कैलाश पर्वत पर दिखा जैन मंदिर! अद्भुत खोज का रहस्य
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- čas přidán 13. 09. 2024
- #jaintirth #कैलाश
- "यह वीडियो जैन ग्रंथों में वर्णित इतिहास पर आधारित है"
- "यह वीडियो शोध पर आधारित नहीं है और केवल एक संभावना है"
- "कैलाश पर्वत चीन में स्थित है और इसका महत्व सभी धर्मों में है"
- "कैलाश पर्वत का महत्व सभी धर्मों में है और हम इसका सम्मान करते हैं"
- "यह वीडियो व्यक्तिगत राय या विचार नहीं है, बल्कि जैन ग्रंथों में वर्णित इतिहास पर आधारित है"
- "हम किसी भी धार्मिक या सांस्कृतिक भावनाओं को आहत नहीं करना चाहते हैं"
- "यह वीडियो शिक्षापूर्ण और सूचनात्मक है, कृपया इसे इसी तरह से लें"
- "यह वीडियो केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है और किसी भी धार्मिक या राजनीतिक दृष्टिकोण को बढ़ावा नहीं देता है"
Coordinate- 31.07084993898282, 81.30808138188085 (Latitude and Longitude)
जैन ग्रंथों के अनुसार, पहले तीर्थंकर भगवान श्री ऋषभदेव ने अष्टापद पर्वत पर निर्वाण प्राप्त किया था। श्री आष्टापद तीर्थ प्रमुख तीर्थों में से एक है और यह हिमालय के एक शांतिपूर्ण क्षेत्र में स्थित है। चक्रवर्ती राजा भरत (श्री ऋषभदेव के पुत्र) ने इस स्थान पर भगवान श्री ऋषभदेव के निर्वाण की स्मृति में एक महल मूल्यवान रत्नों से बनवाया था। “आष्टापद” नाम का उद्गम इस तथ्य से है कि महल की ओर आठ (अष्ट) कदम (पद) जाते हैं।
आष्टापद से संबंधित निम्नलिखित किंवदंती तीर्थंकरों के परम ज्ञान को वर्णित करती है। एक बार पूर्ण ज्ञान प्राप्त करने के बाद, श्री ऋषभदेव भगवान समावसरण में विराजमान थे और उपदेश दे रहे थे। जिज्ञासा में, राजा भरत ने पूछा कि क्या यहाँ कोई मानव भविष्य में तीर्थंकर बनेगा। उन्होंने सकारात्मक उत्तर दिया और कहा कि उनके पुत्र मरीचि कई जीवन चक्रों के बाद 24वें तीर्थंकर के रूप में प्रकट होंगे और उन्हें महावीर के नाम से जाना जाएगा। इसके बाद उन्होंने आगामी 24 तीर्थंकरों की व्याख्या की। इसी तरह राजा भरत को वर्तमान चौबीसी के विवरण का ज्ञान प्राप्त हुआ।
श्री गौतम स्वामी 2600 साल पहले इस तीर्थ पर अपनी विशेष शक्तियों से गए, रात भर वहाँ रहे और पूजा की। गौतम स्वामी ने वहाँ "जग चिंतामणि सूत्र" के पहले दो श्लोक लिखे
प्रबोधतिका भाग 1 में उल्लेखित है। शदावश्यक बालावबोधा में कहा गया है कि उन्होंने
"जग चिंतामणि सूत्र" के पहले दो श्लोक के साथ चैत्य वंदन किया।
वसु्देवहिंदी: 21वें अध्याय में यह पर्वत वैतध्या पर्वत से संबंधित बताया गया है, इसकी ऊँचाई 8 मील है और नीयादी नदी इसके तल पर बह रही है।
जंबू द्वीप प्रज्ञप्ति: कहता है कि आष्टापद पर्वत कोशल देश के उत्तर में स्थित है। आदीनाथ या ऋषभदेव के निर्वाण स्थल पर देवता इन्द्र ने तीन स्तूप स्थापित किए हैं (सूत्र 33)।
शास्त्रों के अनुसार: आष्टापद 12.5 योजन उत्तर में अयोध्या से स्थित है और एक स्पष्ट सुबह में, एक पेड़ की चोटी से इसे देखा जा सकता है।
सिद्धानाम बुद्धानाम सिद्धस्तव सूत्र: मूर्तियों की बैठने की व्यवस्था का वर्णन करता है, जैसे “चत्तरी आठ दस दो” और चौरासी जैनों के रूप में दर्शाया गया है।
धनेश्वर सूरी: शत्रुञ्जय माहात्म्य में लिखते हैं कि राजा भरत ने भगवान ऋषभदेव के निर्वाण भूमि के पास वरधाकि रत्न की मदद से एक महल का निर्माण किया।
शाहजानंद धनजी: अपनी चिट्ठियों में कहते हैं कि 3 चौरासी मूर्तियाँ (अतीत, वर्तमान और भविष्य के 72 तिर्थंकरों की कुल मूर्तियाँ) बर्फ के नीचे दबी हुई हैं और कुछ तिर्थंकर मूर्तियाँ बौद्ध भिक्षुओं के नियंत्रण में हैं।
एक मंगोलियन भिक्षु के अनुसार: श्री ऋषभदेव ने आष्टापद पर ध्यान और प्रार्थना की, जिसका उल्लेख कंजुर और तंजुर पुस्तकों में किया गया है।
कंगारी कर्चक: तिब्बती कैलाश पुराण में यह उल्लेख है कि कैलाश पूरे ब्रह्मांड का केंद्र है (अंग्रेजी अनुवाद की प्रतीक्षा है)।
गंगकारे ताशी - व्हाइट कैलाश: में उल्लेख है कि जैन बौद्धों से पहले यहाँ रहते थे, जिन्हें ग्याल फल पा और चेर पू पा के नाम से जाना जाता है। उनके पहले देवता का नाम ख्यु चोक - भगवान ऋष्यनाथ है। महावीर को फेल वा के नाम से जाना जाता है। इस पुस्तक के अनुसार, कई जैन सिद्धांत इनके सिद्धांतों से मेल खाते हैं।
न्यूयॉर्क में जैन सेंटर ऑफ अमेरिका ने अपने मंदिर मे करीब 17 मिलियन डॉलर की लागत से इसी मंदिर की प्रतिकर्ति को बनवाया है । रत्नमय - एक महल जो रत्नों से बना है और जिसमें 24 तीर्थंकरों की रत्नों से बनी मूर्तियाँ हैं।
आष्टापद अनुसंधान परिचय-
आष्टापद तीर्थ जैन धर्म के पाँच प्रमुख तीर्थों में से एक है, जिसे खोया हुआ माना जाता है। इसे हिमालय की बर्फ से ढकी शांत ऊंचाइयों में खुले आसमान के नीचे स्थित माना जाता है। न्यूयॉर्क स्थित जैन सेंटर ऑफ अमेरिका को इस तीर्थ की एक प्रतिकृति क्रिस्टल और रत्नों से तराशकर उपहार में दी गई है। हज़ारों वर्षों से आष्टापद तीर्थ के रहस्यमय ढंग से गायब हो जाने ने जैन समुदाय को उलझन में डाल रखा है। अब जेसीए इस खोए हुए तीर्थ को फिर से खोजने में सक्रिय रूप से लगा हुआ है।
जैन धर्म में निर्वाण-भूमि, अर्थात वे स्थान जहाँ तीर्थंकरों ने जीवन के चक्र से मुक्त होकर अंतिम लक्ष्य प्राप्त किया है, प्रमुख तीर्थ स्थल बन गए हैं (5 महा तीर्थ)। जैन शास्त्रों के अनुसार, प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव ने आष्टापद पर्वत पर निर्वाण प्राप्त किया था। उनके पुत्र चक्रवर्ती सम्राट भरत ने इस स्थान पर भगवान के निर्वाण की स्मृति में क्रिस्टल और रत्नों से एक महल (सिंह निषधिया प्रसाद) का निर्माण कराया था। "आष्टापद" नाम इस तथ्य से लिया गया है कि महल तक पहुँचने के लिए आठ (आष्ट) सीढ़ियाँ (पद) हैं।
The Jain scriptures mention that Bharat Chakravarti built many Jain temples on Mount Kailash. The Tibetan people also acknowledge the Jain history of Mount Kailash, and their ancient texts also describe Lord Rishabhdev. We also find mention of Lord Shankar in Vedic texts, stating that his abode is Mount Kailash. Mount Kailash holds great significance in Buddhist tradition as well. Thus, Mount Kailash holds importance in the beliefs of many religions, so there's no controversy here. Moreover, the news of a temple being visible there has been circulating on Facebook for a while, with everyone staking their claim in the comments, whereas the fact is that Mount Kailash is currently part of China
अद्भुत, आज बहुत बड़ी खोज है, यह साबित होता है की जैन धर्म बहुत पुराना है और हमारे शास्त्रों में जो लिखा है वो सत्य है, नमोस्तु
🙏🙏🙏🙏🙏
आपने प्रयास कर आदिनाथ भगवान के मंदिर का आंशिक ही सही, दिखाया है एक उत्कंठा तो है ही अन्य देखने वाले जैनी बंधु कुछ क्षणों के प्रभू के चरणों में लीन हो जाते हैं अत: कोटिश:धन्यवाद
नमो जिणाणं
🙏🙏🙏🙏🙏
जय जिनेंद्र जिन महानुभाव के द्वारा मंदिर की खोज की गई है मैं उनको बारंबार जय जिनेंद्र करता हूं
बहुत बहुत धन्यवाद आपका जो आपने खोज कर बताया कि वहां जैन मंदिर है और खोजोगे तो बहुत मंदिर मिलेंगे णमो जिणाणं
Ji mil chuke hain, me next video me bhut bda khulasa krne vala hu, aap sabhi ka sahyog chahiye 🙏
वैसे भी महावीर ने तो कहा ही था पंचम आर्य में धर्म समाप्त हो जाएगा.... धर्म के मुझे तो उसे दिन आरंभ हो गई जब पीतांबर और दिगंबर ने स्वयं को अलग संप्रदाय मान लिया उसके बाद तो न जाने कितने टुकड़े हो गए... जिन शासन की विराधना होती चली गई और धर्म समाप्त हो गया अब महावीर का धर्म नहीं रहा साधुओं का स्वयं को महिमा मंडप में करने स्व घोषित धर्म रह गए हैं। सबके अलग अलग विश्लेषण...
@@aniljain7616 seventy-two Jin mandir are there ,built by KING BHARAT CHAKRABARTY at KAILASH PARWAT
@scjain8813 🙏🙏
Jai jinendra 🎉 Sach mein anand aa gaya❤ Kaash jaakar darshan kar pate😊
🙏🙏🙏🙏🙏
Ati sundar Aadinath Bhagawan ki Jai
Anand aa gaya taras rahe the isi khoj ke liye
Aap bas channel par bane rahiyega. Aur bhi details vale video jldi post krenge 🙏🙏
जैन लोगो को जैन मंदिर दिखेगा । और हिंदुओं को शिव मंदिर दिखेगा । कब तक लड़ाई करते रहेंगे हम।
😢😢😢😢😢😢
Jagda nai he,bs apne apne bhagvan ko maante he,jainism ke jo bhagvan he vo bhi sb pehle kshatriya raja hi the,23 bhagvan huve last me 24th mahveer swami huve unhone jain dharm ki sthapna ki❤
Baki bageshwer baba ki bhi ek video thi jo btathe ki jaino ke 1st bhagvan aadinath=rushab dev=aadishwer unke putr ke nam pr bharat desh ka nam pda he,,,,,Bharat chakrvrti tha unke putr ka nam.
@aenimehta1146 🙏🙏🙏
लड़ेंगे नही।
सब जगह आपको अभी जैन मंदिर दिख रहे है.. गिरनार मे भी गुरु शिखर पर जैन लोग बोलते है कि ये हमारा है.. वहां दस बारह लोग गुरूशिखर में घुस गये थे. और मंदिर के पुजारियोंको धमकाया था.... शायद मारपीट भी करी थी..और अब कैलाश पर्बत भी.... ये क्या चल रहा है....? हम तो जैन, सिख, बौध्द इन सबको अपने समझते है.... लेकिन अब हिंदूओंके मंदिरोंपर, पवित्र जगहोंपर आप अपना हक जताना चाहते हो... ये बात ठीक नहीं है..
वेद पुराण में स्वयंभू राजा नाभीराय के पिता और उनके इक्ष्वाकु वंश को कहा गया है। वही प्रथम मनु है। उनके पुत्र ऋषभ देव जी से आसी मासी कृषि का उपदेश दिया गया और मानव सभ्यता का प्रदुर्भाव हुआ। उनकी पुत्री ब्राह्मी सुंदरी से ब्राम्ही लिपि का और पुत्र भरत चक्रवर्ती से भारत देश नाम पड़ा।।
भगवान आदिनाथ जी के योग तप को समझने समझाने के लिए नाथ वंश ने शिव जी का स्वरूप उदहारण के तौर पर समझाया। शिव जी एक कल्पना हैं। शिवलिंग यानी आत्मा के प्रदेश और कुण्डलिनी योग की अवस्थाएं जिनमें शरीर के चक्र जाग्रत हो जाते है।
त्रि नेत्र से आशय चेतना जागृत हो जाना यानी आत्मा प्रकाशित होना पूर्ण वैराग्य की सिद्ध अवस्था से है।
लेकिन अब इसका बहुत गलत अर्थ निकाला जाता है और केवल कर्मकांडो तक सीमित है।
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Ekdm sahi baat bhai shivji ek kalpnik patra h bs
जय हो जय हो जय हो बड़े बाबा की जय हो
Adinath Bhagwan ji ki jai ho
🙏🙏🙏🙏🙏
Aadinath Bhagwan ki Jai Ho
Bhaut Khushi ki baat hai
Jai jinendra
Jai aadinath dada🙏🙏🙏🌹🌹🌹
🙏🙏🙏🙏🙏
पुली आदिनाथ भगवान की जय जय जिग्नेश मंदिर के दर्शन कराए हमको बहुत धन्यवाद एशिया की खोज करते रहें दर्शन करते रहे
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हमारे भारत का नामकरण जिनके नाम पर हुआ भगवान् आदिनाथजी के पुत्र भगवान् भरत जी की जय। प्रथम तीर्थंकर 1008 श्री आदिनाथ भगवान् जी की जय🙏🙏🙏🙏🙏
बहुत बहुत धन्यवाद सत्य को दिखाने के लिए🙏🙏🙏🙏🙏
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Jai jai shree Aadinathay namah🙏🙏🙏,
Asthapad Tirth ,🙏
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भागवत के पाँचवें स्कन्ध के अध्याय २ से ६ तक ऋषभदेव का कथन है। जिसका भावार्थ यह है कि चौदह मनुओं में से पहले मनु स्वयंभू के पौत्र नाभि के पुत्र ऋषभदेव हुए, जो
जैनधर्म के प्रचारक थे संस्थापक नहीं। ऋग्वेद में भगवान् ऋषभदेव का १४१ ऋचाओं में स्तुति परक वर्णन किया है।
ऐसे अनेक ग्रन्थों में अनेक दृष्टान्त हैं।।
Jainsm मूल धारा अमृत धारा है भारत की
श्रमण संस्कृति महान अनादि अनंत है इसी से अन्य संस्कृतियों सभ्यताओं का उदगम हुआ।
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हर चतुर्थ काल में २४ तीर्थंकर होते हैं और अभी तक अनंत चौबीसी हो चुकी हैं और आगे भी यथावत क्रम चलता रहेगा। वर्तमान में हम त्रिकाल चौबीसी के जिनालय भी बनाते हैं, जैन दर्शन अनादि अनंत है, शाश्वत है 🙏
इस मंदिर को देख कर ऐसा लग रहा है की अभी चले जाओ यहां पर दर्शन करने 🙏🙏🙏
Namostu Bhagwan Barambar Kotishah Namostu Namostu Namostu Namostu Namostu
🙏
Jain Dharm ke pahle tirthankar aadinath Bhagwan ki Jay 🙏
🙏🙏🙏🙏🙏
बहुत बढ़िया,,इसकी प्रभावना करनी चाहिए
Ji, aap sabhi ka sahyog chahiye 🙏🙏🙏
आदिनाथ भगवान कि jay ho
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इस खोज के लिए बहुत बहुत धन्यवाद सादर जय जिनेन्दर्
अद्भुत 😊
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जय जिनेंद्र।बहुत आभार
🙏
Dhanyawad jai Adinath bhagwan ki
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Shri Adinath bhagwan ji ki jai ho 🙏🙏🙏
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Namo jinanem dada 👏
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Aadinath Bhagwan ki Jai Jai Jai
Jin logo ne ye khoj ki hai un sab ka aur aap ka bhi bahut bahut dhanyawaad.
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😊Aadinath Bhagwan ki Jai Jai Jai ho.
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🙏🙏🙏 Namo Jinanam
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बहुत बहुत धन्यवाद
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नमोस्तु भगवान आदिनाथ भगवान की जय हो
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Namo jinanam 🙏🙏
🙏
मेरा एसा दावा है कैलाश पर्वत पर कुछ जैन गुफाओ एवं कुछ तिर्थकरो की मुर्तीया मिलना संभव है. मैने यह दावा 4/5 साल पुर्व कीया है।
आपका दावा सच हो गया है, मेरे पास सारे प्रमाण और वहा के वीडियो आ गए है, चैनल के अगले वीडियो में आप साक्षात दर्शन कर पाएंगे 🙏
Namotu adinath bhagwan ki jai ho
नमोस्तु भगवन
श्री आदिनाथ भगवान की जय
🙏🙏🙏🙏🙏
Hum kailash parvat Ashtapad ki puri series bna rhe hai, unme Sara details aayega, pls channel subscribe kr lijiyega 🙏
Jai ho Aadinath Bhagwan ki
Jay ashtaapad ki jay ho. 🙏🙏
Jay Jinendra. We wait for more videos on jain deraser on kailash.
Ok ji, Jai jinendra 🙏🙏🙏
🎉 Jai Jinendra sa 🎉
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नमोस्तु भगवन 🙏🙏🙏
🙏🙏🙏
જૈનમ્ જયતિ શાસનમ્🙏🙏🙏
Keep it up waiting for next vedio and eager to get detailed and close view of shri astapadji mandir
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Jai ho Thirtankar Rishabh Nath bhagwan ki.
Very very thanks to the team members
🙏🙏🙏
बहुत बहुत अनुमोदना
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Jay jinendra
🙏🙏🙏
Namostu bhagwan ji ❤❤❤
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दिगम्बर जैन धर्म सबसे प्राचीन धर्म है जैनम जयतु शासनम दिगम्बर जैन मंदिर तीर्थ मुनि की जय हो
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Aadinaath bhagwaan pure jain samaj ke he 🙏please digambar swetambar na kare tirthankar pure jain samaj ke he digambar swetambar kuch saadhu aacharyo apne hisab se dhala so tirthankar bhagwaan ko in sabse alag sabki aastha ka samman kare ye khoj pure jain samaj ke liye bahut khusi ki baat he Jay Jay aadinaath 🙏🙏🙏🙏
A lot of thanks to the team members who have made very hard work to find out this great pre-historical temple of the first Tirthankar Paramatma Rishbhdevji and other Tirthankars to prove the antiquity of Jainism. I know it is difficult to know the interior of the temple. But it would be great if we can see that too.
@@ChaitanyaPragya We are currently producing a detailed documentary about Astapad Kailash Mountain, which will be released shortly. The documentary will provide a wealth of information on the subject. Thank you, Jai Jinendra."
🙏 धन्यवाद आप का
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Jai ba ba Aadi
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बहुत बहुत बधाई...
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Adinath bhagwan ki ji ho🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
🙏🙏🙏🙏🙏
Jai ho Devadhidev Shree 1008 Aadinath bhagwan ji ki jai
🙏🙏🙏🙏🙏
Simply amazing!!!
NAMO JINAANAM
looking forward to viewing more and close up details soon.
Shree Aadinath Tirthakarji...koti koti Pranaam. So so... long ago...how surprising, Shree Daherasarji which had been built in the era when Bharat Chakravarti, Shree Aadinath's eldest son ruled Mahan Bhaarat Desh and beyond.GODBLESS
🙏🙏🙏🙏🙏
જય આદિનાથ ભગવાન 🙏
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नमोस्तु भगवान आदिनाथ। 1008आदिनाथ भगवान की जय हो जय
🙏
बहुत बहुत धन्यवाद
ऐसा ही हमें 2013 में केदारनाथ के ढगफुटी के समय श्री बद़िनाथजी में पुर्णिमा के रात्रि में दिखाई दिया था हम 19 लोगों ने यह दर्शन देखा।
अद्भुत 🙏 बहुत भाग्यशाली हैं आप , बहुत कम लोगों को साक्षात दर्शन होते हैं । पहले कुछ लोगों को Dirapuk Monestry से साक्षात दर्शन हुए हैं , यह मोनेस्ट्री KP के उत्तर में स्थित है ।
Please you have the picture jai jinedre 🙏🙏🙏🙏🙏
Super nice pic Vijay..Jain..meerut 💯💯💯💯💯💯💯👌🏾👌🏾👌🏾👍🏾👍🏾🖕🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌄🌄🌄🌄👏🏼👏🏼👏🏼👏🏼👏🏼👏🏼👏🏼👏🏼👏🏼👏🏼👏🏼👏🏼👏👏👏🏿👏🏿⚘️⚘️⚘️⚘️⚘️⚘️⚘️💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
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JAI JINENDRA, JAI HO BHAGWAAN RISHABHDEV JI KI, THANKS FOR THESE NICE INFORMATIONS
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🙏🙏🙏🎊jai ho
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बहुत सुंदर
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Jay jinedra😊
🙏🙏🙏🙏🙏
Adinath bhagwan ki Jai 🙏🏻🙏
🙏🙏🙏🙏🙏
Jai jinadera namo jinanm pranam 🙏🙏
🙏
🙏
नमोस्तु
जय हो आदिनाथ भगवान की नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु. सेटेलाइट के वीडियो को मीडिया क्यों नहीं दिखा रहा हैं
Ji hum dikha to rhe hain, baki unki vo Jane 🙏🙏
WorldWindExplorer: A 3D virtual globe geo-browser app framework based on WorldWindJS, Bootstrap and KnockoutJS. Includes 3D globe and 2D map projections, imagery, terrain, markers, plus solar and celestial data.
Adinatha bhagwan ki jai
🙏🙏🙏
Adinath Bhagwan ki Jai
🙏🙏🙏🙏🙏
Wah khoob anumodna its v v intresting ,but how can we say its jain temple ?? May b shivji or other temple ?
Kuch bhi ho sakta hai, bas anuman hai aur shraddhan hai
Jai ho aadinath bhagwan ki jia ho
🙏🙏Jai jinendra
🙏🙏🙏🙏🙏
1008 rishabh dev ki jai prabhu ham bhi darshan kar paye.
Vha jakar darshan Krna to kbhi sambhav nhi ho payega, kailash parvat to touch kr sakte hain, parvat par chad nhi sakte,
Jai ho adinath bhagwan ki jai ho
🙏🙏🙏🙏🙏
Now we are all pleased to know that the first Thirthanker temple at the place of Lord Shiv Kailash Pravat. Now request to all not further divided like Mount Girnar Top most worship as Guru Dattatreya but some one want to claim it is Jain property. Ancient times writing by Rushi became true Now a days it is very difficult to mount Kailash peak by anybody.
🙏
1008 Sri adinathbhagwan ke jai ho jainagam amar rahe
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જય આદિનાથ પ્રભુ
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Islye is parvat ko àadi kailash parvat bhi kaha jata hai nomo jinanam🙏🙏
On Namah Shivaya
@@lalitnegi7173 🙏🙏🙏
Jai ho bhagwan aadinath 🙏aapka bhi dhanyawad is anupam jankaari ke liye
🙏🙏🙏🙏🙏
Namostu bhagvan
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आपकी खोज के लिए बहुत बहुत धन्यवाद! लेकिन जैनागम के अनुसार ७२ रत्नों के जिनालय भरत चक्रवर्ती द्वारा बनाए गए थे आपने वीडियो में एक जिनालय का उल्लेख किया है।खोज का विषय है, खोज जारी रखें।
खोज जारी है, अगले वीडियो में और भी खुलासा होगा 🙏
Jai ho bada baba ke🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Namostu Aadinath bhagwan
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नमोस्तु भगवान
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adinath bhagavan ki jai ho
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Devo ke dev only mahadev.
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Om shri Aadinathay Jinendray Namah 🙏🙏🙏
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Adinathbgwan ki jai ho🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
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आपकी इस खोज के लिए बहुत बहुत धन्यवाद लेकिन जैसा आप Jain aagam की बात कर रहे हैं तो जैन आगम में कहीं भी शिव जी का वर्णन नहीं है
Shiva is a post that's call Nirvana, Adi Prabhu ne kailash parvat se Shiv pad ko prapt kiya, par lok vyavhar me log unhe ek identity mante hai to thik hai na, kyu kisi se vivad Krna, kis kis ko kya kya samjhane jayenge
@@Savejainism शिव का वर्णन तो जैन आगम में शुरू से अंत तक है शिव का अर्थ ही मोक्ष होता है... आरती में भी पंचमी आरती शिव सुख पूरे... शिवत्व का अर्थ ही मोक्ष होता है... आंखों पर एक सांप्रदायिक चश्मा पहन कर धर्म के विश्लेषण नहीं किया जा सकते...
जिस शिव के बारे में आपने प्रश्न पूछा है , उनका वर्ण है महावीर पुराण में । अंतिम रुद्र ' महादेव ' एवं उनकी पत्नी पार्वती ने , मुनि महावीर स्वामी पर उपसर्ग किया था जब वे श्मशान में तपस्या कर रहे थे रात्रि में ।और फिर उपसर्ग करने में असफल रहने पर, उन महावीर स्वामी को प्रणाम कर चले गए ।
@@alexanderxain to Jain logo ko shiv mandir bana ke om ki mala karni chahiye. Kuch bhi.sab Hindu sanatan dharam hi pasand he is liye apna kehne ke piche pade he.
जिन शिव की बात हो रही है, जैन आगम में उनका वर्णन सात्यिकी पुत्र के नाम से है, अंतिम 11वें रुद्र हैं, प्रथम जैन मुनि बनकर 10 अंग से अधिक का ज्ञान प्राप्त करते हैं, पश्चात् सिंह की खाल आदि धारण करके प्रवत्ति करते हैं।
Jai jinendra Shashan🙏🌹🙏
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Adinath Bhagwan ki jai 🙏
🙏🙏🙏🙏🙏
Aapane ek Khoj kis prakar ki yah bhi bataiye taki pura sach sabke samne a sake
Actually, I am making a documentary on Astapad Mahatirth, and research has been going on for many days. We have found many evidences that tell us about the ancient Jain temples here, and their description will be given in the next video. During this search, we have discovered these temples on Mount Kailash, and it is possible that this is the place of Adi Prabhu's Nirvana.
Jai jinedra namaste namaste namaste
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કેવી રીતે જવાનું
भगवान आदिनाथ जी की जय हो 🙏🙏🙏
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Astapad parvat jiske 8 step ho ne chahie
Great Great Jainism
Our ancient Golden past
Jay Hind
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