Keep Distance | दूरियाँ भी ज़रूरी है | Harshvardhan Jain | 7690030010

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  • čas přidán 22. 04. 2024
  • #Keep_Distance #दूरियाँ_भी_ज़रूरी_है #harshvardhanjain
    Once the mentality of an extraordinary person is developed, then petty selfishness, greed, lust and jealousy all seem futile. People who live extraordinary lives consistently develop the ability and system to live a satisfying life. This system makes them world conquerors.
    जिन्हें सीखने की भूख होती है, वे हर पल, हर जगह, हर परिस्थिति से सीखने का भरपूर प्रयास करते हैं। इसीलिए वे सफलता की प्राथमिकताओं में आ जाते हैं। जो लोग सीखने में विकल्प ढूंढ़ने के बजाय सीखना ही प्राथमिकता बना लेते हैं, उनके पास विकल्पों की कमी नहीं रहती है क्योंकि वे दूसरों के अनुभव से अपना अनुभव बढ़ा लेते हैं। यही अनुभव उन्हें भविष्य होने से पहले भविष्य की अनुभूति करा देता है। सफल लोग जिस व्यक्ति से मिलते हैं, उसके सकारात्मक पहलुओं को ग्रहण करके अपने सकारात्मक पहलुओं को बढ़ाकर नए-नए अवसरों का निर्माण कर लेते हैं। यही अवसर भविष्य को जीतने के लिए योद्धाओं की तरह काम करते हैं। इसलिए आपको ऐसी आदत विकसित करनी चाहिए कि ज्ञान और अनुभव कहीं से भी मिले और किसी भी परिस्थिति में मिले, सिर झुकाकर ग्रहण कर लेना चाहिए। इससे आपकी दुनिया के बाजार में स्वीकार्यता बढ़ जाती है।
    दुनिया में हर रिश्ते की सीमा रेखाएं होती हैं, जिन्हें हम मर्यादा कहते हैं। जब कोई व्यक्ति अपनी मर्यादाओं का विशेष ध्यान रखता है, तब उसका भविष्य लोगों का ध्यान आकर्षित कर ही लेता है। इसलिए अपनी सीमा रेखाएं तय करने की आदत बनाएं और अपनी सीमा रेखाएं खींचने की आदत बनाएं। अपनी और दूसरों की सीमा रेखाओं का सम्मान करने की आदत विकसित करने वाले लोग दुनिया को जीत लेते हैं। मर्यादाएं आपके सिद्धांतों का मापदंड बन जाती हैं। इसलिए जब भी आप किसी व्यक्ति से मिलें, अपने सिद्धांतों के धरातल पर अनुशासित रहने का प्रयास करें। यही स्थिति आपके भविष्य की प्रसिद्धि रूपी परिस्थिति की सीमा रेखाओं को तय करने का भार अपने कंधों पर उठा लेती है। यदि आप अपनी मर्यादा में रहकर अपनी सीमा रेखाओं का विस्तार करने का प्रयास करते हैं, तो यह दूसरे की सीमा रेखाओ में हस्तक्षेप नहीं कहलाता है। बल्कि यह विचारों की स्वतंत्रता कहलाती है।
    जीवन में मर्यादाओं का सम्मान उसी तरह करना चाहिए जैसे नदी के दोनों किनारे एक दूसरे की सीमाओं का सम्मान करते हैं। जब तक आप अपने सिद्धांतों की सीमाओं के अंदर रहते हैं, तब तक आपको सम्मान से सिर उठाकर चलने का हर पल अवसर मिलता है। यही अवसर ही व्यक्ति को अनुशासित बने रहने के लिए ऊर्जा देता है और साहस देता है। यदि ऐसा साहस साथ हो तो व्यक्ति सुविधाओं के अभाव में भी संतुष्टि भरा जीवन जीता है। जीवन में साधारण बने रहना आसान है, लेकिन आसाधारण व्यक्तित्व बनना बहुत मुश्किल होता है। फिर भी यदि एक बार असाधारण व्यक्तियों वाली मानसिकता विकसित कर दी जाए, तो फिर छोटे-मोटे स्वार्थ, लोभ, लालच और ईर्ष्या सब कुछ व्यर्थ ही प्रतीत होते हैं। लगातार असाधारण जीवन जीने वाले लोग संतुष्टि भरा जीवन जीने का सामर्थ्य और सिस्टम विकसित कर देते हैं। यही सिस्टम उन्हें विश्व विजेता बनाता है क्योंकि जब उन्हें कोई व्यक्तिगत स्वार्थ है ही नहीं, तब उन्हें सिर्फ दूसरों को कुछ देने की आदत होती है, लेने की इच्छा ही समाप्त हो जाती है। इसलिए सिर्फ उनके जीवन में दिव्यदृष्टि और दिव्यशक्ति के ही दर्शन होते हैं, परमात्मा के दर्शन होते हैं और इसी परमात्मा की शरण में रहकर व्यक्ति साधू सन्यासी जैसी मानसिकता का धनी हो जाता है।
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