विघ्न-हरण ढ़ाल अ.भी.रा.शि.को उदारी हो, Vighan Haran- Terapanth Song
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- čas přidán 18. 01. 2020
- श्रीमज्जयाचार्य पंच ऋषि-स्तवन के रचनाकार । विघ्न-हरण के संस्थापक। पराशक्तियों से घिरा एक आवृत्त-आवर्त-संसार । सिद्ध-योग-साधक। मंत्र-विद्या-विशेषज्ञ। प्रयोग-धर्मा, निष्णात-संत।
01. अ.भी.रा.शि. को उदारी हो। धर्म-मूर्ति , धुन-धारी हो। विघ्न-हरण, वृद्धि-कारी हो। सुख-सम्पति दातारी हो। भजो मुनि गुणां रा भंडारी हो।
तपस्वी अमीचंदजी- धर्म-मूर्ति,
तपस्वी भीमजी- धुन-धारी,
तपस्वी रामसुखजी-विघ्न-निवारक,
तपस्वी शिवजी- वृद्धि-कारक,
तपस्वी कोदरजी- सुख-संपत्ति-दातार हैं।
2.भिखू,भारीमाल,रिषिरायजी,खेतसीजी सुखकारी हो। हेम हजारी आदि दे, सकल संत सुविचारी हो
प्रणमूं हर्ष अपारी हो। भजो मुनि गुणां रा भंडारी हो।।
"भिखू,भारीमाल,ऋषिरायजी,खेतसीजी और हज़ारो में विरले हेमराजजी स्वामी आदि सकल-सभी कला सम्पन्न,छद्मस्थ-चारित्र-सराग-संयम वाले मदुर विचारक-संतों को अपार हर्ष से प्रणाम करता हूँ।
ऐसे गुण-भंडार मुनियों का भजन करो।"
भि.-भिक्षु स्वामीजी, जो पांचवें कल्प-ब्रम्हा देवलोक के इन्द्र हैं।
भा.-भारीमाल स्वामी,जो बारहवें अच्युत कल्प-ब्रम्हा देवलोक के इन्द्र हैं।
रा.-रायचंदजी स्वामी, जो आठवें देवलोक के सामानिक वैभव शक्ति वाले हैं।
खे.-खेतसीजी स्वामी, जो सहस्रार आठवें देवलोक में उपेंद्र आसन पर हैं।
हे.-हेमराजजी स्वामी,जो आठवें सहस्रार कल्प में
महर्धिक-देव हैं।
विघ्न हरण ढाल
अ.भी. रा.शि. को. उदारी हो, धर्ममूर्ति धुन धारी हो, विघ्नहरण वृद्धिकारी हो, सुख संपति दातारी हो।
भजो मुनि गुणां रा भंडारी हो।।
१~भिक्षु भारीमाल ऋषिराय जी खेतसी जी सुखकारी हो, हेम हजारी आदि दे सकल संत सुविचारी हो। प्रणमूं हर्ष अपारी हो।।
२~दीपगणी दीपक जिसा, जयजश करण उदारी हो, धर्म- प्रभावक महाधुनी ज्ञान गुणां रा भंडारी हो। नित प्रणमै नर नारी हो।।
३~सखर सुधारस सारसी, वाणी सरस विशाली हो, शीतल चंद सुहावणो, निमल विमल गुण न्हाली हो। अमीचंद अघ टाली हो।।
४~उष्ण शीत वर्षा ऋतु समै, वर करणी विस्तारी हो, तप जप कर तन तावियो, ध्यान अभिग्रह धारी हो। सुणतां इचरजकारी हो।।
*५~संत धनो आगे सुण्यो,ए प्रगट्यो इण आरी हो, प्रत्यक्ष उद्योत कियो भलो,जाणे जिन जयकारी हो। ज्यांरी हू
31. विघ्नहरण री स्थापना,भिखू-नगर मझारी हो।
माह सुद चवदश पुख दिने, कीधी हर्ष अपारी हो।
तास सीख वचधारी हो।तीरथ च्यार मझारी हो।।
ठाणां एकाणूं तिवारी हो।
उनके शिक्षा वचन स्वीकार कर, चार तीर्थ के बीच,एक्काणवें (91) साधु-साध्वियों की उपस्थिति में वि.सं.1913 माह शुक्ला चतुर्दशी पुष्य नक्षत्र के दिन भिखू-नगर (कंटालिया) में विघ्नहरण री स्थापना की। विघ्न-विनाशी अ.भी.रा.शि.को इन गुणों के भंडार मुनियों का भजन करो।
विघ्न मिटेंगे।
जानिए इस कथा से विघ्न-हरण ढ़ाल की स्थापना कैसे हुई हैं?
सेठिया जुगराजजी बता रहे थे-बुजुर्गों से सुना हैं, कंटालिया गुरां बताया करते थे- हमारे उपाश्रय में प्रतिष्ठित यक्षदेव मणिभद्रजी अतिरिक्त प्रभावशाली देव हैं।इनके साक्षात्-परिचय अनेक-अनेक बार होते रहे हैं। आज भी इनकी मजबूत संकलाई हैं। ये श्रद्धा मांगते हैं। रत्नत्रयी के आराधक अ.सि.आ.उ.सा के ये परम भक्त हैं। ये केवल आदर,मान, त्याग-तपस्या,ज्ञान-दर्शन-चारित्र की आराधना चाहते हैं। अनादर किसी का भी नहीं होना चाहिए।देवी देवता की आशातना महँगी पड़ती हैं ।
'मिच्छामि दुक्कडं' देवता तो राजी बाजी ही भले हैं। किसी को मानो,मत मानो,मरजी आपकी पर बिना अवहेलना मत करो। सम्मान करो, यह गृह-अतिथि-धर्म का अपमान किसलिए?
कंटालिया जयाचार्यश्री जी पधारे। उपाश्रय के अतिथि बने।देव मणिभद्रजी महाराज ने अपना सौभाग्य माना। संत घर आये। पधारते ही जय-महाराज के प्रवेश द्वार पर ही आज्ञा मांगी-
अणुजाणह जस्स उग्गहं।मणिभद्रजी के आले स्थान पर पधार मांगलिक फरमायी। भीतर पधार विराजमान हुए। संतो को हिदायत फरमायी। जय-महाराज ध्यान योगी,जप-तपी, आराधक-साधक साधु थे। देवता भी उनकी सेवा करते ।
सब काम ठीक ठाक चल रहा था।पूरा गांव प्रसन्न था। एक दिन एक अप्रत्याशित घटना घटी। किसी गांव में एक मूर्ख-अनजान, अजोग आदमी ने जिद्द जिद्द में भोमियोजी महाराज की प्रतिमा पर जूते मारे, थान पर पेशाब किया और यह कहते हुए अवहेलना की क्या पड़ा है इस पत्थर में?भोमियोजी अगर ताकत हो तो चमत्कार दिखायो मैं खड़ा तुम्हारे सामने। दो चार राहगीर इकठ्ठे हो गए। भोमियोजी जागे। कुपित हुए। भोपोजी ने फूंक मारी।वह गिर पड़ा।पागलों की तरह उठता-पड़ता,चलता गिरता, कंटालिया की सीमा में आ एक खेत में गिर पड़ा। तड़प तड़प कर मरा। कौओं-कुत्तों ने नोच खाया। मर कर वह प्रेत-योनि में गया। प्रेतात्मा प्रकुपित हुई।उसके लिए वह खेल तमाशा था। उस प्रकोप ने कंटालिया को झकझोर कर रख दिया। घर-घर बुखार। जायें तो जायें कहाँ? बूढ़े के सामने टाबर खिरने लगे। कौन जानता था-यह देव -चाला-उपद्रव हैं । इसी भयंकर विघ्न में साधु-साध्वियां भी लपेट में आ गये। जयाचार्य को भी ज्वर चढ़ा। उन्होंने दाह-ज्वरी वेदना में अपनी इष्ट -शक्ति को याद किया। जयाचार्य ने विघ्नहरण की स्थापना की। गुरां कहते कहते खड़े हो जाते।उनके रुं-रुं नाचने लगते। वे बताते उस समय कौन का तो पता नहीं पर शासन देवी-अधिष्ठायिका जी का सिणगार सहित इस उपाश्रय में प्रत्यक्ष आगमन हुआ। यक्ष मणिभद्रजी महाराज ने उनकी अगवानी की। छत पर कुंकुम के पगलिये मंडे। केशर-चंदन के साखिये-स्वस्तिक को तो जनता के कई दिनों तक धोको-पूजा-नामंकन किया। लोग केशर नखों से कुचर कुचर, कुरेद-कुरेद कर ले गये। शासन अधिष्ठायिकाजी ने जयाचार्यजी को "विघ्नहरण स्थापना" को संकेत दिया। मणिभद्रजी यक्षराज ने आचार्य देव को जल-कलवाणी-पिलाने और छांटने को निवेदन किया। आचार्य ने उनकी प्रार्थना मान, प्रयोग किया । साधु संत तो ठीक हुए सो हुए ,पूरे गाँव का कष्ट टाल गया। यों हुई विघ्न हरण की स्थापना। नमन,नमन उस 'पर-दुःख-कातर' महापुरुष जयाचार्य श्री को जय-जय-जय-महाराज..।
रचनाकार : श्रीमज्जयचार्य
गीत का साभार: अमृतवाणी
स्वर व संगीत : श्री मनमोहन सिंह
Om arham
Om Arham om shanti
Vane Chand Aanand Kumar Pipada jai bhikshu jai bhikshu jai jai jai vandey guruvaram
Om Arham Om Shanti sardarshahr
ममता जैन🙏👌👌👌🙏
जयाचार्य श्री की रचनाऐं चमत्कारी है।
अच्छे गायन केलिए साधुवाद।
Om Arham
ओम अर्हम
Very nice geet on arham
A like this dhal very much
ओम अभी राशि को नम
Om a bhi raa shi ko namah!
Mangalkari bhajan
ऊ भिक्षु जै भिक्षु
Krantikari vir bhikshu ki Jai ho
ॐ अर्हम 🙏
विदित नाहटा के प्रति आन्तरिक पर
पर प्रमोद भावना व कृतज्ञता ज्ञापन ।
Jai bhikshu jai bhikshu jai bhikshu jai jai jai .Emvee jain hydrabad
om arham
आध्यात्मिक शक्तिशाली साधु साध्वियों के पूज्य जयाचार्य द्वारा नाम स्मरण से यह गीतिका भरपूर कायिक वाचिक और मानसिक कल्याणकारी मंगलकारी विघ्नहरणकारी एवं शुभंकारी बन गई हैं 🙏
@@vidithnahata451 🙏
Vande Guruvaram
@@sunitachindaliya2578 q¹¹w⁶hi 😮
Om Bhikshu.Nammai
Bhiku-Shyam.Bhiku-shyam
जय भिक्षु जय भिक्षु ऊँ🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Om arham om arham
🙏🙏
Vande guruvaram
अद्वितीय
वंदे गुरुवरम🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Shrimajjayacharya ji ki vishisht dhaal ko bahot hi sundar swar diya gaya hai. Om arham 🙏🏻🙏🏻
Om arham
Bahut hi Sundar bhajan
Omarham
ॐ अर्हम
👏👏👏👏👏
🙏🏵 ॐ अर्हम् ️🏵️🙏
जुग जग जीवो
Omarham omarham
Om bhikshu jai bhikshu 🙏🙏
Very nice 🙏🙏🙏🙏
vande guruwarm 🙏🙏
Very nice
🙏🙏🙏
Vande guruvarm
Om Arham 🙏🙏
Vande guruvaran
Excellent dhal
Nice
Baut badia dall he
Vande Guruvaram 🙏🙏🙏🙏
ममता जैन🙏👌👌👌🙏
Hmm
,🙏🙏
V nice
🙏🙏🙏 om arham
awesome 🙏🙏🙏
Nice👍
Vande gurvarm
Jai bhikshu ! 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
अद्भुत
History and significance of this dhaal is amazing. It is one of the treasure of terapanth dharamsangh. If possible record this dhaal with minimum instruments and original tune. That will also help connect emotionally
Mujhe jitna ata tha maine utna kiya. Aap se praarthana hai mujhe sahi tune sikhayen. Music bhi kaisa hona chahiye, aap ki sharan mein aa kar zaroor seekhna chahta hun.
@@ManmohanSingh-ld2fn🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉😅🎉🎉🎉🎉🎉
any one knows bhav arth of this full gatha
Om arham 🙏🙏
Om bhikhsu
ऋ
सुंदर उपक्रम🙏
ढाल,राग,संदर्भ का समन्वय इसे संपूर्ण(perfect) बनाता है।
जिस जिस अंतरा(गाथा)का संगान हो रहा हो, उसी के शब्द भी screen पर रहते तो और उपयोगी हो सकता है।
गाथा ३१ में "तास सीख वचधारी हो" का अर्थ समझा सकें तो कृपा करें🙏
9
Okay?.............,........................................
U
Why so many dislikes.
Koi to kaaran zaroor hai. Try to find it out.
Vandeguruvaram🙏🙏🙏🙏
Pranam
ई
Name of the singer
Anoopjalota
Who is the composer and singer ?
Singer and Tune : Mr.Manmohan Singh
Composer: Acharya Jayacharya
Om Arham om shanti
Om arham
Om Arham
Om Arham Om Shanti sardarshahr
vande guruwarm 🙏🙏
Om Arham 🙏
Om Arham om shanti
Om Arham om shanti
Om Arham Om Shanti sardarshahr
Om Arham om shanti
Om Arham om shanti
Om arham
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Om Arham Om Shanti sardarshahr
Om Arham Om Shanti sardarshahr
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Om Arham
Om arham
Om arham