मंदिर की मूर्तियाँ जड़ है या चेतन ? By स्वामी सच्चिदानंद जी महाराज
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- čas přidán 18. 02. 2024
- स्वामी सच्चिदानंद जी महाराज
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वेदों की ओर लौटना पड़ेगा... प्रणाम गुरुदेव... आपके जैसे क्रन्तिकारी संत की आवश्यकता है... स्वामी विवेकानंद जैसी ओजस्विता है आपकी वाणी में
Jai shree Ram bhai i i i
Bhai guriuji sri yati narsinghand ji maharaj dasna Devi mandir ghaziabad ka sath do dhanywaad i i i i
Bhai aapke Circle mein jitne bhi hindu log unse boleiye jyada bache paida kare tabhi humlog bachege nahi to humlog bharat se bhi khatam ho jayega ii
Bhai Arya samaj ko support karo
Bhai inki khooni kitab Kuran Hadis padh lo sab samaj aa jayega iii
ओ३म् ही जीवन है, ओ३म् ही आधार है, ओ३म् ही बल है, ओ३म् ही ज्ञान है, ओ३म् ही विज्ञान है, ओ३म् ही प्राण है, ओ३म् ही विवेक है, ओ३म् ही प्रकाश है, ओ३म् ही कर्ता है, ओ३म् ही विधाता है, ओ३म् ही सर्व रक्षक है, ओ३म् ही परब्रम्ह है, ओ३म् ही अपर ब्रम है, ओ३म् ही माता है, ओ३म् ही पिता है, ओ३म् ही सखा है, ओ३म् ही बन्धु है, ओ३म् ही ज्योत है, ओ३म् ही सच्चिदान्द है, ओ३म् ही सृष्टिकर्ता है, ओ३म् ध्यान है, ओ३म् सर्वव्यापक है, ओ३म् सर्वान्तरयामी है, ओ३म् ही सर्वविद है, अन्त में ओ३म् ही सार है ।
गुरुजी पहलाद जी ने देखे थे भगवान
ॐ गुरूजी आपके चरणों कमलों मे सादर प्रणाम सनातन धर्म को बचाना हैं तो युद्ध स्तर पर गुरुकुल खोलना पड़ेगा और अपने बच्चो को गुरुकुल की शिक्षा अनिवार्य कर देनी चाहिए
जय सच्चिदानन्द स्वामी की जय। जय हिन्दु वन्दे मातरम् ॐ
जय श्री राम ❤
सादर नमस्ते जी
Sahi baat hai guru ji 🕉️🚩
जय श्री राम जी ❤🙏🙏🌹🌹🚩 हिन्दू राष्ट्र बनाओ देश बचाओ 🌞🪴🌹🌹🚩
श्रद्धेय स्वामी जी, सादर प्रणाम 🌹🌹🌹🌹🌹☂️
❤अगर आपकी बुद्धि अतिसुक्ष्म है तो हर परमाणु चेतन हैं तो मूर्ति भी चेतन हैं जिसे कोई ब्रह्म कहे, कोई उसे अउम कहे कोई उसे निरंकार कहे।अगर आपकी बुद्धि जड़ है तो परमाणु भी उसे जड़ दिखेगा तो मूर्ति में कभी परमात्मा नहीं देख पाएंगे। कसूर निगाह की है।❤
आपको कोटि कोटि नमन
जय।श्री राम
Namaste Swamiji ATI sundar katha
श्रद्धा स्वामी जी प्रणाम आपकी बात बिल्कुल सही है
Bahut sundar pravachan swami ji
हमारे परम श्रद्धेय साधु संत अपने अपने प्रवचनों में एक दूसरे के मत का खंडन करते रहते हैं जिससे धर्म भीरु जनता भ्रमित होकर अपने शास्त्रों पर ही अविश्वास कर दूसरे धर्मों को श्रेष्ठ मानने लगती है कुछ ऐसा प्रयास किया जाए कि अपने धर्म पर श्रद्धा बढ़े
Sunder bichar😊
बहुत सही स्वामी जी, नमस्ते ji
Sahi baat hai ❤
परमात्मा सब जगह पर मौजूद हैं।
ओम् नमस्ते आचार्य जीं जय आर्यावर्त
Namste ji
अति उत्तम व्याख्यान।🙏
You are the only Arya samaji who strongly condems idol worship as swami Dayanand used to. You are doing a great service to sanatan.
ये सम्पूर्ण श्रष्टि ही परमात्मा मय है, परमपिता परमात्मा सर्वज्ञ सर्वब्यापी है, ॐ ॐ 🎉🎉
परमात्मा एक है, सर्वत्र व्यापक है
Jay shree Siya Ram ji 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
Swami ji ko kotti kotti Naman
Nice sweet real gyan by Swamiji. OM.
Jay shree ram
Swamiji sacchai hai😊
एकदम सही बात बताई गुरुजी!! मनुष्य का मन ही मंदिर है और भगवान मन को देखते हैं!! जिसका मन और विचार खराब हो वह चाहे कितने भी मंदिर में जाए!! मन शुद्ध होगा तो भगवान को पसंद होगा मंदिर जाने से नहीं!!
Adhbhut pravachan yase hi gurookul ki bevastha bharat me honi chahiye .dhanyavad
सबका ईश्वर एकहै
मानव शरीर के अन्दर है..दोनो आखो के पीछे और बीचो बीच है...
Sahi Baat hai Sachidanand ji Maharaj 😊😊❤❤❤❤
नमस्ते गुरुजी 🚩🙏
❤
Pranam guruji ❤❤
ओम् , सादर ओम् प्रणाम ्🎉🎉
ओउम्
Om
मन मन्दिर का रूप ही मन्दिर है
Satya Sanatan vedic dharm ki jai
सर्व खल्विदं ब्रह्म चराचर जगत में घट घट में
❤
Praan Pratishta !
' Praan tattwa ' - granth
...Swami Vishnu Tirth
Narayan kuti Sanyas ashram ,
Devas , M.P.
We expect discussion on above subject .
Mahant Shri Aap Sahi Kah Rahe Mandir Dhyan Lagane Ka Kendra Tha Aaj Money Banane Ka Kendra Ban Gaya Hai Isliye Humare Desh Ke Khand Khand Ho Gaye Aaj Bhi Log Aapne Aarya Dharma Ka Palan Nahi Kar Rahe Hum Jese Logo Jyan Dene Ke Liye Aap Ka Abhar Jai Maa Bharti
Guru ji bachho ko ye bhi bato ki prmatma kaise milta hai please 🕉️🚩🚩
ईश्वर सर्वव्यापक है।
सादर प्रणाम
OM
Bahut Sundar Guruji aapke charanon mein कोटि-कोटि Naman 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌺🌹🌺🌹🌹🌹🌹🌷🌹🌹
ओ३म् स्वामीजी सादर नमस्ते
में तो मानता हूं आज आर्य समाज में स्वामी सच्चिदानंद जैसा निर्भीक व्यक्तित्व और कोई नहीं
Pramaanda maharajse dibetakare bo bhagwaanako dekhehe or dikhaabisakatehe radhe radhe Ram Ram 🙏🙏🙏🙏
मन में भी भगवान की काल्पनिक मूरत होती है
आप प्रेम आनंद जी से मिलकर शास्त्रार्थ करने की कृपा करें।
Right Ram ram 🙏🙏🙏🙏
Swami ji namaskar.
Jabardast
जय आर्य समाज, जय देव दयानंद सरस्वती जी, जय सनातन धर्म।
जय आर्य श्रेष्ठ योगिराज श्री कृष्ण चंद्र जी महाराज।।
एक बात का उत्तर जरूर देना
परमात्मा सर्वत्र है फिर मंदिर मे क्यों
हाँ परमात्मा सर्वत्र है
वायु भी इस खुले ब्रह्माण्ड मे सर्वत्र है पर ज़ब ध्यान दीजिये
टायर मे हवा भराते है तो टायर की टोटी खोल देते है और हवा भर जाती है ये सत्य है
फिर उसे हवा भरवाने क्यों जाना पड़ता है
जय सनातन 🙏
🙏🏻🕉🙏
जय स्वामी दयानंद सरस्वती जी
We live at jila Bahrach UP. Sir sattyarth prkash book hamne kahn se milege
🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹
हवा सबजगह है तो टायरमे हवाभरवानेकेलिये कोमपरेसेके पास क्यो जाना पडता है
Sahi
Bhagwan Ram ki Murti ke vicharon ko Ham Pranam Karte Hain,
Mahapurushon ki Murti ke vicharon ko Ham Pranam Karte Hain, inke vicharon ki aagya ka Palan Karte Hain,
हे गुरूवर ईश्वर को भी भुख नही लगता है।
परमात्मा सब जगह रहता है । सूर्य का प्रकाश सब जगह होता है लेकिन सूर्य का प्रकाश गंदा नही होता है ऐसे ही ईश्वर गंदे नही होते है सूर्य का प्रकाश मरे हुए जानवर पर पडता है तो प्रकाश गंदा नही होता है इसीलिए हमारे भाव से प्रत्येक मूर्ति मे ईश्वर होते है । ईश्वर जड नही है मूर्ति जड है । मन का भाव ईश्वर मे विलीन होता है । ईश्वर देवताओ की मूर्ति मे होते है ।
Arya samaj jindabad Jai sri Ram ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
प्रणाम स्वामीजी।
बहुत सुंदर। मेरे एक प्रश्न है आपसे की जब ईश्वर सर्वत्र है तो क्या फिर क्या ईश्वर मंदिर में नही है। ईश्वर सृष्टि के हर कण में है तो फिर क्या मूर्ति में ईश्वर कैसे नही है।
जब हवा हर जगह है हवा में ऑक्सीजन हर जगह है तो फिर बीमार आदमी को ऑक्सीजन सिलेंडर से ऑक्सीजन क्यों देते है । बीमा सिलेंडर के ही ऑक्सीजन क्यों नही ले लेते। परमात्मा भीतर बाहर सब जगह है। प्राप्त करने की विधियां अलग अलग है। यह सनातन है । अपने अपने भाव होते है
ईश्वर सर्वत्र है तो सर्वत्र ही उसका भाव करना चाहिए ना कि एक जगह पर उसका भाव करना।
हवा का उदाहरण गलत क्योकि हवा अचेतन है जड़ है और ईश्वर चेतन है।
आप ईश्वर के साकारवाद को सिद्ध करने के लिए जड़ साधन प्रकृति का उदाहरण क्यो दे रहे है
@@Ram47988 ईश्वर सिर्फ निराकर है यह कहना उसकी विराटता को सीमित करना होगा। और ईश्वर मंदिर में नही यह कहना उसकी सर्वव्यापक्ता को सीमित कर देता है। में तो आपकी बात को भी मानता हु ईश्वर हृदय में परमात्मा के रूप में विद्यमान। क्या आप यह मानते है की ईश्वर मंदिर में नही है। आप इतना बता दीजिए की ईश्वर मंदिर में है या नही।
मित्र निस्संदेह इश्वर मंदिर मे भी है और पत्थर की मूर्ति मे भी क्योंकि इश्वर निराकार है पर मै आपसे पूछता हूं कि क्या आपको कभी मंदिर मे भगवान मिले या आप जिस मूर्ति या तस्वीर को भगवान समझकर पूजा कर रहे हैं, उस ने कभी आपको आशीर्वाद दिया या आपसे बात की या आपकी कोई इच्छा पूरी की हो या कोई वरदान दिया हो तो गम्भीरता से सोचें मित्र, इश्वर ने आपको भी बुद्धि दी है।
मेरी एक बात का जवाब दें कि यदि आप बेजान पत्थर की मूर्ति को भगवान समझ रहे ह़ो और तर्क दे रहे हो कि मूर्ति मे भी भगवान है जो कि सही तर्क है तो इस तर्क के हिसाब से तो कीड़े मे भी इश्वर है, कुत्ते मे भी इश्वर है, सुअर मे भी इश्वर है, तो क्या आप कीड़े, कुत्ते या सुअर को इश्वर मानकर पूजा कर सकते हैं, अगर नहीं तो बेजान मूर्ति को भगवान मानकर क्यों पूज रहे हो।
@@harshhuria8788 जी बिलकुल सभी प्राणियों में ईश्वर परमात्मा के रूप में है। जब ईश्वर आपके हृदय में है तो चींटी के हृदय में भी ईश्वर है। मैने कभी नही कहा की ईश्वर केवल ओर केवल मूर्ति है है। मैने तो यह कहा की जब ईश्वर सब जगह तो तो मूर्ति में भी है। आप ही कह रहे थे मूर्ति में ईश्वर नही होता।आप में है मुझ में है चींटी में भी है। अब रही बात पूजने की तो जिसकी जैसा श्रद्धा और भाव उसको पूज ले। किसी और की श्रद्धा में में अपना मत क्यों दू की तुम गलत हो और में सही ही। में तो सिर्फ इतना ही कह रहा हु जब ईश्वर सब जगह है तो मंदिर में क्यों नहीं हो सकते। और अपने मान भी लिया की मूर्ति में भी ईश्वर है। जिसके जैसे भाव और श्रद्धा होगी उसे वैसे ही नजर आएंगे
गुरु जी यदि मनुष्य के द्वारा बनाई मंदिरों में भगवान नहीं है और भगवान मन मंदिर में ही रहते हैं। तो मंदिर का जरुरत नहीं है।
जब भगवान के द्वारा बनाई मुंह,तन और पैर है तो ध्वनि विस्तारक यंत्र,कपड़ा और यात्रा के लिए वाहनों की क्यों आवश्यकता है?
जैसे सांसारिक वस्तुओं को जीवन में आवश्यकता होती है वैसे ही भगवान और मंदिरों कि भी आवश्यकता होती है।
नमस्ते जी
यह जानने के लिए हमें अपने बच्चों को गुरुकुल में पढ़ाना चाहिए। धन्यवाद
गुरुदेव में भगवान को दिखा सकता हूं और आप जितने व्यक्तियों को लगे उनको सबको दिखा सकता हूं लेकिन क्या आप मुझे क्या आप मुझे दर्शन कर
Aapne kb God ka darshan kiye, kaise kiye, iska kya proof hai, or kon karaya hai, shastra sammat proof or santusthjanak reply ki aasha hai, .. Jay sri ram
Vivekanandjijabkalimakemandirmeggayetounkomurtimehimakalikedarshaehuyethe🎉🎉🎉jai❤❤❤mata🎉🎉🎉🎉de
Banke vihari jai shri ram kausalya k god
Swami ji ko meri bhi Umar lag jaye
सच्चाई यही है सा।
तनोट राय मंदिर जैसलमेर चले जाओ अपने आप पता चल जाएगा
❤
Aap ko Bhagwan ki prapti huvi hai kya ?
Kaise ?
Sadhana ka margdarshan kare .
😊
कृष्ण भागवन ही ईश्वर था। मनुष्य का रुप धारण कर के आया था
ईश्वर अजन्मा, अनादि, है ईश्वर का कभी जन्म और मरण नही होता है ।।
भगवान तो कण कण वासी क्षण क्षण अवतारी हैं तो मूर्ति में भी है लेकिन मूर्ति तो भाव बनाने के लिए है और मूर्ति भगवान तक पहुंचने की सीढ़ी का पहला स्टेप है और मूर्ति में भाव बनाने वाला भक्त ध्यान लगा ते लगाते वह विराट पुरुष में खोजाता है और तब भक्त नहीं केवल भगवान ही रह जाते हैं।
जड़ अर्थात विवेक शून्य शक्ति पदार्थ वस्तु।। चेतन अर्थात विवेक युक्त स्वरूप युक्त शक्ति क्रियाशील रहनेवाला ।।
Moorti Puja sabse nimn level ki Puja hai.
Dusra bhag
तुम लोगों ने अभी तक क्या किया कितने लोगों को दर्शन करवा दिए भगवान के
केसेट जडहे तो उसमें हमारा आवाज के से इसटोल होजाता है
Naginrajjain bhiwandi Jay shree
आर्य समाज की स्थापना करने वाला भी कोई इंसान ही था तो इंसान के द्वारा स्थापित आर्य समाज को मानने की क्या जरूरत है जो लोग आर्य समाज का सम्मान करते थे आपके भड़काव भाषण को सुनने के बाद लोगों का आर्य समाज से मोहभंग हो गया है
मनुष्य कभी मूर्ति बना क्या स्वयं को जाना,में कौन हूं यह जाना। कण कण में भगवान हैं बताया मैं कौन हूं नहीं बताया हर महात्मा, ज्ञानियों ने।हम प्रश्न करेंगे।
आर्य समाज अमर रहेगा।🙏🙏
परमात्मा प्रकृती मे रहते हैं समी जीव में हें
Maharaj g aapka Gyan adhura he kripya tup kijiye.
Parmatma ki satta sab jagah hain
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Sir mandir bana hai esiliye kucha logo bisyas rakhe hai barna etane bhi hindu nenhi rahete hai...saba muslim ya esae bana jate.. sanatan me akata kese hoga ye gyan dejiye bass
कोई बताएग की भागवान किसने देखा है। अगर किसी ने देखा था। वो इस धरती पर क्यों नहीं रहा। तुरंत शरीर को त्याग क्यों दीया। जैसे तुलसी दास जी गोशवमी, और मीरा माँ।।
आचार्य जी मूर्ती जड़ है, और ईश्वर चेतन जो कि सभी जगह है तो मूर्ति मे भी हैं तब चैतन्य ईश्वर के जड़ मूर्ति मे होने से मूर्ति चैतन्य होगी या जड़?
जड़
भगवान ने कौन भोली भोली जनता भगवान ने कहां पर मंदिर बनाया बेशक में धड़के बताइए पेज नंबर बताइए श्लोक नंबर बताइए बुक का
परमात्मा कल्पना है जैसे जिसकी भावना वैसा ही उसको दिखाई देता है यहां तक मंदिर जाने या ना जाने का सवाल है वह एक स्थान है जहां सभी मिलकर आपस में संपर्क स्थापित कर सकते हैं
बच्चों के मन मैं तुम सनातन के विरुद्ध नफरत बोते हो.....तुम जैसे सनातनी अपने ही धर्म को नीचाँ दिखाते हैँ.... तुम्हारे दयानन्द तो कृष्ण और राम को सामान्य पुरुष कहता था... अगर हमारे धर्म पर ऊँगली उठाओगे तो तुम्हारे दयानन्द पर भी ऊँगली उठेगी...
Swami Ji Ishwar jad aur Chetan Mein nivas karta yadi jad Mein nivas karta hai to ham sag sabji khate Hain to humko paap lagta hai yah bhi to jad hai