रामचरितमानस मूलपाठ: बालकाण्ड दोहा (१७-२८)
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सो. प्रनवउँ पवनकुमार खल बन पावक ग्यानधन।
जासु हृदय आगार बसहिं राम सर चाप धर ॥ १७ ॥
कपिपति रीछ निसाचर राजा। अंगदादि जे कीस समाजा ॥
बंदउँ सब के चरन सुहाए। अधम सरीर राम जिन्ह पाए ॥
रघुपति चरन उपासक जेते। खग मृग सुर नर असुर समेते ॥
बंदउँ पद सरोज सब केरे। जे बिनु काम राम के चेरे ॥
सुक सनकादि भगत मुनि नारद। जे मुनिबर बिग्यान बिसारद ॥
प्रनवउँ सबहिं धरनि धरि सीसा। करहु कृपा जन जानि मुनीसा ॥
जनकसुता जग जननि जानकी। अतिसय प्रिय करुना निधान की ॥
ताके जुग पद कमल मनावउँ। जासु कृपाँ निरमल मति पावउँ ॥
पुनि मन बचन कर्म रघुनायक। चरन कमल बंदउँ सब लायक ॥
राजिवनयन धरें धनु सायक। भगत बिपति भंजन सुख दायक ॥
दो. गिरा अरथ जल बीचि सम कहिअत भिन्न न भिन्न।
बदउँ सीता राम पद जिन्हहि परम प्रिय खिन्न ॥ १८ ॥
बंदउँ नाम राम रघुवर को। हेतु कृसानु भानु हिमकर को ॥
बिधि हरि हरमय बेद प्रान सो। अगुन अनूपम गुन निधान सो ॥
महामंत्र जोइ जपत महेसू। कासीं मुकुति हेतु उपदेसू ॥
महिमा जासु जान गनराउ। प्रथम पूजिअत नाम प्रभाऊ ॥
जान आदिकबि नाम प्रतापू। भयउ सुद्ध करि उलटा जापू ॥
सहस नाम सम सुनि सिव बानी। जपि जेई पिय संग भवानी ॥
हरषे हेतु हेरि हर ही को। किय भूषन तिय भूषन ती को ॥
नाम प्रभाउ जान सिव नीको। कालकूट फलु दीन्ह अमी को ॥
दो. बरषा रितु रघुपति भगति तुलसी सालि सुदास ॥
राम नाम बर बरन जुग सावन भादव मास ॥ १९ ॥
आखर मधुर मनोहर दोऊ। बरन बिलोचन जन जिय जोऊ ॥
सुमिरत सुलभ सुखद सब काहू। लोक लाहु परलोक निबाहू ॥
कहत सुनत सुमिरत सुठि नीके। राम लखन सम प्रिय तुलसी के ॥
बरनत बरन प्रीति बिलगाती। ब्रह्म जीव सम सहज सँघाती ॥
नर नारायन सरिस सुभ्राता। जग पालक बिसेषि जन त्राता ॥
भगति सुतिय कल करन बिभूषन। जग हित हेतु बिमल बिधु पूषन ।
स्वाद तोष सम सुगति सुधा के। कमठ सेष सम धर बसुधा के ॥
जन मन मंजु कंज मधुकर से। जीह जसोमति हरि हलधर से ॥
दो. एकु छत्रु एकु मुकुटमनि सब बरननि पर जोउ।
तुलसी रघुबर नाम के बरन बिराजत दोउ ॥ २० ॥
समुझत सरिस नाम अरु नामी। प्रीति परसपर प्रभु अनुगामी ॥
नाम रूप दुइ ईस उपाधी। अकथ अनादि सुसामुझि साधी ॥
को बड़ छोट कहत अपराधू। सुनि गुन भेद समुझिहहिं साधू ॥
देखिअहिं रूप नाम आधीना। रूप ग्यान नहिं नाम बिहीना ॥
रूप बिसेष नाम बिनु जानें। करतल गत न परहिं पहिचानें ॥
सुमिरिअ नाम रूप बिनु देखें। आवत हृदयँ सनेह बिसेषें ॥
नाम रूप गति अकथ कहानी। समुझत सुखद न परति बखानी ॥
अगुन सगुन बिच नाम सुसाखी। उभय प्रबोधक चतुर दुभाषी ॥
दो. राम नाम मनिदीप धरु जीह देहरी द्वार।
तुलसी भीतर बाहेरहुँ जौं चाहसि उजिआर ॥ २१ ॥
नाम जीहँ जपि जागहिं जोगी। बिरति बिरंचि प्रपंच बियोगी ॥
ब्रह्मसुखहि अनुभवहिं अनूपा। अकथ अनामय नाम न रूपा ॥
जाना चहहिं गूढ़ गति जेऊ। नाम जीहँ जपि जानहिं तेऊ ॥
साधक नाम जपहिं लय लाएँ। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएँ ॥
जपहिं नामु जन आरत भारी। मिटहिं कुसंकट होहिं सुखारी ॥
राम भगत जग चारि प्रकारा। सुकृती चारिउ अनघ उदारा ॥
चहू चतुर कहुँ नाम अधारा। ग्यानी प्रभुहि बिसेषि पिआरा ॥
चहुँ जुग चहुँ श्रुति ना प्रभाऊ। कलि बिसेषि नहिं आन उपाऊ ॥
दो. सकल कामना हीन जे राम भगति रस लीन।
नाम सुप्रेम पियूष हद तिन्हहुँ किए मन मीन ॥ २२ ॥
अगुन सगुन दुइ ब्रह्म सरूपा। अकथ अगाध अनादि अनूपा ॥
मोरें मत बड़ नामु दुहू तें। किए जेहिं जुग निज बस निज बूतें ॥
प्रोढ़ि सुजन जनि जानहिं जन की। कहउँ प्रतीति प्रीति रुचि मन की ॥
एकु दारुगत देखिअ एकू। पावक सम जुग ब्रह्म बिबेकू ॥
उभय अगम जुग सुगम नाम तें। कहेउँ नामु बड़ ब्रह्म राम तें ॥
ब्यापकु एकु ब्रह्म अबिनासी। सत चेतन धन आनँद रासी ॥
अस प्रभु हृदयँ अछत अबिकारी। सकल जीव जग दीन दुखारी ॥
नाम निरूपन नाम जतन तें। सोउ प्रगटत जिमि मोल रतन तें ॥
दो. निरगुन तें एहि भाँति बड़ नाम प्रभाउ अपार।
कहउँ नामु बड़ राम तें निज बिचार अनुसार ॥ २३ ॥
राम भगत हित नर तनु धारी। सहि संकट किए साधु सुखारी ॥
नामु सप्रेम जपत अनयासा। भगत होहिं मुद मंगल बासा ॥
राम एक तापस तिय तारी। नाम कोटि खल कुमति सुधारी ॥
रिषि हित राम सुकेतुसुता की। सहित सेन सुत कीन्ह बिबाकी ॥
सहित दोष दुख दास दुरासा। दलइ नामु जिमि रबि निसि नासा ॥
भंजेउ राम आपु भव चापू। भव भय भंजन नाम प्रतापू ॥
दंडक बनु प्रभु कीन्ह सुहावन। जन मन अमित नाम किए पावन ॥ ।
निसिचर निकर दले रघुनंदन। नामु सकल कलि कलुष निकंदन ॥
दो. सबरी गीध सुसेवकनि सुगति दीन्हि रघुनाथ।
नाम उधारे अमित खल बेद बिदित गुन गाथ ॥ २४ ॥
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जय श्री गणेश जी जय माता दी जय श्री सीताराम जय श्री सीताराम जय श्री सीताराम जय श्री सीताराम जय श्री सीताराम जय श्री सीताराम जय श्री सीताराम जय श्री सीताराम जय श्री सीताराम जय श्री सीताराम जय श्री सीताराम जय श्री राम भगवान शिव माता पार्वती जी को सादर प्रणाम करता हूँ ऊँ नमः शिवाय ऊँ नमः शिवाय ऊँ नमः शिवाय ऊँ नमः शिवाय ऊँ नमः शिवाय ऊँ नमः शिवाय ऊँ नमः शिवाय ऊँ नमः शिवाय हर हर महादेव हर हर महादेव हर हर महादेव उमापति कैलाशपति भोलेनाथ भगवान शिवशंकर महादेव उमातेय नमः स्वाहा उमातेय नमः स्वाहा उमातेय नमः स्वाहा देवाधिदेव महादेव
अति सुन्दर शिव हर हर महादेव जय जय श्री सीताराम जय जय श्री सीताराम जय जय श्री सीताराम
जय श्रीसीताराम जय जय श्रीराम 🙏🙏
जय श्रीराम
मन को शुख शान्ति प्रदान करने वाले रामायण संगीतमय पुण्यकारक है ।
❤ Jai shree ram ji ki,, jai ho
जय हो प्रभू
🙏जय सियाराम जय जय सियाराम 🌹🚩
जय जय श्री सीता राम हनुमान जी महाराज जी की🙏🙏🙏🙏🙏🙏
🌹🙏जय सियाराम🙏🌹
राम राम
जय जय सियाराम
जय श्रीराम जी की।
अति उत्तम 🙏
Ah ha ha,jai ho.
जय हो🙏🙏💐💐
Jay Shri Ram❤
Ķripaya batane ki kripa karen ki gaayan kiska hai.
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