हवेलियाँ बनाने का क्रम जैसलमेर में आज भी जारी हैं |

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  • čas přidán 24. 08. 2024
  • पत्थर के नक्काशी कार्य ने कई जातियों और धर्मो को रोजी रोटी रोटी (रोजगार) है लेकिन यह मूल कार्य सलवटों यानी के लकड़ी के सलवटों को सीधा करने वाली जाति सुथार विश्वकर्मा पुत्रों का था कालांतर में मुस्लिम धर्म के कारीगरों ने अपनाया आज भी कर रहे हैं लेकिन आज यह कार्य सुथार प्रजापत मेघवाल बहुतायत में बहुत ही सुंदर तरीके से कर रहे हैं, पर्यटन के क्षेत्र में पर्यटकों की पहली पसँद यहॉं की सुनहरी हवेलियाँ आज नये दौर में नये - नये निर्माण के साथ गुंदी पाड़ा , बिसानी पाड़ा जैसलमेर मन को मोह रही हैँ |

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