प्यारी जू की सहज अटपटी बोलनि|नित्य पद गायन | वेणु विनोद कुंज, वृन्दावन

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  • čas přidán 7. 09. 2024
  • प्यारी जू की सहज अटपटी बोलनि|नित्य पद गायन | वेणु विनोद कुंज, वृन्दावन
    प्यारी जू की सहज अटपटी बोलनि।
    हो पिय तुम उर बसी कौन तिय पहिरे नील निचोलनि।।
    हमहूँ ते गुन रूप आगरी पाइ कहाँ बिन मोलनि।
    बडे बडे नैन अरुन कजरारे बिथुरी अलक कपोलनि।।
    श्रम जल बूँद मनोहर मुख पर लसत उरज नख छोलनि ।
    उमँगिउमँगि सन्मुख आवत मन भावत करत कलोलनि ॥
    रति के चिन्ह देखियत अंग अंग रंजित अधर तमोलनि ।
    भगवत रसिक कहौ तुम साँची नाहिं करौं अनबोलनि ॥
    रचनाकार
    रसिक संत श्री भगवद रसिक जी महाराज
    सेवा
    आनन्द जी एवं कुंज परिकर
    राग
    भीमपलासी
    WhatsApp
    8218617034
    #प्यारी_जू की सहज अटपटी बोलनि
    नित्य #पदगायन #वेणुविनोदकुंज, वृन्दावन

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