महाराज जी के श्रीचरणों में दण्डवत प्रणाम महाराज जी प्रभु कृपा से मुझे वैदिक मन्त्र गुरु दीक्षा में मिला है। मेरे मित्र जो कि गम्भीर रूप से रोगी थे जिसमें उनको अच्छी चिकित्सा होने पर भी स्वास्थ्य लाभ नहीं हो रहा था तो उनके स्वास्थ्य लाभ की कामना से मैंने कुछ दिन तक गुरु मन्त्र का जप किया था। मेरी जिज्ञासा यह है कि क्या यह नामापराध कहा जायेगा ? यदि यह नामापराध है तो इसका प्रायश्चित क्या होगा ? जिज्ञासु - बृजकिशोर, जिला - मैनपुरी ( उत्तर प्रदेश )
हे प्रभु आपको प्रागुण जसवाल हमीरपुर हिमाचल प्रदेश की ओर से प्रणाम। मेरा प्रश्न है हां, विष्णु पुराण के आरंभ में हमने पढ़ा है कि ब्रह्मा जी और महेश जी विष्णु जी से उत्पन्न हुए हैं और वे एक ही हैं लेकिन शिव पुराण में एक कहानी है जिसमें ब्रह्मा जी और विष्णु जी आपस में बहस कर रहे थे। हमसे ज्यादा शक्तिशाली कौन है, एक आत्मा आपस में विवाद कैसे कर सकती है, इससे हमें क्या समझने की जरूरत है, और फिर निर्णय शंकर जी लेते हैं, या हिंदू धर्म में परिवार के बड़े बुजुर्ग निर्णय लेते हैं, इसलिए थोड़ी इस पर दृष्टि डालो
Apke vichar spast hote he . Aap jo bhi bolte he vo dil Ko tsali deta he nahi to kai Baba baton ko ghuate ghumate kus or hi bna dete he . Panam baba ji .
ज्योतिष पीठाधीश्वर जगतगुरु श्री श्री शंकराचार्य स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज जी को मेरा नमस्कार गुरुजी में हाथरस उत्तर प्रदेश से हूं और मेरा नाम अभिषेक है मेरा प्रश्न है कि अगर किसी व्यक्ति की स्वप्न गुरु दीक्षा हो जाती है और उसे अपने गुरु और गुरु मंत्र दोनों का स्मरण है तब उसे क्या करना चाहिए ?
Param pujniy gurudev ko koti koti Pranam. Mai seema Bhatt mumbai se hu. Mera prashn hai ki abhi samay ki vyastata ko lekar log. Marnotar kriya me barva ,terava, mashik shradh aur barasi sab ek hi din me kardete hai . Aisa karna thik hai kya. Dusara prashn hai ki jiteji ham hamari jivatsara karna chahte hai to kis vidhan se kar sakte hai. Hame do betiya hai . Apke uttar ki aasha rakhati hu .dhanyvad. Har Har mahadev.
गुरुदेव प्रणाम आशा करता हूँ कि आप सकुशल है। मेरा पृश्न है कि क्या माँ भगवती के श्री विग्रह को तुलसी माला धारण कराई जा सकती है? और माँ भगवती वैष्णों देवी के पिंडी स्वरूप जो माता महा काली, माता महा लक्ष्मी और माता महा सरस्वती के रूप में है, उनको सफेद तुलसी की माला या तुलसी माला का अन्य design या राम नाम की कंठी माला श्रृंगार के समय धारण कराई जा सकती है? क्योंकि घर के मन्दिर में माँ वैष्णों का पिंडी स्वरूप है धन्यवाद मयंक, सोनीपत, हरियाणा।
हर हर महादेव जय श्री कृष्ण गुरुदेव मैं घर में नित्य पूजा का बाद मंदिर जाना से पहले 1ओम 2 ओम करके 108 अक्षत एक तांबा की कटोरी मैं माला पूरी करता हु इसके बाद पांच kader nath का नाम लेकर 27 अक्षत पूरा करता हु ये सब अक्षत मंदिर मै शिव लिंग पर चढ़ा देता हूं किया यह सही है किरपा मार्ग दर्शन कर दे
हिंदू धर्म में इतने नियम होने के कारण ही वर्तमान समय में इतने नियमों का पालन न कर पाने से हिंदू धर्म का पतन हो रहा है क्योंकि हमारी सभ्यता संस्कृति बहुत उन्नत है यह बात हम मानते हैं परंतु वर्तमान समय में अन्य धर्म के मुकाबले हमेशा सरल और सहज नहीं बना पाए हमें दुश्मनों से भी सीखने की परंपरा रही है परंतु धर्म के मामले में हमने दुश्मनों से भी नहीं सीखा मुझे इस्लाम से कोई लेना देना नहीं है परंतु उनके मजहब की एक बात सही लगी वह लोग नमाज पढ़ने मस्जिद में जाते हैं और मस्जिद में जो व्यक्ति पहले पहुंच जाता है वह आगे खड़ा हो जाता है चाहे वह एक निम्न वर्ग मैं कार्य करने वाले व्यक्ति हो और उच्च वर्ग का व्यक्ति अगर लेट पहुंचता है तो वह उसके पीछे खड़ा होता है वहां पर सभी समान रूप से खड़े होते हैं लेकिन हमारे यहां मंदिरों में आम जनता वाला खड़ी होती है वीआईपी अलग होते हैं वह और उसमें से भी बड़े वाले वीआईपी अलग होते हैं और कुछ विशेष लोगों के लिए विशेष व्यवस्था होती है यह भेदभाव हमारे यहां स्पष्ट रूप से प्राचीन काल से वर्तमान समय में देखा जा रहा है इसी कारण हमारे धर्म से अन्य धर्म की ओर लोग ना चाह कर भी अग्रसर होने लगे थे और हमारे धर्म गुरु होने हिंदू धर्म के पतन के पश्चात भी हमारे धर्म में पुनः हिंदू धर्म में लाने के लिए कोई आंदोलन नहीं चलाया भारत में दयानंद सरस्वती जी द्वारा शुद्धि आंदोलन चलाया गया उनके प्रसाद ऐसा कोई संत नहीं हुआ जिन्होंने इस प्रकार से आंदोलन की शुरुआत की और नहीं आजादी के पश्चात हमारे यहां के साधु संत समाज ने और हिंदू समाज के साथ मिलकर हमारे मंदिरों को मुक्त सरकार के जंगल से करने की कोशिश की और नई मंदिरों के पास विद्यालय और चिकित्सालय बनाने की कोशिश की ताकि हमारा निम्न वर्ग भी मंदिरों से संपर्क रख कर शिक्षाऔर स्वास्थ्य प्राप्त करता जिस कारण हमारा हिंदू समाज संगठित होता बात कड़वी है परंतु सत्य है जय श्री राम जी❤
*बगुला 🦩 भगत कहलाता है मछली 🐟 पकड़ चबाता है* *सनातन धर्म संस्कृति में आचरण से शिक्षा देने वाले को आचार्य बोला जाता है* *आचरण के समक्ष विद्वता का कोई मूल्य नहीं है* *🚩🏹 जय श्री राम 🏹🚩🙏*
🙏गुरुजी जय श्रीमन् नारायण🙏 मेरा नाम अंकित विश्वकर्मा है और मैं जाति से लोहार हूं तो क्या मुझे यज्ञोपवीत धारण करने का अधिकार है कृपा कर आप इसका उत्तर दे
जय श्रीमन्नारायण भैया.. आप बिना जनेऊ धारण किये ही भगवत्प्राप्ति कर सकते हैं... जनेऊ धारण करने का विधान आपके लिए नहीं है इससे आपको ब्राह्मणोचित नियमों को पालन करने में छूट भी मिल जाती है । इसलिए आप हठात जनेऊ धारण करने की चेष्टा न करें बस किसी समर्थ सदगुरु के शरणागत होकर भगवान की प्राप्ति के मार्ग पर अग्रसर होवें 🙏🙏 भगवान आपके हैं आप भगवान के हैं यहीं मूल बात समझें 🙏🙏🙏🙏🙏
@@GamingZone-wz8ib शुक्लयजुर्वेदीय पारस्करगृह्यसूत्र 2:5:43 सूत्र के आध्य में आचार्य गदाधर ने आपसम्बधर्म सूत्र के "शूद्राणामदुष्टकर्मणामुपायनं वेदाध्ययन मग्न्याधेयं फलवन्ति च कर्माणि" सूत्र को उद्धृत करके लिखा है- 'शूद्राणामदुष्टकर्मणामुपनयनम् । इदं च रथकारस्योपनयनम् । तस्य च मातामहीद्वारकं शूद्रत्वम् । अदुष्टकर्मणां मद्यपानादिरहिता नामिति ॥ (शुक्लयजुर्वेदीय पारस्करगृह्यसूत्र 2:5:43 गदाधर भाष्य ) भावार्थ- आचार्य गदाधर ने लिखा है, अदुष्ट अर्थात् जो शराब नहीं पीते हैं ऐसे शूद्रों का उपनयन संस्कार करना चाहिये। मनुभाष्य लिखने वाले मेधातिथि ने मनुस्मृति 10:4 पर भाष्य करते हुवे लिखा है की - 'अष्टमे ब्राह्मणमुपनयोतैकादशे राजन्यं द्वादशे वैश्यम्" इति । कस्मिंश्चित्काले शूद्रं पठन्ति । न "ननु कालविशेषानुपादानादनियतकालं शूद्रोपनयनमस्तु ।" • भवेद्यसंयुक्ता सामान्येनोपनयनस्योत्पतिः स्यात् एताश्च वर्णकाल विशेषयुक्ता निमित्ताय स्तुतयः स्युः । न तु पृथगुत्पतिरस्यास्ति तत्कस्य प्रमाणस्य सामर्थ्य नास्योपनयनमनिय कालं क्रियताम् । अर्थात् - आठवें वर्ष में ब्राह्मण, ग्यारहवें में क्षत्रिय और बारहवें में वैश्य को गायत्री दीक्षा जाएगी; और शूद्र का नाम नहीं बताया गया है। चूँकि शूद्र के संबंध में कोई समय निर्दिष्ट नहीं है, इसका सीधा सा अर्थ यह है कि उसके उपनयन के लिए कोई समय निर्धारित नही है। यदि उपनयन के लिए एक सामान्य निषेधाज्ञा थी और उस स्थिति में जातियों के संबंध में ये सभी नियम उपनयन के लिए समय को विशुद्ध रूप से प्रशंसनीय विवरण के रूप में लेना होगा। हालाँकि उपनयन के लिए ऐसा कोई सामान्य निषेधाज्ञा नहीं है। इन परिस्थितियों में, हम किस अधिकार के बल पर शूद्रों की उपनयन को बिना किसी समय के प्रतिबंध के कर सकते हैं? इसलिए शूद्र पुत्र किसी भी समय जब वो उपनयन के योग्य हो जाये तब वो उपनयन करवा सकता है उसके लिए उचित समय नहीं निर्धारित किया गया है।
Waah Tumhe ekdam galat jaankaari h Aadi Shankaraachaarya ne bhi Puraano ke Shloka ka ullekh apne Bhaashya aadi kritiyon mein kiya hai ! Kya aadi shankar 700 saal pehle k hain ? 1000 saal peehle Aadi Raamaanujaachaarya ne bhi Vishnu Puraan, Bhagavat Puraan aadi ke Shloko ko apni Kritiyon mein uddhrit kiya hai Kya vo bhi 700 saal puraane hain ? Ye sab bhraantiyaan hain Puraan bahut praacheen hain, Angrezo se kahi zyada
Pahele to manaou kon hai o jan le log fhir bhagwan ka niyam janege bhagwan ko niyam se nahi sardha se Puja jata hai Kiya hai bhagwan sat karma se badhe koi bhagwan nahi ma pap ka bhi photo ishwar saurup hai
नमन शंकराचार्य जी को।🙏
#रामागौ #राष्ट्रमाता_गौमाता
#गौसंवत्सर #गौमाता_राष्ट्रमाता
शिवमयी शुभदिवस
#JoinEkam👇👇वोट 4 एकम (बांसुरी)
#एकम_सनातन_भारत_दल #ESBD
#ekam4sanatan
#WeSupportAnkurSharma
#LokSabhaElections2024
#Save_Gaumata #FreeTemples
ओम हर हर महादेव।। जय माँ।
🙏🏽🔱⚔️🚩💐
बेहद सुंदर तथा महत्त्वपूर्ण जानकारी गुरूदेव । हर हर महादेव ।
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🪔🌷🏵️🌼🌻🔱🌺💐🥀🌹🕉️🚩 શિવ સ્વરૂપ જ્ઞાન સ્વરૂપ ભક્તિ સ્વરૂપ આદિ જગતગુરુ શંકરાચાર્ય સ્વરૂપ સદગુરુ ભગવાન દત્તાત્રે સ્વરૂપ શ્રી શ્રી 1008 પદ્મવિભૂષિત પરમહંસ ધર્મ સમ્રાટ સ્વામી અવિ મુક્તેશ્વર આનંદ સરસ્વતીજી મહારાજના ચરણ કમલમો કોટી કોટી દંડવત નમસ્કાર 🙏🏻🙏🏻💐🔱💐🕉️🌺🌻💐🕉️🌺💐 શિવ શિવ શંભુ હર હર મહાદેવ શ્રી રામ જય રામ જય જય રામ 🙏🏻🙏🏻
परमपूज्य गुरुदेव के श्री चरणों में कोटि कोटि प्रणाम ।
श्री राम जय राम जय जय राम ।
शिव शिव शम्भो हर हर महादेव ।
Gurujii ki shri charan me koti koti pranam🙏gurujii asi utar sune kar bahat achhalaga 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
🙏🌻🌹🌺💐💐🌹🌻🌻🌹🌺💐🌸💐🌹🌻🌻🌹🌺💐🌸💐🌺🌻🌻🌸🙏गुरु देव भगवान् की जय श्री चरणों में बारंबार नमन🌸🌸🌸 गौमाता राष्ट्र माता💐🙏
शंकराचार्य जी महाराज के चरणों में कोटि कोटि नमन l
🙏🙏🙏
हर हर महादेव🌹🙏
सनातन धर्म की जय, हाथी गुरु शंकराचार्य जी की जय
पार्वती पतये हर हर महादेव🙏🙏
ॐ नमः शिवाय
हर हर महादेव
गुरु जी के चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम।
Jay jay jay shri radhe ram
ॐ परमतत्वाय गुरुदेवाय नमो नमः ৷
💐🙏
प्रणाम गुरुजी🎉
mere swamishri 🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙇🏻♀️🙇🏻♀️🙇🏻♀️🙇🏻♀️🤗🤗🤗
नमो नारायण भगवन्🙏🙏
OM NAMAH SHIVAAY 🙏🌹
हर हर महादेव ❤
जय श्री राम हर हर महादेव
सत्य सनातन वैदिक धर्म की जय 🚩 परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य श्री स्वामी जी महाराज को मेरा शत-शत नमन🙏💐
ऊँ नमोनारायण सा
वाह गुरुदेव, आपके चरणों में नमन !
जय श्री कृष्ण❤
Jai Shree Ram 🙏🙏🙏🙏🙏
महाराज जी के श्रीचरणों में दण्डवत प्रणाम
महाराज जी प्रभु कृपा से मुझे वैदिक मन्त्र गुरु दीक्षा में मिला है। मेरे मित्र जो कि गम्भीर रूप से रोगी थे जिसमें उनको अच्छी चिकित्सा होने पर भी स्वास्थ्य लाभ नहीं हो रहा था तो उनके स्वास्थ्य लाभ की कामना से मैंने कुछ दिन तक गुरु मन्त्र का जप किया था। मेरी जिज्ञासा यह है कि क्या यह नामापराध कहा जायेगा ? यदि यह नामापराध है तो इसका प्रायश्चित क्या होगा ?
जिज्ञासु -
बृजकिशोर, जिला - मैनपुरी ( उत्तर प्रदेश )
parnaam gurudev 🕉🙏🙏
हां गुरुदेव आज भी पुलिस डिपार्टमेंट में गुनेगार को पकड़ने के लिए चित्रकार के पास स्केच बनाते की गुनेगार ऐसा दिखता है. बाद उन आधार पर पकड़ लिया जाता है
Jai jai shree ram radhe radhe Har har Mahadev
PARNAM GURU JI 🙏
पूज्यनीय गुरूदेव आपको में नमस्कार करता हूं, मेरा एक प्रश्न है,
अनन्य भक्ति क्या होती हैं और यह कैसे की जाती हैं। सौरभ, जयपुर राजस्थान
Maharaj Ji ko koti koti pranam aapke dwara prashn Uttar sankhya updesh ke madhyam se aane wale pidiyon ka margdarshan hoga
Guruji ko sader pranam mughe srn m le
हे प्रभु आपको प्रागुण जसवाल हमीरपुर हिमाचल प्रदेश की ओर से प्रणाम। मेरा प्रश्न है हां, विष्णु पुराण के आरंभ में हमने पढ़ा है कि ब्रह्मा जी और महेश जी विष्णु जी से उत्पन्न हुए हैं और वे एक ही हैं लेकिन शिव पुराण में एक कहानी है जिसमें ब्रह्मा जी और विष्णु जी आपस में बहस कर रहे थे। हमसे ज्यादा शक्तिशाली कौन है, एक आत्मा आपस में विवाद कैसे कर सकती है, इससे हमें क्या समझने की जरूरत है, और फिर निर्णय शंकर जी लेते हैं, या हिंदू धर्म में परिवार के बड़े बुजुर्ग निर्णय लेते हैं, इसलिए थोड़ी इस पर दृष्टि डालो
Apke vichar spast hote he .
Aap jo bhi bolte he vo dil
Ko tsali deta he nahi to kai
Baba baton ko ghuate ghumate kus or hi bna dete he . Panam baba ji .
Radhe krishna
Radhe Radhe Krishna guruji
Jay GuruDev 🙏🌹
जय गुरुदेव 🚩
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Agar Pandit Siddheshwar Ji padh rhe hai to sun lijiye Aaiye Prayag Dikhate hai Chitra ki shakti 🙏
❤❤ he Guru Brahma Guru Vishnu hai Shankar Bhagwan aapke charanon mein
ज्योतिष पीठाधीश्वर जगतगुरु श्री श्री शंकराचार्य स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज जी को मेरा नमस्कार
गुरुजी में हाथरस उत्तर प्रदेश से हूं और मेरा नाम अभिषेक है
मेरा प्रश्न है कि अगर किसी व्यक्ति की स्वप्न गुरु दीक्षा हो जाती है और उसे अपने गुरु और गुरु मंत्र दोनों का स्मरण है तब उसे क्या करना चाहिए ?
Har Har Mahadav ❤
🙏🏻🙏🏻🙏🏻
🙏🏻🙏🏻
🙇🙇🙇
Param pujniy gurudev ko koti koti Pranam. Mai seema Bhatt mumbai se hu. Mera prashn hai ki abhi samay ki vyastata ko lekar log. Marnotar kriya me barva ,terava, mashik shradh aur barasi sab ek hi din me kardete hai . Aisa karna thik hai kya. Dusara prashn hai ki jiteji ham hamari jivatsara karna chahte hai to kis vidhan se kar sakte hai. Hame do betiya hai . Apke uttar ki aasha rakhati hu .dhanyvad. Har Har mahadev.
Guju ji kya vishwakarma Brahman hai
गुरुदेव प्रणाम
आशा करता हूँ कि आप सकुशल है।
मेरा पृश्न है कि क्या माँ भगवती के श्री विग्रह को तुलसी माला धारण कराई जा सकती है?
और माँ भगवती वैष्णों देवी के पिंडी स्वरूप जो माता महा काली, माता महा लक्ष्मी और माता महा सरस्वती के रूप में है, उनको सफेद तुलसी की माला या तुलसी माला का अन्य design या राम नाम की कंठी माला श्रृंगार के समय धारण कराई जा सकती है? क्योंकि घर के मन्दिर में माँ वैष्णों का पिंडी स्वरूप है
धन्यवाद
मयंक, सोनीपत, हरियाणा।
हर हर महादेव जय श्री कृष्ण गुरुदेव मैं घर में नित्य पूजा का बाद मंदिर जाना से पहले 1ओम 2 ओम करके 108 अक्षत एक तांबा की कटोरी मैं माला पूरी करता हु इसके बाद पांच kader nath का नाम लेकर 27 अक्षत पूरा करता हु ये सब अक्षत मंदिर मै शिव लिंग पर चढ़ा देता हूं किया यह सही है किरपा मार्ग दर्शन कर दे
Nagpur ke andar Pawan gaon mein Gau Mata ka Patan khana kholne ki permission de diye aur gaon wale uska galat kare to koi sunvaee nahin karta
Guruji pranam, kya vado mai murti pooja ka vidhan hai?
Mritiyunjay mntr guru mntr ho skta hai guru g
Apne ma pap se badha bhagwan kaha duniya me apne Se badha aur apne se chote ko piyar hi
गुरुजी क्या ईश्वर गीता प्रमाणिक है?ईश्वर गीता और श्रीमद् भागवत गीता में किस श्रेष्ठ कहा जाए?
गुरु जी क्या छिंज या कुश्ती देखने से कोई फायदा होता है..?
Prasan kha puche
Comment kr dijiye
हिंदू धर्म में इतने नियम होने के कारण ही वर्तमान समय में इतने नियमों का पालन न कर पाने से हिंदू धर्म का पतन हो रहा है क्योंकि हमारी सभ्यता संस्कृति बहुत उन्नत है यह बात हम मानते हैं परंतु वर्तमान समय में अन्य धर्म के मुकाबले हमेशा सरल और सहज नहीं बना पाए हमें दुश्मनों से भी सीखने की परंपरा रही है परंतु धर्म के मामले में हमने दुश्मनों से भी नहीं सीखा मुझे इस्लाम से कोई लेना देना नहीं है परंतु उनके मजहब की एक बात सही लगी वह लोग नमाज पढ़ने मस्जिद में जाते हैं और मस्जिद में जो व्यक्ति पहले पहुंच जाता है वह आगे खड़ा हो जाता है चाहे वह एक निम्न वर्ग मैं कार्य करने वाले व्यक्ति हो और उच्च वर्ग का व्यक्ति अगर लेट पहुंचता है तो वह उसके पीछे खड़ा होता है वहां पर सभी समान रूप से खड़े होते हैं लेकिन हमारे यहां मंदिरों में आम जनता वाला खड़ी होती है वीआईपी अलग होते हैं वह और उसमें से भी बड़े वाले वीआईपी अलग होते हैं और कुछ विशेष लोगों के लिए विशेष व्यवस्था होती है यह भेदभाव हमारे यहां स्पष्ट रूप से प्राचीन काल से वर्तमान समय में देखा जा रहा है इसी कारण हमारे धर्म से अन्य धर्म की ओर लोग ना चाह कर भी अग्रसर होने लगे थे और हमारे धर्म गुरु होने हिंदू धर्म के पतन के पश्चात भी हमारे धर्म में पुनः हिंदू धर्म में लाने के लिए कोई आंदोलन नहीं चलाया भारत में दयानंद सरस्वती जी द्वारा शुद्धि आंदोलन चलाया गया उनके प्रसाद ऐसा कोई संत नहीं हुआ जिन्होंने इस प्रकार से आंदोलन की शुरुआत की और नहीं आजादी के पश्चात हमारे यहां के साधु संत समाज ने और हिंदू समाज के साथ मिलकर हमारे मंदिरों को मुक्त सरकार के जंगल से करने की कोशिश की और नई मंदिरों के पास विद्यालय और चिकित्सालय बनाने की कोशिश की ताकि हमारा निम्न वर्ग भी मंदिरों से संपर्क रख कर शिक्षाऔर स्वास्थ्य प्राप्त करता जिस कारण हमारा हिंदू समाज संगठित होता बात कड़वी है परंतु सत्य है जय श्री राम जी❤
किसने बोला पतन हो गया है..... तुम्हारा chasma hi गलत number का हैं.... उत्थान हो गया है.... जाग जाओ...
*बगुला 🦩 भगत कहलाता है मछली 🐟 पकड़ चबाता है*
*सनातन धर्म संस्कृति में आचरण से शिक्षा देने वाले को आचार्य बोला जाता है*
*आचरण के समक्ष विद्वता का कोई मूल्य नहीं है*
*🚩🏹 जय श्री राम 🏹🚩🙏*
🙏गुरुजी जय श्रीमन् नारायण🙏 मेरा नाम अंकित विश्वकर्मा है और मैं जाति से लोहार हूं तो क्या मुझे यज्ञोपवीत धारण करने का अधिकार है कृपा कर आप इसका उत्तर दे
गुरुकुल में अध्ययन करने की उम्र हो तो यज्ञोपवीत धारण कर विद्यार्जन कर सकते है और इसके पालन कर सकते हैं।
@@bam9672 यहाँ शास्त्र के आधार पर धारण करना अथवा न करना निर्धारित किया जाएगा... आपके हिसाब से नहीं
जय श्रीमन्नारायण भैया.. आप बिना जनेऊ धारण किये ही भगवत्प्राप्ति कर सकते हैं... जनेऊ धारण करने का विधान आपके लिए नहीं है इससे आपको ब्राह्मणोचित नियमों को पालन करने में छूट भी मिल जाती है ।
इसलिए आप हठात जनेऊ धारण करने की चेष्टा न करें बस किसी समर्थ सदगुरु के शरणागत होकर भगवान की प्राप्ति के मार्ग पर अग्रसर होवें 🙏🙏
भगवान आपके हैं आप भगवान के हैं यहीं मूल बात समझें 🙏🙏🙏🙏🙏
No. Luhar sudra me ate he sudra ko yagyopavit dharan karne ka adhikar nahi he
@@GamingZone-wz8ib शुक्लयजुर्वेदीय पारस्करगृह्यसूत्र 2:5:43 सूत्र के आध्य में आचार्य गदाधर ने आपसम्बधर्म सूत्र के "शूद्राणामदुष्टकर्मणामुपायनं वेदाध्ययन मग्न्याधेयं फलवन्ति च कर्माणि" सूत्र को उद्धृत करके लिखा है-
'शूद्राणामदुष्टकर्मणामुपनयनम् । इदं च रथकारस्योपनयनम् । तस्य च मातामहीद्वारकं शूद्रत्वम् । अदुष्टकर्मणां मद्यपानादिरहिता नामिति ॥
(शुक्लयजुर्वेदीय पारस्करगृह्यसूत्र 2:5:43 गदाधर भाष्य ) भावार्थ- आचार्य गदाधर ने लिखा है, अदुष्ट अर्थात् जो शराब नहीं पीते हैं ऐसे शूद्रों का उपनयन संस्कार करना चाहिये।
मनुभाष्य लिखने वाले मेधातिथि ने मनुस्मृति 10:4 पर भाष्य करते हुवे लिखा है की -
'अष्टमे ब्राह्मणमुपनयोतैकादशे राजन्यं द्वादशे वैश्यम्" इति । कस्मिंश्चित्काले शूद्रं पठन्ति । न "ननु कालविशेषानुपादानादनियतकालं शूद्रोपनयनमस्तु ।" • भवेद्यसंयुक्ता सामान्येनोपनयनस्योत्पतिः स्यात् एताश्च वर्णकाल विशेषयुक्ता निमित्ताय स्तुतयः स्युः । न तु पृथगुत्पतिरस्यास्ति तत्कस्य प्रमाणस्य सामर्थ्य नास्योपनयनमनिय कालं क्रियताम् ।
अर्थात् - आठवें वर्ष में ब्राह्मण, ग्यारहवें में क्षत्रिय और बारहवें में वैश्य को गायत्री दीक्षा जाएगी; और शूद्र का नाम नहीं बताया गया है। चूँकि शूद्र के संबंध में कोई समय निर्दिष्ट नहीं है, इसका सीधा सा अर्थ यह है कि उसके उपनयन के लिए कोई समय निर्धारित नही है। यदि उपनयन के लिए एक सामान्य निषेधाज्ञा थी और उस स्थिति में जातियों के संबंध में ये सभी नियम उपनयन के लिए समय को विशुद्ध रूप से प्रशंसनीय विवरण के रूप में लेना होगा। हालाँकि उपनयन के लिए ऐसा कोई सामान्य निषेधाज्ञा नहीं है। इन परिस्थितियों में, हम किस अधिकार के बल पर शूद्रों की उपनयन को बिना किसी समय के प्रतिबंध के कर सकते हैं?
इसलिए शूद्र पुत्र किसी भी समय जब वो उपनयन के योग्य हो जाये तब वो उपनयन करवा सकता है उसके लिए उचित समय नहीं निर्धारित किया गया है।
Puran vi mughal kal se pahut bath bne ha aaj se 5/7 so saal pehle ke ha
Waah
Tumhe ekdam galat jaankaari h
Aadi Shankaraachaarya ne bhi Puraano ke Shloka ka ullekh apne Bhaashya aadi kritiyon mein kiya hai ! Kya aadi shankar 700 saal pehle k hain ?
1000 saal peehle Aadi Raamaanujaachaarya ne bhi Vishnu Puraan, Bhagavat Puraan aadi ke Shloko ko apni Kritiyon mein uddhrit kiya hai
Kya vo bhi 700 saal puraane hain ?
Ye sab bhraantiyaan hain
Puraan bahut praacheen hain, Angrezo se kahi zyada
Pahele to manaou kon hai o jan le log fhir bhagwan ka niyam janege bhagwan ko niyam se nahi sardha se Puja jata hai Kiya hai bhagwan sat karma se badhe koi bhagwan nahi ma pap ka bhi photo ishwar saurup hai
श्रीकृष्ण भगवान के पुत्र का नाम श्याम था
बड़का ठग बाबा
🙏🙏
भागवान शंकराचार्य की जय ❤❤❤❤
Sant ka matlab h prabhu ko jo bhi majak banaya uska birod kare chahe Raja hi ho
Aap kiske bhakt hai? pujniye sant ji
Rajrajeshwari lalita tripura sundari ji ke bhakt hai
हर हर महादेव