जैन तीर्थंकर के सभी वीतरगी क्षत्रिय समुदाय से आते है नेमीनाथ भरत और २४ वे तीर्थंकर सिदारथ स्वामी क्षमा दया करुणा सहश सम दम दया दान के गुण क्षत्रिय वंश से विरासत में मिले है
जैन तीर्थंकर के अधिकांश वीतरगी क्षत्रिय समुदाय से थे भरत मुनि से लेकरसिदार्थ अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी वैराग्य क्षमा साहस sam दम सोच ध्यान ये अनुसासन के इष्टंभ है जो जैन धर्म को ख्यत्रीय कुल से विरासत में मिले है
खम्मा घनी सा🎉
अहिंसा परमो धर्म किसी को सहारा देने का कर्तव्य क्षत्रिय का है ये समाज अहिंसा समता जीव दया का ध्वजवाहक है इनको आदर देना हमारा नैतिक कर्तव्य बनता है
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जैन तीर्थंकर के सभी वीतरगी क्षत्रिय समुदाय से आते है नेमीनाथ भरत और २४ वे तीर्थंकर सिदारथ स्वामी क्षमा दया करुणा सहश सम दम दया दान के गुण क्षत्रिय वंश से विरासत में मिले है
जैन तीर्थंकर के अधिकांश वीतरगी क्षत्रिय समुदाय से थे भरत मुनि से लेकरसिदार्थ अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी वैराग्य क्षमा साहस sam दम सोच ध्यान ये अनुसासन के इष्टंभ है जो जैन धर्म को ख्यत्रीय कुल से विरासत में मिले है
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Rajput rakshak or Jain sahukar sada se sanatan ka sahayak raha he sada rahega jai jinendar sa
कभी खुद के हिन्दू धर्म के लिए भी कूदों अशास्त्रीय कार्यों का विरोध करों
हिंदू धर्म बचा ही राजपूतों की क़ुर्बानियों के पीछे
@@ShauryaGarjana कुर्बानी नहीं बलिदान कहते हैं