Pt 218 सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के लाभ, महत्व व पाठ करने की विधि Benifits of Siddha Kunjika Stotra

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  • čas přidán 9. 10. 2021
  • Pt 218 सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के लाभ, महत्व व पाठ करने की विधि Benifits of Siddha Kunjika Stotra
    सिद्ध कुंजिका स्तोत्र क्या है ? इसके लाभ, महत्व व पाठ करने की विधि -
    सिद्ध कुंजिका स्तोत्र क्या है -
    सिद्ध कुंजिका स्तोत्र अनेक लाभ देने वाला स्तोत्र है. यह एक अत्यन्त शक्तिशाली स्तुति है. सिद्ध कुंजिका स्तोत्र श्री रुद्रयामल गौरी तन्त्र में शिव पार्वती संवाद के रूप में उपलब्ध है. इस संवाद में भगवान् शिव पार्वतीजी से कहते हैं कि हे देवी, केवल सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने से सम्पूर्ण दुर्गासप्तशती के पाठ करने का फल प्राप्त हो जाता है. यह स्तोत्र अत्यंत गुप्त और देवताओं के लिए भी दुर्लभ है. इस स्तोत्र के मन्त्र स्वयं सिद्ध मंत्र हैं इसलिए इनको अलग से सिद्ध करने की आवश्यकता नहीं है. इस स्तोत्र का पाठ करने के लिए कवच, अर्गला, कीलक, रहस्य, सूक्त, ध्यान, न्यास और यहाँ तक अर्चन भी आवश्यक नहीं है.
    सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने के लाभ -
    सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने से पाठ करने वाले को धन - सम्पदा व समृद्धि प्राप्त होती है. आर्थिक संसाधन मजबूत होते हैं. फँसा हुआ धन वापस प्राप्त होता है. कर्ज से मुक्ति मिलती है.
    शारीरिक और मानसिक ऊर्जा का असीम संचार होता है जिससे पाठ करने वाले के मन में अपने कार्य को करने का उत्साह बना रहता है.
    इसका पाठ करने से सुरक्षा चक्र बन जाता है जिससे नकारात्मक ऊर्जा प्रभावहीन हो जाती है और उसका कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता है.
    वाणी और मन की शक्ति मिलती है जिससे आत्मविश्वास के साथ अपने विचार प्रकट किये जा सकते हैं.
    जन्म पत्रिका में ग्रहों की अशुभ स्थिति का कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता है.
    बाधाएं दूर होती हैं. समस्याओं का समाधान मिल जाता है.
    परिवार में सुख शान्ति का वातावरण बना रहता है.
    सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने की विधि -
    चारों नवरात्रियों में इसका पाठ किया जा सकता है. नवरात्रि के अतिरिक्त भी इस स्तोत्र का पाठ किसी शुभ दिन से या शुक्रवार से या अष्टमी से शुरू किया जा सकता है. यदि किसी विशेष उद्देश्य की प्राप्ति के लिए इसका पाठ करना हो तो, कम से कम इकतालीस दिन तक प्रतिदिन सात, पाँच या तीन बार पाठ करना चाहिए. पहले दिन उस उद्देश्य का भी उल्लेख करना चाहिए जिस उद्देश्य के लिए इस स्तोत्र पाठ किया जा रहा है. जैसे किसी को रोजगार पाने के लिए इसका पाठ करना हो तो, उसे यह कहना है कि मैं इस कुंजिका स्तोत्र का पाठ रोजगार पाने के लिए कर रहा हूँ.
    पाठ करने के लिए प्रातःकाल पूर्व या उत्तर की तरफ मुँह करके घर के किसी शान्त स्थान पर लाल रंग के आसन पर बैठ जाएँ. यदि लाल रंग का आसन नहीं हो तो, आसन पर लाल रंग का कपड़ा बिछा दें. देवी दुर्गा का चित्र अपने सामने रखें. घी का दीपक व धूप बत्ती जलाएं. मन ही मन देवी का ध्यान करें और फिर सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का सात, पांच या तीन बार पाठ करें. पाठ समाप्ति के बाद भावना करें कि जिस भी उद्देश्य के लिए आपने इस स्तोत्र का पाठ किया है, देवी दुर्गा की कृपा से आपके उद्देश्य और आपकी मनोकामना की पूर्ति हो रही है. इसके बाद देवी को प्रणाम करके पूजा का स्थान छोड़ दें.
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