जोगी तीर्थ मंदिर जोधपुर Jodhpur

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  • čas přidán 17. 06. 2024
  • मंडोर/जोधपुर. प्राचीन काल से साधु-संतों की तपोस्थली रहा जोधपुर आज भी अपने धार्मिक स्थलों के लिए विख्यात है। आधुनिकता और भागदौड़ बढऩे के बावजूद आस्था के इन केंद्रों ने अपना महत्व नहीं खोया है। शहर के कई धार्मिक स्थल एेसे भी हैं जो नई पीढ़ी से अछूते हैं लेकिन संस्कृति से लबरेज इस शहर में परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी अग्रेषित की जाती रही है। इतिहास और प्राचीन सभ्यताओं का साक्षी रहा मंडोर क्षेत्र एेसे ढेरों धार्मिक स्थानों को अपने में समेटे हुए है, जहां पर आकर न केवल श्रद्धालु आस्थापूर्वक अपना शीश झुका लेते हैं बल्कि यहां के प्राकृतिक चमत्कारों के आगे अंचभित भी हो जाते हैं। एेसा ही आश्चर्य से भरपूर स्थान है जोगी तीर्थ। वर्षों से साधु-महात्माओं की तपोभूमि रहा जोगी तीर्थ आज सबसे अनछुए धार्मिक स्थानों में से एक है। दईजर क्षेत्र से कुछ दूरी पर स्थित इस स्थान पर श्रद्धालुओं का आना-जाना रहता है।
    वर्तमान में इस तीर्थ की सार-संभाल कर रहे राजूराम गहलोत ने बताया कि प्राचीन समय में केसरपुरी नाम के साधु यहां आकर साधना करते थे। एेसे में उनके ढेरों शिष्य उनकी सेवा करने के लिए साथ रहते। घंटो समाधिस्त रहने के कारण एक दिन उनके एक शिष्य ने आशंकित होकर उनके दिवंगत होने की सूचना फैला दी और उन्हें जीवित ही समाधि बनवा दी। जब संत वापस अपनी समाधि से उठने को हुए तो उन्हें अपना शरीर स्थान पर नहीं मिला। घोड़ों की टाप से उन्होंने अपने जीवित होने का प्रमाण शिष्य को दिया तो वह ग्लानि से भर गया। अपराधबोध से ग्रस्त शिष्य ने वहां दो मंजिला समाधि का निर्माण करवाया। तब से यह क्षेत्र जोगी तीर्थ नाम से प्रसिद्ध हुआ।
    प्राकृतिक जलधारा से भरते हैं कुंड
    धार्मिक स्थल की पहाडि़यों से प्राकृतिक जलधाराएं निकलती हैं। इन जलधाराओं से दो कुंड भरते हैं। इसमें एक कुंड पुरुषों के लिए व दूसरा महिलाओं के लिए बनाया गया है। यहां स्थापित जोगीतीर्थ महादेव सहित विभिन्न समाधियां होने से साधु-संतों सहित श्रद्धालु जुटते हैं। प्रत्येक तीसरे वर्ष अधिक मास में होने वाली भौगिशैल परिक्रमा के दौरान मेला भरता है।

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