इच्छाओं को नियंत्रित कैसे करूँ? || आचार्य प्रशांत (2024)
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- čas přidán 29. 04. 2024
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वीडियो जानकारी: 30.01.24, बोध प्रत्यूषा, ग्रेटर नॉएडा
प्रसंग:
~ इच्छाओं को नियंत्रित कैसे करूँ?
~ दुख से हम मुक्ति कैसे पा सकते हैं?
~ महात्मा बुद्ध ने दुख से बचने के लिए किस पर वार करने को कहा था?
~ हर बात के लिए सजग कैसे रहें?
~ जीवन में आफ़त कब आती है?
संगीत: मिलिंद दाते
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#acharyaprashant
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Bhitar baitha janvar
हमारे भीतर एक बहुत बड़ा जानवर बैठा हुआ है, जिसको अच्छा नहीं लगता ज्ञान, समझदारी,बोध को पसंद ही नहीं करता है,और वह बहुत खुश हों जाता है बिहोशी के हालत में, अपने विरुद्ध बहुत सतर्क रहिए
वाह भाई. सुन्दर
हमारे भीतर मैं सही हूँ, के अहंकार का जानवर बैठा हुआ है, जो प्राकृतिक तरीके से बस खाना, सोना और प्रजनन करना चाहता है , और बहुत खुश हो जाता है, इसी बेहोशी में, अपने जैसे ही लोगो के बीच रहकर, और इसे ही जीवन का सार, जीवन की खुशी समझता है, जिसको ज्ञान अच्छा नही लगता, समझदारी की बाते पसंद नही आती, जगाने जाओ तो बिफर जाता है, आरोप लगता है, अपमानित करता है, या कमजोर पड़ने पर दुखड़ा रो रो कर , शिकायतें करके सहानुभूति चाहता है।
बस इतनी सी बात है ।
निष्कामता का मतलब ही यही है कि सही काम का अंजाम गलत नहीं हो सकता है,
जीवन में बड़ी घटना का इंतजार मत कीजिए, छोटी छोटी घटनाओं से बहुत कुछ सीख लिजिए,
सही बात हैं भाई
कार्य कारण की अभिव्यक्ति होती है,जहां तकलीफ हो वहीं बार बार देखना है, उसको और ज्यादा देखना है,
बड़ी घटना का इंतजार मत कीजिए। बेहोशी में कोई शब्द, कर्म मत कीजिए। एक-एक छोटी बात का ख्याल रखना है। भीतर का जानवर जानना चाहता नहीं है। अगर जान लिया तो बदलना पड़ेगा। जिस चीज़ की सच्चाई से बच बच के चल रहे हैं, वही पर हमारा चोर बैठा है। 🙏
अगर खुद को जानना मुश्किल लग रहा है तो एकदम निचले तल से सुरू करें।अपने कर्मो को देखना,देखो की शरीर ज्यादा किस कर्म की और भाग रहा है।उससे भीतरी कारण का पता चलता है माने मन का,और जब मन का पता चलने लगता है तो उसके पीछे का जो कारण है अहम उसका भी पता लग ही जायेगा बार बार अभ्यास करने से।फिर जिंदगी कुछ सुलझती है,नहीं तो ऐसा नहीं हो सकता की बेहोशी से बाहर आ सके।
Love ❤️ from india jharkhand jamshedpur jugsalai chaprahiya
प्रशांतजी के अध्यात्म चींतन बडी गहेराई से हे कमसेकम वो सत्यके करीब तो हे 🙏🙏🙏
Jaha dard ho ,whi dekhiye
Nishkamta ka arth hi yehi h ki shi kam ka anjam galt nhi hota, 🌼🕉️🌼🙏🙏
Grateful for your teachings sir 🙏🙏🙏🙏
धन्यवाद आचार्य श्री, शुक्रिया नव जीवनदान देने हेतु ❤
Thank you so much 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 Guru dev ❤❤❤❤
Hamko jagane ke liye
हर छोटी से छोटी चीज पर ध्यान देना होगा । कर्ता को जानना है तो कर्म को देख लो।
Hamare swarth ko chot pahuchti hai isliye hm us baat ko janna nhi chahte bilkul aisa hi hai
Pr hame jaanna padega or koi rasta nhi h ab
Sat Sat Naman Acharya Jee
Prnam Aacharya ji
Namaskar aachaya ji 🙏🙏💐💐🌺🌺♥️
salute sir
, thank you
प्रणाम आचार्य जी ❤❤
Guru ji ko dhanyawad
Aacharya jiii ko sat sat Naman 🙏🙏🙏🙏🌺🌺🌺🌺🌺
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Naman Acharya ji 🙏❤
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👍👍🙏🙏💯💯💯🔥🔥
Naman sir ❤❤
Pronam
👌
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13:13
,̲🙏🙏
Circle ko centre prabhavit aur paribhashit karta hain
🙏🙏🙏🙏🙏🌺🌺
Sir hamara bhi kuchh aysa hi he🙏🙏🙏🙏
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सोशल मीडिया पर एक भैस को खाने के लिए निर्मम हत्या कि गयी
मुझे तो सिर्फ प्रकृति या ईश्वर पर ही गुस्सा आया
ऐसे जानवरों को जन्म ही क्यों देती हैं जो तमाम जीवों के लिए धातक सिद्ध होते हैं 😡😠😠
आचार्य जी 🙏 और कुछ संत महात्मा मानवता की रक्षा के लिए संधर्ष रत होते हैं😢
प्रकृति भी एक अज्ञानी मां की तरह है ,कैसो को भी जन्म देती है😢😢
Main judna chahta hoon yadi AP icchuk hain to mujhe samil karein please is bat ki Puri guarantee ki main apko paresan nahi karunga .
Pranam Achary ji kabhi maan Anad me rahta h kabhi dard vedna me kay bhotik deh ki har Ayou umr me maan ki dasha bhi paribartit hoti h 2006 esh ghatna ke vad humesha maan bhitar ke dheyan me hi rahta bahar ki koi bisay busto ko bhitar maan nakar deta h Achary ji samaj me jab kisi ke saath koi ghatna ghatit har aam samajik insan hume kay karna humari saath ya humari behin beti ke saath thori kuch hua un zagal ke banar bhalu jamvanti sogrim Agadi nal nil bo bhi humari jaise chhoti soch Ram ki ladai hum tavan se paga kyo le un banaro ki uchay chetna mahani kary sachai ke liye apni jani tak nichhabar kar di satyata sach ke saath Ram kaji me bo banar the our hum insan chetna hokar bo banar hokar satya ke uchay sikhar ka kay kar gye hum insan hokar niche gite gye hum kaise apne aap ko insan bol sakte
Aap nahi hote toh kya hota aacharyaji.
21वी सदी को आपके जैसे महान विचारक की बहुत ज़रूरत है.
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