Shri Jagannath Ashtakam |श्रीजगन्नाथ अष्टकम | Sri Jagannath Astakam with lyrics in Odia

Sdílet
Vložit
  • čas přidán 5. 09. 2024
  • Shree Jagannath Ashtakam with Lyrics in Odia | ଜଗନ୍ନାଥ ଅଷ୍ଟକମ |
    Lyrics:- Adi Sankaracharya
    Sloka Chanting: Biplab Das
    Music Arrangement: Chinmay Kumar Mala
    Mixing & Video Editing: Preetish Sahoo
    Production: Sri Purushottam
    jagannath ashtakam,sri jagannath ashtakam,jagannath,jagannath astakam,jagannath ashtakam mp3,jagannath ashtakam with lyrics,jagannath ashtakam audio,sri jagannath astakam,jagannath astakam odia,jagannath ashtakam in sanskrit,jagannath puri,jagannatha ashtakam,jagannath bhajan,jagannath stotram
    #jagannath_ashtakam
    #jagannathastakamdasa
    #kadichitkalandi
    Complete Lyrics of Jagannath Astakam in Hindi
    कदाचित् कालिन्दी तट विपिन सङ्गीत तरलो
    मुदाभीरी नारी वदन कमला स्वाद मधुपः
    रमा शम्भु ब्रह्मामरपति गणेशार्चित पदो
    जगन्नाथः स्वामी नयन पथ गामी भवतु मे ॥१॥
    भुजे सव्ये वेणुं शिरसि शिखिपिच्छं कटितटे
    दुकूलं नेत्रान्ते सहचर-कटाक्षं विदधते ।
    सदा श्रीमद्‍-वृन्दावन-वसति-लीला-परिचयो
    जगन्नाथः स्वामी नयन-पथ-गामी भवतु मे ॥२॥
    महाम्भोधेस्तीरे कनक रुचिरे नील शिखरे
    वसन् प्रासादान्तः सहज बलभद्रेण बलिना ।
    सुभद्रा मध्यस्थः सकलसुर सेवावसरदो
    जगन्नाथः स्वामी नयन-पथ-गामी भवतु मे ॥३॥
    कृपा पारावारः सजल जलद श्रेणिरुचिरो
    रमा वाणी रामः स्फुरद् अमल पङ्केरुहमुखः ।
    सुरेन्द्रैर् आराध्यः श्रुतिगण शिखा गीत चरितो
    जगन्नाथः स्वामी नयन पथ गामी भवतु मे ॥४॥
    रथारूढो गच्छन् पथि मिलित भूदेव पटलैः
    स्तुति प्रादुर्भावम् प्रतिपदमुपाकर्ण्य सदयः ।
    दया सिन्धुर्बन्धुः सकल जगतां सिन्धु सुतया
    जगन्नाथः स्वामी नयन पथ गामी भवतु मे ॥५॥
    परंब्रह्मापीड़ः कुवलय-दलोत्‍फुल्ल-नयनो
    निवासी नीलाद्रौ निहित-चरणोऽनन्त-शिरसि ।
    रसानन्दी राधा-सरस-वपुरालिङ्गन-सुखो
    जगन्नाथः स्वामी नयन-पथगामी भवतु मे ॥६॥
    न वै याचे राज्यं न च कनक माणिक्य विभवं
    न याचेऽहं रम्यां सकल जन काम्यां वरवधूम् ।
    सदा काले काले प्रमथ पतिना गीतचरितो
    जगन्नाथः स्वामी नयन पथ गामी भवतु मे ॥७॥
    हर त्वं संसारं द्रुततरम् असारं सुरपते
    हर त्वं पापानां विततिम् अपरां यादवपते ।
    अहो दीनेऽनाथे निहित चरणो निश्चितमिदं
    जगन्नाथः स्वामी नयन पथ गामी भवतु मे ॥८॥

Komentáře • 14