कृष्ण नाम जब ते श्रवण सुन्यौं आली। नंददास जी महाराज

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  • čas přidán 7. 09. 2024
  • कृष्ण नाम जब ते श्रवण सुन्यौं आली। नंददास जी महाराज
    भजन-
    कृष्ण नाम जब ते श्रवण सुन्यौं री आली , भूली री भवन हौं तो , बावरी भयी री ।
    भरि-भरि आवे नैन , चितहु न परे चेन , तन की दशा कछु और भयी री।
    जेतैक नैम धर्म कीन्हेरी , मैं बहुविध अंग-अंग भयी , हौं तो श्रवण मयीरी ।।
    'नंददास' जाके श्रवण सुने यह गति, माधुरी मूरति केधो केसी दईरी ।।
    भावार्थ :-
    नंददास जी कहते हैं कि - हे सखि ! जब से कानो में कृष्ण का नाम सुना है , तब से तो में घर द्वार भूल गयी हूँ , पगली हो रही हूँ ।
    मेरी आँखे भर-भर आती हैं , और मन को चैन नही पड़ रहा है , मुख से कोई बात नही निकल रही है मेरे शरीर की तो दशा कुछ विचित्र होरही है ।
    मैने बहुत प्रकार से नियम , धर्म किये , पर अब तो में अंग अंग से ही श्रवणमयि हो गयी हूँ !!
    भक्त श्री नंददास जी महाराज कह रहे हैं कि श्रीकृष्ण नाम जिसके भी श्रवणों में पड़ता है उसके सामने साक्षात् श्रीकृष्ण की मधुर मूर्ति ही मानों सामने खड़ी हो जाती है।
    सेवा
    आनंद भैय्याजी
    वृन्दावन
    8218617034

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