कुलूत देश की कहानी | Kulut Desh Ki Kahani | श्री लाल चन्द्र प्रार्थी l Podcast l Part 2 l

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  • čas přidán 8. 09. 2024
  • लालचंद प्रार्थी का जन्म 3 अप्रैल 1916 को कुल्लू, हिमाचल प्रदेश में हुआ था। लाल चंद प्रार्थी जी को ‘चाँद’ कुल्लुवी के नाम से भी जाना जाता है । वे उच्च कोटि के साहित्यकार, राजनेता, हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेजी, फारसी और उर्दू के प्रकांड विद्वान थे।
    उनका व्यक्तित्व आकर्षक था और अपने धाराप्रवाह भाषण से श्रोताओं को घंटों तक बाँधे रखते थे। उनका कलाम बीसवीं सदी, शम्मा और शायर जैसी देश की चोटी की उर्दू पत्रिकाओं में स्थान पाता था। कुल-हिन्द तथा हिन्द -पाक मुशायरों में भी उनके कलाम का जादू सुनने वालों के सर चढ़ कर बोलता था। उनकी संगीत में भी काफी रुचि थी। उन्होने हिमाचल सरकार के कई मंत्री पदों को भी सुशोभित किया था। कुलूत देश की कहानी प्रार्थी जी का हिमाचल वासियों के लिए पथ प्रदर्शक अनुसन्धान साबित हुआ है l
    प्रार्थी जी लिखते है :
    बारह वर्ष मैंने इस कहानी की खोज में लगाए। जिन ग्रन्थों से
    मुझे इस कहानी के लिखने में सहायता मिली उनकी सूचि मैंने परिशिष्ट में दे दी है- इनके अतिरिक्त समाचार पत्र और असंख्य पत्रिकाओं से भी मुझे सहायता मिली। मैं अपने प्रयास में कहां तक सफल हुआ यह तो पाठक वृन्द जानें, मैं तो केवल यह कहूंगा कि पुस्तक का यह पहला भाग राजाओं, सामन्तों, राणों और ठाकुरों के लड़ाई झगड़ों और विजय पराजय की कहानी नहीं है अपितु उन लोगों की कहानी है जो समय समय पर इस पहाड़ी क्षेत्र की पृष्ठभूमि पर उभरते रहे, आते जाते रहे आगे बढ़ते रहे, पनपते रहे और मिटते रहे । कहीं अपनी परम्पराओं को छाप दूसरों पर छोड़ते रहे और कहीं दूसरों की संस्कृति को स्वीकार करके जीवन और समाज को नया मोड़ देते रहे । मानव बिरादरी अनेक जातियों, फिरकों, गिरोहों और धार्मिक आस्था जैसे और जब जब उस समय की परिस्थितियों के अनुसार प्रसर अन्दाज़ होती रही है, उसी का हाल मैंने लिखा है ।
    उन्ही के इस प्रयास को हम ऑडियो के रूप में प्रस्तुत कर रहे है ताकि हमारी आज की पीढ़ी तक ये सुगमता से पहुच सके और हम अपने गौरवशाली इतिहास को जान सके l किसी भी तरह के सुझाव के लिए हमें कमेन्ट करें और हमारा मार्गदर्शन करें l

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