पर्यावरण पर कविता/poem on environment in hindi/poem on environment.

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  • čas přidán 1. 02. 2021
  • पर्यावरण पर कविता/poem on environment in hindi/poem on environment.
    नमस्कार ।
    मैं गीतकार नीरज आपलोगों के बीच poem in nature/Poem on environment/पर्यावरण पर कविता निवेदित कर रहा हूँ।मेरे द्वारा रचित इस कविता को अपना मधुर आवाज दिये हैं क्रिशी बाबू ने ।पर्यावरण के जैविक संघटकों में सूक्ष्म जीवाणु से लेकर कीड़े-मकोड़े, सभी जीव-जंतु और पेड़-पौधों के अलावा उनसे जुड़ी सारी जैव क्रियाएं और प्रक्रियाएं भी शामिल हैं। जबकि पर्यावरण के अजैविक संघटकों में निर्जीव तत्व और उनसे जुड़ी प्रक्रियाएं आती हैं, जैसे: पर्वत, चट्टानें, नदी, हवा और जलवायु के तत्व इत्यादि।
    सामान्य अर्थों में यह हमारे जीवन को प्रभावित करने वाले सभी जैविक और अजैविक तत्वों, तथ्यों, प्रक्रियाओं और घटनाओं से मिलकर बनी इकाई है। यह हमारे चारों ओर व्याप्त है और हमारे जीवन की प्रत्येक घटना इसी पर निर्भर करती और संपादित होती हैं। मनुष्यों द्वारा की जाने वाली समस्त क्रियाएं पर्यावरण को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती हैं। इस प्रकार किसी जीव और पर्यावरण के बीच का संबंध भी होता है, जो कि अन्योन्याश्रि‍त है।
    जरा सोचिये,जिस प्रकृति हमें सबकुछ दिया उसे हमने क्या दिया और उसके साथ क्या किया ? प्रकृति ने हमें खाने के लिए हजारो तरह के सुन्दर और स्वादिष्ट फल दिये लेकिन हमें मांस,मछली,पिज्जा,बरगर पसंद है।प्रकृति ने खुशबू के लिए हजारो किस्म के अलग-अलग महक वाले फूल बनाये लेकिन हमें बोतल वाली सेन्ट पसंद है।प्रकृति ने पानी के लिए अनेको अमृत धारा वाली नदियां,झरने,झील बनाये लेकिन हमने उसे प्रदूषित कर अपने घरो में RO लगवा लिया।जीने के लिए स्वच्छ वायु बनाया लेकिन हमने पेडो़ को कटवाकर घरो में AC लगवा लिया।ये परमाणु परिक्षण और सेटेलाइट का खेला जो हम खेल रहें हैं प्रकृति को जरा भी नहीं भाता है।अन्य बेकसूर जीवो की वजह से प्रकृति शांत है लेकिन कबतक ? विचार करे।प्रकृति एवं प्रकृतिक से स्नेह हीं ईश्वर से स्नेह है और इसकी रक्षा हीं सबसे बडा़ धर्म है। मैं आपलोगों के बीच पर्यावरण पर अन्य कविता लाता रहुँगा। धन्यवाद।।
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