संत कबीर का घर| Sant Kabir Das House | Kabir chaura | Dalit Dastak
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- čas přidán 11. 06. 2022
- #kabirdas #Kabirchauravaranasi KabirBirthplace
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अशोक जी आपको कोटि-कोटि धन्यवाद आपने सदगुरु कबीर साहेब की महिमा बहुत कम शब्दों द्वारा उनकी महानता की प्रस्तुति दी है, कबीर साहब ने जो लीला की है, वह वेदों में वर्णित प्रमाण है कबीर साहब ने बताया वह चारों युगों में आए हैं कबीर साहब पूर्ण परमेश्वर है यह वेदों में प्रमाण है कृपया संत रामपाल जी महाराज के सत्संग को अवश्य देखें और सुनें इस समय इस पृथ्वी में एकमात्र तत्वदर्शी पूर्ण गुरु संत रामपाल जी महाराज है
आपकी मेहनत हमारे लिए बहुत शीक लाए आपको हमारी सप्रेम साहेब बंदगी साहेब जी साहेब ❤❤❤
वेदों में परमाण है कबीर साहिब भगवान है
बहुत बहुत साधुवाद जय कबीर जय गुरुदेव
जय जय सत्य कबीर
Saheb badagi saheb
धन्य है,भारत भूमि जहाॅ ऐसे सन्त हुए है, जो सहज शैली मे प्रेम का पाठ बता गये,और लोगो को रूढिवाद एवं अन्धविश्वास से सजग करते रहे।
आपकी पत्रकारिता बहुत कुछ बंया करती है।
ऐसे ज्ञानवर्धक वीडियो लगातार आते रहने से समाज को अलग-अलग क्षेत्रों से संबंधित जानकारी मिलती रहती है।
आपकी निष्पक्ष एवं ईमानदार पत्रकारिता को सलाम करता हूँ। 🙏🙏
Sant Radhe Shyam
💗🙏
गरीब, जाती हमारी जगतगुरु, परमेश्वर है पंथ।
दास गरीब लिख पड़े, नाम निरंजन कंत।।
गरीब, हम ही अलग अल्लाह है, कुतूब गोस और पीर।
गरीब दास खालिक धनी, हमरा नाम कबीर।।
गरीब, ऐ स्वामी सृष्टा मैं, सृष्टि हमरे तीर।
दास गरीब अधर बसू, अधिगत सत कबीर।।
वीडियो अच्छी लगी
सत साहेब,सतगुरु कबीर साहेब की जय।।
❤️🙏
Jai ho Kabir Saheb ki 🙏🙏🙏❤️❤️❤️❤️🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳👍
Satguru KABIR JI ek aisi Mahan bibhuti hai jinoh ne pure jagat ko Tatva
Gyan ki Roshni pardan ki ...My True Master u are always in my ❤ 💙
Sat sahib ji jammu se 🙏 ❤
💫😍🔥kabir is reyalllll godd
Kot kot Naman 🙏🙏
🌹 अदभुत दर्शन 🌹
Good job mere bhai🙏
पाथर पूजे हरि मिले तो में पूजुं पहाड़।
तासे तो चाकी भाली ता पीसा जग खाय।।
कंकर पत्थर जोड़ के मस्जिद लियो बनाय।
ता चढ़ मूल्ला बांग दे क्या बहरा हुआ खुदाय।।
जय कबीर साहब।
Ap ka vidio bahut acha Laga ram ram
Jai ho kabir sahab ji, 🙏🌹🙏
अशोक दास जी आपकी इस वीडियो के लिए दिल से कोटि कोटि धन्यवाद!
पोथी पढ़ी जग मुआ पण्डित भया न कोय, ढ़ाई अक्षर प्रेम के पढ़ी सो पण्डित होय, सब पढ़ रहे लेकिन प्रेम गायब है
मानवता के बीज बोने वाले महामानव को 🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾 सादर प्रणाम
पत्ता-पत्ता जीव है और पत्थर तो निर्जीव है।❤️🙏🙏संत कबीर
Jai bhim sir ji 🌹🙏
कबीर परमेश्वर चारों युगों में इस पृथ्वी पर सशरीर प्रकट होते हैं। अपनी जानकारी आप ही देते हैं। परमात्मा सत्ययुग में ‘‘सत्य सुकृत’’ नाम से, त्रेता में ‘‘मुनिन्द्र’’ नाम से तथा द्वापर में ‘‘करूणामय’’ नाम से तथा कलयुग में ‘‘कबीर’’ नाम से प्रकट होते हैं।
सतयुग में सत सुकृत कह टेरा, त्रेता नाम मुनिन्द्र मेरा। द्वापर में करूणामय कहाया, कलयुग नाम कबीर धराया।। -स्वयं कबीर साहेब जी
संत रामपाल जी महाराज
सतलोक आश्रम बरवाला, जिला-हिसार (हरियाणा)
☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️thanx sir
अनन्त कोटि ब्रह्मण्ड का, एक रति नहीं भार।
सतगुरू पुरूष कबीर हैं, कुल के सिरजनहार।।
हम सुल्तानी नानक तारे, दादू को उपदेश दिया।
जाति जुलाहा भेद न पाया, काशी मांही कबीर हुआ।।
-सन्त गरीब दास जी
satguru Kabir great 🙏🏻🙏🏻🙏🏻💐
संत कबीर जी आदि ब्रह्म ( सुप्रीम गॉड ) हैं जो कि तीनों लोकों में प्रवेश कर के सबका धारण पोषण करते हैं।
सतगुरू पुरूष कबीर
गरीब, अनंत कोटि ब्रह्मंड का एक रति नहीं भार । सतगुरू पुरूष कबीर हैं कुल के सृजनहार ।।
🌹🌹🌹☸️☸️☸️🐘🐘🐘🐘🐘🐘🐘🐘🐘 BAHUJAN SAMAJ JINDABAAD JINDABAAD JINDABAAD . JOY BAHUJAN SAMAJ UNITY. POWER POWER CHAHIYE BAHUJAN SAMAJH KI . ONLY POWER SOLVE BAHUJAN SAMAJH KI PROBLEM. ..❤️❤️❤️🐘🐘🐘🐘🐘🐘🐘🐘🐘🐘🐘🐘🐘🐘🐘
JAI GURUDEV DHAN GURUDEV JI
जय भीम जय संविधान
Everyone should visit this place once in a life
ये कबीर साहब की जन्म स्थली नही है,ये कबीर जी का कोई मठ होगा,कबीर साहब की जन्मस्थली लहरतारा मे है,लहरतारा तालाब आज भी सुरक्षित है और प्रशासन द्धारा बैरिकेटेड है,वहां पास ही कबीर मठ भी बना हुआ है।लहरतारा पुल के पास प्रशासन का बोर्ड लगा है जिस पर लिखा है ,संत कबीर प्राकट्य स्थल।
मनोज कुमार अपना परिचय दो
कबीर प्रकट स्थान "लहरतारा" है,
कबीर मठ वो जगह है, जहां पर नीरू नीमा कबीर जी को लेकर आए थे
कबीर जी जन्म मरण से परे हैं। वह स्वयंभू परमात्मा हैं। इस मृत मंडल पर प्रकट ( डायरेक्ट विद्युत् गति से चल कर आते ) होते रहते हैं। सनातन परमात्मा (आदि राम ) कविर्देव उपदेश करने की इच्छा से इस मृत मंडल पर सतगुरु रूप में आते रहते हैं तथा जीवों को काल ( सदाशिव ) भगवान के नाशवान लोक से निकाल कर अपने अमर लोक में ले जाते हैं।
Kabir saheb ne brahm se sakchhatkar karne ka path batlaya hai.
Samst. Kabir. Panthi ko saprem saheb bandagi saheb bandagi saheb bandagi saheb bandagi saheb bandagi saheb bandagi 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
He was great.
🙏
कबीर से कोई कैसे मिल सकता है वो तो इस दुनिया को कब का छोड़ चुके
Keval puja paath karte hou ki study bhi karte hou bhai
@@workinghardtobedoctor7076 nastik hun,puja nahi karta kisi ki
मंडावर राजस्थान मे कबीर जी ने स्वयं राम जी को स्थापित किया उसके बारे मे क्या कहना है
जो आज भी मौजुद है??????
Kabir is god
Talash karna hai?
Kabir saheb ka koi mata,pita nahi the,wey Nitya Anadi sadguru hai.
Kabir was not das Kabir was ansari muslim !!!!! Hinduo ka kuch Lena dena nahi hai is se !!!!
कबीर दास जी बचपन से ही गुरु रविदास जी के आश्रय में रहे , क्योकि जहां चमारो की बस्ति थी वही जुलाहो की और अन्य प्रकार के श्रमिकों की काजकारों की बस्ती थी जब कबीर दास जी श्री रविदास जी के पास ज्ञान के लिए जाते है तब श्री रविदास जी उनको शिक्षा दिक्षा देते है इसके लिए वह उन्हे ज्ञान के साथ साथ गुरु मुखी लीपि का भी ज्ञान देते है | गुरुमुखी लीपि की रचना श्री रविदास जी ने तब की थी इस लिए कबीर दास जी की सारी रचनायें गुरुमुख लीपि में ही असली मानी जानी चाहिए नीच जाति का होने के कारण रविदास जी को किसी गुरु कुल में नहीं लिया गया और इसी कारण कबीर दास जी को भी किसी गुरुकुल में शिक्षा दिक्षा नहीं दी गई| रविदास जी और नानक जी निरआसक्ति के संत लोग थे ये सदा ब्रह्मलीन जैसी अवस्था में ही रहा करते थे इस लिए इन्होंने अपने आप कभी किसी लेख की रचना नही की किंतु इनकी वाणियों का संकलन अन्य संतो ने अपने लेखों में किया है कबीर दास जी लेखन के कार्य में ही अपना सारा समय व्यतित करते थे इस लिए धन का उप आर्जन वह कम ही कर पाते थे उनके जीवन की घटनाओं से ऐसा दिखता है| कबीर जी संत शिरोमणि श्री रविदास जी के अनन्य भक्त थे शिष्य थे इस लिए तब के और आज के नीचले समाज के लोग उनका आदर करते है और नीचली जाति के और मुस्लमानों का आपस में इसी शांति समझ के कारण पूर्व पश्चीम और उत्तर भारत के गावों में सैयद आदि समाधी स्थलों कों माना जाता है जो कि तब के नीचली जाति के समाज के लोगों ने संत रविदास और कबीर दास के आस्थामयी संबंध के प्रतिक के रूप में स्थापित करे जो कि अन्य मुस्लिम मजारों और पीरों सें बिलकुल भिन्न है| इन समाधि स्थलो में लोगों को ठीक करने की शक्ति होती है तो अन्य जाति के लोग नीचली जाती के लोगों को वहाँ से भगाकर इन मजारों पर अपना कब्जा कर लेते है | माना मान्यता और मन्नत जैसे शब्द इन समाधि स्थलों के साथ तब से ही जुड़े हुऐ है |
कबीर दास जी की रचनायें उर्दू में भी हो सकती है क्योंकि वह जुलाहो की बसती में रहते थे और हो सकता है कि श्री रविदास जी से मिलने से पहले उन्होने उर्दू भाषा जुलाहो से सीखी हो आज के समय मे जुलाहे सबसे ज्यादा बंगाल और उत्तर भारत में मुस्लमान जाति के ही है किंतु उनकी लेखनी की भाषा हिंदी यानि की देवनागरी लिपि तो हो ही नही सकती यानि की उनकी लेख लिखने की भाषा गुरमुखी और उर्दू ही हो सकती है |
कबीरदास जी की रचनाओं में उपदेशात्मक छंद भाषा है जिनमे वह राम को साई बता कर संबोध करते है जबकि श्री रविदास जी रचनाओं में वह श्री राम के गुण गाते है इसलिए रामायण श्री रविदास जी की लिखी हुई ही ज्यादा दिखती है
आपका इस विषय के बारे में क्या कहना है कॉमेंट लिख के जरूर बता दे
A kaha likha huva hai ki kabir das ji ravi das ji ke guru the
Sakhi yon me likha hai ki parmattma parmesh satyapurush satguru kàbir saheb Rai das,nanak,garib das our dadu,pipa our kahi mahapurusho ke guru the.
Parmattma parmeshwar satyapurush satguru kabir saheb ki sada jay ho 🌹 satnaam 🌹 satnaam 🌹 satnaam 🌹
,🌹Sah prem saheb bandagi saheb sat naam 🌹
Ap bta skte hai ki kabir ke guru Ravi das ji vo kaise