स्वप्न और जाग्रत केभेद को कैसे समझें?How to understand the difference between dream and wakefulness?
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- čas přidán 22. 08. 2024
- #haridwar_akhandparamdhamasram #pujya_gurudev_bhagwan_tatviksatsang
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पूज्य सद्गुरु देव जी को सादर प्रणाम।
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः
Param pujay gurudev ji ke pawan charno mai koti koti naman 🌹🌹🙏🙏
Dhanya. Jai. Gurudev kotisat naman
Pujya Gurudev bhagwan ko naman
Bhola. Ji. Patiala. Jai. Guru. Dav. Ji. 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌹🌹🌹🌹🌹
DaduRam SatRam 🙏
❤ram ram ram ram
Waheguru ji waheguru waheguruji ki fateh
Jai gurudev 🙏🙏🙏🌹
Shri sadguru dev bhagwaan ki jai🙏🙏
जय गुरुदेव ❤
Namstubhyam
नमन
❤आत्म निवेदन भगवन 🙏🕉🙏
Jai Guru Dev Ji Ki🎉🎉🎉
Prabhu… kotish naman… I am speechless and feel fortunate to have come into your aura… we are fortunate that you tread in our country/world… you have given new life.. we can never be grateful enough for your guidance… pranams pranams
Jai guru ji Maharaj shukrana guru ji 🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉
🌹🙏🏻 હરિ હર 🌹🙏🏻
ॐ परम पूज्यनीय श्रद्धेय श्री सदगुरु देव भगवान जी के पावन श्री चरणों में सादर कोटि - कोटि नमन स्वीकार हो
🙏🙏🙏
🙏
Yug purush ji apke Charon mein Sadar pranaam Gurudev Fine unique Vaani 🌹💕🌹 shree Ram Jai Ram Jai Jai Ram 🌹💕🌹
Guru dev bhagwan ke charno me koti koti naman
જ ય ઞુરૂજી કે ચરણોમે કોટી કોટી વંદના
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Guruprasad
परम् पूज्य श्रद्धेय सदगुरु श्री युग पुरूष स्वामी परमानंद गिरी महाराज जी के पावन चरणों में कोटि कोटि प्रणाम
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श्री सद्गुरू देव भगवान के श्री चरणों में साष्टांग दंडवत प्रणाम।🙏🌷🌷❤️🙏
CHARANSPARSH...
Jay gurudev
नमस्ते स्वामीजी
नमस्कार
स्वामी जी हम आपकी हर सतसंग को सुनता हूं पर कुछ भी ठीक से जान ही नहीं पाता मूर्ख जो हू एक बात जानना चाहता हूं कि आत्म ज्ञान क्या है कृपया बताएं हर हर महादेव हरि ॐ नमः शिवाय
जाग्रत और सपना एक जैसे ही है कोई farq नहीं है, स्वप्ना का सुख दुख चिंता जागने के बाद नहीं रहता waise ही ज्ञान होने के बाद इस जाग्रत का सुख दुख नहीं रहता सब स्वप्ना जैसा भासता है , ये ज्ञान की बातें ऐसे ही नहीं बुद्धि मानेगी, निरंतरता महाराज का सत्संग सुनिए, brahmgyani संत श्री आशाराम जी बापू का भी सत्संग सुनिए , old tatvik सत्संग संत आशाराम जी बापू नाम से यूट्यूब पे सर्च करो, सुन के चिंतन करो , मुर्ख कौन है, ढूंढो उसको, बिना गुरु के ज्ञान नहीं हो सकता, श्रद्धा होनी जरूरी है सबसे पहले ज्ञानी महापुरुष में, बिना श्रद्धा के ज्ञान नहीं पचता।
मैं गुरु जी का बहुत पुराना शिष्य हूं यदि बुरा न मानें तो तो मैं बताऊं आत्मज्ञान का मतलब स्वयं के सत्य स्वरूप को जानना है जो पूरे ब्रह्मांड में फैला हुआ है और कैसे पूरे ब्रह्मांड में आक्षादित है यदि आपकी इच्छा होगी तो वह भी बताऊंगा मेरी गुरु जी को किसी भी तरह से बड़ा बनने की कोशिश नहीं है ऐसी धृष्टता मैं सपने में भी नहीं कर सकता केवल एक ही इच्छा हुई है कि आप किसी कारणवश कहीं आपको प्रश्न उत्तर न मिल पाए तो ए अच्छी बात नहीं होगी इसीलिए मैं आपके प्रश्न का उत्तर देने की धृष्टता किया हूं
कोई बात नही आप ही बताइए क्युकी आप वही बताइए जो ज्ञान अप गुरू जी से प्रात किया है कृपया बताएं हरि ॐ नमः शिवाय का क्या मतलब होता है हर हर महादेव
@@user-ed1qq4wi9i तुलसी बाबा ने कहा है सियाराम मैं सब जानी इसका मतलब यह नहीं है कि सिया और राम की मानव के तरह हर जगह फैले हुए हैं सिया का मतलब माया और राम का मतलब ईश्वर कहें ब्रह्म कहें या शिव कहें उस महा अविनाशी तत्व को अपनी इच्छा अनुसार कुछ भी कह सकते हैं वो भी सर्वत्र मिलेगा माया का निर्माण पंचतत्वों से मिलकर होता है जिनको हम छिति जल पावक गगन समीरा बोलते हैं यानी छिति का मतलब जमीन या मिट्टी से होता है मिट्टी सिर्फ जमीन में नहीं होती पूरे ब्रह्मांड में व्याप्त है जो गर्मी के सीजन में दिखाई देती है क्योंकि गर्मी का मौसम शुष्क होता है जल भी सर्वत्र होता है पावक या अग्नि सिर्फ माचिस की तीली या पत्थर या अन्य रगड़ने वाले ठोस पदार्थों में नहीं होती अग्नि पूरे ब्रह्मांड में फैली हुई है गगन यानी आकाश खाली जगह ही दिखाई दे रहा है ऐसा नहीं है वैज्ञानिक दृष्टि से देखने पर पता चलता है ठोस में भी खालीपन है क्योंकि ठोस भी कोशिकाओं से निर्मित होता है उन कोशिकाओं में भी खालीपन होता है समीर यानी हवा जो सभी को पता है कि हवा के बिना किसी का अस्तित्व रहना संभव नहीं है इस तरह से सिया पूरे ब्रह्मांड में आक्षादित है इसी तरह ब्रह्म ईश्वर या शिव सर्वत्र है मनुष्य को समझाने के लिए महापुरुष लोग अर्धनारीश्वर का रुप दिखाते हैं जबकि दोनों अलग नहीं है अभिन्न हैं सब गोविंद है जिसतरह जल में लहरें जल से अभिन्न होकर बहती रहती हैं उसी तरह हमको यह भ्रम होता है कि हम उस जगह जा रहे हैं या इस जगह आ रहे हैं ऐसा बिल्कुल नहीं है हम सर्वत्र है हमारा सत्य स्वरूप ही वह ब्रह्म शिव या राम है अपने आप में उसी को उजागर करते रहने के लिए हमें ॐ नमः शिवाय या हर हर महादेव का या किसी भी ईश्वरीय मंत्र का जाप करते रहना आवश्यक है
@@user-ed1qq4wi9i तुलसी बाबा ने कहा है सियाराम मैं सब जग जानी सिया का मतलब माया जो पंचतत्वों से बनीं है राम का ब्रह्म शिव या जो भी नाम दें छिति जल पावक गगन समीरा कहीं भी ऐसी कोई जगह नहीं है जहां ये पंचतत्व न हो जिस तरह ये पंचतत्व सर्वत्र मिलेंगे उसी तरह ईश्वरीय तत्व सर्वत्र मिलेंगे महापुरुषों ने अर्धनारीश्वर का रुप दिया है जबकि ईश्वर और माया अलग अलग नहीं बल्कि अभिन्न हैं
Gyan to kaafi hai tere ko par Sara kitabi lagta hai🕉️
तुम्हारा भी ज्ञान झलक रहा है भाई
@@MahenderKumar-76tum iske pakke chele lagte ho😄😄😄😄😄
@@sumanchopra5153 कुसूर तुम्हारा नही है सबकी सोच सबके विचार अलग अलग होते है जाकी रही भावना जैसी हरि मुरति देखी तिन तैसी
श्री सद्गुरु देवाय परमात्मने नमः 🙏
🙏🙏🙏