बौद्ध दर्शन के मुख्य सिद्धांत _ Introduction to Buddhist Philosophy _ Dr HS Sinha
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- čas přidán 22. 12. 2018
- डॉ सिन्हा भारतीय प्राच्च विद्याओं के हमारे प्रदेश के सबसे बड़े जानकारों में से है. धर्म, दर्शन, संस्कृति, इतिहास, साहित्य और भाषाओ ( संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू और फ़ारसी ) के अन्यतम विद्वान हैं. वर्तमान में कुरुक्षेत्र में रहते हैं. पूर्व में दर्शन विभाग कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र के अध्यक्ष रह चुके हैं. आजकल विद्या भारती, कुरुक्षेत्र के निदेशक है.
दुनिया का नंबर वन दर्शन है बुद्ध दर्शन ।।
बहुत बहुत शुभकामना ।
जन चेतना जागृत करने के लिय ऐसा दर्शन बार बार प्रहारित किया जाना चाहिए ।
सत्य नंबर वन या नंबर दो नहीं होता... सत्य सिर्फ एक होता है ...यही वेदांत दर्शन मूल है... जहां दो होते हैं!!! वहां ज्ञान नहीं... संप्रदाय या गुट होता है.. सत्यमेव जयते ... सत्य मेरा या तेरा नहीं होता!!! मेरा या तेरा संप्रदाय होता है...गुट होता है ..यही वेदांत दर्शन का मूल है... और विश्व शांति का मार्ग है..
महागुरु
विवेक शब्द कहां से आया???? सर्वप्रथम विवेक की बात वेदों ने ही की!!! मूर्खों की तरह बात नहीं करना चाहिए!!!! जब व्यक्ति का मन ही मलिन हो!!!! तो ज्ञान कैसे शुद्ध हो सकता है!!! झूठ इतनी सरलता से नहीं कहा जा सकता!!! हमारे यहां तर्कशास्त्र की ...शास्त्रार्थ की... विधा थी!!!! पैसे कमाने के लिए ...यूट्यूब पर चैनल पर बैठकर इतना झूठ मत बोलो!!!
दर्शन का ज्ञान डिग्री से नहीं मिलता!!! साधना से मिलता है ...शुद्ध मन से मिलता है...
जय सियाराम जय भीम
@@SuperShambhoo तुम्हारे वेद देवनागरी लिपी आने के बाद आये हैं यानी 9वि सदी के बाद. इसपर रोज Rational World channel पर चुनौती दि जाती हैं जो की आप लोग स्वीकारते नही. कभी live चर्चा में साबित करे बुद्ध से पहले वेद थे या नही
@@SapiensHaiHumAur nav bauddho ki is bakwas ki hmesha Sanatan samiksha me kutai hoti hai. Kbhi aana pta chl jayega rational world aur science journey ka level 😂
@@abhinavkumar547 accha 🤣
डा सिन्हा साहब को सरल भाषा में चार्वाक, जैन और बौद्ध धर्मों/ दर्शनों की प्रस्तुति के लिए मेरा हृदय से आभार ।
Thanks
ब्राह्मण को गाली बकना धर्म हो गया है... कृष्ण और राम को गाली बकना धर्म हो गया है ...अगर मुसलमान को इस तरह की बात करेंगे... तो इतने जूते पड़ेंगे कि गिनते नहीं बनेगा... सर तन से जुदा हो जाएगा..
यह हिंदू धर्म को तोड़ने और नव बौद्ध बनाने
का धंधा अंग्रेजों और कम्युनिस्ट के साथ.. अनेकों सालों से चल रहा है... बाबा साहब ने भी ऐसा नहीं कहा था ... बाबासाहेब यदि आ जाएंगे तो सबसे पहले इनको जूते मारेंगे...
नफरत करने का धंधा है... दुनिया के बड़े से बड़े बौद्ध देशों को देखो... वह लोग इस प्रकार की मूर्खता पूर्ण और नफरत भरी बात नहीं करते!!!
यह बुड्ढा नकली बुद्ध धर्म की बात करता है... जिस प्रकार की बात कर रहा है यह बौद्ध धर्म की भाषा नहीं है!!! बौद्ध धर्म शांति का धर्म है.. यह नफरत की भाषा है नफरत करने वाले का शरीर जल जाता है... अनेकों बीमारियां होती हैं.... यह बौद्ध धर्म में लिखा है... भगवान बुद्ध को अनेकों लोगों ने गालियां दी ...लेकिन भगवान बुद्ध ने कभी उत्तर नहीं दिया!!! बुरा नहीं कहा... सबसे पहले यह याद रखो.... भगवान बुद्ध ने अपने नाम पर धर्म चलाने की बात ही नहीं थी... उन्होंने समाज को सुधारने की बात की थी...
उनके नाम पर धर्म बनाने का धंधा बाद मैं हुआ इसीलिए वह धर्म नष्ट हो गया!!!
ब्राह्मण ने ही शास्त्र की रक्षा की... भगवान बुद्ध जो कहते थे... उसको समझने और लिखने वाले ब्राह्मण थे !!!और किसी की औकात नहीं थी!!!
ब्राह्मण ने शास्त्रों की रक्षा की... बुद्ध धर्म को लिखने वाले जानने वाले भी सभी ब्राह्मण थे... और कौन होगा???? नालंदा विश्वविद्यालय जल जाने के बाद ब्राह्मणों ने अपने मुंह से पूरे शास्त्र बोल दिए किसी की औकात नहीं है ...ब्राह्मण का यही काम था...
भगवान बुद्ध के साथ भी उनका काम करने वाले सभी ब्राह्मण थे ... मूर्खो को कुछ पता
ही नहीं ...इतना तो जान लो ...विज्ञान भी कहता है कि... नफरत करने से शरीर जलता है ...बीमारियां होती हैं... बौद्ध धर्म नफरत का धर्म नहीं!!!
जिस आदमी के पास अपने लिए कुछ खाने के लिए नहीं होता!!! वह दूसरों की बुराई ही करता रहता है... और अपना शरीर जलाता रहता है...
नवबौद्धों को भटकाने वाले यही लोग हैं..
अगर बाबा साहब आज आ जाते तो इनको सबसे पहले जूते से मारते...
जय सियाराम जय भीम
विवेक शब्द कहां से आया???? सर्वप्रथम विवेक की बात वेदों ने ही की!!! मूर्खों की तरह बात नहीं करना चाहिए!!!! जब व्यक्ति का मन ही मलिन हो!!!! तो ज्ञान कैसे शुद्ध हो सकता है!!! झूठ इतनी सरलता से नहीं कहा जा सकता!!! हमारे यहां तर्कशास्त्र की ...शास्त्रार्थ की... विधा थी!!!! पैसे कमाने के लिए ...यूट्यूब पर चैनल पर बैठकर इतना झूठ मत बोलो!!!
दर्शन का ज्ञान डिग्री से नहीं मिलता!!! साधना से मिलता है ...शुद्ध मन से मिलता है...
जय सियाराम जय भीम
सिन्हां विवेक शब्द कहां से आया???? सर्वप्रथम विवेक की बात वेदों ने ही की!!! मूर्खों की तरह बात नहीं करना चाहिए!!!! जब व्यक्ति का मन ही मलिन हो!!!! तो ज्ञान कैसे शुद्ध हो सकता है!!! झूठ इतनी सरलता से नहीं कहा जा सकता!!! हमारे यहां तर्कशास्त्र की ...शास्त्रार्थ की... विधा थी!!!! पैसे कमाने के लिए ...यूट्यूब पर चैनल पर बैठकर इतना झूठ मत बोलो!!!
दर्शन का ज्ञान डिग्री से नहीं मिलता!!! साधना से मिलता है ...शुद्ध मन से मिलता है...
जय सियाराम जय भीम
डा सिन्हा से मिलने के पहले मौके से ही मैं उनकी सोच और अभिव्यक्ति का कायल हूं। चंडीगढ़ में 1972 में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के उनके विद्यार्थियों के साथ रहने के दौरान हुई मुलाकात के बाद समय-समय पर उनसे मिलने का संयोग रहा। गत वर्ष हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित उनकी पुस्तक देखने का सुअवसर मिला। यूट्यूब पर उनके दर्शन ईश्वर की असीम कृपा हैं।
बौद्ध और जैन दर्शन कि बहुत ही सरल भाषा प्रयोग कर भारतवर्ष को एक बौद्ध और जैन दर्शन ज्ञान दिए हैं
बौद्ध दर्शन का इतनी खूबसूरत व्याख्या मैने अभी तक नहीं सुनी थी, आप को बहुत बहुत साधुवाद 😀
अरविंद जी इसको विस्तार से भी सुनियेगा
अगले भाग मे, आप यही search करोगे तो मिल जायेगा
Jaigurudev.
Qq1111¹1111¹111q0⁰⁰¹¹¹¹1¹¹¹¹qqq
भगवान् को गालिया बकने वाला बुद्ध दर्शन
अपना ज्ञान साझा करने के लिए धन्यवाद, भगवान बुद्ध ने हमें आत्मज्ञान की ओर जाने का मार्ग दिखाया है जहां ज्ञान का परिचय देने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं एक बार फिर धन्यवाद🙏
जागो जगाने का महा प्रयास करने वाले बोधिसत्व सिन्हा जी को नमन
🙏🏻 आज तक इतनी आसान भाषा में बुद्ध दर्शन किसी ने नही समझाया ..
धन्यवाद गुरु जी
Sab galat samjhaa rahe hain!
बुध दर्शन आदर्श जीवन दर्शन है ।जो मानव जीवन को सही मानव बनाने का दर्शन है ।ऐसे मोटीवेशन के liy सादुबाद ।
@@lyt48 क्या गलत समझाया है कृपया बता सकते है?
@@techtrails6590सिन्हा भैया....आप इतने बड़े तर्क की व्याख्या करने बैठे हैं.. लेकिन आपकी बातों से ही यह स्पष्ट हो जाता है कि आप पूर्वाग्रह से ग्रसित है!!!!😭 गंगाजल में यदि नाले का पानी मिलाकर पिया जाएगा तो बीमार होना निश्चित है ...🤣और बीमार होने के लिए गंगाजल को पीने वाला आदमी कितना मजबूत है... उसका रेजिस्टेंस पावर कितना है इसका भी ध्यान रखना आवश्यक है... 🤔 आपने शायद मिश्रण के बारे में नहीं पढ़ा... आपकी बातों में भी घृणा का मिश्रण है... लगता है आपने तर्क के बारे में कुछ पढा ही नहीं!!! वेदांत जीवन पदार्थ और तर्क से ऊपर है... तर्क करने के पहले स्वयं को हटाना पड़ता है.. आपकी हर बात में "मैं" घुसा हुआ है🤔😭
सीतारामराधाहरिमांशंभू
माता हरिहर
🌷🙏
X
आप बौद्ध दर्शन को बहुत सरल तरीके से तथा बर्तमान की परिस्थितियों से लोगों को निजात मिल सकती हैं ऐसे समझाया है। इसके लिए आपको बहुत बहुत साधुवाद।
नि:शब्द हूं आपसे दर्शन, अध्यात्म की इतनी गूढ़ बातों को इतनी सरलता से सीखने, समझने का सौभाग्य प्राप्त हुआ👏👏👏
सिन्हां विवेक शब्द कहां से आया???? सर्वप्रथम विवेक की बात वेदों ने ही की!!! मूर्खों की तरह बात नहीं करना चाहिए!!!! जब व्यक्ति का मन ही मलिन हो!!!! तो ज्ञान कैसे शुद्ध हो सकता है!!! झूठ इतनी सरलता से नहीं कहा जा सकता!!! हमारे यहां तर्कशास्त्र की ...शास्त्रार्थ की... विधा थी!!!! पैसे कमाने के लिए ...यूट्यूब पर चैनल पर बैठकर इतना झूठ मत बोलो!!!
दर्शन का ज्ञान डिग्री से नहीं मिलता!!! साधना से मिलता है ...शुद्ध मन से मिलता है...
जय सियाराम जय भीम
सिन्हां विवेक शब्द कहां से आया???? सर्वप्रथम विवेक की बात वेदों ने ही की!!! मूर्खों की तरह बात नहीं करना चाहिए!!!! जब व्यक्ति का मन ही मलिन हो!!!! तो ज्ञान कैसे शुद्ध हो सकता है!!! झूठ इतनी सरलता से नहीं कहा जा सकता!!! हमारे यहां तर्कशास्त्र की ...शास्त्रार्थ की... विधा थी!!!! पैसे कमाने के लिए ...यूट्यूब पर चैनल पर बैठकर इतना झूठ मत बोलो!!!
दर्शन का ज्ञान डिग्री से नहीं मिलता!!! साधना से मिलता है ...शुद्ध मन से मिलता है...
जय सियाराम जय भीम
आप बहोत महान हो...भगवान बुद्धने आपको सही चुना है गुरूजी.. ये त्रिकाल सत्य प्रचार हेतू.... मै बहुत खुशनशीब हु की मुझे ये पवित्र बुध्द ज्ञान श्रवण करणे मिला...बहोत बहोत आभारी हु। धन्यवाद
बहुत बहुत सरल शब्दों ने आपने इतनी ज्ञानवर्धक दर्शन की समझाया आपका बहुत बहुत आभार गुरु जी
दर्शन के सिद्धांतो की सरल शब्दों में सुंदर व्याख्या करने के लिए आप को बधाई और साधुवाद।
आपको शत शत प्रणाम।
बौद्ध दर्शन को आपने सरल एवं संक्षेप में प्रस्तुत किया ।
साधुवाद ।
धन्यवाद ।
आपके लिए मेरी तरफ से खूब मंगल📚🙏🖋️💐
बुद्ध की शिक्षा को अपने बहुत आच्छे तरीके से समझाया .धन्यवाद.
बुद्ध कथा बाचक गुरु जी को मेरा सदर नमस्कार!
जय भीम!
जय सर्व श्रेष्ठ भारतीय संबिधान!
जय बुद्ध मय, ज्ञान मय बुद्ध भुमि पबित्र भारत!
गुरु जी आप ने बहुत ही सरल तरीके से बुद्ध दर्शन बताया। इसके लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।💐🙏
गूढ़ दार्शनिक बातों को ईतनी सरलता से व्यक्त करना ही आपकी सबसे अच्छी बात है।
We of is
Q it
कर्म और फल का सिद्धांत वेदांत ने दिया है!!!! कार्य और कारण सिद्धांत भी वेदांत का ही है!!!!! सांख्य दर्शन ने दिया है!!!! इस प्रकार की बातें करना असत्य है!!!! और असत्य बोलने पर हमारा जीवन नष्ट हो जाता है !!!यह भी एक अटल सत्य है!!!!
वेदांत सभी दर्शनों का मूल है !!!आधार है जड़ है!!!!वेदांत ने पुनर्जन्म का सिद्धांत भी दिया है!!!! जो आज के इस वैज्ञानिक युग में सिद्ध हो रहा है !!!! वेदांत कहता है कि... जन्म और मृत्यु दोनों मिथ्या हैं!!!!! मृत्यु होती कहां है???? भगवत गीता में भगवान कृष्ण यही कहते है!!!! और इसे सिद्ध किया जा सकता है कि जन्म और मृत्यु होती ही नहीं!!!!!!!!यही तो समझना है!!!! यह कितना बड़ा सत्य है!!!!भगवान बुद्ध को यह समझ में नहीं आया!!!!! क्योंकि उन्होंने वेदांत को पूर्णतः नहीं समझा!!!!!! क्यों???? क्योंकि भगवान बुद्ध निराशा ग्रस्त हो गए थे!!!! मृत्यु भय से व्यथित होकर...घर छोड़कर... कर्तव्य को छोड़कर... घर से बाहर आ गए थे!!!!!!! वह पीड़ित थे !!!और उन्होंने ईश्वर को ही नकार दिया!!!!!
ईश्वर क्या तत्व है???? यह समझना ही दर्शन है....ईश्वर कोई लेने देने वाला तत्व नहीं है!!! यही तो वेदांत कहता है!!!! वेदांत गूढ़ है उसे समझने के लिए साधना करना पड़ती है.... भगवान बुद्ध ने वेदांत को नहीं समझा!!!! भगवान बुद्ध वह एक समाज सुधारक थे दार्शनिक नहीं थे!!! वह मृत्यु को देखकर और मृत्यु भय से ग्रसित होकर ।।।अपना घर छोड़कर चले गए थे!!!!! इसलिए उनकी शिक्षा पूरी नहीं हो पाई थी!!!!!! भगवान बुद्ध ने यदि वेदांत को समझ लिया होता तो उनका रूप ही अलग होता!!!!! प्रश्न यह है कि...यदि सामाजिक बुराइयां नहीं होती तो भगवान बुद्ध क्या करते?????और मुख्य बात यह है कि... भगवान बुद्ध के साथ कार्य करने वाले लोग भी ब्राह्मण थे !!!!क्योंकि शास्त्रों को या गूढ़ तत्व को समझना ब्राह्मण के लिए ही संभव था!!!! बुद्ध क्या बोलते थे???? कौन लिखता था??? कब लिखता था??? कुछ पता है क्या???? बुद्ध ने सिर्फ सामाजिक बुराइयों के बारे में कहा!!!! धर्म या दर्शन के बारे में कभी नहीं कहा!!!!! ब्राह्मणों ने ही राजाओं के डराने और प्रताड़ित करने पर उनके प्रवचनों को एक नए धर्म का रूप दे दिया!!! बुद्ध ने कभी अपना धर्म परिवर्तन भी नहीं किया !!!!!बुध सनातनी थे!!! हमेशा सनातनी रहे!!! वह समाज सुधारक थे!!! सनातन धर्म जाति से ऊपर है !!!!कोई भी ज्ञानी व्यक्ति सनातन धर्म में ऋषि का पद प्राप्त कर सकता है !!!! हमारे सनातन धर्म में 20 ऋषि कम से कम शूद्र हैं!!!! संत रैदास कबीर सभी सनातन धर्म के अंतर्गत आते हैं... भगवान बुद्ध की अवतार कहलाते हैं!!!!हम सब को सम्मान देते हैं क्योंकि हम ज्ञान को सम्मान देते हैं!!!! लेकिन नफरत करने की एक प्रवृत्तऔर प्रक्रिया हजारों वर्षों से चल रही है ....यह कभी भी फलीभूत नहीं होगी क्यों??????? क्योंकि यह असत्य है!!! सत्य कौन है???? और क्यों है!!! ध्यान रखो...अनादि सिर्फ सत्य है... और असत्य की मृत्यु निश्चित है!!!!!
सीतारामराधाहरिमांशंभू....
बहुत सुन्दर
@@SuperShambhoo mk
हमारे देश को आप जैसे लोगो की जरूरत है " अपना ज्ञान बाँटने के लिए आपका शुक्रिया "🎉🎉
डा सिन्हा साहब को सरल भाषा में चार्वाक, जैन और बौद्ध धर्मों/ दर्शनों की प्रस्तुति के लिए मेरा हृदय से आभार ।🙏❤️
Kya kahain prassna hua main
सिन्हां विवेक शब्द कहां से आया???? सर्वप्रथम विवेक की बात वेदों ने ही की!!! मूर्खों की तरह बात नहीं करना चाहिए!!!! जब व्यक्ति का मन ही मलिन हो!!!! तो ज्ञान कैसे शुद्ध हो सकता है!!! झूठ इतनी सरलता से नहीं कहा जा सकता!!! हमारे यहां तर्कशास्त्र की ...शास्त्रार्थ की... विधा थी!!!! पैसे कमाने के लिए ...यूट्यूब पर चैनल पर बैठकर इतना झूठ मत बोलो!!!
दर्शन का ज्ञान डिग्री से नहीं मिलता!!! साधना से मिलता है ...शुद्ध मन से मिलता है...
जय सियाराम जय भीम
@@SuperShambhoovedo me pasubali ki bat bhi h
That's why he is called Light of Asia🌷🌷
बुद्धम् शरणम् गच्छामि।🙏🙏
बुद्ध पूर्णिमा के शुभ अवसर पर आपका अत्यंत सारगर्भित व प्रभावशाली संवाद सुना।जय बुद्ध।
हार्दिक आभार।
Ll hi 🎉
0m.9
.90
@@avaneeshkumar175
नव
Very nice thanks
अरे महानुभाव!
क्या महात्मा बुद्ध ने यह ज्ञान पुस्तकों के अध्ययन से प्राप्त किया था?
सम्यक आचार, सम्यक व्यवसाय, सम्यक आजीविका आखिर है क्या??😢
आप कृपया बुद्ध जैसे महापुरुष को संकुचित करके मानव समाज के सामने प्रस्तुत न करें।😢
दर्शनशास्त्री जी को कोटीशः नमन जो की हम लोगों के लिए बहुत ही सारगर्भित वेद, शास्त्र, उपनिषदआदि का बहुत ही सरल भाषा में बता रहे हैं। 🙏🙏🙏
कर्म और फल का सिद्धांत वेदांत ने दिया है!!!! कार्य और कारण सिद्धांत भी वेदांत का ही है!!!!! सांख्य दर्शन ने दिया है!!!! इस प्रकार की बातें करना असत्य है!!!! और असत्य बोलने पर हमारा जीवन नष्ट हो जाता है !!!यह भी एक अटल सत्य है!!!!
वेदांत सभी दर्शनों का मूल है !!!आधार है जड़ है!!!!वेदांत ने पुनर्जन्म का सिद्धांत भी दिया है!!!! जो आज के इस वैज्ञानिक युग में सिद्ध हो रहा है !!!! वेदांत कहता है कि... जन्म और मृत्यु दोनों मिथ्या हैं!!!!! मृत्यु होती कहां है???? भगवत गीता में भगवान कृष्ण यही कहते है!!!! और इसे सिद्ध किया जा सकता है कि जन्म और मृत्यु होती ही नहीं!!!!!!!!यही तो समझना है!!!! यह कितना बड़ा सत्य है!!!!भगवान बुद्ध को यह समझ में नहीं आया!!!!! क्योंकि उन्होंने वेदांत को पूर्णतः नहीं समझा!!!!!! क्यों???? क्योंकि भगवान बुद्ध निराशा ग्रस्त हो गए थे!!!! मृत्यु भय से व्यथित होकर...घर छोड़कर... कर्तव्य को छोड़कर... घर से बाहर आ गए थे!!!!!!! वह पीड़ित थे !!!और उन्होंने ईश्वर को ही नकार दिया!!!!!
ईश्वर क्या तत्व है???? यह समझना ही दर्शन है....ईश्वर कोई लेने देने वाला तत्व नहीं है!!! यही तो वेदांत कहता है!!!! वेदांत गूढ़ है उसे समझने के लिए साधना करना पड़ती है.... भगवान बुद्ध ने वेदांत को नहीं समझा!!!! भगवान बुद्ध वह एक समाज सुधारक थे दार्शनिक नहीं थे!!! वह मृत्यु को देखकर और मृत्यु भय से ग्रसित होकर ।।।अपना घर छोड़कर चले गए थे!!!!! इसलिए उनकी शिक्षा पूरी नहीं हो पाई थी!!!!!! भगवान बुद्ध ने यदि वेदांत को समझ लिया होता तो उनका रूप ही अलग होता!!!!! प्रश्न यह है कि...यदि सामाजिक बुराइयां नहीं होती तो भगवान बुद्ध क्या करते?????और मुख्य बात यह है कि... भगवान बुद्ध के साथ कार्य करने वाले लोग भी ब्राह्मण थे !!!!क्योंकि शास्त्रों को या गूढ़ तत्व को समझना ब्राह्मण के लिए ही संभव था!!!! बुद्ध क्या बोलते थे???? कौन लिखता था??? कब लिखता था??? कुछ पता है क्या???? बुद्ध ने सिर्फ सामाजिक बुराइयों के बारे में कहा!!!! धर्म या दर्शन के बारे में कभी नहीं कहा!!!!! ब्राह्मणों ने ही राजाओं के डराने और प्रताड़ित करने पर उनके प्रवचनों को एक नए धर्म का रूप दे दिया!!! बुद्ध ने कभी अपना धर्म परिवर्तन भी नहीं किया !!!!!बुध सनातनी थे!!! हमेशा सनातनी रहे!!! वह समाज सुधारक थे!!! सनातन धर्म जाति से ऊपर है !!!!कोई भी ज्ञानी व्यक्ति सनातन धर्म में ऋषि का पद प्राप्त कर सकता है !!!! हमारे सनातन धर्म में 20 ऋषि कम से कम शूद्र हैं!!!! संत रैदास कबीर सभी सनातन धर्म के अंतर्गत आते हैं... भगवान बुद्ध की अवतार कहलाते हैं!!!!हम सब को सम्मान देते हैं क्योंकि हम ज्ञान को सम्मान देते हैं!!!! लेकिन नफरत करने की एक प्रवृत्तऔर प्रक्रिया हजारों वर्षों से चल रही है ....यह कभी भी फलीभूत नहीं होगी क्यों??????? क्योंकि यह असत्य है!!! सत्य कौन है???? और क्यों है!!! ध्यान रखो...अनादि सिर्फ सत्य है... और असत्य की मृत्यु निश्चित है!!!!!
सीतारामराधाहरिमांशंभू....
सिन्हां विवेक शब्द कहां से आया???? सर्वप्रथम विवेक की बात वेदों ने ही की!!! मूर्खों की तरह बात नहीं करना चाहिए!!!! जब व्यक्ति का मन ही मलिन हो!!!! तो ज्ञान कैसे शुद्ध हो सकता है!!! झूठ इतनी सरलता से नहीं कहा जा सकता!!! हमारे यहां तर्कशास्त्र की ...शास्त्रार्थ की... विधा थी!!!! पैसे कमाने के लिए ...यूट्यूब पर चैनल पर बैठकर इतना झूठ मत बोलो!!!
दर्शन का ज्ञान डिग्री से नहीं मिलता!!! साधना से मिलता है ...शुद्ध मन से मिलता है...
जय सियाराम जय भीम
माननीय डाक्टर साहब की सत्यम् शिवम् सुन्दरम् अभिनन्दनीय अभिव्यक्ति एवं प्रस्तुतीकरण - सत्यप्रेम
कर्म और फल का सिद्धांत वेदांत ने दिया है!!!! कार्य और कारण सिद्धांत भी वेदांत का ही है!!!!! सांख्य दर्शन ने दिया है!!!! इस प्रकार की बातें करना असत्य है!!!! और असत्य बोलने पर हमारा जीवन नष्ट हो जाता है !!!यह भी एक अटल सत्य है!!!!
वेदांत सभी दर्शनों का मूल है !!!आधार है जड़ है!!!!वेदांत ने पुनर्जन्म का सिद्धांत भी दिया है!!!! जो आज के इस वैज्ञानिक युग में सिद्ध हो रहा है !!!! वेदांत कहता है कि... जन्म और मृत्यु दोनों मिथ्या हैं!!!!! मृत्यु होती कहां है???? भगवत गीता में भगवान कृष्ण यही कहते है!!!! और इसे सिद्ध किया जा सकता है कि जन्म और मृत्यु होती ही नहीं!!!!!!!!यही तो समझना है!!!! यह कितना बड़ा सत्य है!!!!भगवान बुद्ध को यह समझ में नहीं आया!!!!! क्योंकि उन्होंने वेदांत को पूर्णतः नहीं समझा!!!!!! क्यों???? क्योंकि भगवान बुद्ध निराशा ग्रस्त हो गए थे!!!! मृत्यु भय से व्यथित होकर...घर छोड़कर... कर्तव्य को छोड़कर... घर से बाहर आ गए थे!!!!!!! वह पीड़ित थे !!!और उन्होंने ईश्वर को ही नकार दिया!!!!!
ईश्वर क्या तत्व है???? यह समझना ही दर्शन है....ईश्वर कोई लेने देने वाला तत्व नहीं है!!! यही तो वेदांत कहता है!!!! वेदांत गूढ़ है उसे समझने के लिए साधना करना पड़ती है.... भगवान बुद्ध ने वेदांत को नहीं समझा!!!! भगवान बुद्ध वह एक समाज सुधारक थे दार्शनिक नहीं थे!!! वह मृत्यु को देखकर और मृत्यु भय से ग्रसित होकर ।।।अपना घर छोड़कर चले गए थे!!!!! इसलिए उनकी शिक्षा पूरी नहीं हो पाई थी!!!!!! भगवान बुद्ध ने यदि वेदांत को समझ लिया होता तो उनका रूप ही अलग होता!!!!! प्रश्न यह है कि...यदि सामाजिक बुराइयां नहीं होती तो भगवान बुद्ध क्या करते?????और मुख्य बात यह है कि... भगवान बुद्ध के साथ कार्य करने वाले लोग भी ब्राह्मण थे !!!!क्योंकि शास्त्रों को या गूढ़ तत्व को समझना ब्राह्मण के लिए ही संभव था!!!! बुद्ध क्या बोलते थे???? कौन लिखता था??? कब लिखता था??? कुछ पता है क्या???? बुद्ध ने सिर्फ सामाजिक बुराइयों के बारे में कहा!!!! धर्म या दर्शन के बारे में कभी नहीं कहा!!!!! ब्राह्मणों ने ही राजाओं के डराने और प्रताड़ित करने पर उनके प्रवचनों को एक नए धर्म का रूप दे दिया!!! बुद्ध ने कभी अपना धर्म परिवर्तन भी नहीं किया !!!!!बुध सनातनी थे!!! हमेशा सनातनी रहे!!! वह समाज सुधारक थे!!! सनातन धर्म जाति से ऊपर है !!!!कोई भी ज्ञानी व्यक्ति सनातन धर्म में ऋषि का पद प्राप्त कर सकता है !!!! हमारे सनातन धर्म में 20 ऋषि कम से कम शूद्र हैं!!!! संत रैदास कबीर सभी सनातन धर्म के अंतर्गत आते हैं... भगवान बुद्ध की अवतार कहलाते हैं!!!!हम सब को सम्मान देते हैं क्योंकि हम ज्ञान को सम्मान देते हैं!!!! लेकिन नफरत करने की एक प्रवृत्तऔर प्रक्रिया हजारों वर्षों से चल रही है ....यह कभी भी फलीभूत नहीं होगी क्यों??????? क्योंकि यह असत्य है!!! सत्य कौन है???? और क्यों है!!! ध्यान रखो...अनादि सिर्फ सत्य है... और असत्य की मृत्यु निश्चित है!!!!!
सीतारामराधाहरिमांशंभू....
Very true ! True Buddhism is actually very different but in india people aren't aware of it ,your explanation is truely inspiring and relates human behaviour .
Bharat has already gotten rid of this Buddhist flawed ideology.
Wherever Buddhism went the whole country got destroyed. Tibet , Central Asian countries, Burma , Bangladesh, China etc.
Now those countries are stuck with tyrannical ideologies like Islam & communism.
Buddhism is a flawed ideology , we cannot simply assume that everybody is good and there is no evil exist.
सिन्हा भैया....आप इतने बड़े तर्क की व्याख्या करने बैठे हैं.. लेकिन आपकी बातों से ही यह स्पष्ट हो जाता है कि आप पूर्वाग्रह से ग्रसित है!!!!😭 गंगाजल में यदि नाले का पानी मिलाकर पिया जाएगा तो बीमार होना निश्चित है ...🤣और बीमार होने के लिए गंगाजल को पीने वाला आदमी कितना मजबूत है... उसका रेजिस्टेंस पावर कितना है इसका भी ध्यान रखना आवश्यक है... 🤔 आपने शायद मिश्रण के बारे में नहीं पढ़ा... आपकी बातों में भी घृणा का मिश्रण है... लगता है आपने तर्क के बारे में कुछ पढा ही नहीं!!! वेदांत जीवन पदार्थ और तर्क से ऊपर है... तर्क करने के पहले स्वयं को हटाना पड़ता है.. आपकी हर बात में "मैं" घुसा हुआ है🤔😭
सीतारामराधाहरिमांशंभू
माता हरिहर
🌷🙏
ब्राह्मण को गाली बकना धर्म हो गया है... कृष्ण और राम को गाली बकना धर्म हो गया है ...अगर मुसलमान को इस तरह की बात करेंगे... तो इतने जूते पड़ेंगे कि गिनते नहीं बनेगा... सर तन से जुदा हो जाएगा..
यह हिंदू धर्म को तोड़ने और नव बौद्ध बनाने
का धंधा अंग्रेजों और कम्युनिस्ट के साथ.. अनेकों सालों से चल रहा है... बाबा साहब ने भी ऐसा नहीं कहा था ... बाबासाहेब यदि आ जाएंगे तो सबसे पहले इनको जूते मारेंगे...
नफरत करने का धंधा है... दुनिया के बड़े से बड़े बौद्ध देशों को देखो... वह लोग इस प्रकार की मूर्खता पूर्ण और नफरत भरी बात नहीं करते!!!
यह बुड्ढा नकली बुद्ध धर्म की बात करता है... जिस प्रकार की बात कर रहा है यह बौद्ध धर्म की भाषा नहीं है!!! बौद्ध धर्म शांति का धर्म है.. यह नफरत की भाषा है नफरत करने वाले का शरीर जल जाता है... अनेकों बीमारियां होती हैं.... यह बौद्ध धर्म में लिखा है... भगवान बुद्ध को अनेकों लोगों ने गालियां दी ...लेकिन भगवान बुद्ध ने कभी उत्तर नहीं दिया!!! बुरा नहीं कहा... सबसे पहले यह याद रखो.... भगवान बुद्ध ने अपने नाम पर धर्म चलाने की बात ही नहीं थी... उन्होंने समाज को सुधारने की बात की थी...
उनके नाम पर धर्म बनाने का धंधा बाद मैं हुआ इसीलिए वह धर्म नष्ट हो गया!!!
ब्राह्मण ने ही शास्त्र की रक्षा की... भगवान बुद्ध जो कहते थे... उसको समझने और लिखने वाले ब्राह्मण थे !!!और किसी की औकात नहीं थी!!!
ब्राह्मण ने शास्त्रों की रक्षा की... बुद्ध धर्म को लिखने वाले जानने वाले भी सभी ब्राह्मण थे... और कौन होगा???? नालंदा विश्वविद्यालय जल जाने के बाद ब्राह्मणों ने अपने मुंह से पूरे शास्त्र बोल दिए किसी की औकात नहीं है ...ब्राह्मण का यही काम था...
भगवान बुद्ध के साथ भी उनका काम करने वाले सभी ब्राह्मण थे ... मूर्खो को कुछ पता
ही नहीं ...इतना तो जान लो ...विज्ञान भी कहता है कि... नफरत करने से शरीर जलता है ...बीमारियां होती हैं... बौद्ध धर्म नफरत का धर्म नहीं!!!
जिस आदमी के पास अपने लिए कुछ खाने के लिए नहीं होता!!! वह दूसरों की बुराई ही करता रहता है... और अपना शरीर जलाता रहता है...
नवबौद्धों को भटकाने वाले यही लोग हैं..
अगर बाबा साहब आज आ जाते तो इनको सबसे पहले जूते से मारते...
जय सियाराम जय भीम
ब्राह्मण को गाली बकना धर्म हो गया है... कृष्ण और राम को गाली बकना धर्म हो गया है ...अगर मुसलमान को इस तरह की बात करेंगे... तो इतने जूते पड़ेंगे कि गिनते नहीं बनेगा... सर तन से जुदा हो जाएगा..
यह हिंदू धर्म को तोड़ने और नव बौद्ध बनाने
का धंधा अंग्रेजों और कम्युनिस्ट के साथ.. अनेकों सालों से चल रहा है... बाबा साहब ने भी ऐसा नहीं कहा था ... बाबासाहेब यदि आ जाएंगे तो सबसे पहले इनको जूते मारेंगे...
नफरत करने का धंधा है... दुनिया के बड़े से बड़े बौद्ध देशों को देखो... वह लोग इस प्रकार की मूर्खता पूर्ण और नफरत भरी बात नहीं करते!!!
यह बुड्ढा नकली बुद्ध धर्म की बात करता है... जिस प्रकार की बात कर रहा है यह बौद्ध धर्म की भाषा नहीं है!!! बौद्ध धर्म शांति का धर्म है.. यह नफरत की भाषा है नफरत करने वाले का शरीर जल जाता है... अनेकों बीमारियां होती हैं.... यह बौद्ध धर्म में लिखा है... भगवान बुद्ध को अनेकों लोगों ने गालियां दी ...लेकिन भगवान बुद्ध ने कभी उत्तर नहीं दिया!!! बुरा नहीं कहा... सबसे पहले यह याद रखो.... भगवान बुद्ध ने अपने नाम पर धर्म चलाने की बात ही नहीं थी... उन्होंने समाज को सुधारने की बात की थी...
उनके नाम पर धर्म बनाने का धंधा बाद मैं हुआ इसीलिए वह धर्म नष्ट हो गया!!!
ब्राह्मण ने ही शास्त्र की रक्षा की... भगवान बुद्ध जो कहते थे... उसको समझने और लिखने वाले ब्राह्मण थे !!!और किसी की औकात नहीं थी!!!
ब्राह्मण ने शास्त्रों की रक्षा की... बुद्ध धर्म को लिखने वाले जानने वाले भी सभी ब्राह्मण थे... और कौन होगा???? नालंदा विश्वविद्यालय जल जाने के बाद ब्राह्मणों ने अपने मुंह से पूरे शास्त्र बोल दिए किसी की औकात नहीं है ...ब्राह्मण का यही काम था...
भगवान बुद्ध के साथ भी उनका काम करने वाले सभी ब्राह्मण थे ... मूर्खो को कुछ पता
ही नहीं ...इतना तो जान लो ...विज्ञान भी कहता है कि... नफरत करने से शरीर जलता है ...बीमारियां होती हैं... बौद्ध धर्म नफरत का धर्म नहीं!!!
जिस आदमी के पास अपने लिए कुछ खाने के लिए नहीं होता!!! वह दूसरों की बुराई ही करता रहता है... और अपना शरीर जलाता रहता है...
नवबौद्धों को भटकाने वाले यही लोग हैं..
अगर बाबा साहब आज आ जाते तो इनको सबसे पहले जूते से मारते...
जय सियाराम जय भीम
सिन्हां या तो तुम चालाक हो या तुमने वेदांत पढ़ा ही नहीं है...
वेदांत ने कभी यह नहीं पूछा कि... दुनिया किसने बनाई... वेदांत कृतित्व की बात से ऊपर ले जाता है... यह हमारी सामान्य बुद्धि पूछती है... यह किसने बनाया???? वेद कहता है कि यह यह अनादि है... यही वेदांत बताता है ....और विज्ञान भी कहता है... थोड़ा विज्ञान भी पढ़ लो!!! ब्रह्मा का एक दिन इस सृष्टि की आयु है.. जिसमें पिंड लटक रहे हैं ...ब्रह्मा की रात्रि में यह सृष्टि सो जाएगी ...यह वेदांत का सृष्टि उत्पत्ति का सिद्धांत है... तुम ब्राह्मण को मूर्ख कहते हो बुद्ध के सहायक ही ब्राह्मण थे... मूर्खों की तरह बात नहीं करना चाहिए!!! वेदांत ने प्रश्न किया और फिर उत्तर का दर्शन किया है .... जो ज्ञान शब्दों में नहीं कहा जा सके... वह मन के अंदर पैदा होता है !!!! यह व्याकृत... के चक्कर में लोगों को फंसाकर मूर्ख मत बनाओ!!!! ध्यान से सुन...शून्य से किसी चीज की उत्पत्ति नहीं होती... थोड़ा विज्ञान भी पढ़ लो और लोगों को बेवकूफ मत बनाओ... बुद्ध को बदनाम मत करो!!!! बुद्ध के नाम पर यह मत बोलो ईश्वर के बारे में विचार ही मत करो !!!! तुम तो बौद्ध धर्म को सामाजिक संस्था बना रहे हो!!! कितनी बड़ी मूर्खता है ...तुमने दर्शन ही नहीं पढ़ा!!!! ना ही तुम्हें कुछ कहना आता है ...क्योंकि तुम्हारे मन में ही द्वेष है ... तुम्हारे मन में ब्राह्मणों के प्रति... वेदों के प्रति... द्वेष है ...ऐसा लगता है!!!तो तुम्हारी बात सच्ची कैसे होगी ???? भोले भाले सामान्य बुद्धि वाले लोगों को बेवकूफ मत बनाओ!!!
जय सियाराम जय भीम
नमो बुद्धाय जय भीम सर आपका और आपके परीवार का खूप खूप मंगल हो
आपके द्वारा की गई बौद्ध धर्म की व्याख्या बहुत सारगर्भित रही ।
नमन आपको
संक्षेप , सरल,सहज,बुद्ध की सीख! शुक्रिया।
कठिन प्रश्न के सरल और साधारण से उत्तर ।
भगवान और ईश्वर अलग अलग हैं। भगवान वो जो सभी भोग से मुक्त हो। भगवान शब्द का पहली बार उपयोग ही बुद्ध के लिए हुआ था।
"Bhagga rago, Bhagga dvesho, bhagga mohoti bhagwa "
The one who destroyed all the defilement of the mind like cravings, aversion, attachment, desires from the mind with roots and branches archives the degree of being Bhagwan. The Enlightened one !!
ईश्वर जो कि काल्पनिक सृजनकर्ता है। like God.
लेकिन बाद में ईश्वर और भगवान के अर्थ को एक तरह कर दिया गया, जो कि गलत है।
बहुत बहुत धन्यवाद सिन्हा सर
आपने बहुत कम शब्दो में बुद्ध धम्म का दर्शन कराया.जो सभी जगत् का उध्दार करेगा सभी प्राणी मात्र का कल्याणकारी हैं
फिर से एक बार धन्यवाद.
नमो बुद्धाय जय भीम.
बहुत ही सुंदर सरल भाषा में बौद्ध दर्शन की व्याख्या । आप को बहुत बहुत साधु वाद
Thanks for sharing realise wisdam Buddha explain sir namo Buddhyah jaybhim 🙏🙏🙏
*A very simple and sober religion to follow which is full of "Humanity, Equality,Ethics, science and logic.Thanks to you "Sinha Sahab" for simple and sober teaching*🙏
अतिसुंदर,!साधु साधु साधु 🙏
मेरे जीवन में परिवर्तन बुद्ध जी के वजह से है budhha is great
सुंदर प्रवचन प्रथम साधूवाद ग्यान इसी तरह का नास्तीक समाज के लोगो का प्रबोधन करे नमो बुद्धाय
Salute to Dr Sinha.
BEUTIFUL , LOGICAL , SCIENTIFIC , HUMANISTS TEACHINGS HAI GAUTAM BUDDHA JI KE VERY NICE . DUKH HAI TOH USKA CAUSE FIND OUT KARNA CHAHIYE , BIMARI HAI TOH USKA CAUSE FIND OUT KARNA CHAHIYE NA KI BLIND FAITH ME JANA CHAHIYE
धन्य है आप ग्यान की बरसा कर रहे है आप पता नहीं किस किस पुण्य आत्मा स्नान किये 🙏🙏
धन्यवाद गुरुजी, आपने बुद्ध के विचार को एकदम स्पष्ट तरीके से समझाया। प्रणाम। 🙏
कर्म और फल का सिद्धांत वेदांत ने दिया है!!!! कार्य और कारण सिद्धांत भी वेदांत का ही है!!!!! सांख्य दर्शन ने दिया है!!!! इस प्रकार की बातें करना असत्य है!!!! और असत्य बोलने पर हमारा जीवन नष्ट हो जाता है !!!यह भी एक अटल सत्य है!!!!
वेदांत सभी दर्शनों का मूल है !!!आधार है जड़ है!!!!वेदांत ने पुनर्जन्म का सिद्धांत भी दिया है!!!! जो आज के इस वैज्ञानिक युग में सिद्ध हो रहा है !!!! वेदांत कहता है कि... जन्म और मृत्यु दोनों मिथ्या हैं!!!!! मृत्यु होती कहां है???? भगवत गीता में भगवान कृष्ण यही कहते है!!!! और इसे सिद्ध किया जा सकता है कि जन्म और मृत्यु होती ही नहीं!!!!!!!!यही तो समझना है!!!! यह कितना बड़ा सत्य है!!!!भगवान बुद्ध को यह समझ में नहीं आया!!!!! क्योंकि उन्होंने वेदांत को पूर्णतः नहीं समझा!!!!!! क्यों???? क्योंकि भगवान बुद्ध निराशा ग्रस्त हो गए थे!!!! मृत्यु भय से व्यथित होकर...घर छोड़कर... कर्तव्य को छोड़कर... घर से बाहर आ गए थे!!!!!!! वह पीड़ित थे !!!और उन्होंने ईश्वर को ही नकार दिया!!!!!
ईश्वर क्या तत्व है???? यह समझना ही दर्शन है....ईश्वर कोई लेने देने वाला तत्व नहीं है!!! यही तो वेदांत कहता है!!!! वेदांत गूढ़ है उसे समझने के लिए साधना करना पड़ती है.... भगवान बुद्ध ने वेदांत को नहीं समझा!!!! भगवान बुद्ध वह एक समाज सुधारक थे दार्शनिक नहीं थे!!! वह मृत्यु को देखकर और मृत्यु भय से ग्रसित होकर ।।।अपना घर छोड़कर चले गए थे!!!!! इसलिए उनकी शिक्षा पूरी नहीं हो पाई थी!!!!!! भगवान बुद्ध ने यदि वेदांत को समझ लिया होता तो उनका रूप ही अलग होता!!!!! प्रश्न यह है कि...यदि सामाजिक बुराइयां नहीं होती तो भगवान बुद्ध क्या करते?????और मुख्य बात यह है कि... भगवान बुद्ध के साथ कार्य करने वाले लोग भी ब्राह्मण थे !!!!क्योंकि शास्त्रों को या गूढ़ तत्व को समझना ब्राह्मण के लिए ही संभव था!!!! बुद्ध क्या बोलते थे???? कौन लिखता था??? कब लिखता था??? कुछ पता है क्या???? बुद्ध ने सिर्फ सामाजिक बुराइयों के बारे में कहा!!!! धर्म या दर्शन के बारे में कभी नहीं कहा!!!!! ब्राह्मणों ने ही राजाओं के डराने और प्रताड़ित करने पर उनके प्रवचनों को एक नए धर्म का रूप दे दिया!!! बुद्ध ने कभी अपना धर्म परिवर्तन भी नहीं किया !!!!!बुध सनातनी थे!!! हमेशा सनातनी रहे!!! वह समाज सुधारक थे!!! सनातन धर्म जाति से ऊपर है !!!!कोई भी ज्ञानी व्यक्ति सनातन धर्म में ऋषि का पद प्राप्त कर सकता है !!!! हमारे सनातन धर्म में 20 ऋषि कम से कम शूद्र हैं!!!! संत रैदास कबीर सभी सनातन धर्म के अंतर्गत आते हैं... भगवान बुद्ध की अवतार कहलाते हैं!!!!हम सब को सम्मान देते हैं क्योंकि हम ज्ञान को सम्मान देते हैं!!!! लेकिन नफरत करने की एक प्रवृत्तऔर प्रक्रिया हजारों वर्षों से चल रही है ....यह कभी भी फलीभूत नहीं होगी क्यों??????? क्योंकि यह असत्य है!!! सत्य कौन है???? और क्यों है!!! ध्यान रखो...अनादि सिर्फ सत्य है... और असत्य की मृत्यु निश्चित है!!!!!
सीतारामराधाहरिमांशंभू....
बिना विपस्सना किये , बुद्धा को बस ऊपर ऊपर से समझा जा सकता है ।
Vivek is the supreme and make use of it, for a rational and happy life✨
कर्म और फल का सिद्धांत वेदांत ने दिया है!!!! वेदांत ने पुनर्जन्म का सिद्धांत भी दिया है!!!! जो आज के इस वैज्ञानिक युग में सिद्ध हो रहा है !!!! वेदांत कहता है कि... जन्म और मृत्यु दोनों मिथ्या हैं!!!!! मृत्यु होती कहां है???? भगवत गीता में भगवान कृष्ण यही कहते है!!!! यही तो समझना है!!!!भगवान कुछ करता कहां है ?????कर्म फल का सिद्धांत ही यह कहता है!!!!
ईश्वर क्या तत्व है???? यह समझना ही दर्शन है....ईश्वर कोई लेने देने वाला तत्व नहीं है!!! यही तो वेदांत कहता है!!!! वेदांत गूढ़ है उसे समझने के लिए साधना करना पड़ती है....
सीतारामराधाहरिमांशंभू....
कर्म और फल का सिद्धांत वेदांत ने दिया है!!!! कार्य और कारण सिद्धांत भी वेदांत का ही है!!!!! सांख्य दर्शन ने दिया है!!!! इस प्रकार की बातें करना असत्य है!!!! और असत्य बोलने पर हमारा जीवन नष्ट हो जाता है !!!यह भी एक अटल सत्य है!!!!
वेदांत सभी दर्शनों का मूल है !!!आधार है!!! जड़ है!!!!वेदांत ने पुनर्जन्म का सिद्धांत भी दिया है!!!! जो आज के इस वैज्ञानिक युग में सिद्ध हो रहा है !!!! वेदांत कहता है कि... जन्म और मृत्यु दोनों मिथ्या हैं!!!!! मृत्यु होती कहां है???? भगवत गीता में भगवान कृष्ण यही कहते है!!!! और इसे सिद्ध किया जा सकता है कि... जन्म और मृत्यु होती ही नहीं!!!!!!!!यही तो समझना है!!!! यह कितना बड़ा सत्य है!!!!भगवान बुद्ध को यह समझ में नहीं आया!!!!! क्योंकि उन्होंने वेदांत को पूर्णतः नहीं समझा!!!!!! क्यों???? क्योंकि भगवान बुद्ध निराशा ग्रस्त हो गए थे!!!! मृत्यु भय से व्यथित होकर...घर छोड़कर... कर्तव्य को छोड़कर... घर से बाहर आ गए थे!!!!!!! वह पीड़ित थे !!!और उन्होंने ईश्वर को ही नकार दिया!!!!!
ईश्वर क्या तत्व है???? यह समझना ही दर्शन है....ईश्वर कोई लेने देने वाला तत्व नहीं है!!! यही तो वेदांत कहता है!!!! वेदांत गूढ़ है ...उसे समझने के लिए साधना करना पड़ती है.... भगवान बुद्ध ने वेदांत को नहीं समझा!!!! भगवान बुद्ध एक समाज सुधारक थे ....दार्शनिक नहीं थे!!! वह मृत्यु को देखकर और मृत्यु भय से ग्रसित होकर अपना घर छोड़कर चले गए थे!!!!! इसलिए उनकी शिक्षा पूरी नहीं हो पाई थी!!!!!! भगवान बुद्ध ने यदि वेदांत को समझ लिया होता तो ।।।उनका रूप ही अलग होता!!!!! प्रश्न यह है कि...यदि सामाजिक बुराइयां नहीं होती तो भगवान बुद्ध क्या करते????? और यह भी ध्यान रखना आवश्यक है कि वेदांत में जाति कहां से आ जाएगी ????जब वेदांत सिर्फ मनुष्य नहीं प्रकृति के प्रत्येक कण को अपना समझ कर चलता है!!!!! वर्ण व्यवस्था जाति नहीं थी !!!!किसी भी व्यक्ति के आगे सरनेम नहीं था!!! भगवान बुद्ध ने धर्म को समझा नहीं!!! इसीलिए वह धर्म विरोधी हो गए!!!!! अर्थात मरीज का इलाज ना कर के मरीज को ही छोड़ दीया!!!!और ध्यान देने योग्य...मुख्य बात यह है कि... भगवान बुद्ध के साथ कार्य करने वाले लोग भी ब्राह्मण थे !!!!क्योंकि शास्त्रों को या गूढ़ तत्व को समझना ब्राह्मण के लिए ही संभव था!!!! बुद्ध क्या बोलते थे???? कौन लिखता था??? कब लिखता था??? कुछ पता है क्या???? बुद्ध ने सिर्फ सामाजिक बुराइयों के बारे में कहा!!!! धर्म या दर्शन के बारे में कभी नहीं कहा!!!!! ब्राह्मणों ने ही राजाओं के डराने और प्रताड़ित करने पर उनके प्रवचनों को एक नए धर्म का रूप दे दिया!!! बुद्ध ने कभी अपना धर्म परिवर्तन भी नहीं किया !!!!!बुध सनातनी थे!!! हमेशा सनातनी रहे!!! वह समाज सुधारक थे!!! सनातन धर्म जाति से ऊपर है !!!!कोई भी ज्ञानी व्यक्ति सनातन धर्म में ऋषि का पद प्राप्त कर सकता है !!!! हमारे सनातन धर्म में 20 ऋषि कम से कम शूद्र हैं!!!! संत रैदास कबीर सभी सनातन धर्म के अंतर्गत आते हैं... भगवान बुद्ध की अवतार कहलाते हैं!!!!हम सब को सम्मान देते हैं!!!! क्योंकि हम ज्ञान को सम्मान देते हैं!!!! लेकिन नफरत करने की एक प्रवृत्तऔर प्रक्रिया हजारों वर्षों से चल रही है ....यह कभी भी फलीभूत नहीं होगी !!!!! क्यों??????? क्योंकि यह असत्य है!!! सत्य कौन है???? और क्यों है!!! ध्यान रखो...अनादि सिर्फ सत्य है.. इसीलिए अमर है.... और काल से परे है ...अर्थात समय से ऊपर है!!!!!. और असत्य की मृत्यु निश्चित है जो भी विचारधाराएं असत्य से जुड़ी हुई है....नष्ट हो जाएंगी !!!!!मर जाएंगी!!!!!
सीतारामराधाहरिमांशंभू....
According to Buddhist Anantma and Sunyata philosophy ,it is clear there is no independent existing entity like God. I request you Sir to read Buddhist cosmology and it will be clear.
बौद्ध दर्शन की उत्तम व्याख्या 👏👌❣️
धन्यवाद महोदय 🙏
आपसे किसने कहा कि... भगवान से यह कहा जाए कि.... नीम के पेड़ को आम बना दो!!!! यह तो चमत्कार की बात हो गई!!!!!! भगवान बुद्ध ने ...वेदांत को पूरी तरह समझा नहीं!!!! वेदांत चमत्कार की बात नहीं करता!!!! कर्म और फल का सिद्धांत वेदांत ने ही दिया है .... उन्हीं कर्मों के अनुसार इस संसार में पाप और पुण्य हो रहे हैं.... ईश्वर से कोई लेना देना नहीं!!!! सब हमारे ही कर्मों का फल है!!!! ढोलक बजाने पर ढोलक की आवाज़ कान में लौट कर आती है!!!!! मजीरा बजाने पर मजीरे की आवाज कान में लौट कर आती है!!!! यही कर्म और फल का सिद्धांत है!!!!! इस संसार में होने वाली प्रत्येक क्रिया पूर्वजनित कर्मों का फल है!!!! सामूहिक फल भी है!!!! यह सिद्धांत वेदांत ने समझाया !!!!कार्य और कारण सिद्धांत भी वेदांती ने ही दिया!!!! सांख्य दर्शन ने दिया!!!!! अब समझना यह है कि मूर्ति पूजा क्या है????? मूर्ति पूजा महान कला है !!!!!हम आज के विज्ञान के युग में में भी मूर्ति !!!मॉडल और चित्रों की सहायता से सीखते हैं!!!! विज्ञान के अनुसार शब्द भी मूर्ति है!!!!!!मूर्ति पूजा चरित्र का पूजन था!!!! उन चरित्रों से संबंधित मंत्र थे !!!!राम की पूजा में राम का चरित्र होता है!!!! शिव की पूजा एक बहुत बड़ा वास्तु पूजन भी है !!!!मूर्ति का विसर्जन भी मूर्ति पूजा करने वाला ही कर सकता है!!!!! साकार से निराकार की ओर जाने के लिए!!!!!जैसे रामकृष्ण परमहंस जी ने किया.... जिसको इस संसार में जितना समझ में आता है!!!!! वह उतना ही समझ पाता है!!!!ईश्वर को ना मानने से क्या ईश्वर खत्म हो जाएगा!!!! अगर बुद्ध या और कोई अपनी सुविधा या अपने कर्म के अनुसार यह कह देगा कि... ईश्वर नहीं है !!!!!!!तो क्या ईश्वर ने खत्म हो जाएगा!!!! क्या यह हमारे हाथ में है????? प्रश्न यह है हमने यह जानने की कोशिश ही नहीं की कि.... ईश्वर कैसा है ?????और वेदांती ही यह कहता है... अहम् ब्रह्मास्मि!!!!!! ईश्वर का विसर्जन हो जाता है!!!!ईश्वर वैसा नहीं है... जैसा हम सोचते हैं !!!!या भगवान बुद्ध ने समझा!!!! भगवान बुद्ध ने वेदांत को नहीं समझा!!!!! उन्होंने नया रास्ता बदल लिया!! समाज सेवा का रास्ता!!!!!!ईश्वर कैसा है यह जानना सबसे बड़ा प्रश्न है है!!!! इसीलिए वेदांत कहता है ईश्वर सर्वव्यापी है !!!!!क्योंकि वस्तु किसकी???? वस्तु अगर ईश्वर की होगी तो ईश्वर और वस्तु दो अलग-अलग पदार्थ हो जाएंगे !!!!प्रपंच हो जाएगा!!! यही प्रपंच संसार और संसारी का है... अगर भगवान बुद्ध के समय समाज में बुराई नहीं होती तब बुद्ध क्या सोचते???? भगवान बुद्ध एक समाज सुधारक थे!!!!उनका चिंतन उस प्रकार था !!!!
परंतु वेदांत ईश्वरीय चिंतन है !!!यह समाज और सेवा से ऊपर है!!! संपूर्ण ब्रह्मांड का तत्व है... ज्ञान है!!!!!!!! वेदांत दर्शन के मर्म को जानना अत्यंत कठिन है!!!!
सीतारामराधाहरिमांशंभू......
कर्म और फल का सिद्धांत वेदांत ने दिया है!!!! वेदांत ने पुनर्जन्म का सिद्धांत भी दिया है!!!! जो आज के इस वैज्ञानिक युग में सिद्ध हो रहा है !!!! वेदांत कहता है कि... जन्म और मृत्यु दोनों मिथ्या हैं!!!!! मृत्यु होती कहां है???? भगवत गीता में भगवान कृष्ण यही कहते है!!!! और इसे सिद्ध किया जा सकता है कि जन्म और मृत्यु होती ही नहीं!!!!!!!!यही तो समझना है!!!! यह कितना बड़ा सत्य हैभगवान बुद्ध को यह समझ में नहीं आया!!!!! क्योंकि उन्होंने वेदांत को पूर्णतः नहीं समझा!!!!!! क्यों???? क्योंकि वह निराशा ग्रस्त हो गए थे!!!! घर छोड़कर कर्तव्य को छोड़कर बाहर आ गए थे!!!!!!! वह पीड़ित थे और उन्होंने ईश्वर को ही नकार दिया!!!!!
ईश्वर क्या तत्व है???? यह समझना ही दर्शन है....ईश्वर कोई लेने देने वाला तत्व नहीं है!!! यही तो वेदांत कहता है!!!! वेदांत गूढ़ है उसे समझने के लिए साधना करना पड़ती है.... भगवान बुद्ध ने वेदांत को नहीं समझा!!!! भगवान बुद्ध वह एक समाज सुधारक थे दार्शनिक नहीं थे!!! वह मृत्यु को देखकर और मृत्यु भय से ग्रसित होकर ।।।अपना घर छोड़कर चले गए थे!!!!! इसलिए उनकी शिक्षा पूरी नहीं हो पाई थी!!!!!! भगवान बुद्ध ने यदि वेदांत को समझ लिया होता तो उनका रूप ही अलग होता!!!!! प्रश्न यह है कि...यदि सामाजिक बुराइयां नहीं होती तो भगवान बुद्ध क्या करते?????और मुख्य बात यह है कि... भगवान बुद्ध के साथ कार्य करने वाले लोग भी ब्राह्मण थे !!!!क्योंकि शास्त्रों को या गूढ़ तत्व को समझना ब्राह्मण के लिए ही संभव था!!!! बुद्ध क्या बोलते थे???? कौन लिखता था??? कब लिखता था??? कुछ पता है क्या???? बुद्ध ने सिर्फ सामाजिक बुराइयों के बारे में कहा!!!! धर्म या दर्शन के बारे में कभी नहीं कहा!!!!! ब्राह्मणों ने ही राजाओं के डराने और प्रताड़ित करने पर उनके प्रवचनों को एक नए धर्म का रूप दे दिया!!! बुद्ध ने कभी अपना धर्म परिवर्तन भी नहीं किया !!!!!बुध सनातनी थे!!! हमेशा सनातनी रहे!!! वह समाज सुधारक थे!!! सनातन धर्म जाति से ऊपर है !!!!कोई भी ज्ञानी व्यक्ति सनातन धर्म में ऋषि का पद प्राप्त कर सकता है !!!! हमारे सनातन धर्म में 20 ऋषि कम से कम शूद्र हैं!!!! संत रैदास कबीर सभी सनातन धर्म के अंतर्गत आते हैं... भगवान बुद्ध की अवतार कहलाते हैं!!!!हम सब को सम्मान देते हैं क्योंकि हम ज्ञान को सम्मान देते हैं!!!! लेकिन नफरत करने की एक प्रवृत्तऔर प्रक्रिया हजारों वर्षों से चल रही है ....यह कभी भी फलीभूत नहीं होगी क्यों??????? क्योंकि यह असत्य है!!! सत्य कौन है???? और क्यों है!!! ध्यान रखो...अनादि सिर्फ सत्य है... और असत्य की मृत्यु निश्चित है!!!!!
सीतारामराधाहरिमांशंभू....
कर्म और फल का सिद्धांत वेदांत ने दिया है!!!! वेदांत ने पुनर्जन्म का सिद्धांत भी दिया है!!!! जो आज के इस वैज्ञानिक युग में सिद्ध हो रहा है !!!! वेदांत कहता है कि... जन्म और मृत्यु दोनों मिथ्या हैं!!!!! मृत्यु होती कहां है???? भगवत गीता में भगवान कृष्ण यही कहते है!!!! और इसे सिद्ध किया जा सकता है कि जन्म और मृत्यु होती ही नहीं!!!!!!!!यही तो समझना है!!!! यह कितना बड़ा सत्य हैभगवान बुद्ध को यह समझ में नहीं आया!!!!! क्योंकि उन्होंने वेदांत को पूर्णतः नहीं समझा!!!!!! क्यों???? क्योंकि वह निराशा ग्रस्त हो गए थे!!!! घर छोड़कर कर्तव्य को छोड़कर बाहर आ गए थे!!!!!!! वह पीड़ित थे और उन्होंने ईश्वर को ही नकार दिया!!!!!
ईश्वर क्या तत्व है???? यह समझना ही दर्शन है....ईश्वर कोई लेने देने वाला तत्व नहीं है!!! यही तो वेदांत कहता है!!!! वेदांत गूढ़ है उसे समझने के लिए साधना करना पड़ती है.... भगवान बुद्ध ने वेदांत को नहीं समझा!!!! भगवान बुद्ध वह एक समाज सुधारक थे दार्शनिक नहीं थे!!! वह मृत्यु को देखकर और मृत्यु भय से ग्रसित होकर ।।।अपना घर छोड़कर चले गए थे!!!!! इसलिए उनकी शिक्षा पूरी नहीं हो पाई थी!!!!!! भगवान बुद्ध ने यदि वेदांत को समझ लिया होता तो उनका रूप ही अलग होता!!!!! प्रश्न यह है कि...यदि सामाजिक बुराइयां नहीं होती तो भगवान बुद्ध क्या करते?????और मुख्य बात यह है कि... भगवान बुद्ध के साथ कार्य करने वाले लोग भी ब्राह्मण थे !!!!क्योंकि शास्त्रों को या गूढ़ तत्व को समझना ब्राह्मण के लिए ही संभव था!!!! बुद्ध क्या बोलते थे???? कौन लिखता था??? कब लिखता था??? कुछ पता है क्या???? बुद्ध ने सिर्फ सामाजिक बुराइयों के बारे में कहा!!!! धर्म या दर्शन के बारे में कभी नहीं कहा!!!!! ब्राह्मणों ने ही राजाओं के डराने और प्रताड़ित करने पर उनके प्रवचनों को एक नए धर्म का रूप दे दिया!!! बुद्ध ने कभी अपना धर्म परिवर्तन भी नहीं किया !!!!!बुध सनातनी थे!!! हमेशा सनातनी रहे!!! वह समाज सुधारक थे!!! सनातन धर्म जाति से ऊपर है !!!!कोई भी ज्ञानी व्यक्ति सनातन धर्म में ऋषि का पद प्राप्त कर सकता है !!!! हमारे सनातन धर्म में 20 ऋषि कम से कम शूद्र हैं!!!! संत रैदास कबीर सभी सनातन धर्म के अंतर्गत आते हैं... भगवान बुद्ध की अवतार कहलाते हैं!!!!हम सब को सम्मान देते हैं क्योंकि हम ज्ञान को सम्मान देते हैं!!!! लेकिन नफरत करने की एक प्रवृत्तऔर प्रक्रिया हजारों वर्षों से चल रही है ....यह कभी भी फलीभूत नहीं होगी क्यों??????? क्योंकि यह असत्य है!!! सत्य कौन है???? और क्यों है!!! ध्यान रखो...अनादि सिर्फ सत्य है... और असत्य की मृत्यु निश्चित है!!!!!
सीतारामराधाहरिमांशंभू....
@@SuperShambhoo वेदांत दर्शन बुद्धके बाद कयीं शतकों बाद का दर्शन है।🙏
@@mystery_monk jhooth kyon bolte ho
कृपया भारतीय दर्शन के बारे में और वीडियो बनाये । अत्यंत ज्ञानवर्धक है। प्रणाम गुरुजी 🙏
Beautifully explained. Thank you Sir.
अतिशय सुंदर मार्गदर्षन सर 22:26
गुरु जी आप के द्वारा दी जाने वाले सभी ज्ञान वर्धक जानकारी हृदय को प्रसन्नचित कर देता है।🙏🙏🙏🙏🙏👌👌👌👍👍👍🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
आप दीर्घायु हो गुरु जी। प्रणाम।
Ye kisi ke hath me nahi hai Bai ji
बौद्ध दर्शन के सिद्धांतों की इतनी सुन्दर ब्याख्या मैंने आज तक नहीं सुनी थी। बहुत ही सुंदर सर जी बहुत बहुत साधुवाद जय भीम नमो बुद्धाय
सरल स्वभाव से सरलता से समझने के लिए धन्येवाद
जाती न पुच्छो किसिकी, पुच्छलिजिए ज्ञान ।
मोलकरो तरवारका पडा रहनेदो म्यान ॥
कर्म और फल का सिद्धांत वेदांत ने दिया है!!!! वेदांत ने पुनर्जन्म का सिद्धांत भी दिया है!!!! जो आज के इस वैज्ञानिक युग में सिद्ध हो रहा है !!!! वेदांत कहता है कि... जन्म और मृत्यु दोनों मिथ्या हैं!!!!! मृत्यु होती कहां है???? भगवत गीता में भगवान कृष्ण यही कहते है!!!! यही तो समझना है!!!!भगवान कुछ करता कहां है ?????कर्म फल का सिद्धांत ही यह कहता है!!!!
ईश्वर क्या तत्व है???? यह समझना ही दर्शन है....ईश्वर कोई लेने देने वाला तत्व नहीं है!!! यही तो वेदांत कहता है!!!! वेदांत गूढ़ है उसे समझने के लिए साधना करना पड़ती है....
सीतारामराधाहरिमांशंभू....
कर्म और फल का सिद्धांत वेदांत ने दिया है!!!! कार्य और कारण सिद्धांत भी वेदांत का ही है!!!!! सांख्य दर्शन ने दिया है!!!! इस प्रकार की बातें करना असत्य है!!!! और असत्य बोलने पर हमारा जीवन नष्ट हो जाता है !!!यह भी एक अटल सत्य है!!!!
वेदांत सभी दर्शनों का मूल है !!!आधार है!!! जड़ है!!!!वेदांत ने पुनर्जन्म का सिद्धांत भी दिया है!!!! जो आज के इस वैज्ञानिक युग में सिद्ध हो रहा है !!!! वेदांत कहता है कि... जन्म और मृत्यु दोनों मिथ्या हैं!!!!! मृत्यु होती कहां है???? भगवत गीता में भगवान कृष्ण यही कहते है!!!! और इसे सिद्ध किया जा सकता है कि... जन्म और मृत्यु होती ही नहीं!!!!!!!!यही तो समझना है!!!! यह कितना बड़ा सत्य है!!!!भगवान बुद्ध को यह समझ में नहीं आया!!!!! क्योंकि उन्होंने वेदांत को पूर्णतः नहीं समझा!!!!!! क्यों???? क्योंकि भगवान बुद्ध निराशा ग्रस्त हो गए थे!!!! मृत्यु भय से व्यथित होकर...घर छोड़कर... कर्तव्य को छोड़कर... घर से बाहर आ गए थे!!!!!!! वह पीड़ित थे !!!और उन्होंने ईश्वर को ही नकार दिया!!!!!
ईश्वर क्या तत्व है???? यह समझना ही दर्शन है....ईश्वर कोई लेने देने वाला तत्व नहीं है!!! यही तो वेदांत कहता है!!!! वेदांत गूढ़ है ...उसे समझने के लिए साधना करना पड़ती है.... भगवान बुद्ध ने वेदांत को नहीं समझा!!!! भगवान बुद्ध एक समाज सुधारक थे ....दार्शनिक नहीं थे!!! वह मृत्यु को देखकर और मृत्यु भय से ग्रसित होकर अपना घर छोड़कर चले गए थे!!!!! इसलिए उनकी शिक्षा पूरी नहीं हो पाई थी!!!!!! भगवान बुद्ध ने यदि वेदांत को समझ लिया होता तो ।।।उनका रूप ही अलग होता!!!!! प्रश्न यह है कि...यदि सामाजिक बुराइयां नहीं होती तो भगवान बुद्ध क्या करते????? और यह भी ध्यान रखना आवश्यक है कि वेदांत में जाति कहां से आ जाएगी ????जब वेदांत सिर्फ मनुष्य नहीं प्रकृति के प्रत्येक कण को अपना समझ कर चलता है!!!!! वर्ण व्यवस्था जाति नहीं थी !!!!किसी भी व्यक्ति के आगे सरनेम नहीं था!!! भगवान बुद्ध ने धर्म को समझा नहीं!!! इसीलिए वह धर्म विरोधी हो गए!!!!! अर्थात मरीज का इलाज ना कर के मरीज को ही छोड़ दीया!!!!और ध्यान देने योग्य...मुख्य बात यह है कि... भगवान बुद्ध के साथ कार्य करने वाले लोग भी ब्राह्मण थे !!!!क्योंकि शास्त्रों को या गूढ़ तत्व को समझना ब्राह्मण के लिए ही संभव था!!!! बुद्ध क्या बोलते थे???? कौन लिखता था??? कब लिखता था??? कुछ पता है क्या???? बुद्ध ने सिर्फ सामाजिक बुराइयों के बारे में कहा!!!! धर्म या दर्शन के बारे में कभी नहीं कहा!!!!! ब्राह्मणों ने ही राजाओं के डराने और प्रताड़ित करने पर उनके प्रवचनों को एक नए धर्म का रूप दे दिया!!! बुद्ध ने कभी अपना धर्म परिवर्तन भी नहीं किया !!!!!बुध सनातनी थे!!! हमेशा सनातनी रहे!!! वह समाज सुधारक थे!!! सनातन धर्म जाति से ऊपर है !!!!कोई भी ज्ञानी व्यक्ति सनातन धर्म में ऋषि का पद प्राप्त कर सकता है !!!! हमारे सनातन धर्म में 20 ऋषि कम से कम शूद्र हैं!!!! संत रैदास कबीर सभी सनातन धर्म के अंतर्गत आते हैं... भगवान बुद्ध की अवतार कहलाते हैं!!!!हम सब को सम्मान देते हैं!!!! क्योंकि हम ज्ञान को सम्मान देते हैं!!!! लेकिन नफरत करने की एक प्रवृत्तऔर प्रक्रिया हजारों वर्षों से चल रही है ....यह कभी भी फलीभूत नहीं होगी !!!!! क्यों??????? क्योंकि यह असत्य है!!! सत्य कौन है???? और क्यों है!!! ध्यान रखो...अनादि सिर्फ सत्य है.. इसीलिए अमर है.... और काल से परे है ...अर्थात समय से ऊपर है!!!!!. और असत्य की मृत्यु निश्चित है जो भी विचारधाराएं असत्य से जुड़ी हुई है....नष्ट हो जाएंगी !!!!!मर जाएंगी!!!!!
सीतारामराधाहरिमांशंभू....
@@SuperShambhoo sahi kaha bhai apne buddha darshan bhautik siddant pe base he.aur vaidik sidhant spiritually base he.
Buddha na aastik h na nastik wo vastvik h
आपकी बात से सहमत हूं, दादा जी ❤❤❤❤
नमो बुद्धाय
कोटिक साधुवाद अभिनंदन सटीक जानकारी के लिए
श्रेष्ठ ज्ञान से हमको अवगत कराने के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🙏
सत्य नंबर वन या नंबर दो नहीं होता... सत्य सिर्फ एक होता है ...यही वेदांत दर्शन मूल है... जहां दो होते हैं!!! वहां ज्ञान नहीं... संप्रदाय या गुट होता है.. सत्यमेव जयते ... सत्य मेरा या तेरा नहीं होता!!! मेरा या तेरा संप्रदाय होता है...गुट होता है ..यही वेदांत दर्शन का मूल है... और विश्व शांति का मार्ग है..
महागुरु
@@SuperShambhoo अरे शम्भू! मैंने कब कहा कि सत्य एक नंबर दो नंबर होता है?? मैंने कहा कि श्रेष्ठ ज्ञान के लिए धन्यवाद! अब इसमें यह मत बोल देना कि ज्ञान तो श्रेष्ठ ही होता है । प्रत्येक ज्ञान श्रेष्ठ नहीं होता, इसी कारण श्रेष्ठ ज्ञान लिखा है। उदाहरण:- वेदों में द्रव्य यज्ञों (हवन) को वरीयता दी गई है,यज्ञ को ज्ञान माना है। परन्तु श्री मद्भागवत गीता में, यज्ञ के विभिन्न प्रकारों को बताया गया है जैसे कि प्राण यज्ञ, ज्ञान यज्ञ व द्रव्य यज्ञ। और इसमें द्रव्य यज्ञों (हवन) को सबसे निम्न श्रेणी का बताया है भगवान श्री कृष्ण ने। क्यों कि यह मात्र भौतिक वस्तुओं से सम्बद्ध हैं, जो कि अध्यात्म में निम्न है। इस प्रकार, ज्ञान तो दोनों शास्त्रों में है, परन्तु श्रेष्ठ ज्ञान भगवान श्री कृष्ण की श्री मद्भागवत गीता में है। ...सामान्य उदाहरण से देखते हैं:- आपसे कोई पूछे कि कहां हो?, और आप बताएं कि मैं दिल्ली में हूं। यह बात ज्ञान है, सत्य है। वहीं यदि आप बताएं कि मैं करोल बाग, दिल्ली में हूं,तो यह बात भी ज्ञान है, सत्य है। परन्तु यह बात श्रेष्ठ ज्ञान है, क्योंकि आपने सत्यता को सही दिशा से, सही आयाम से, सही प्रकार से विशिष्ट रूप से बताया कि मैं दिल्ली में भी करोल बाग में हूं। .... यही है ज्ञान व श्रेष्ठ ज्ञान में बारीक अन्तर। इसी सत्य के बारीक अन्तर को ही कुछ बाह्मणो ने सामान्य जनों को ग़लत तरीके से प्रस्तुत किया जिससे कि बाह्मणो को धन, ज़मीन, सम्मान आदि का लाभ मिल जाए। परन्तु, इससे श्रेष्ठ ज्ञान सामान्य जनों तक ना पहुंच सका और हमारा देश अन्धकार में रहा, सदियों तक गुलाम रहा।........ आपकी "तेरी -मेरी"वाली भाषा भी सही है, परन्तु मेरी" आपकी -मेरी "भाषा अधिक सही है,अधिक सम्मानजनक है । ........... यदि सत्य एक ही है और बुद्ध ने भी सत्य कहा तो बौद्ध दर्शन को क्यों नहीं पढ़ते बाह्मण ? क्यों कि बुद्ध एक बाह्मण नहीं थे, बुद्ध का सत्य बाह्मण के पाखण्ड की कलई खोलता है इसलिए!!..... बुद्ध ने बाह्मणो के अश्वमेध यज्ञ, नरमेध यज्ञ, गोमेध यज्ञ करना बन्द करवावें क्योंकि इन यज्ञों में घोड़ों, मनुष्यों, गायों की बलि चढ़ाई जाती थी। ..आप बताएं कि मासूम पशुओं को धर्म के नाम पर मारना सही है?? यदि नहीं तो स्पष्ट है कि बाह्मणो द्वारा वेदों से उद्धृत ज्ञान निम्नतम स्तर का ज्ञान है और बुद्ध का ज्ञान श्रेष्ठ ज्ञान है।।....और मेरे भाई, सत्य तो सत्य था, परन्तु मनुष्यों को जातियों में, सम्प्रदायों में बांटा किसने?? बांटा तो बाह्मणो व उनके मानसिकता के लोगों ने !!.... भगवान बुद्ध ने तो जोड़ने का कार्य किया।परन्तु जु़डने से सब समान हो जाते, सब ज्ञान के अधिकारी हो जाते, इसलिए कुछ बाह्मण मानसिकता वाले लोगों का विशेष अधिकार समाप्त हो जाता। अतः उन्होंने बुद्ध का विरोध किया।... सम्भवतः आपको कुछ समझ आया होगा। धन्यवाद!
@@SuperShambhoo सर्वप्रथम समझें कि वेदांत अथवा बौद्ध दर्शन कोई भी सत्य का आधार नहीं है। सत्य का आधार प्रकॗति मात्र है। .जो जो प्रकॖति के सत्य को जान पाया, उस -उसने सत्य को अंगीकार किया, सत्य को कहा, सत्य को लिखा, चाहे वो वेदांत हो, अथवा बौद्ध दर्शन!......और सिर्फ यही दो क्यों? गुरू नानक देव, कबीर साहब की अमॖतवाणी ने भी सामान्य जनों को सत्य से अवगत कराया। अतः सत्य किसी एक ग्रन्थ अथवा व्यक्ति का नहीं, वरन् सम्पूर्ण प्रकृति से आता है।प्रकृति ही सत्य का आधार है। बाकी वेदांत, बौद्ध दर्शन, गुरु वाणी आदि सत्य को ग्रहण करने वाले पात्र हैं। .और आपका कहना कि वेदांत सत्य का मूल है, बचकानी बात है। सत्य का मूल गुरु वाणी नहीं है क्या? ? क्या गुरू नानक देव ने वेदान्त पढ़ कर गुरु वाणी बोली?? अरे, गुरु नानक देव जी ने तो अपना जीवन ही सत्य बना लिया, फिर जो भी उन्होंने बोला,वह सब सत्य था, गुरु वाणी था। ऐसे ही कबीर साहब के दोहे सत्य से करें ! उन्होंने कौन से वेदांत पढ़े ?? भगवान बुद्ध उन्होंने कौन से वेदांत पढ़े? जब जीवन ही सत्य है जाए, तब जो बोलो वो सत्य ही होता है। जब प्रकृति से तारतम्य हो जाता है, तो किसी ग्रन्थ की आवश्यकता नहीं होती, सत्य स्वयं उद्धृत होता है, ज्ञान स्वयं प्रकट होता है। ..... सम्भवतः आप कुछ समझे होंगे। ...और यदि आप सच में वेदांत को मानते हैं तो आप सबको मानते हैं, प्रत्येक सत्य आपका है। क्यों कि वेदांत में ही लिखा है ," यह मेरा है और यह पराया है, यह छोटी सोच वाले बोलते हैं। ज्ञानी व्यक्ति के लिए यह संसार ही घर है।" ..... अतः अपना पराया छोड़िए, और सत्य ग्रहण कीजिए, चाहें वो वेदांत का हो या बुद्ध दर्शन का !!
परिवर्तन संसार का नियम है।
निश्चिय ही यह सोचने वाली बात है, कि कुदरत की सबसे अद्बभुत रचना 'मनुष्य' है।
हर बीतते युग के साथ मनुष्य की बुद्धि का विकास हुआ है।
क्या दुःख, अशान्ति व चिंता भोगने ही मनुष्य संसार में आता है?
महामानव बुद्ध एवं महामानव डॉ. आंबेडकर के जीवनदर्शन से मुझे प्रेरणा मिली है, कि "बुद्धिज्म महान सामाजिक दर्शन है, जो कही भी तथा प्रत्येक जगह पर अपनाया जा सकता है"।
महामानव डॉ. आंबेडकर के "कई कानून और कई समाधान" मुझे स्वीकार है, सोच मेरी निरंतर सकारात्मक है सत्य, अहिंसा और शांति मेरी दुनिया है।
The Indian Constitution will be adopted and the nation will be liberated.
'भारतीय संविधान' आधुनिक महाशक्ति के साथ - साथ राष्ट्र का जीवन खून है।
डॉ. आंबेडकर सृष्टि व सत्य का वो सूर्य है, जिसने 'भारतीय संविधान' में मानवीय जीवन के साथ - साथ जीवजंतु, पेड़ - पौधों को भी जीवन जीने का अधिकार दिया है।
'डॉ. आंबेडकरवाद' प्यार - पढ़ाई से भी अत्यधिक आवश्यक व महत्वपूर्ण "जीवनजीने--जीवनमरण" का प्रकृतिवादी, मानवतावादी, विज्ञानवादी महानतम रिसर्च है, जो दृढ़ संकल्प है।
आंबेडकरिज्म अपनाएंगे - मानव अधिकार पाएंगे !
संविधान अपनाएंगे - राष्ट्र की मुक्ति पाएंगे !!
बुद्धिज्म अपनाएंगे - मानव मुक्ति पाएंगे !!!
बुद्धआंबेडकरवादी एक चिंतनशील लेखक -- रबुआ अंबेडकर
कठोर नैतिकता 🙏
कठोर नैतिक नियम का पालन ही बौद्ध दर्शन है
ये सामाजिक और नैतिक दर्शन है
आसान भाषा मे विश्लेषण.बहुत बढीया
आपके सम्भाषण ज्ञान प्रकाश करने के साथ साथ स्वयं के जीवन को श्रेष्ठ बनाने की प्रेरणा प्रदान करते हैं. हार्दिक धन्यवाद. बेहद की परमशान्ति.
Interesting .
आपको नेपालमे जाकर आचार्य श्रिधर रिम्पोचेजीके साथ नेवारी बौद्ध दर्शन और ध्यान सिक्नेकी लिय अनुरोध कर्ता हु।
Sir...agar aap kii yeh baate hamare Desh ke log samajhte toh aapna Desh bhi sabki tarah Khushal hota..
Sir aapko koti koti Naman🙏
बहुतही, अच्छा संक्षिप्त, दर्शन दिखलाया.धन्यवाद. गुरूजी...साधू,साधू, साधू,..🙏🌹👌🌹
Sir Namaste. You are a great human being. You have vast knowledge of all spiritual books.
Quite Islam and Hinduism and accept Budhism.There is no another way except Dhamma
सरल सटीक सत्य गुरुजी सादर प्रणाम
बुद्धम नमामि
@@BharatDarshanVlog🤣🤣🤣
ब्राह्मण को गाली बकना धर्म हो गया है... कृष्ण और राम को गाली बकना धर्म हो गया है ...अगर मुसलमान को इस तरह की बात करेंगे... तो इतने जूते पड़ेंगे कि गिनते नहीं बनेगा... सर तन से जुदा हो जाएगा..
यह हिंदू धर्म को तोड़ने और नव बौद्ध बनाने
का धंधा अंग्रेजों और कम्युनिस्ट के साथ.. अनेकों सालों से चल रहा है... बाबा साहब ने भी ऐसा नहीं कहा था ... बाबासाहेब यदि आ जाएंगे तो सबसे पहले इनको जूते मारेंगे...
नफरत करने का धंधा है... दुनिया के बड़े से बड़े बौद्ध देशों को देखो... वह लोग इस प्रकार की मूर्खता पूर्ण और नफरत भरी बात नहीं करते!!!
यह बुड्ढा नकली बुद्ध धर्म की बात करता है... जिस प्रकार की बात कर रहा है यह बौद्ध धर्म की भाषा नहीं है!!! बौद्ध धर्म शांति का धर्म है.. यह नफरत की भाषा है नफरत करने वाले का शरीर जल जाता है... अनेकों बीमारियां होती हैं.... यह बौद्ध धर्म में लिखा है... भगवान बुद्ध को अनेकों लोगों ने गालियां दी ...लेकिन भगवान बुद्ध ने कभी उत्तर नहीं दिया!!! बुरा नहीं कहा... सबसे पहले यह याद रखो.... भगवान बुद्ध ने अपने नाम पर धर्म चलाने की बात ही नहीं थी... उन्होंने समाज को सुधारने की बात की थी...
उनके नाम पर धर्म बनाने का धंधा बाद मैं हुआ इसीलिए वह धर्म नष्ट हो गया!!!
ब्राह्मण ने ही शास्त्र की रक्षा की... भगवान बुद्ध जो कहते थे... उसको समझने और लिखने वाले ब्राह्मण थे !!!और किसी की औकात नहीं थी!!!
ब्राह्मण ने शास्त्रों की रक्षा की... बुद्ध धर्म को लिखने वाले जानने वाले भी सभी ब्राह्मण थे... और कौन होगा???? नालंदा विश्वविद्यालय जल जाने के बाद ब्राह्मणों ने अपने मुंह से पूरे शास्त्र बोल दिए किसी की औकात नहीं है ...ब्राह्मण का यही काम था...
भगवान बुद्ध के साथ भी उनका काम करने वाले सभी ब्राह्मण थे ... मूर्खो को कुछ पता
ही नहीं ...इतना तो जान लो ...विज्ञान भी कहता है कि... नफरत करने से शरीर जलता है ...बीमारियां होती हैं... बौद्ध धर्म नफरत का धर्म नहीं!!!
जिस आदमी के पास अपने लिए कुछ खाने के लिए नहीं होता!!! वह दूसरों की बुराई ही करता रहता है... और अपना शरीर जलाता रहता है...
नवबौद्धों को भटकाने वाले यही लोग हैं..
अगर बाबा साहब आज आ जाते तो इनको सबसे पहले जूते से मारते...
जय सियाराम जय भीम
बहुत सरल रूप से बात बताने के लिए धन्यवाद दादाजी. मंगल कामना.
कर्म और फल का सिद्धांत वेदांत ने दिया है!!!! कार्य और कारण सिद्धांत भी वेदांत का ही है!!!!! सांख्य दर्शन ने दिया है!!!! इस प्रकार की बातें करना असत्य है!!!! और असत्य बोलने पर हमारा जीवन नष्ट हो जाता है !!!यह भी एक अटल सत्य है!!!!
वेदांत सभी दर्शनों का मूल है !!!आधार है!!! जड़ है!!!!वेदांत ने पुनर्जन्म का सिद्धांत भी दिया है!!!! जो आज के इस वैज्ञानिक युग में सिद्ध हो रहा है !!!! वेदांत कहता है कि... जन्म और मृत्यु दोनों मिथ्या हैं!!!!! मृत्यु होती कहां है???? भगवत गीता में भगवान कृष्ण यही कहते है!!!! और इसे सिद्ध किया जा सकता है कि... जन्म और मृत्यु होती ही नहीं!!!!!!!!यही तो समझना है!!!! यह कितना बड़ा सत्य है!!!!भगवान बुद्ध को यह समझ में नहीं आया!!!!! क्योंकि उन्होंने वेदांत को पूर्णतः नहीं समझा!!!!!! क्यों???? क्योंकि भगवान बुद्ध निराशा ग्रस्त हो गए थे!!!! मृत्यु भय से व्यथित होकर...घर छोड़कर... कर्तव्य को छोड़कर... घर से बाहर आ गए थे!!!!!!! वह पीड़ित थे !!!और उन्होंने ईश्वर को ही नकार दिया!!!!!
ईश्वर क्या तत्व है???? यह समझना ही दर्शन है....ईश्वर कोई लेने देने वाला तत्व नहीं है!!! यही तो वेदांत कहता है!!!! वेदांत गूढ़ है ...उसे समझने के लिए साधना करना पड़ती है.... भगवान बुद्ध ने वेदांत को नहीं समझा!!!! भगवान बुद्ध एक समाज सुधारक थे ....दार्शनिक नहीं थे!!! वह मृत्यु को देखकर और मृत्यु भय से ग्रसित होकर अपना घर छोड़कर चले गए थे!!!!! इसलिए उनकी शिक्षा पूरी नहीं हो पाई थी!!!!!! भगवान बुद्ध ने यदि वेदांत को समझ लिया होता तो ।।।उनका रूप ही अलग होता!!!!! प्रश्न यह है कि...यदि सामाजिक बुराइयां नहीं होती तो भगवान बुद्ध क्या करते????? और यह भी ध्यान रखना आवश्यक है कि वेदांत में जाति कहां से आ जाएगी ????जब वेदांत सिर्फ मनुष्य नहीं प्रकृति के प्रत्येक कण को अपना समझ कर चलता है!!!!! वर्ण व्यवस्था जाति नहीं थी !!!!किसी भी व्यक्ति के आगे सरनेम नहीं था!!! भगवान बुद्ध ने धर्म को समझा नहीं!!! इसीलिए वह धर्म विरोधी हो गए!!!!! अर्थात मरीज का इलाज ना कर के मरीज को ही छोड़ दीया!!!!और ध्यान देने योग्य...मुख्य बात यह है कि... भगवान बुद्ध के साथ कार्य करने वाले लोग भी ब्राह्मण थे !!!!क्योंकि शास्त्रों को या गूढ़ तत्व को समझना ब्राह्मण के लिए ही संभव था!!!! बुद्ध क्या बोलते थे???? कौन लिखता था??? कब लिखता था??? कुछ पता है क्या???? बुद्ध ने सिर्फ सामाजिक बुराइयों के बारे में कहा!!!! धर्म या दर्शन के बारे में कभी नहीं कहा!!!!! ब्राह्मणों ने ही राजाओं के डराने और प्रताड़ित करने पर उनके प्रवचनों को एक नए धर्म का रूप दे दिया!!! बुद्ध ने कभी अपना धर्म परिवर्तन भी नहीं किया !!!!!बुध सनातनी थे!!! हमेशा सनातनी रहे!!! वह समाज सुधारक थे!!! सनातन धर्म जाति से ऊपर है !!!!कोई भी ज्ञानी व्यक्ति सनातन धर्म में ऋषि का पद प्राप्त कर सकता है !!!! हमारे सनातन धर्म में 20 ऋषि कम से कम शूद्र हैं!!!! संत रैदास कबीर सभी सनातन धर्म के अंतर्गत आते हैं... भगवान बुद्ध की अवतार कहलाते हैं!!!!हम सब को सम्मान देते हैं!!!! क्योंकि हम ज्ञान को सम्मान देते हैं!!!! लेकिन नफरत करने की एक प्रवृत्तऔर प्रक्रिया हजारों वर्षों से चल रही है ....यह कभी भी फलीभूत नहीं होगी !!!!! क्यों??????? क्योंकि यह असत्य है!!! सत्य कौन है???? और क्यों है!!! ध्यान रखो...अनादि सिर्फ सत्य है.. इसीलिए अमर है.... और काल से परे है ...अर्थात समय से ऊपर है!!!!!. और असत्य की मृत्यु निश्चित है जो भी विचारधाराएं असत्य से जुड़ी हुई है....नष्ट हो जाएंगी !!!!!मर जाएंगी!!!!!
सीतारामराधाहरिमांशंभू....
😊
Mi
आपके जैसे महाबुद्धिमान व्यक्ति को मेरा नमस्कार प्रणाम स्वीकार हो।
Jai jinendra
Excellent very nice thank for giving very good knowledge
Thanks again
Thnku guru ji ap itna Spiritual speech Buddha k bare me ..really we so much impressed .. so much knowledge yu keeps about religion... god bless u ..nd stay healthy for life tym😇💓💗👍👍
अद्भुत, बहुत ही सुंदर
कर्म और फल का सिद्धांत वेदांत ने दिया है!!!! वेदांत ने पुनर्जन्म का सिद्धांत भी दिया है!!!! जो आज के इस वैज्ञानिक युग में सिद्ध हो रहा है !!!! वेदांत कहता है कि... जन्म और मृत्यु दोनों मिथ्या हैं!!!!! मृत्यु होती कहां है???? भगवत गीता में भगवान कृष्ण यही कहते है!!!! और इसे सिद्ध किया जा सकता है कि जन्म और मृत्यु होती ही नहीं!!!!!!!!यही तो समझना है!!!! यह कितना बड़ा सत्य हैभगवान बुद्ध को यह समझ में नहीं आया!!!!! क्योंकि उन्होंने वेदांत को पूर्णतः नहीं समझा!!!!!! क्यों???? क्योंकि वह निराशा ग्रस्त हो गए थे!!!! घर छोड़कर कर्तव्य को छोड़कर बाहर आ गए थे!!!!!!! वह पीड़ित थे और उन्होंने ईश्वर को ही नकार दिया!!!!!
ईश्वर क्या तत्व है???? यह समझना ही दर्शन है....ईश्वर कोई लेने देने वाला तत्व नहीं है!!! यही तो वेदांत कहता है!!!! वेदांत गूढ़ है उसे समझने के लिए साधना करना पड़ती है.... भगवान बुद्ध ने वेदांत को नहीं समझा!!!! भगवान बुद्ध वह एक समाज सुधारक थे दार्शनिक नहीं थे!!! वह मृत्यु को देखकर और मृत्यु भय से ग्रसित होकर ।।।अपना घर छोड़कर चले गए थे!!!!! इसलिए उनकी शिक्षा पूरी नहीं हो पाई थी!!!!!! भगवान बुद्ध ने यदि वेदांत को समझ लिया होता तो उनका रूप ही अलग होता!!!!! प्रश्न यह है कि...यदि सामाजिक बुराइयां नहीं होती तो भगवान बुद्ध क्या करते?????और मुख्य बात यह है कि... भगवान बुद्ध के साथ कार्य करने वाले लोग भी ब्राह्मण थे !!!!क्योंकि शास्त्रों को या गूढ़ तत्व को समझना ब्राह्मण के लिए ही संभव था!!!! बुद्ध क्या बोलते थे???? कौन लिखता था??? कब लिखता था??? कुछ पता है क्या???? बुद्ध ने सिर्फ सामाजिक बुराइयों के बारे में कहा!!!! धर्म या दर्शन के बारे में कभी नहीं कहा!!!!! ब्राह्मणों ने ही राजाओं के डराने और प्रताड़ित करने पर उनके प्रवचनों को एक नए धर्म का रूप दे दिया!!! बुद्ध ने कभी अपना धर्म परिवर्तन भी नहीं किया !!!!!बुध सनातनी थे!!! हमेशा सनातनी रहे!!! वह समाज सुधारक थे!!! सनातन धर्म जाति से ऊपर है !!!!कोई भी ज्ञानी व्यक्ति सनातन धर्म में ऋषि का पद प्राप्त कर सकता है !!!! हमारे सनातन धर्म में 20 ऋषि कम से कम शूद्र हैं!!!! संत रैदास कबीर सभी सनातन धर्म के अंतर्गत आते हैं... भगवान बुद्ध की अवतार कहलाते हैं!!!!हम सब को सम्मान देते हैं क्योंकि हम ज्ञान को सम्मान देते हैं!!!! लेकिन नफरत करने की एक प्रवृत्तऔर प्रक्रिया हजारों वर्षों से चल रही है ....यह कभी भी फलीभूत नहीं होगी क्यों??????? क्योंकि यह असत्य है!!! सत्य कौन है???? और क्यों है!!! ध्यान रखो...अनादि सिर्फ सत्य है... और असत्य की मृत्यु निश्चित है!!!!!
सीतारामराधाहरिमांशंभू....
Fully impersonal and unbiased explanation... very nice 👍🎉
बहुत बढ़िया सिन्हा जी इतनी अच्छी तरह से कोई भी व्यक्ति मुझे नहीं समझा पाता
Another gem is shared by Panditji., Need more such discourses 🙏🙏
Very very nice we feel fortunate for the spirtual knowledge in convenient and simple mode this is use ful for humanity.thanks Sir.
बुद्ध ने ब्राह्मण थ्योरी का विरोध किया
वैद तो था ही नहीं
बुद्ध को ज्ञान को मानने के बाद अंततः एक व्यक्ति को संपूर्ण आत्मिक शांति नहीं मिल सकती। कुल मिलाकर बुद्ध का ग्यान शुष्क और कोरा तर्क़ पर आधारित है।
देखिए भगवान बुद्ध ने जो बताया कि सुख दुख में सहयोग करिए । लेकिन सभी लोग गरीबी से पीड़ित हैं।तो एक अमीर आदमी जहां धन की बात आ जाती है वहां तो लोग अपने भाई की भी मदद नहीं करते।तो कुल मिलाकर बौद्ध के अष्टांग योग का पालन किया जाए तब तो आप को शांति मिलेगी। लेकिन फिर भौतिक साधनों को त्याग करना पड़ेगा। भगवान बुद्ध ने यही तो किया है।तो कलयुग में बौद्ध धर्म का पालन कैसे कर सकते हैं आप लोग। बौद्ध धर्म में ये बहुजन चुनाव आदि कुछ नहीं हो सकता। समानता भी नहीं रह सकती क्योंकि कुछ लोग बहुत पैसा बाले होंगे तो कुछ गरीब । इसलिए जीवन स्तर अंतर रहेगा। जाति वाद में सिर्फ ब्राह्मण को दोषी मानते हैं। लेकिन आप एक आदिवासी हरिजन पिछड़े समाज में देखिए कितनी जातियां हैं। ब्राह्मण में भी कई उपजातियां है है। बहुत सारी विसंगतियां हैं।
सभी शास्त्र के ज्ञानी जी ,इतने बड़े स्वघोषित बुद्ध भगवान थे भारत से कैसे गायब हो गये, इस पर भी अपने ज्ञान का प्रकाश डाल ही दीजिए क्यो कि जनता तो मूर्ख है आपके सामने!
Guru Ji Sinha is truly a lion of an intellectual and a treasure of dharmic civilization. May he live long and continue to be a light to eliminate the darkness of ignorance!!!
बहुत ही सुंदर एवं सरल व्याख्या I
🙏 sir आपने बहुत अच्छे तारिके से बुद्ध के विचार समझाये धन्यवाद
Great respect for you sir🙏🏻🙏🏻
Sir, no words to express my gratitude to you and yr knowledge. Thanks a lot. साधु साधु साधु.
909
It is very fine thought of lord Buddha al world must accept
प्रचंड विद्वान मनुष्य🙏🙏🙏
आपकी स्मृति मेरे जीवन के आखिरी सांस तक रहेगी।
I really respect to your teaching.keep it continuously.thank you very much guru ji .
Bahut accha, Dadaaji!🙏🙏🙏
बुद्ध अष्टांग मार्ग का बहुत सुंदर विवरण सन्देश है गुरूदेव ज्ञान नमन
Buddha was a visionary leader from sharmana tradition
Sharamana dhara( jain, bodh) vs vedic dhara
सम्यक दृष्टि का मतलब है, चीज़ें जैसी हैं, उनको वैसा ही देखा, perception मत बनाओ। क्यूँकि perception दुख का कारण होता है।
भगवान बुद्ध की इस दुनिया को देण है.
चार आर्य सत्य, आर्य अष्टांग मार्ग.
कार्यकारण भाव- प्रतित्य समुत्पाद , पाच बल, सात बोध्यंग, विपस्सना ध्यान, पंचस्कंध.
ब्रम्हविहार = मेता, करुणा मुदिता, उपेक्षा.
मेता - मैत्री
करुणा - हर प्राणी के प्रती प्रेम
मुदिता - आनंदी रहेना
उपेक्षा - समता भावना
☝️इन चिजो का ज्ञान हुआ तो हर व्यक्ती खूष रहेगा.
Aapko sadar naman. Bahut sundar tarike se bataya aapne.
Dr singha has such a great knowledge on Buddhism which even buddhist monks dont have.
Who certified? There are liberated monks!!!
@@premnathdeshbhratar5019 liberated monk 😂😂
डाक्टर सिन्हा जी, जिस भी विषय पर चर्चा करते हैं वे सारे विषय ही सकारात्मक लगने लगते हैं क्योंकि ये जिस विषय पर चर्चा करते हैं उसके सकारात्मक पक्ष पर प्रकाश डालने का प्रयास करते हैं यह डाक्टर साहब की चर्चा की विशेषता है! सकारात्मक पक्ष को लेकर उसे जीवन में उतारने का प्रयास ही जीवन जीने की कला है!
Inse behtar gyani bahut h
Sir, you have awesome explanations of Buddhism.
Bahut achha buddh darshan
इस महापुरुष को सादर नमन।
बुद्धम शरणं गच्छामि : मैं बुद्ध की शरण लेता हूँ।
धम्मम शरणं गच्छामि: मैं धर्म की शरण लेता हूँ।
संघम शरणं गच्छामि: मैं संघ की शरण लेता हूँ।
शरण नंही सरण यानी अनुसरण करना 🙏
सादर नमस्कार Great Teacher
ACHCHHI jankari di gai hai aapake dwara
Dhanyawad guru ji aapne to hamaari lagbhag puri naasamzi dur kar di 🙏
100,%सत्य है आपको हमारी उम्र लग जाए
बहुत ही सरल भाषा में अति ज्ञानvardhak नमो नमः दादा जी
Great respect for you sir
Aap jase darshanik ki dunya n ko bahut jarurat h Aaj bhi h aur kal bhi rahegy aur sage bh sada rahegy
धन्यवाद गुरुजी आपने सत्येको बतानेको।
पर्तित्तय समुत्पाद के १२ कडिसे कलेषको निरोध करके सबको मुक्ति मिले साधु साधु साधु।