विनय आर्य जी बहुत स्पष्ट व तार्किकता पुर्ण बात की है आगे भी ऐसी चर्चा होनी चाहिए. आज जिस तरह चरणामृत की पुंगी बजी है वैसे ही लोगों को पता चले कि समाज में ऐसी अनेक प्रथा चल रहें हैं जिसका धर्म से दुर दुर तक नाता नहीं है.
नेहा राजपूत जी जी आप बहुत अच्छा काम कर रही हैं पर जिस तरह से आप यहाँ अपने मेहमान के साथ बैठी हैं ये🤨 कहीं से भी कोई शालीन तरीका नहीं है, एक विद्वान और धार्मिक लोगों के सामने इस तरह की गंभीर चर्चा में 🙏🙏
योगी जी और इस्कॉन के गुरु जी ने अन्य दोनों विद्वानो को तार्किक उतर नही दिया। दोनों विद्वानो विनय आर्यजी और लाजपत राय ने धर्म इत्यादि विषयों को सीधा सीधा अच्छी और सरल तरीके से समझाया। जबरदस्त डिबेट थी
ऋग्वेद के कुछ मन्त्र का 8/33/17 स्त्री की बुद्धि या मन कैसा होता है,. 10/95/15 स्त्री का हृदय कैसा होता है और स्वभाव कैसा होता है, यजुर्वेद से 23/ 19 मंत्र से आगे के मन्त्रो का ज्यान विज्यान बताये???
@@RiteshKumar-nl8uu वेद को पूर्णत: पढ़ो, पता चलेगा कि वेद को मानने से ही सम्पूर्ण सत्य का ग्रहण हो जाता है ! इसलिए जो वेद को नहीं मानता उसी को मनु महाराज ने नास्तिक कहा है- नास्तिको वेद निन्दक: !
@@devendrashastri9221 बिल्कुल सच कहा आपने , वेदों को नहीं मानने वाला अवश्य हि नास्तिक है। श्री रामानुजाचार्य, वल्लभाचार्य, विष्णु स्वामी, निम्बारकाचार्य तथा आदि शंकरचार्य जी ने भी इस बात कि पुष्टि कि है कि श्रीमदभगवदगीता समस्त् वेदों का सार है । गीता में श्री कृष्ण कहते हैं कि वही परम सत्य और परम ईश्वर हैं, समस्त वेदों को जानने वाले भी वही हैं। समस्त वेदों का लक्ष्य भी उन्हें जानना है। पुनः कहते हैं कि केवल भक्त हीं उन्हें जान सकता है। अर्थात् वेद से भी भगवान को प्राप्त करना है और भक्ति से भी। यह भी बताते हैं कि भक्ति मार्ग अधिक सुगम है। और अंततः आज्ञा देते हैं कि सभी धर्मों का परित्याग करके एक मात्र उनकी शरण ग्रहण कर ली जाये। किन्तु आर्य समाज के माननीय प्रवक्ता तो इस बात को मानते हि नहींं । अवश्य हीं वेद पूजनीय और अनुसरनीय है, किन्तु कलियुग के जीवों कि जैसी बुद्धि और् आयु है, वे समुपर्ण वेदों को समझ पाएं ये बहुत कठिन है, अतः ऐसी स्थिती में क्या हम जैसे कलियुगी जीवों को वेदों के सार श्रीमद भगवदगीता कि शरण ग्रहण नहीं करनी चाहिए? कृपया मेरे शंशय का समाधान प्रदान करें 🙏🏻 यदि प्रश्न पुछने में भूल हुई हो तो क्षमा करें 🙏🏻
(वेद स्वत प्रमाण्यं) महर्षि कपिल -----ईश्वरीय ज्ञान होने से वेद स्वत प्रमाण हैं संसार में कोई भी कार्य सिद्ध करना हो तो इसमें वेद ही प्रमाण है अन्य मनुष्य कृत ग्रंथ नहीं क्योंकि मनुष्य अल्पज्ञ वाला है इसलिए उसका ज्ञान भी अल्पज्ञ है वेदोSखिलों धर्म मूल अर्थात वेद सब धर्मो का मूल है।
नेहा राजपूत जी जी आप बहुत अच्छा काम कर रही हैं पर जिस तरह से आप यहाँ अपने मेहमान के साथ बैठी हैं ये🤨 कहीं से भी कोई शालीन तरीका नहीं है, एक विद्वान और धार्मिक लोगों के सामने इस तरह की गंभीर चर्चा में 🙏🙏
पूरा न्याय दर्शन तर्क सिखाता है , चारों वेद तर्कसंगत हैं और तर्क से ही सत्य का अंकुर फूटता है ! अत: प्रमाणहीन, तर्कशून्य , युक्तिहीन और जनता को वेदादि ग्रन्थों के अध्ययन से विमुख करने वाली सभी परम्पराएं अथवा वार्ताएं मिथ्या ,पाखण्ड को बढ़ाने वाली एवं अधर्म हैं ! 🙏
वेदो का ही अधय्यन कर के धर्म के बाद के जो ग्रहंथो का भी अध्य्यान जरूरी है,आप क्रम से पीछे अर्थात पूर्व मैं धर्म किस रूप था उसके बाद ईश्वर ने अपने दूतों संदेश वाहको के इस धरती पर कब कैसे अपनी बात पहुंचाई है,,जब खोज करोगे तो पाओगे की इस धरती का रचियता एक ही है,जिसने सूरज चांद अग्नि वायु जीवन मृत्यु को बनाया है,सबसे पहले आप मूर्ति को छोड़कर,निराकर ईश्वर की तरफ बढ़े,,
Chandugya upnishad mai kya likha hai pad lo निधिर्वाकोवाक्यमेकायनं देवविद्या ब्रह्मविद्या भूतविद्या क्षत्रविद्या नक्षत्रविद्या सर्पदेवजनविद्या नामैवैतन्नामोपास्स्वेति ॥ ७.१.४ ॥ ऋग्वेद नाम है, तथा यजुर्वेद, सामवेद, चौथा अथर्वण वेद, पाँचवाँ वेद इतिहास-पुराण, वेदों का वेद (व्याकरण), श्राद्धकल्प, गणित, उत्पातज्ञान, निधिज्ञान, तर्कशास्त्र, नीतिशास्त्र, निरुक्त, देवविद्या, भूतविद्या, धनुर्वेद, ज्यौतिष, गारुड़, संगीतादि कला और शिल्पविद्या- ये सब भी नाम ही हैं, तुम नाम की उपासना करो ।4
चार वेद और पुराण भी भगवान से उत्पन्न हुयेः ऋचः सामानि छन्दांसि पुराणं यजुषा सह । उच्छिष्टाज्जज्ञिरे सर्वे दिवि देवा दिविश्रितः ।। (अथर्व वेद 11.7.24) अनुवाद ऋक् साम, छन्द और यजुर्वेद के साथ ही पुराण भी उस अच्छिष्ट जगत पर शासन करने वाले यज्ञमय परमात्मा से उत्पन्न हुवे।
जिन गुरुओं की कुण्डली जाग्रत हो रखी है, उन गुरुओं का अबोध बच्चों पर सफल परीक्षण करके दिखाओ, केवल चरण रज से ज्ञान मिलने की भ्रान्ति फैला कर हाथरस काण्ड की तरह श्रद्धालु जनता को कष्ट नहीं दिए जाने चाहिए जी
Aarya Samaji to Narak Jayege kyoki Bhagvaan Ram-Krishna ko bhagvaan Savikar Nahi Karte . Unko sirf Mahapursh kahte hai . Chrsitains aur muslims ki trah Murti puja se nafrat karte hai , Bhagvaan ki shakti ko kam aankte hai iss liye aarya samaji sabhi narak jayege
नेहा राजपूत जी जी आप बहुत अच्छा काम कर रही हैं पर जिस तरह से आप यहाँ अपने मेहमान के साथ बैठी हैं ये🤨 कहीं से भी कोई शालीन तरीका नहीं है, एक विद्वान और धार्मिक लोगों के सामने इस तरह की गंभीर चर्चा में 🙏🙏
@ahvaancallofdharma ne in Arya samjiyon ki Puri pol Patti khol kr rkh di hai 😂😂, kbhi unko mauka mile yahan aane ka to in sudo Vedic arya namjiyon ka sb kutark fail ho jayega.
चार वेद, छ: शास्त्रों के ईश्वरीय ज्ञान के विरुद्ध आज सैंकड़ों फर्जी ग्रन्थ बनाकर उन्हें शास्त्र बताकर जनता को वेद विरुद्ध मार्ग पर धकेला जा रहा है, किंतु परमात्मा सब मनुष्यों को उनके कर्मों का फल केवल वेद विधान के अनुसार दे रहे हैं, यही मनुष्य के दुखों का मूल कारण है ! 🙏
चार वेद और पुराण भी भगवान से उत्पन्न हुयेः ऋचः सामानि छन्दांसि पुराणं यजुषा सह । उच्छिष्टाज्जज्ञिरे सर्वे दिवि देवा दिविश्रितः ।। (अथर्व वेद 11.7.24) अनुवाद ऋक् साम, छन्द और यजुर्वेद के साथ ही पुराण भी उस अच्छिष्ट जगत पर शासन करने वाले यज्ञमय परमात्मा से उत्पन्न हुवे।
@@sougataghoshनाम वा ऋग्वेदो यजुर्वेदः सामवेद आथर्वण- रचतुर्थ इतिहासपुराणः पञ्चमो वेदाना वेद उपास्वेति । (छान्दोग्य उपनिषद 7.1.4) अनुवाद ऋग्वेद यजुर्वेद सामवेद और चौथा अर्थवेद तथा पांचवां वेदों का वेद इतिहास पुराण यह सब ब्रह्मरूप है, इसकी उपासना कर ।
नेहा राजपूत जी जी आप बहुत अच्छा काम कर रही हैं पर जिस तरह से आप यहाँ अपने मेहमान के साथ बैठी हैं ये🤨 कहीं से भी कोई शालीन तरीका नहीं है, एक विद्वान और धार्मिक लोगों के सामने इस तरह की गंभीर चर्चा में 🙏🙏
विनय आर्य जी को बहुत बहुत बधाई हो.....सभी प्रश्नों का आपने तर्क पूर्ण उत्तर दिया है ......सत्य सनातन वैदिक धर्म की जय हो.....यह वैदिक धर्म ही हमारे देश में महाभारत काल तक विद्यमान था......ऋषि दयानंद की जय हो जिन्होंने वेदों की ओर लौटो का नारा दिया और वेदों के सही अर्थ को हमारे सामने रख कर समाज पर बहुत परोपकार किया ....हम ऋषि दयानंद का ऋण कभी नहीं चुका सकते
धर्म की परिभाषा सृष्टी के पुजक मानवता के हितैशी, सभी प्राणी, पशु, पक्षी, जीव, जंतु की भलाई चाहने वाले लोगो का समुह है. ये लोग सभी सज्जनो का भला चाहते है. जो आहिंसा वादी होते है. मगर आज धरती पर पापी, दुराचारी, हिंसा करने वाले मानवता के रुप मे सैतान बने लोगो की जनसंख्या बहुत तेजी से बढ रही है. जो सृष्टी के विनाशक है. ऐसे अधर्मीयों का नाश होना जरुरी है. सनातनी हिन्दु, बौध्द, शिख, ईसाई, यहुदी, पारशी लोग एक होकर धरती की रक्षा करे.
मैंने पूरा कमेंट सेक्शन चेक कर लिया सबसे ज्यादा विनय आर्य जी की बात से सब सहमत है क्योंकि उन्होंने तार्किक रूप से सभी को समझाया है क्योंकि आर्य समाज शुरू से ही पाखंड का खंडन करता रहा है 🕉🕉जय आर्यावर्त 🕉🕉 जय श्री राम 🕉🕉जय श्री कृष्ण 🕉🕉जय महर्षि दयानंद सरस्वती🔱🔱
आर्य समाज ही भारत का भविष्य है। इस पौराणिक विचारधारा के भरोसे बैठ ते तो भारत स्वतंत्र ही नहीं होता। इन पाखंडियों के तर्क सुनकर वैदिक गुरुकुल का 10-12 वर्ष का बच्चा भी हसने लगे 😂। ओ३म्
वृंदावन चंद्र दास ❤❤❤जी वास्तिविक धर्म के बारे बता रहे है , क्युकी हम शरीर नही आत्मा है और आत्मा का धर्म है भगवान की सेवा करना, आर्य जी नैमितिक धर्म शारीरिक धर्म के बारे बता रहे है
Bina sharir ke atma kya kary Kar sakti Hai? Atma ka lakshya Ishwar prapti arthat moksh hai. Par dharm- arth- kaam- moksh me last me hai . Yahan chrcha dharm ki hai, moksh ki nahi.
मेने इस चर्चा से ये निष्कर्ष निकाला है कि काली जेकेट वाला धूर्त है प्रभुजी चालाक हैं नीली जेकेट वाले महानुभाव तार्किक है ओर लाजपतराय जी समझदार ज्ञानवान है ! यदि किसी को हर्ट हुआ है तो मुझे क्षमा करें 🙏 ये मेरा विशलेषण है !
ABP DHARMA LIVE एक बहुत ही क्रांतिकारी और सत्यनिष्ठ शुरुआत है। इसे ऐसे ही कैरी ऑन करते रहिए।। आपसे विनम्र निवेदन है कि जब भी कोई चर्चा लाएं तो उसमें ऐसे ही आर्य विद्वानों और आर्य समाज के आचार्य लोगों को किसी एक तो अवश्य ही आमंत्रित किया करें। वैसे आप उन्हें बुलाते भी हैं। इसके लिए आपका हार्दिक धन्यवाद।। एक बार आचार्य योगेश भारद्वाज जी को और आचार्य अग्निव्रत नैष्ठिक जी को भी अवश्य बुलाइए ❤❤❤❤❤
अवतारवाद की प्रमाणिकता ऋग्वेद 6:47:18 परमात्मा अपनी माया द्वारा अनेक रूप बनाकर विचरता है। ऋग्वेद 3:3:27:3 परमात्मा बार-बार मत्स्य कूर्म आदि नाना रूप बनाता है। यजुर्वेद 31:19 भगवान के गर्भ के मध्य में विचरताता है यद्यपि वे अजन्मा है तथापि अनेक प्रकार से उत्पन्न होता है। भगवद्गीता 4:6 आह्वान प्राकृतिकं स्वामधिष्ठी ज्ञानाध्यात्ममय्या ।। अजोऽपिसनव्यय प्राणी भूतनामीश्वरोऽपि सन । मैं अजन्मा अविनाशी होते हुए भी संपूर्ण प्राणियों का ईश्वर होते हुए भी, अपनी प्रकृति को अधीन करके योग माया से प्रकट होता हूं। भगवद्गीता 4:7 यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत । अभियुत्थानंधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ।। जब-जब धर्म का ह्रास होता है और अधर्म की वृद्धि होती है, हे अर्जुन, उस समय में प्रकट होता हूँ। तैत्तिरीयारण्यक 1:23:3 कूर्म अवतार का वर्णन अथर्ववेद 12: 1:48 वाराह अवतार का वर्णन ऋग्वेद 1:12:17 वामन अवतार विष्णु ने इस जगत को तीन चरणों से आक्रांत कर पद धरे हैं। ऐतरेय 7:5:34 परशुराम अवतार का वर्णन तैत्रिय 1:1:31 नृसिंह अवतार का वर्णन श्री रामचंद्र अवतार का वर्णन अथर्ववेद 10:2:31 अयोध्या नगरी ऋग्वेद 10:5:64:9 सरयू नदी ऋग्वेद 2:1:11 महाराज दशरथ नाह्वान ऋग्वेद 3:8:9 शक्ति रूप सीता की वंदना ऋग्वेद 3:3:22 विश्वामित्र यज्ञ रक्षा ऋग्वेद 4:6:1 रावण यजुर्वेद 12:117 रामराज्य श्री कृष्णचंद्र अवतार का वर्णन ऋग्वेद 7:1:9 छांदोग्य उपनिषद 3:17:6 यह उपदेश गौरंगी रस ने देवकी पुत्र कृष्ण के लिए कह कर सुनाया था। तैत्तिरीयारण्यक 10:1:6 वासुदेव के पुत्र नारायण के अवतार श्री कृष्ण जी का हम ध्यान करते हैं वह विष्णु हमें सन्मार्ग प्रेरित करें। मूर्ति पूजा की प्रमाणिकता यजुर्वेद 14:65 सहस्त्रस्य प्रतिमा असी ऋग्वेद 5:58:8 अर्चत प्राचर्त प्रियमेधासो अर्चत श्वेताशतरोपनिषद 3:5 हे रूद्र ! आपकी जो मंगलमई शांत और पुण्य प्रकाशनी मूर्ति है, हे गिरीशंत उस पूर्ण आनंदमई रूप के द्वारा आप हमारी देखो । आह्वान अथर्ववेद 2:13:4 तुम आकर इस पाषाण में विराजमान हो जाओ यह आपका शरीर बन जावे और देवता सैकड़ों वर्ष पर्यंत उसमें आपकी को स्थिर करें। अथर्ववेद 16:2:6 मूर्ति को नमस्कार अथर्ववेद 5:30:12 प्राणप्रतिष्ठा पुराणों की प्रमाणिकता अथर्ववेद 11.7.24 अथर्ववेद 15.6.11 अथर्ववेद 15.6.12 छांदोग्य उपनिषद 7.1.2 छांदोग्य उपनिषद 7.1.4 तेतरीय आरण्यक 10:1:6 बृहदारण्यक उपनिषद 2.4.10 महाभारत आदिपर्व 1.253, 1.267, 268, 1.2, 1.16, 1.17, 1.65, 1.63, 1.238, 2.82, 2.193 2.271, 4.1 5.1, 5.2, 5.4, 5.6 आह्वान ईश्वर सर्वशक्तिमान है बृहदारण्यक उपनिषद 5.1.1 तैत्तिरीय उपनिषद 2.1 आर्य समाज के ग्रंथों में ईश्वर के लिए सर्वशक्तिमान और अनंत सामर्थ्यवान जैसे शब्दों का उपयोग ऋग्वेदादि भाष्य भूमिका अथर्ववेद वेदोत्पत्तिविषयः सत्यार्थ प्रकाश सप्तमसमुल्लासः पृष्ठ संख्या 149
Murkhata ki bhi ek sima hota he, He mahanuvab app to Mahamurkha nikle ; lagta he app mexmular ke ved vasya padlie he or murkho ki dwara kie geye annaya grannoto ki vasya,he mahanuvab kripeya ek bar in sab grantho ki Vedik arya Samaj ki vasya padhe tab app ko pata chalega ki asal me in mantro ke asal arth kia he : kher chodiye me to (Nirakar) Iswspar ko Manta hu or us Nirakar Parampita Parmattama ko hi manta hujo ki sare sansar ka ek hi NIRAKAR, NIRBIKAR ,ANADI ,ANNATH , sare Jag loklokantaro ki EK hi Swami he JISE Me (OM) ke rup me Janta hu , Pravu app ka Sat Gyan or Sath Buddhi de Om Sam
@@subratnayakarya7646 dekhiye main mungerilaal ke haseen sapno se, aur santon ke khandan karne wale ahankaari gyaan se vanchit hu aur khush hu. Kisi cheez ka Satyaarth prakash naam rakh dene se woh satya ka prakaash nhi hota jaise kisi insaan ka naam satyawaan hone se yeh siddh nhi hota ki woh sach hi bolta hai.. Waise aap pehle apne hi grantho ka swadhayan kre aur soche kahin dayanand Ji muller se inspired nhi the na. Unke maata pita aarya samaji the? Unke guru parampara ke pichle 10 guru arya samaji the? Aur kya dayanand ke pehli 10 guru parampara mein kisi murti poona nhi ki? Aur maine pramaan diye hain, jinn sanataniyo ko 4 ved, 6 shastra, 18 puran, balmiki ramayan, bhagwat , ramcharit manas, manu smriti mein shraddha hai ye praman unke liye the .. Jai Siya Ram 🙏
@@subratnayakarya7646 bhai PhD kiye hue logo ne b sabne milte julte arth thoda fark hoga pr Sayan acharya , sanvotlakar ji , Shri Ram acharya Gita press k ved bhashya k yhi arth pr Dayanand Saraswati k hi bhashya me antar kyu hai matlab sare vidwan galat ek tmhare guru sahi
@@mayankagnihotri8646 bilkul bhai 😂 bas ek dayanand Ji hi toh jinse arth karte aata tha 😂aur dharma wale bhi kam nhi almost arya samaj ka hi channel hai yeh
सनातन वैदिक धर्म और तर्क विरोधी नहीं होते। योगी जी ने भ्रमित किया यह कहकर कि कोई मौन रखे तो उसकी सारी कही हुई बातें सिद्ध होंगी। ऐसा कुछ नहीं होता। यह असंभव है। हां, यह हो सकता है कि कोई सच्चा विद्वान व्यक्ति परिस्थितियों का वैज्ञानिक आकलन करके भविष्य का अनुमान लगा सके। उदाहरण के लिए, बादल हैं तो बारिश होगी, आदि।
चरण रज की महिमा ushi समय महिमा धारण कर लेती है जब भक्त को गुरुदेव की चरण रज में प्रबल फेथ हो जिनको चरण रज में believe आस्था नहीं उसका नहीं होगा एक गुरु महाराज बोले मेरे चरण रज में ताकत नहीं ताकत सामने वाले की विश्वास में है
श्री वृन्दावन चंद्र दास जी आत्मा के धर्म की बात करते हैं क्योंकी हमारी असली पहचान यही है कि हम शरीर नहीं आत्मा हैं और आत्मा का धर्म शरीर के धर्म से ज्यादा महत्वपूर्ण है । अर्जुन भी शरीर के धर्म और कर्तव्यों कि बात कर रहे थे तब भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को आत्मा का ज्ञान दिया। श्री वृन्दावन चंद्र दास जी इसी ज्ञान को सामने रखते हैं। हरे कृष्ण।।
आपने बहुत अच्छा कहा आदरणीय आचार्य विनय आर्य जी, बहुत ही सरलता, कुशाग्रता, बुद्धिमत्ता से समझाया है और अच्छा तर्क। आपका बहुत बहुत धन्यवाद जी नमस्ते जी ओ३म् ओ३म् ओ३म्
विनय आर्य ने जो कहा वह धर्म का सच्चा स्वरूप दिया है , जय आर्य जय आर्यावर्त महर्षि दयानंद सरस्वती जी महाराज की जय सभी राष्ट्रवादियों से मेरा विनम्र 🙏 निवेदन सत्य को जानने के लिए "सत्यार्थ प्रकाश" अवश्य पढ़ें
प्रयास सराहनीय है । ये बात सच है की आज के समय में धर्माचार्यों और पंथ आचार्य अनेकों हो गए हैं । इसलिए सभी धर्माचार्यों को और पढ़ें लिखे बुद्धजीवियों को एक साथ बैठाकर चर्चा करवाएं । सिर्फ चार व्यक्ति को बैठाकर इस महा समस्या का समाधान नहीं हो सकता ।
भारत मे सनातन हिन्दु धर्म के जितने भी कथाकार है. उनका आखिल भारतीय संम्मेलन हो. वहा पर सत्य सनातन धर्मग्यानी यो का मार्गदर्शन हो. सभी कथाकारो की धर्मज्ञान पर चर्चा हो. उनमे आपसी समन्वय हो. ये बहुत जरुरी है.
हमनें तो हमारे गुरुदेव से जो सीखा व जो ज्ञान मिला वह अनमोल है. । हम उसी से काम लेंगे। ये महागुरुओं के शिष्य है। हममें ,अल्पज्ञता है, हम समझ नहीं पातें ,संस्कृत के क्लिष्ट विचारों व वेद की रिचाओं को व अन्य सिद्ध बातों को । जिस किसी को समझ आयेंगी ,ये विद्वता पूर्ण प्रवचन ,वे निश्चित रुपसे लाभान्वित होंगे। हमें क्षमा करियेगा। कुछ अधिक ,अज्ञानता वश व अवस्था लिखा हो तो भी दक्षमा । व.नागरिक, नरपत,,भारत।
विनय आर्य जी बहुत स्पष्ट व तार्किकता पुर्ण बात की है आगे भी ऐसी चर्चा होनी चाहिए.
आज जिस तरह चरणामृत की पुंगी बजी है वैसे ही लोगों को पता चले कि समाज में ऐसी अनेक प्रथा चल रहें हैं जिसका धर्म से दुर दुर तक नाता नहीं है.
नेहा राजपूत जी जी आप बहुत अच्छा काम कर रही हैं पर जिस तरह से आप यहाँ अपने मेहमान के साथ बैठी हैं ये🤨 कहीं से भी कोई शालीन तरीका नहीं है, एक विद्वान और धार्मिक लोगों के सामने इस तरह की गंभीर चर्चा में 🙏🙏
विनय आर्य जी को बहुत बहुत साधुवाद
विनय आर्य जी ने बड़े ही सरल और तार्किक उत्तर से शास्त्रों में वर्णित धर्म की परिभाषा बताई । धनयवाद विनय आर्य जी
योगी जी और इस्कॉन के गुरु जी ने अन्य दोनों विद्वानो को तार्किक उतर नही दिया। दोनों विद्वानो विनय आर्यजी और लाजपत राय ने धर्म इत्यादि विषयों को सीधा सीधा अच्छी और सरल तरीके से समझाया। जबरदस्त डिबेट थी
इस्कॉन भी एक व्यापार का रूप है ये भी एक संप्रदाय है
Woh iskcon se nahi hein 😂😂😂😂
@@PolyBiswas-dv5cyare ek toh iskon wala hi hai
इसने iskon ki tarj pe aona alag bana liya @@eagle_aarmy
आर्य समाज अमर रहे 🙏🙏जय महर्षि दयानन्द सरस्वती जय मर्यादा पुरसोत्तम श्री रामचंद्र जी महराज की जय 🙏🙏🙏🙏❤️❤️जय योगीराज श्री कृष्ण जी महराज की जय 🙏🙏🙏
mrne ke baad kehte hai amar rahe
@@Splitmanish नाम मरता नहीं शरीर मरता है पंडित जी
ऋग्वेद के कुछ मन्त्र का
8/33/17 स्त्री की बुद्धि या मन कैसा होता है,. 10/95/15 स्त्री का हृदय कैसा होता है और स्वभाव कैसा होता है,
यजुर्वेद से 23/ 19 मंत्र से आगे के मन्त्रो का ज्यान विज्यान बताये???
@@suryana789 तुम्हारे दयानंद तो ने शरीर का धर्म को ही वेदिक धर्म। मानते है।
@@RiteshKumar-nl8uu तो आत्मा का धर्म है रास लीला करना दूसरे की महिला से सम्भोग करना ये धर्म है बैसनब जी
विनय जी ने सही कहा है ऐसे संदेश सब जगह पहुंचने चाहिये
मैं केवल वेद के ज्ञानी जन का सम्मान करता हूं और करूंगा
Bahut achhi baat hai to ye छोडो or ved pado !!
कैई शास्त्रकार ऋषियों ने कहा है कि वेद के ईश्वर का वचन होने से वेद प्रमाण सर्वोपरि है !
Ha vaishasik dharsan parlo.uhpe likha hai tat bachanad amnaisaw pramanam
@@RiteshKumar-nl8uu वेद को पूर्णत: पढ़ो, पता चलेगा कि वेद को मानने से ही सम्पूर्ण सत्य का ग्रहण हो जाता है ! इसलिए जो वेद को नहीं मानता उसी को मनु महाराज ने नास्तिक कहा है- नास्तिको वेद निन्दक: !
@@devendrashastri9221 बिल्कुल सच कहा आपने , वेदों को नहीं मानने वाला अवश्य हि नास्तिक है।
श्री रामानुजाचार्य, वल्लभाचार्य, विष्णु स्वामी, निम्बारकाचार्य तथा आदि शंकरचार्य जी ने भी इस बात कि पुष्टि कि है कि श्रीमदभगवदगीता समस्त् वेदों का सार है ।
गीता में श्री कृष्ण कहते हैं कि वही परम सत्य और परम ईश्वर हैं, समस्त वेदों को जानने वाले भी वही हैं। समस्त वेदों का लक्ष्य भी उन्हें जानना है।
पुनः कहते हैं कि केवल भक्त हीं उन्हें जान सकता है। अर्थात् वेद से भी भगवान को प्राप्त करना है और भक्ति से भी। यह भी बताते हैं कि भक्ति मार्ग अधिक सुगम है।
और अंततः आज्ञा देते हैं कि सभी धर्मों का परित्याग करके एक मात्र उनकी शरण ग्रहण कर ली जाये।
किन्तु आर्य समाज के माननीय प्रवक्ता तो इस बात को मानते हि नहींं ।
अवश्य हीं वेद पूजनीय और अनुसरनीय है, किन्तु कलियुग के जीवों कि जैसी बुद्धि और् आयु है, वे समुपर्ण वेदों को समझ पाएं ये बहुत कठिन है, अतः ऐसी स्थिती में क्या हम जैसे कलियुगी जीवों को वेदों के सार श्रीमद भगवदगीता कि शरण ग्रहण नहीं करनी चाहिए?
कृपया मेरे शंशय का समाधान प्रदान करें 🙏🏻 यदि प्रश्न पुछने में भूल हुई हो तो क्षमा करें 🙏🏻
(वेद स्वत प्रमाण्यं) महर्षि कपिल -----ईश्वरीय ज्ञान होने से वेद स्वत प्रमाण हैं संसार में कोई भी कार्य सिद्ध करना हो तो इसमें वेद ही प्रमाण है अन्य मनुष्य कृत ग्रंथ नहीं क्योंकि मनुष्य अल्पज्ञ वाला है इसलिए उसका ज्ञान भी अल्पज्ञ है वेदोSखिलों धर्म मूल अर्थात वेद सब धर्मो का मूल है।
आर्य समाज के तर्कों से हम सहमत हैं। आर्य समाज की जय हो। विनय जी नमस्ते।
नेहा राजपूत जी जी आप बहुत अच्छा काम कर रही हैं पर जिस तरह से आप यहाँ अपने मेहमान के साथ बैठी हैं ये🤨 कहीं से भी कोई शालीन तरीका नहीं है, एक विद्वान और धार्मिक लोगों के सामने इस तरह की गंभीर चर्चा में 🙏🙏
@@RiteshJoshi-do3un इए आर्य नमाज़ी नास्तिक बादी का प्रचार करते है । इस्लाम के तरह। मूर्ति पूजा का विरोध करते है
क्या सच को सामने लाने की कोशिश करना गलत है दोस्त@@GAURAV__GUPTA
जो आचरण स्वयं को अच्छा नहीं लगता उसे हम दूसरों के लिए भी व्यवहार में न लाएं, यही धर्म है !
पूरा न्याय दर्शन तर्क सिखाता है , चारों वेद तर्कसंगत हैं और तर्क से ही सत्य का अंकुर फूटता है ! अत: प्रमाणहीन, तर्कशून्य , युक्तिहीन और जनता को वेदादि ग्रन्थों के अध्ययन से विमुख करने वाली सभी परम्पराएं अथवा वार्ताएं मिथ्या ,पाखण्ड को बढ़ाने वाली एवं अधर्म हैं ! 🙏
🕉🕉जय आर्यावर्त 🕉🕉 जय श्री राम 🕉🕉जय श्री कृष्ण 🕉🕉जय महर्षि दयानंद सरस्वती🔱🔱
वेदो का ही अधय्यन कर के धर्म के बाद के जो ग्रहंथो का भी अध्य्यान जरूरी है,आप क्रम से पीछे अर्थात पूर्व मैं धर्म किस रूप था उसके बाद ईश्वर ने अपने दूतों संदेश वाहको के इस धरती पर कब कैसे अपनी बात पहुंचाई है,,जब खोज करोगे तो पाओगे की इस धरती का रचियता एक ही है,जिसने सूरज चांद अग्नि वायु जीवन मृत्यु को बनाया है,सबसे पहले आप मूर्ति को छोड़कर,निराकर ईश्वर की तरफ बढ़े,,
विनय आर्य जी को बहुत शुभ कामनाएं 🙏 तर्क विवेक में आर्यों का कोई मुकाबला नहीं, धर्मा live ऐसी चर्चा करते रहिए 🙏
Ajay ji kuch dohe ga to yaha😂, likh do
Chandugya upnishad mai kya likha hai pad lo
निधिर्वाकोवाक्यमेकायनं देवविद्या ब्रह्मविद्या भूतविद्या क्षत्रविद्या नक्षत्रविद्या सर्पदेवजनविद्या नामैवैतन्नामोपास्स्वेति ॥ ७.१.४ ॥
ऋग्वेद नाम है, तथा यजुर्वेद, सामवेद, चौथा अथर्वण वेद, पाँचवाँ वेद इतिहास-पुराण, वेदों का वेद (व्याकरण), श्राद्धकल्प, गणित, उत्पातज्ञान, निधिज्ञान, तर्कशास्त्र, नीतिशास्त्र, निरुक्त, देवविद्या, भूतविद्या, धनुर्वेद, ज्यौतिष, गारुड़, संगीतादि कला और शिल्पविद्या- ये सब भी नाम ही हैं, तुम नाम की उपासना करो ।4
चार वेद और पुराण भी भगवान से उत्पन्न हुयेः
ऋचः सामानि छन्दांसि पुराणं यजुषा सह । उच्छिष्टाज्जज्ञिरे सर्वे दिवि देवा दिविश्रितः ।।
(अथर्व वेद 11.7.24)
अनुवाद
ऋक् साम, छन्द और यजुर्वेद के साथ ही पुराण भी उस अच्छिष्ट जगत पर शासन करने वाले यज्ञमय परमात्मा से उत्पन्न हुवे।
@@shekharroy6114Asatyarth prakash ke alava sab jhoot h bhai 😌
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वेद ही हमारा धर्म है।।यही सत्य है। जय वैदिक धर्म❤❤
बहुत सुंदर,, आज की युवा पीढ़ी को संस्कारवान बनाने वी भ्रमित होने से बचाने के लिए वेद ज्ञान की बहुत आवश्यकता है।
जिन गुरुओं की कुण्डली जाग्रत हो रखी है, उन गुरुओं का अबोध बच्चों पर सफल परीक्षण करके दिखाओ, केवल चरण रज से ज्ञान मिलने की भ्रान्ति फैला कर हाथरस काण्ड की तरह श्रद्धालु जनता को कष्ट नहीं दिए जाने चाहिए जी
आर्य समाज के प्रवक्ता श्री विनय आर्य जी ने अद्भुद तर्क दिए है ।
Aarya Samaji to Narak Jayege kyoki Bhagvaan Ram-Krishna ko bhagvaan Savikar Nahi Karte . Unko sirf Mahapursh kahte hai . Chrsitains aur muslims ki trah Murti puja se nafrat karte hai , Bhagvaan ki shakti ko kam aankte hai iss liye aarya samaji sabhi narak jayege
नेहा राजपूत जी जी आप बहुत अच्छा काम कर रही हैं पर जिस तरह से आप यहाँ अपने मेहमान के साथ बैठी हैं ये🤨 कहीं से भी कोई शालीन तरीका नहीं है, एक विद्वान और धार्मिक लोगों के सामने इस तरह की गंभीर चर्चा में 🙏🙏
Aapke hisab se Bhagwan kitne hain@@AbhishakBhardwajcorporatefilms
मूर्ख @@AbhishakBhardwajcorporatefilms
@ahvaancallofdharma ne in Arya samjiyon ki Puri pol Patti khol kr rkh di hai 😂😂, kbhi unko mauka mile yahan aane ka to in sudo Vedic arya namjiyon ka sb kutark fail ho jayega.
चार वेद, छ: शास्त्रों के ईश्वरीय ज्ञान के विरुद्ध आज सैंकड़ों फर्जी ग्रन्थ बनाकर उन्हें शास्त्र बताकर जनता को वेद विरुद्ध मार्ग पर धकेला जा रहा है, किंतु परमात्मा सब मनुष्यों को उनके कर्मों का फल केवल वेद विधान के अनुसार दे रहे हैं, यही मनुष्य के दुखों का मूल कारण है ! 🙏
चरन रज केवल मूर्ख बनाने वाली बात हैं ये केवल अन्ध विश्वास में पड़े रहने वालों को फ़ायदा होता होगा...
विनय आर्य जी ने बहुत ही तार्किक और प्रामाणिक वक्तव्य दिया है ❤❤❤🎉🎉🎉
Vinay Arya ji ne logically explain kiya hai ❤❤❤
Vinay ji ki baat rational lag rahi hain
Jai Gaur Hari 🙏🏻 Hare Krishna ✨
हमारे शिक्षा गुरू डॉ वृंदावन चंद्र दास जी की सदैव विजय हो....🙌🏻🙌🏻
Srila Prabhupada Ji ki Vijay ho...🙌🏻🙌🏻
Vinay Arya ji's speech logically all time best
वेद ही ईश्वर्य ज्ञान है।
चार वेद और पुराण भी भगवान से उत्पन्न हुयेः
ऋचः सामानि छन्दांसि पुराणं यजुषा सह । उच्छिष्टाज्जज्ञिरे सर्वे दिवि देवा दिविश्रितः ।।
(अथर्व वेद 11.7.24)
अनुवाद
ऋक् साम, छन्द और यजुर्वेद के साथ ही पुराण भी उस अच्छिष्ट जगत पर शासन करने वाले यज्ञमय परमात्मा से उत्पन्न हुवे।
ये गलत ब्याख्या है इस मंत्र की ! थोड़ा सी भी सस्कृत जानने वाले को पता है
@@sougataghoshनाम वा ऋग्वेदो यजुर्वेदः सामवेद आथर्वण- रचतुर्थ इतिहासपुराणः पञ्चमो वेदाना वेद उपास्वेति ।
(छान्दोग्य उपनिषद 7.1.4)
अनुवाद
ऋग्वेद यजुर्वेद सामवेद और चौथा अर्थवेद तथा पांचवां वेदों का वेद इतिहास पुराण यह सब ब्रह्मरूप है, इसकी उपासना कर ।
एक बार साइंस जर्नी का वेदों में विज्ञान सुनिए और वेद से मिलाये कितना सही है
@@shekharroy6114 कयी पुराण मे बुद्घ का विरोध किया गया है
Shri Vrindavan Chandra Das ji is program mei sadaa hi sabse sahi gyaan dete hain. 🙏
धर्म का स्वरूप ही नहीं बताया है प्रभु जी ने
सत्यार्थ प्रकाश पढ़ो वैद गायन साही है
@@GangadharMuduli-dn7bgsahi nahi hai
@@Jai_GaurNitai_Jai_RadhaKrishna kyu sahi nahi hai
@@sunilaryasingh7304 Sampoorn ved ko nahi maante Arya Samaji. Apne manmaane dhang se Ved ke kewal kuch hi bhaag ko maante hain.
Arya समाज is clear winner. Could not explain what is चरणामृत
आज का वक्तव्य सुन के लगता है विनय आर्य जी के तर्कों का खंडन महाप्रलय तक नही हो पाएगा ।
नेहा राजपूत जी जी आप बहुत अच्छा काम कर रही हैं पर जिस तरह से आप यहाँ अपने मेहमान के साथ बैठी हैं ये🤨 कहीं से भी कोई शालीन तरीका नहीं है, एक विद्वान और धार्मिक लोगों के सामने इस तरह की गंभीर चर्चा में 🙏🙏
वेदों का प्रमाण से ही सब सिद्ध होता है । सत्य सनातन वैदिक धर्म की जय हो🙏🙏🙏
हमरे ग्रंथों में प्रमाण कहि छह ओर कहिं चार माने गये हैं उन तर्कों पर कसोटी करके परखा जा सकता है नहीं तो आगम ( वेद सदसाहित्य इत्यादि ) प्रमाण है ही !
विनय आर्य जी को प्रणाम 🙏🙏आर्य समाज बहुत आगे है ज्ञान मे
दुनिया मे एक ही धर्म है मानवता. जो मानवता के हित मे कार्य कर रहे उन सभी का धर्म एक है. भले उनकी पहचान, भाषा, पेहराव, प्रात अलग अलग हो.
नेहा जी और abplive एक बार आप स्वामी विवेकानंद परिव्राजक रोज़ड़ अहमदाबाद गुजरात के महान वैदिक संन्यासी को भी आमंत्रित करे 🙏
विनय आर्य जी को बहुत बहुत बधाई हो.....सभी प्रश्नों का आपने तर्क पूर्ण उत्तर दिया है ......सत्य सनातन वैदिक धर्म की जय हो.....यह वैदिक धर्म ही हमारे देश में महाभारत काल तक विद्यमान था......ऋषि दयानंद की जय हो जिन्होंने वेदों की ओर लौटो का नारा दिया और वेदों के सही अर्थ को हमारे सामने रख कर समाज पर बहुत परोपकार किया ....हम ऋषि दयानंद का ऋण कभी नहीं चुका सकते
जैन भाइयों , आर्य समाजियों ,बुद्ध समाज के लोगों, समस्त हिन्दुओं और सिख संगत को एकजुट होना चाहिए 💢💥💫
Muslims kyu nhi ???
धर्म की परिभाषा सृष्टी के पुजक मानवता के हितैशी, सभी प्राणी, पशु, पक्षी, जीव, जंतु की भलाई चाहने वाले लोगो का समुह है. ये लोग सभी सज्जनो का भला चाहते है. जो आहिंसा वादी होते है.
मगर आज धरती पर पापी, दुराचारी, हिंसा करने वाले मानवता के रुप मे सैतान बने लोगो की जनसंख्या बहुत तेजी से बढ रही है. जो सृष्टी के विनाशक है.
ऐसे अधर्मीयों का नाश होना जरुरी है.
सनातनी हिन्दु, बौध्द, शिख, ईसाई, यहुदी, पारशी लोग एक होकर धरती की रक्षा करे.
एकदम सही बात
@sidrakhan513क्युकी मुस्लिम खुद ही एक नहीं हो सकते,,,,,,,
@@vijenderarya3058 apne girebaan me jhako..........
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Hare Krishna 🙏 Dandwat pranam our shiksha Guru Dr vrindavan Chandra Das Guruji 🙏 srila Prabhupada ki Vijay ho 🙏🙇♀️🙌
में विनय आर्य जी की बातों से 100% सहमत हूं 🎉❤
मैंने पूरा कमेंट सेक्शन चेक कर लिया सबसे ज्यादा विनय आर्य जी की बात से सब सहमत है क्योंकि उन्होंने तार्किक रूप से सभी को समझाया है क्योंकि आर्य समाज शुरू से ही पाखंड का खंडन करता रहा है 🕉🕉जय आर्यावर्त 🕉🕉 जय श्री राम 🕉🕉जय श्री कृष्ण 🕉🕉जय महर्षि दयानंद सरस्वती🔱🔱
@@eagle_aarmy दयानंद आर्य का चेला है। एक तरह इस्लाम के समान है। iye लोग ,मूर्ति पूजा नही मानते। नास्तिक बादी
@@Artist.Rishikeshभाई इतना कुछ सुनने की बाद भी आंखे कान नहीं खुला है तो आप भी कही न कही पाखंड में फसे हुए हो
विनय आर्य bahut sahi
hare krishna vrandavan prabhu ji right
चरण छूना गुरू का श्रद्धा से आदर करके आशीर्वाद ग्रहण करना है। सभी लोग धर्म ग्रंथ नहीं पढे हैं।
खाना स्वयं खाया जाता है। सही को स्वयं जानना चाहिए।
यह व्याख्या धर्म से बहुत आगे चली गयी।
गीता अकेली काफी है। एक ईश्वर का ध्यान करना सर्श्रेष्ठ है।
चरणामृत की पोल खुल गई।। स्व्यमसंत प्रभु जी प्रभु से पलटू बन गए। गजब की डिबेट।
विनय आर्य जी की तार्किकता को सलाम, वाकी सभी गुरु नही गुरूरवान विचारधारा के दिखाई देते हैं
आर्य समाज ही भारत का भविष्य है। इस पौराणिक विचारधारा के भरोसे बैठ ते तो भारत स्वतंत्र ही नहीं होता। इन पाखंडियों के तर्क सुनकर वैदिक गुरुकुल का 10-12 वर्ष का बच्चा भी हसने लगे 😂। ओ३म्
बहुत सुंदर बोला श्री वृंदावन दास जी ने और वृंदावन गुरु जी के चेले ने उन्हें नमन
विनय जी के अनुसार चरण रज और अमृत का उद्देश्य खुद को ईश्वर बताना है। यही सही है।
वृंदावन चंद्र दास ❤❤❤जी वास्तिविक धर्म के बारे बता रहे है , क्युकी हम शरीर नही आत्मा है और आत्मा का धर्म है भगवान की सेवा करना, आर्य जी नैमितिक धर्म शारीरिक धर्म के बारे बता रहे है
Bilkul 💯sahi bat he👍
Hari boll 💯 % right
Bina sharir ke atma kya kary Kar sakti Hai? Atma ka lakshya Ishwar prapti arthat moksh hai. Par dharm- arth- kaam- moksh me last me hai . Yahan chrcha dharm ki hai, moksh ki nahi.
जितने भी आर्य जन हैं वो तर्क औऱ तथ्य पर बात करते हैं
मेने इस चर्चा से ये निष्कर्ष निकाला है कि काली जेकेट वाला धूर्त है प्रभुजी चालाक हैं नीली जेकेट वाले महानुभाव तार्किक है ओर लाजपतराय जी समझदार ज्ञानवान है ! यदि किसी को हर्ट हुआ है तो मुझे क्षमा करें 🙏 ये मेरा विशलेषण है !
Ati utam ❤❤
यही मेरा विचार है कि विनय जी सर्वश्रेष्ठ है
मैं आपको बताऊं विनय जी ही इन सब में विद्वान और तार्किक हैं।
अगर असल में अपने धर्म का ज्ञान चाहिए तो आर्य विचारधारा वेदिक विचार से जुड़े।
आचार्य अग्निव्रत नैष्ठिक को बुलाये और वैदिक विद्वानों को भी🙏🚩
ABP DHARMA LIVE एक बहुत ही क्रांतिकारी और सत्यनिष्ठ शुरुआत है।
इसे ऐसे ही कैरी ऑन करते रहिए।।
आपसे विनम्र निवेदन है कि जब भी कोई चर्चा लाएं तो उसमें ऐसे ही आर्य विद्वानों और आर्य समाज के आचार्य लोगों को किसी एक तो अवश्य ही आमंत्रित किया करें।
वैसे आप उन्हें बुलाते भी हैं। इसके लिए आपका हार्दिक धन्यवाद।।
एक बार आचार्य योगेश भारद्वाज जी को और आचार्य अग्निव्रत नैष्ठिक जी को भी अवश्य बुलाइए ❤❤❤❤❤
जी हां आपने बिल्कुल सत्य बोला 🙏🙏
हां और साथ में आर्य समाज के दार्शनिक आचार्य प्रशांत जी को भी अवश्य बुलाए
आर्य समाज पाखण्ड के विरुद्ध अंध विश्वास देश द्रोही सनातन द्रोही के विरुद्ध तटस्थ होकर बोलता है।
धन्य है दयानंद सरस्वती जी
जय आर्य समाज ❤❤🚩🚩🙏
🕉🕉जय आर्यावर्त 🕉🕉 जय श्री राम 🕉🕉जय श्री कृष्ण 🕉🕉जय महर्षि दयानंद सरस्वती🔱🔱
लाजपत जी नमस्ते नमस्ते। आपकी बात स्टीक और vislesit हैं।
विनय आर्य जी को नमस्ते अआपने धर्म की व्याख्या बहुत ही सिद्धांतिक और वैज्ञानिक रूप से दिया सत्य सनातन वैदिक धर्म कीजय
Vinay arya ji ne bhot ache se smjaya❤
महर्षि दयानंद सरस्वती के शिष्य हमेशा सत्य वचन ही बोलते हैं
भारत माता की जय, आर्य समाज अमर रहे
विनय आर्य जी की बातों से पूर्णतः सहमत हूँ
🙏विनय आर्य जी सही मार्ग पर है |
ये जीतने जन्म से पंडित ब्रह्मण कहते हैं अपने आप को इसका खंडन होना चाहिए
Dr.vrandavan Chandra das ji ki vijay ho
तो जाकर वृंदावन चंद्र दास जी का अमृत पियो 👍👍
चरणामृत के बारे मे गुरू जी बृह्मणवाद को बढ़ावा दे रहे है....यहीं से लोगौं को गुमराह करते है...
ब्राह्मणवाद क्या होता है?
@@ninasharma9632आपने अपने नाम के पीछे शर्मा लिखा है हमसे ज्यादा आप जानते होंगे 🙏🙏😊
@@ninasharma9632kisi kamine ke pair saaf krke paani Pina 😂😂😂😂😂😂.
Ye sirf koi chutiya hi karega
अवतारवाद की प्रमाणिकता
ऋग्वेद 6:47:18
परमात्मा अपनी माया द्वारा अनेक रूप बनाकर विचरता है।
ऋग्वेद 3:3:27:3
परमात्मा बार-बार मत्स्य कूर्म आदि नाना रूप बनाता है।
यजुर्वेद 31:19
भगवान के गर्भ के मध्य में विचरताता है यद्यपि वे अजन्मा है तथापि अनेक प्रकार से उत्पन्न होता है।
भगवद्गीता 4:6
आह्वान प्राकृतिकं स्वामधिष्ठी ज्ञानाध्यात्ममय्या ।।
अजोऽपिसनव्यय प्राणी भूतनामीश्वरोऽपि सन ।
मैं अजन्मा अविनाशी होते हुए भी संपूर्ण प्राणियों का ईश्वर होते हुए भी, अपनी प्रकृति को अधीन करके योग माया से प्रकट होता हूं।
भगवद्गीता 4:7
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत । अभियुत्थानंधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ।।
जब-जब धर्म का ह्रास होता है और अधर्म की वृद्धि होती है, हे अर्जुन, उस समय में प्रकट होता हूँ।
तैत्तिरीयारण्यक 1:23:3
कूर्म अवतार का वर्णन
अथर्ववेद 12: 1:48
वाराह अवतार का वर्णन
ऋग्वेद 1:12:17
वामन अवतार विष्णु ने इस जगत को तीन चरणों से आक्रांत कर पद धरे हैं।
ऐतरेय 7:5:34
परशुराम अवतार का वर्णन
तैत्रिय 1:1:31
नृसिंह अवतार का वर्णन
श्री रामचंद्र अवतार का वर्णन
अथर्ववेद 10:2:31 अयोध्या नगरी
ऋग्वेद 10:5:64:9 सरयू नदी
ऋग्वेद 2:1:11 महाराज दशरथ
नाह्वान
ऋग्वेद 3:8:9 शक्ति रूप सीता की वंदना
ऋग्वेद 3:3:22 विश्वामित्र यज्ञ रक्षा
ऋग्वेद 4:6:1 रावण
यजुर्वेद 12:117 रामराज्य
श्री कृष्णचंद्र अवतार का वर्णन
ऋग्वेद 7:1:9
छांदोग्य उपनिषद 3:17:6
यह उपदेश गौरंगी रस ने देवकी पुत्र कृष्ण के लिए कह कर सुनाया था।
तैत्तिरीयारण्यक 10:1:6 वासुदेव के पुत्र नारायण के अवतार श्री कृष्ण जी का हम ध्यान करते हैं वह विष्णु हमें सन्मार्ग प्रेरित करें।
मूर्ति पूजा की प्रमाणिकता
यजुर्वेद 14:65
सहस्त्रस्य प्रतिमा असी
ऋग्वेद 5:58:8
अर्चत प्राचर्त प्रियमेधासो अर्चत
श्वेताशतरोपनिषद 3:5
हे रूद्र ! आपकी जो मंगलमई शांत और पुण्य प्रकाशनी मूर्ति है, हे गिरीशंत उस पूर्ण आनंदमई रूप के द्वारा आप हमारी देखो । आह्वान
अथर्ववेद 2:13:4
तुम आकर इस पाषाण में विराजमान हो जाओ यह आपका शरीर बन जावे और देवता सैकड़ों वर्ष पर्यंत उसमें आपकी को स्थिर करें।
अथर्ववेद 16:2:6
मूर्ति को नमस्कार
अथर्ववेद 5:30:12
प्राणप्रतिष्ठा
पुराणों की प्रमाणिकता
अथर्ववेद 11.7.24
अथर्ववेद 15.6.11
अथर्ववेद 15.6.12
छांदोग्य उपनिषद 7.1.2
छांदोग्य उपनिषद 7.1.4
तेतरीय आरण्यक 10:1:6
बृहदारण्यक उपनिषद 2.4.10
महाभारत आदिपर्व 1.253, 1.267, 268, 1.2, 1.16, 1.17, 1.65, 1.63, 1.238, 2.82, 2.193 2.271, 4.1 5.1, 5.2, 5.4, 5.6 आह्वान
ईश्वर सर्वशक्तिमान है
बृहदारण्यक उपनिषद 5.1.1
तैत्तिरीय उपनिषद 2.1
आर्य समाज के ग्रंथों में ईश्वर के लिए सर्वशक्तिमान और अनंत सामर्थ्यवान जैसे शब्दों का उपयोग ऋग्वेदादि भाष्य भूमिका अथर्ववेद वेदोत्पत्तिविषयः
सत्यार्थ प्रकाश सप्तमसमुल्लासः पृष्ठ संख्या 149
Murkhata ki bhi ek sima hota he, He mahanuvab app to Mahamurkha nikle ; lagta he app mexmular ke ved vasya padlie he or murkho ki dwara kie geye annaya grannoto ki vasya,he mahanuvab kripeya ek bar in sab grantho ki Vedik arya Samaj ki vasya padhe tab app ko pata chalega ki asal me in mantro ke asal arth kia he : kher chodiye me to (Nirakar) Iswspar ko Manta hu or us Nirakar Parampita Parmattama ko hi manta hujo ki sare sansar ka ek hi NIRAKAR, NIRBIKAR ,ANADI ,ANNATH , sare Jag loklokantaro ki EK hi Swami he JISE Me (OM) ke rup me Janta hu , Pravu app ka Sat Gyan or Sath Buddhi de Om Sam
@@subratnayakarya7646 dekhiye main mungerilaal ke haseen sapno se, aur santon ke khandan karne wale ahankaari gyaan se vanchit hu aur khush hu. Kisi cheez ka Satyaarth prakash naam rakh dene se woh satya ka prakaash nhi hota jaise kisi insaan ka naam satyawaan hone se yeh siddh nhi hota ki woh sach hi bolta hai.. Waise aap pehle apne hi grantho ka swadhayan kre aur soche kahin dayanand Ji muller se inspired nhi the na. Unke maata pita aarya samaji the? Unke guru parampara ke pichle 10 guru arya samaji the? Aur kya dayanand ke pehli 10 guru parampara mein kisi murti poona nhi ki? Aur maine pramaan diye hain, jinn sanataniyo ko 4 ved, 6 shastra, 18 puran, balmiki ramayan, bhagwat , ramcharit manas, manu smriti mein shraddha hai ye praman unke liye the .. Jai Siya Ram 🙏
@@subratnayakarya7646 apna lehja dekho pehle baat karne ka jitne ved padhein hain sab dikh rha …..
@@subratnayakarya7646 bhai PhD kiye hue logo ne b sabne milte julte arth thoda fark hoga pr Sayan acharya , sanvotlakar ji , Shri Ram acharya Gita press k ved bhashya k yhi arth pr Dayanand Saraswati k hi bhashya me antar kyu hai matlab sare vidwan galat ek tmhare guru sahi
@@mayankagnihotri8646 bilkul bhai 😂 bas ek dayanand Ji hi toh jinse arth karte aata tha 😂aur dharma wale bhi kam nhi almost arya samaj ka hi channel hai yeh
मैं विनय जी और अग्रवाल जी के तर्क से सहमत हूँ
श्री वृंदावन दास जी गुरु जी की जय हो हरे कृष्णा गुरु जी
विनय आर्य जी आप बिलकुल सत्य है ।यही सनातन धर्म है।👌👌👌👍💐💐💐
सनातन वैदिक धर्म और तर्क विरोधी नहीं होते।
योगी जी ने भ्रमित किया यह कहकर कि कोई मौन रखे तो उसकी सारी कही हुई बातें सिद्ध होंगी। ऐसा कुछ नहीं होता। यह असंभव है।
हां, यह हो सकता है कि कोई सच्चा विद्वान व्यक्ति परिस्थितियों का वैज्ञानिक आकलन करके भविष्य का अनुमान लगा सके। उदाहरण के लिए, बादल हैं तो बारिश होगी, आदि।
चरण रज की महिमा ushi समय महिमा धारण कर लेती है जब भक्त को गुरुदेव की चरण रज में प्रबल फेथ हो जिनको चरण रज में believe आस्था नहीं उसका नहीं होगा
एक गुरु महाराज बोले मेरे चरण रज में ताकत नहीं ताकत सामने वाले की विश्वास में है
श्री वृन्दावन चंद्र दास जी आत्मा के धर्म की बात करते हैं क्योंकी हमारी असली पहचान यही है कि हम शरीर नहीं आत्मा हैं और आत्मा का धर्म शरीर के धर्म से ज्यादा महत्वपूर्ण है । अर्जुन भी शरीर के धर्म और कर्तव्यों कि बात कर रहे थे तब भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को आत्मा का ज्ञान दिया। श्री वृन्दावन चंद्र दास जी इसी ज्ञान को सामने रखते हैं।
हरे कृष्ण।।
Hare Krishna
Vrindavan Chandra das ji ne adbhut vyakhyan dia
#Vrindavan chandra dasa prabhuji ❤. Hare Krishna, jai srila prabhupada🙏
विनय जी तर्क के आधार पर समझाते हैं बहुत अच्छा! लगे रहिए🙏🙏
आर्य जी आप का कथन सही है
आपने बहुत अच्छा कहा आदरणीय आचार्य विनय आर्य जी, बहुत ही सरलता, कुशाग्रता, बुद्धिमत्ता से समझाया है और अच्छा तर्क। आपका बहुत बहुत धन्यवाद जी नमस्ते जी ओ३म् ओ३म् ओ३म्
विनय आर्य ने जो कहा वह धर्म का सच्चा स्वरूप दिया है , जय आर्य जय आर्यावर्त
महर्षि दयानंद सरस्वती जी महाराज की जय सभी राष्ट्रवादियों से मेरा विनम्र 🙏 निवेदन सत्य को जानने के लिए "सत्यार्थ प्रकाश" अवश्य पढ़ें
Vinay Arya ji bahut sunder question kiya bolti band lage badbadane
Dr Vrindavan Chandra Das ji is so knowledgeable..🙏
Vinay Arya ji ka tark achha laga❤❤❤
सनातन धर्म की ख़ूबसूरती यहीं है कि यहाँ चर्चा का स्थान है।
प्रयास सराहनीय है । ये बात सच है की आज के समय में धर्माचार्यों और पंथ आचार्य अनेकों हो गए हैं । इसलिए सभी धर्माचार्यों को और पढ़ें लिखे बुद्धजीवियों को एक साथ बैठाकर चर्चा करवाएं ।
सिर्फ चार व्यक्ति को बैठाकर इस महा समस्या का समाधान नहीं हो सकता ।
vinay arya ji ke tark ekdum sahi h🙏
इस्कॉन वाले गुरु जी पर कोई तर्क नही है 😂😂
Sabse accha Dr. Vrindavanchandra Das ji ne samjhaya. Very logical and simple
Ja amrit pi le unka Or thodi mitti b chat liyo 😂😂
बहुत सुंदर सन्देश। आर्य समाज अमर रहेगा।🙏🙏
फस गया प्रभु बाबा, चरण अर्मत मे.
वैदिक धर्म🙏🌹🙏 वेदों के अनुसार धर्म क्या है ।विनय जी धन्यवाद 🙏
विनय जी नमस्ते। आर्य ही धर्म की सही व्याख्या करते हैं। जय आर्य समाज मिशन।
आर्य जी को कोटि-कोटि नमन
सत्य सनातन वैदिक धर्म की जय हो जो सत्य बोलता है वही धर्म है जैसे आंखों का का धर्म है अच्छा देखना धर्म की जय संसार में
Hare Krishna prabhuji thank you for sharing real knowledge 🙏🏿
जो खुद को पसंद नहीं वो दूसरो के लिए क्यों करे। यही धर्म। सभी को नमस्ते।
बहुत सुंदर धन्यवाद जी विनय आर्य जी ,लाजपत राय जी दोनों विद्वानों द्वारा तार्किक जानकारी दी गई है l
जय श्री कृष्णा हरि ॐ 🙏🕉️🚩 सत्य सनातन वैदिक धर्म कि जय ❤
विनय आर्य जी को बहुत बहुत धन्यवाद
भारत मे सनातन हिन्दु धर्म के जितने भी कथाकार है. उनका आखिल भारतीय संम्मेलन हो. वहा पर सत्य सनातन धर्मग्यानी यो का मार्गदर्शन हो. सभी कथाकारो की धर्मज्ञान पर चर्चा हो. उनमे आपसी समन्वय हो. ये बहुत जरुरी है.
हमनें तो हमारे गुरुदेव से जो सीखा व जो ज्ञान मिला वह अनमोल है. । हम उसी से काम लेंगे। ये महागुरुओं के शिष्य है। हममें ,अल्पज्ञता है, हम समझ नहीं पातें ,संस्कृत के क्लिष्ट विचारों व वेद की रिचाओं को व अन्य सिद्ध बातों को । जिस किसी को समझ आयेंगी ,ये विद्वता पूर्ण प्रवचन ,वे निश्चित रुपसे लाभान्वित होंगे। हमें क्षमा करियेगा। कुछ अधिक ,अज्ञानता वश व अवस्था लिखा हो तो भी दक्षमा । व.नागरिक, नरपत,,भारत।
ईस्ट और वेस्ट , वृंदावन चंद्र दास जी बेस्ट 🙏🙏🙏
बहुत ही सुंदर चर्चा चल रही है फिर वही बात आ जा रही है कि हमें विषयों का सही चिंतन करना पड़ेगा
Hare Krishna guruji aapke Shri charno me mera dandavat pranam, sril Prabhupad ji ki Vijay ho 👏
ताऊ फिर आ गया 🎉🎉😂😂❤❤❤❤
Vedic sidhant sarvopari hai🙏
😮 आर्य समाज की बात मुझे समझ में आ रही है