इस पार- उस पार ll मधुबाला ll हरिवंश राय बच्चन ll अजीत अजित ll

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  • čas přidán 6. 08. 2024
  • हरिवंशराय बच्चन के काव्य मधुबाला की कविता इस पार- उस पार से उद्धृत चंद पंक्तियाँ :-
    प्याला है पर पी पाएँगे,
    है ज्ञात नहीं इतना हमको,
    इस पार नियति ने भेजा है
    असमर्थ बना कितना हमको;
    कहने वाले पर,कहते हैं
    हम कर्मों से स्वाधीन सदा;
    करने वालों की परवशता
    है ज्ञात किसे, जितनी हमको;
    कह तो सकते हैं, कहकर ही
    कुछ दिल हल्का कर लेते हैं ;
    उस पार अभागे मानव का
    अधिकार न जाने क्या होगा!
    इस पार, प्रिये, मधु है, तुम हो
    उस पार न जाने क्या होगा!
  • Hudba

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