तुमने क्यों कहा था, मैं सुंदर हूं

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  • čas přidán 22. 08. 2024
  • परिचय - यशपाल का जन्म 3 दिसम्बर 1909 ई . में फिरोजपुर छावनी में खत्री परिवार में हुआ । इनके पिताजी का नाम हीरालाल तथा माता जी का नाम श्रीमती प्रेमवती था । इनकी माता जी फिरोजपुर छावनी के एक अनाथालय में अध्यापिका थी । वहीं पर इनका लालन - पालन हुआ । इनके पिता कांगड़ा में नौकरी करते थे तथा माता जी फिरोजपुर में अध्यापिका थीं । घर की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण माता जी को कांगड़ा से दूर फिरोजपुर में कार्य करना पड़ रहा था । इनके पिता का निधन इनके किशोरावस्था में हो गया था । इनके व्यक्तित्व निर्माण में इनकी माता जी का प्रभाव है ।
    इनके पिता के निधन के बाद माता पंजाब में बस गई । इनकी माता जी आर्य समाजी विचारधारा की थी । इसलिए उन्होंन दोनों पुत्रों को भी आर्य समाज में दीक्षित किया । उनकी प्रारंभिक शिक्षा गुरुकुल में हुई । छठी कक्षा तक यहाँ शिक्षा ग्रहण करने के बाद सातवीं कक्षा में यह लाहौर आ गए ।
    साहित्यिक परिचय
    यशपाल का साहित्यिक जीवन वेदना व कष्ट की अग्नि से तप कर बना है। क्रांतिकारी जीवन से प्राप्त साहस और निर्भीकता की नींव पर उनके साहित्य की इमारत खड़ी हुई है।
    1938 में उन्होंने ' विप्लव ' नामक पत्रिका का प्रकाशन प्रारंभ किया । इस काम में उनकी सहायता उनकी पत्नी प्रकाशवती करती थीं । आर्थिक परेशानियों के बावजूद उन्होंने सन् 1940 तक इस पत्रिका का प्रकाशन निरंतर किया । लेकिन सन् 1940 में वे अपने क्रांतिकारी विचारों के कारण गिरफ्तार कर लिए गये तो बाध्य होकर उन्हें ' विप्लव पत्रिका का संपादन बंद करना पड़ा । सन् 1941 में थे रिहा हो गए मगर उनके क्रांतिकारी विचार मंद न पड़े ।
    सन् 1913 में इन्होंने ' देशद्रोही ' उपन्यास की रचना की । ।
    इसके विपरीत यशपाल ने अपने इस अभियान को संजोकर रखा है ।
    यशपाल को विभिन्न मान - सम्मान , उपाधियों - पुरस्कारों से नवाजा गया.

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