मेहंदीपुर बालाजी // मेहंदीपुर बालाजी क्यों प्रसिद्ध हुआ //मेहंदीपुर बालाजी कहां है?

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  • čas přidán 5. 05. 2024
  • मेहंदीपुर बालाजी // मेहंदीपुर बालाजी क्यों प्रसिद्ध हुआ //मेहंदीपुर बालाजी कहां है?
    मेहंदीपुर बालाजी के दर्शन मात्र से पूरी होती है मनोकामनाएं, बस गलती से भी न करें ये काम हनुमानजी को कलयुग का प्रधान देव कहा गया है। रामचरितमानस के अनुसार माता सीता ने उन्हें अजर-अमर का वरदान दिया हुआ है और इस बात की पुष्टि मेहंदीपुर धाम करता है।
    बालाजी के दरबार में आने से करीब एक सप्ताह पहले प्याज, लहसुन, मांस-मदिरा का सेवन बंद कर दें। मेहंदीपुर बालाजी की आरती के समय सिर्फ भगवान की तरफ ही देखें। आरती के समय पीछे मुड़ना या किसी की आवाज सुन कर पीछे नहीं देखना चाहिए। मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का प्रसाद कभी घर लेकर न जाएं।
    इन सभी देवताओं का संबंध भूत-प्रेतों से माना जाता है। इस मंदिर से जुड़ी किंवदंती एक दैवीय शक्ति की बात करती है और ऐसा माना जाता है कि जिस मूर्ति की यहां पूजा की जाती है वह स्वयं प्रकट हुई थी। किंवदंती दैवीय शक्ति की भी बात करती है जो मंदिर की परिक्रमा करती है।
    मेंहदीपुर बालाजी मन्दिर राजस्थान के तहसील सिकराय में स्थित हनुमान जी का एक प्रसिद्ध मन्दिर है। भारत के कई भागों में हनुमान जी को बालाजी कहते हैं। यह स्थान दो पहाड़ियों के बीच बसा हुआ बहुत आकर्षक दिखाई देता है। यहाँ की शुद्ध जलवायु और पवित्र वातावरण मन को बहुत आनंद प्रदान करती है।
    बालाजी के मंदिर में आने से 10 दिन पहले मांस, अंडा, शराब, प्याज, लहसन का सेवन बंद कर देना चाहिए और मंदिर से लौटने के बाद 41 दिन तक इन चीजों का परहेज करना चाहिए। मान्यता ये भी है कि संकट कटवाने वाले व्यक्ति को बालाजी से लौटने के बाद 41 दिनों तक सफेद चीजें (दूध,दही,चावल,सफेद मिठाई) नहीं खानी चाहिए।
    मेहंदीपुर बालाजी राजस्थान में सबसे अधिक देखे जाने वाले मंदिरों में से एक है, जहां पूरे वर्ष विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को हजारों भक्त आते हैं, जिन्हें भगवान बालाजी का दिन माना जाता है। भक्त भूत-प्रेत या बुरी आत्माओं से मुक्ति पाने के लिए भी मंदिर में आते हैं।
    श्री मेहंदीपुर धाम में किसी भी पंडित, ओझा या व्यक्ति विशेष के द्वारा संकट नही काटा जाता है यहाँ संकट श्री बाला जी महाराज ही काटते है तो कृपया किसी के भी बहकावे में आकर अपना धन एवं समय नष्ट न करे। बाला जी महाराज पे पूर्ण विश्वास करें वो ही आपका संकट काटेंगे।
    मेवा- काजू, बादाम, किशमिश, छुआरा और खोपरागिट को पंचमेवा कहा जाता है. हनुमानजी (Hanuman Ji) को पंचमेवा का भी भोग लगाया जाता है. मान्यता है कि पंचमेवा का भोग लगाने से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं. इमरती या जलेबी- हनुमान जी को इमरती या जलेबी का भोग भी अत्यधिक प्रिय है
    बालाजी नाम का तात्पर्य भारत के कई हिस्सों में श्री हनुमान से है क्योंकि वहां भगवान के बचपन (हिंदी में बाला) रूप को विशेष रूप से मनाया जाता है । यह मंदिर बालाजी (श्री हनुमान जी का दूसरा नाम) को समर्पित है। समान धार्मिक स्थलों के विपरीत यह ग्रामीण इलाके के बजाय एक कस्बे में स्थित है।
    कई भक्तों का मानना ​​है कि यह स्थान जादुई शक्तियों से संपन्न है और इसलिए यह तीर्थ स्थल काले जादू से राहत पाने के लिए झाड़-फूंक कराने के लिए हर दिन हजारों भक्तों के झुंड का गवाह है। ऐसा माना जाता है कि यह भूतों और बुरी आत्माओं को दूर करने के लिए सबसे अच्छा प्रति-शाप प्रदान करता है।
    ऐसा कहा जाता है कि प्रसाद को जितना बांटकर ग्रहण किया जाए उतना ही पुण्य मिलता है. लेकिन मेहंदीपुर बालाजी ऐसा मंदिर है, जहां आप किसी भी तरह के प्रसाद को ना ही खा सकते हैं और ना ही अपने साथ घर लेकर जा सकते हैं. यहां बालाजी को लड्डू, प्रेतराज को चावल और भैरों को ऊड़द का भोग चढ़ता है.

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