि बाद में कमाल अमरोही ने मीना कुमारी को मनाया और फिल्‍म के लिए साइन कर लिया.. ....यह फिल्म तो नहीं बन पाई लेकिन शादीशुदा अमरोही मीना के दीवाने हो गए
    उनका निकाह भी अजीब हालात में हुआ...............दरअसल, एक दिन उनके मैनेजर और दोस्‍त ने पूछा- अगर इतनी मुहब्‍बत है तो निकाह क्‍यों नहीं कर लेते? कमाल ने कहा- क्‍या मीना तैयार होगी? और बस कमाल के दोस्‍त और मैनेजर मीना कुमारी के पास पहुंच गए....... मीना ने कमाल से प्‍यार की बात तो मानी, पर शादी से मना कर दिया...........मीना बोलीं- अब्‍बा की इजाजत के बिना यह संभव नहीं होगा. लेकिन उनके दोस्‍त ने किसी तरह उन्हें यह कह कर कि अभी निकाह कर लें और सही वक्‍त देख कर अब्‍बा-अम्‍मी को भी मना लेंगे......और इस तरह से गुपचुप 14 फरवरी, 1952 को दोनों का निकाह हो गया.
    यह निकाह भी अद्भुत था........... महज चार-छह लोगों की मौजूदगी में दो घंटे के भीतर दोनों का निकाह हो गया. दरअसल, एक क्लिनिक में महजबीन की फिजियोथेरेपी चल रही थी, जहाँ उनके पिता अली बख्‍श रोज रात को आठ बजे उनकी बहन मधु के साथ क्लिनिक पर छोड़ आते थे और दस बजे लेने पहुंच जाते थे..............बस फिर क्या था...14 फरवरी (1952) को इसी दो घंटे में मीना और कमाल का निकाह हो गया.....
    निकाह तो हो गया लेकिन मीना के हिस्से खुशियाँ इतनी आसान नहीं थी. दो घंटे में निकाह तो हो गया लेकिन पिता के गुस्से को देख मीना ने उन्हें सब सच सच बता दिया,............ अली बख्‍श ने मीना से तुरंत कहा- तुम्‍हें तलाक लेना होगा और दोनों के मिलने पर पाबंदी लगा दी. इतना ही नहीं, ये सख्ती इतनी ज्यादा थी कि शूटिंग पर मीना के साथ खुद जाने लगे.
    इधर, कमाल अमरोही की पहली बेगम को उनकी दूसरी शादी की बात पता चल गई और वो बच्‍चों को लेकर अपने गांव अमरोहा चली गईं. और फिर अमरोही पर तलाक का दबाव बनाने लगी. कमल की दूसरी शादी मुक्कम्मल नहीं हो रही थी और पहली टूटने के कगार पर थी. इस हालात से तंग आ कर उन्होंने महजबीन को यह संदेश भिजवा‍ दिया कि इस निकाह को एक भूल समझ कर खत्‍म कर देना चाहिए. इस पर मीना ने भी जवाबी खत्म में लिखा, - मुझे लगता है आप मुझे समझ नहीं पाए और समझ भी नहीं पाएंगे, बेहतर होगा कि आप मुझे तलाक दें.
    लेकिन इसके बाद फिर शादी की पहली सालगिरह, यानी 14 फरवरी, 1953 को मीना कुमारी ने कमाल को फोन किया, और उनसे माफ़ी मांगी. फिर दोनों करीब भी आने लगे. लेकिन अली बख्‍श मीना को महबूब खान की फिल्‍म में काम करने के लिए जोर देना शुरू किया. पिता के दबाव के आगे मीना झुक तो गईं, लेकिन महबूब खान से उनकी अनबन हो गई.
    पिता के खिलाफ जाकर मीना कुमारी पति की फिल्‍म ‘डेरा’ की शूटिंग के लिए चली गईं. लेकिन जब वो रात को घर लौटीं तो पिता ने उनसे बाप-बेटी का रिश्‍ता खत्‍म कर उन्हें घर में नहीं घुसने दिया.

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