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गोवर्धन GOVERDHAN गोवर्धन जी की परिक्रमा ऐसे करे परिक्रमा शुरू ! परिक्रमा के नियम

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  • čas přidán 24. 04. 2023
  • गोवर्धन पर्वत को भक्तजन गिरिराज जी भी कहते हैं। सदियों से यहां दूर-दूर से भक्तजन गिरिराज जी की परिक्रमा करने आते रहे हैं। यह ७ कोस की परिक्रमा लगभग २१ किलोमीटर की है। मार्ग में पड़ने वाले प्रमुख स्थल आन्यौर, गोविन्द कुंड, पूंछरी का लौठा,जतिपुरा राधाकुंड, कुसुम सरोवर, मानसी गंगा, दानघाटी इत्यादि हैं।
    पूर्णिमा की शुक्ल पक्ष की एकादशी पर सप्तकोसी के लाखों भक्त गिरिराज की परिक्रमा करते हैं। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी का आशीर्वाद मिलता है। जो लोग यह परिक्रमा पूरी करते हैं, उन्हें शांति मिलती है और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
    गोवर्धन परिक्रमा का इतिहास || History of Govardhan Parikrama
    इस संपूर्ण तीर्थयात्रा का पौराणिक महत्व उस समय से है जब भगवान कृष्ण ने क्षेत्र के लोगों को भगवान इंद्र (वर्षा देवता) के प्रकोप से बचाने के लिए गोवर्धन पहाड़ी को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया था. इस पूरी घटना ने गोवर्धन को एक धन्य पहाड़ी बना दिया, और इसलिए यह माना जाता है कि जो भी इसकी परिक्रमा करता है, वह सभी पापों से मुक्त हो जाता है.
    गोवर्धन परिक्रमा के कुछ नियम || Some rules of Govardhan Parikrama
    1- गोवर्धन परिक्रमा एक दिन में पूरी की जा सकती है. अगर आप स्वस्थ हैं तो आप आराम से यह परिक्रमा पूरी कर सकते हैं.
    2- परिक्रमा में दंडवत प्रणाम या साष्टांग प्रणाम करते समय शरीर के आठ अंग दोनों भुजाएं, दोनों पैर, दोनों घुटने, सीना, मस्तक और नेत्र जमीन को छूने चाहिए.
    3- गोवर्धन परिक्रमा करते समय शुरू में कम से कम पांच और अंत में कम से कम एक दंडवत या साष्टांग प्रणाम अवश्य करें.
    4- गिरिराज जी के कुंडो में स्नान करते समय साबुन, तेल व शैम्पू आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए,
    5- गिरिराज जी के कुंडो में स्नान करते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए.
    6- गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा शुरू करने और पूरी करने का कोई निश्चित समय नही है. परिक्रमा दिन या रात में कभी भी शुरू की जा सकती है, लेकिन आप जहां से परिक्रमा शुरू करें आपको वहीं परिक्रमा समाप्त करनी होगी.
    7- गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते समय लगातार भगवान के नाम का जाप करते रहना चाहिए.
    8- शिव पुराण के अनुसार मनुष्य को तीर्थ स्थानों में सदा स्नान ,दान व जप आदि करना चाहिए. क्योंकि स्नान न करने पर रोग, दान न करने पर दरिद्रता और जप न करने पर मूकता का भागी बनना पड़ता है.
    9- गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा नंगे पैर की जाती है. परिक्रमा करते समय जूते , चप्पल न पहनें. अगर कोई व्यक्ति कमजोर हो या फिर कोई छोटा बच्चा साथ में हो तो रबड़ की चप्पल या फिर कपड़े के जूते प्रयोग किए जा सकते हैं.
    10- गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते समय किसी पर भी क्रोध नहीं करना चाहिए और न हीं किसी को अपशब्द बोलने चाहिए.
    Kanwar Yatra: कांवड़ यात्रा कैसे शुरू हुई और इसके पीछे क्या महत्व है, आइए एक नजर डालते हैं
    How To Reach Govardhan Parwat || कैसे पहुंचें गोवर्धन पहाड़ी
    निकटतम रेलवे स्टेशन मथुरा जंक्शन है और कई ऑटो-रिक्शा, साथ ही बसें, वहां से गोवर्धन हिल तक उपलब्ध हैं.
    गोवर्धन परिक्रमा पर जाने का सबसे अच्छा समय || Best time to visit Govardhan Parikrama
    परिक्रमा साल भर की जा सकती है. हालांकि गोवर्धन परिक्रमा करने का सबसे अच्छा समय सर्दी का मौसम है. गर्मियों और मानसून के विपरीत, सर्दियों के मौसम में सुखद मौसम होता है जो पर्यटन के पक्ष में रहता है. मौसम अक्टूबर के महीने में शुरू होता है और मार्च तक रहता है.
    कृपया ध्यान दें: यदि आप सर्दियों के मौसम में परिक्रमा करने की योजना बना रहे हैं, तो इसे सुबह जल्दी शुरू करने की सलाह दी जाती है (यदि यह दंडवत परिक्रमा नहीं कर रहे हैं) ताकि, आप इसे सूर्यास्त से पहले पूरा कर सकें.
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    गोवर्धन परिक्रमा का इतिहास || History of Govardhan Parikrama
    इस संपूर्ण तीर्थयात्रा का पौराणिक महत्व उस समय से है जब भगवान कृष्ण ने क्षेत्र के लोगों को भगवान इंद्र (वर्षा देवता) के प्रकोप से बचाने के लिए गोवर्धन पहाड़ी को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया था. इस पूरी घटना ने गोवर्धन को एक धन्य पहाड़ी बना दिया, और इसलिए यह माना जाता है कि जो भी इसकी परिक्रमा करता है, वह सभी पापों से मुक्त हो जाता है.
    गोवर्धन परिक्रमा के कुछ नियम || Some rules of Govardhan Parikrama
    1- गोवर्धन परिक्रमा एक दिन में पूरी की जा सकती है. अगर आप स्वस्थ हैं तो आप आराम से यह परिक्रमा पूरी कर सकते हैं.
    2- परिक्रमा में दंडवत प्रणाम या साष्टांग प्रणाम करते समय शरीर के आठ अंग दोनों भुजाएं, दोनों पैर, दोनों घुटने, सीना, मस्तक और नेत्र जमीन को छूने चाहिए.
    3- गोवर्धन परिक्रमा करते समय शुरू में कम से कम पांच और अंत में कम से कम एक दंडवत या साष्टांग प्रणाम अवश्य करें.
    4- गिरिराज जी के कुंडो में स्नान करते समय साबुन, तेल व शैम्पू आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए,
    5- गिरिराज जी के कुंडो में स्नान करते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए.
    6- गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा शुरू करने और पूरी करने का कोई निश्चित समय नही है. परिक्रमा दिन या रात में कभी भी शुरू की जा सकती है, लेकिन आप जहां से परिक्रमा शुरू करें आपको वहीं परिक्रमा समाप्त करनी होगी.
    7- गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते समय लगातार भगवान के नाम का जाप करते रहना चाहिए.
    8- शिव पुराण के अनुसार मनुष्य को तीर्थ स्थानों में सदा स्नान ,दान व जप आदि करना चाहिए. क्योंकि स्नान न करने पर रोग, दान न करने पर दरिद्रता और जप न करने पर मूकता का भागी बनना पड़ता है.
    9- गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा नंगे पैर की जाती है. परिक्रमा करते समय जूते , चप्पल न पहनें. अगर कोई व्यक्ति कमजोर हो या फिर कोई छोटा बच्चा साथ में हो तो रबड़ की

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