कबीर भजन प्रस्तुत★तेरी धीरे धीरे जा रही है धोखे में उमरिया यार●●●

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  • čas přidán 27. 08. 2024
  • कबीर भजन प्रस्तुत★तेरी धीरे धीरे जा रही है धोखे में उमरिया यार●●●#साध्वी किरन साहेब
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    "तेरी धीरे-धीरे जा रही उमरिया" इस वाक्य में जीवन की अस्थिरता और समय की अनमोलता का भाव स्पष्ट होता है। जीवन धीरे-धीरे बीतता जाता है, और समय का पहिया रुकता नहीं है। यह सोचने पर मजबूर करता है कि हमें अपने जीवन को किस प्रकार सार्थक और उद्देश्यपूर्ण बनाना चाहिए।
    जीवन की इस अस्थिरता को समझना और इसे स्वीकार करना हमें अपने समय का सदुपयोग करने की प्रेरणा देता है। हम अक्सर दैनिक जीवन की व्यस्तताओं में उलझ जाते हैं और महत्वपूर्ण बातों को नजरअंदाज कर देते हैं। यह वाक्य हमें याद दिलाता है कि हर एक क्षण कीमती है और हमें इसे बेकार नहीं गंवाना चाहिए।
    जीवन की इस यात्रा में हमें अपने लक्ष्यों, सपनों और इच्छाओं को पहचानना चाहिए और उन्हें प्राप्त करने के लिए प्रयासरत रहना चाहिए। साथ ही, हमें अपने प्रियजनों के साथ समय बिताना, खुशियां बांटना और सच्चे संबंधों को महत्व देना चाहिए।
    यह वाक्य आत्म-चिंतन और आत्म-विश्लेषण का अवसर प्रदान करता है। यह हमें अपने जीवन को पुनः समीक्षा करने और उसमें सुधार करने की प्रेरणा देता है। धीरे-धीरे बीतते जीवन के हर क्षण का सम्मान करते हुए, हमें अपने उद्देश्य और कर्तव्यों को पहचानना चाहिए और अपने जीवन को सार्थक और मूल्यवान बनाना चाहिए।

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