पशुपतिनाथ व्रत कैसे करें कब करें जानिए सही विधि || Pashupatinath vrat kaise karen || Ayodhya live

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  • čas přidán 7. 09. 2024
  • पशुपतिनाथ व्रत कैसे करें कब करें जानिए सही विधि || Pashupatinath vrat kaise karen || Ayodhya live
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    श्री पशुपतिनाथ व्रत के बारे में पशुपतिनाथ व्रत कब करना चाहिए कैसे करना चाहिए इसका क्या विधान है इस व्रत में क्या खाना चाहिए क्या नहीं खाना चाहिए इस व्रत के सभी नियमों के बारे में
    इस व्रत को तब कर सकते हैं जब आपके जीवन में बहुत सा कष्ट हो जिसका कोई हल ना निकल रहा हो आप बहुत ज्यादा दुखी हो आप अपने दुख का कारण किसी को ना बता सकते हो तो भी आप इस व्रत को कर सकते हैं
    अगर आपको कोई शत्रु परेशान कर रहा हो आपका दांपत्य जीवन सुखमय हो आपका पैसा कहीं फस गया हो मिल ना पा रहा हो अच्छे वर प्राप्ति के लिए इस व्रत को कर सकते हैं ऐसा कोई भी कार्य नहीं है जो इस व्रत के प्रभाव से पूरा ना हो सके
    पशुपतिनाथ का व्रत 5 सोमवार करना चाहिए इस व्रत का नियम है कि आप किसी भी सोमवार को इस व्रत को शुरू कर ते हैं सबसे पहले सोमवार को सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत होकर अपनी पूजा की थाली को सजाकर
    भगवान शिव के मंदिर में मंदिर में जाकर भगवान शिव का पूजन करें उसके बाद अभिषेक करें फिर उसी थाली को लेकर अपने घर पर वापस आ जाएं घर पर आकर आप फलाहार कर सकते हैं पर याद रहे इस व्रत में नमक खाना चाहिए
    शाम के समय जो आप पूजा की थाली सुबह लेकर गए थे उसी थाली में 6 दिए रखे और कुछ घर से मीठा प्रसाद बना कर भगवान शिव के मंदिर में लेकर जाएं मंदिर में जाकर जो आप घर से मीठा प्रसाद लेकर गए हैं उसका 3 हिस्सा करें 2 हिस्सा भगवान शिव को चढ़ा दे
    एक हिस्सा अपने साथ लेकर जाए फिर उसके बाद जो आप घर से 6 दिए लेकर गए थे उसमें से 5 दिए को भगवान पशुपतिनाथ का ध्यान करके उनका स्मरण करके अपनी मनोकामना को बोलकर भगवान शिव के आगे जला दे जो एक दिया बच गया है
    उसको अपनी पूजा की थाली में रखकर घर ले जाए यह मंदिर से जला कर ना ले जाए कई बार मंदिर से दिया जला कर घर ले जाते समय दिया बुझ जाता है जो कि अपशकुन माना जाता है शाम के समय पूजा करने के बाद घर पहुंचे तो
    जो घर का मुख्य द्वार है वहां रुक जाए घर के अंदर प्रवेश करें अब जो मंदिर से 1 दिया लेकर आए थे उस दिए को घर के राइट भाग में यानि सीधे भाग में बैठकर घर की तरफ मुंह करके बड़े प्रेम से उस दिए को जला दें
    और भगवान को समर्पित कर दे भगवान शिव से प्रार्थना करें कि हे भगवान यह दिया मैंने आपके लिए लाया है आप मेरे मार्ग को सुलभ करें मेरे घर की जो भी बाधा है उसको दूर करें आपकी मन की जो भी इच्छा है आप उसको भगवान के सम्मुख रखे उसे भगवान पूरा करेंगे
    यह निवेदन करके प्रसाद लेकर घर के अंदर प्रवेश करें शाम को जो मंदिर में प्रसाद का 3 हिस्सा किया था एक हिस्सा घर लेकर आए थे उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करें इस प्रसाद को किसी को भी ना दें चाहे वह घर का कोई भी सदस्य हो यह प्रसाद को केवल आपको ही खाना है इसे पशुपतिनाथ कहते हैं
    जब आप 5 सोमवार पूरे हो जाए तो 6 में सोमवार को 108 बेलपत्र एक नारियल ₹11 भगवान शिव की पूजा करके समर्पित कर दें और प्रार्थना करें कि हे भगवान आपकी कृपा से मेरा यह 5 व्रत पूरा हुआ है मेरी मनोकामना को पूर्ण करें
    यह व्रत भगवान पर भरोसा करके रखना अहंकार नहीं करना प्रेम से रखना जितना हो सके भगवान का नाम लेना श्री शिवाय नमस्तुभयम का जाप करना
    आइए जानते हैं पशुपतिनाथ व्रत में ध्यान रखने योग्य बातों के बारे में
    यदि आप बीमार है दवाई लेते हैं बुजुर्ग है तो इस बात को शुरू ना करें इस व्रत में नमक नहीं खाना चाहिए यदि आपके घर के पास मंदिर नहीं है तो आप घर पर आटे का शिवलिंग बनाकर उनकी पूजा कर सकते हैं
    5 दिए उनके सामने रख सकते हैं यदि प्रसाद के बारे में सोच रहे हैं तो प्रसाद का दो हिस्सा भगवान शिव के आगे रखकर किसी पंडित को दे दे या फिर नन्दी को खिला दे
    इस व्रत को सभी महिलाएं पुरुष बच्चे विधवा महिलाये भी कर सकती हैं इस व्रत को बीच में छोड़ा नहीं जा सकता लगातार पांच सोमवार करना चाहिए यदि महिलाओं को माहवारी की समस्याएं जाती है तो व्रत करें पूजा ना करें
    इस व्रत में फलाहार किया जाता है भोजन नहीं किया जाता भगवान शिव पर कटे-फटे बेलपत्र नहीं चढ़ाना चाहिए साफ सुथरे ही बेलपत्र चलाना चाहिए हो सके तो उन पर राम ओम नमः शिवाय लिखकर भगवान शिव को अर्पित करना चाहिए
    पांच व्रत करने के बाद फिर से आप यह व्रत करना चाहे तो एक सोमवार छोड़कर इस व्रत वो कर सकते हैं भगवान शिव की पूजा करते समय आपका मुंह उत्तर दिशा में होना चाहिए यदि कुंवारी कन्या है तो शिव पार्वती का गठबंधन जरूर करें
    और अपनी मनोकामना के लिए प्रार्थना करें उसके बाद भगवान शिव की आधी परिक्रमा लगाया भगवान शिव से प्रार्थना करें कि हे भगवान मैंने सच्चे मन से पूरी श्रद्धा के साथ आपका पूजा किया है
    इसमें कोई भी गलती हो गई हो तो उसके लिए हमें क्षमा करें बेलपत्र को एक दिन पहले तोड़ना चाहिए बेलपत्र को तोड़ते समय वृक्ष को प्रणाम जरूर करना चाहिए इस दिन किसी की बुराई निंदा ना करें इस दिन दिन में सोना नहीं
    चाहिए एक बार जिस मंदिर में जाकर इस व्रत को शुरू करें तो 5 सोमवार उसी ही मंदिर में जाना चाहिए बार-बार मंदिर नहीं बदलना चाहिए
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