Podcast: क्यों सारे भगवान का जन्म भारत में हुआ? | Dharma Live | Sanatan Dharm | Ved | Puaranas
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- čas přidán 24. 04. 2024
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Podcast: क्यों सारे भगवान का जन्म भारत में हुआ? | Dharma Live | Sanatan Dharm | Ved | Puaranas | Lajpat Rai Aggarwal | Yogi Vishal Tiwari | Neha Rajpput
Dharma Live के Podcast #DharmaSamvad में इस बार हमारे मेहमान हैं, Lajpat Rai Aggarwal जी ( वैदिक मिशनरी ), जो एक संपादक हैं और Yogi Vishal Tiwari जी ,जो Spiritual Mentor हैं, आज इस Podcast में हम जानेंगे कि क्या वाकई भगवान अवतार लेते हैं? साथ ही Vedas, Purana और सनातन धर्म से जुड़े अनेक रहस्यों पर चर्चा होगी.
Anchor- Neha Rajpput
Producer- Mukesh Kaushik
Video Editor- Subodh Sinha
Video Journalist- Dharm Ji & Jassie
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/ abplivedharma
मैं मंदिर नहीं जाता हूँ पर श्री Ram जी की प्राण प्रतिष्ठा के स्वरुप को टीवी पर देखते ही मेरे हाथ प्रणाम को उठ जाते हैं ये ही भगवान के अस्तित्व का प्रमाण है
भगवान का अस्तित्व है उसमे कोई शक नहीं। लेकिन आपके हाथ प्रणाम के लिए उठ गए वो आपकी आस्था या फिर कहूं आपके परिवार और परिवेश की आस्था है। आप सिर्फ भेड़ चाल कर रहे हैं यदि आप मंदिर नही जाते और देखा देखी प्रणाम कर लेते हैं। बुरा नही मानिएगा कुछ कॉमेंट करने से पहले 2 मिनट सोचिएगा।
Ayodhya in India is now who is that Buddha, in the time of Buddha, there was a sage named Babar, when he armed with Buddha, met with Buddha, from that day he learned Buddhism, after losing, after Buddha's parinirvana, there was a Buddhist named Babar. Stupa was built, after the Muslim conquest, it was named Babar Masjit
गुरुजी जितनी आयु बची हे उतनी वेद समजनेमे लगाये और बाकी यमराज जी समजयेंगे 🙏राधे राधे 🙏🚩
लाजपत राय जी को देख बहुत अच्छा लगा। आर्य जी दिल से साफ है बुजुर्ग है, कुछ लोगों को लग रहा है वो अहंकार से बोल रहे है, पर ऐसा नहीं है, मैं खुद मिला हूं, मुझे उनसे मिले 2 वर्ष हो गय, उन्होंने उस समाय मेरी पुस्तकों में अत्यंत सहायता करी थी आर्य जी। जो पुस्तकें मैंने चुन लो थी उन्होंने बिना देखे बोल दिया था अपने हिसाब से पैसे दे दो। क्योंकि मैं बालक था।
अपको ईश्वर और लंबी उमर दे 🙏
और मुझे आपसे दुबारा मिलने का अवसर दे।
मैं आर्यसमाज और उसके विद्वानों के प्रति श्रद्धा और सम्मान रखता हूं और जानता हूं कि वे सत्य को जानते एवम् समझते हैं परंतु यह भी जानता हूं की आम आदमी वास्तव में ज्ञानी और पंडित नही है।इस एपिसोड में कई कमेंट देखकर लगता है कि सत्य को जानने या स्वीकार करने में उनका ज्ञान समर्थ ही नहीं है।
मेरे विचार से इस संबंध में मैं आर्य समाजियों से भी निवेदन करना चाहता हु कि वे मूर्ति पूजा को उस पहली कक्षा के बच्चे के समान समझे कि वह बच्चा अ एक अक्षर है,नही जानता वह अ से अनार ही बोलेगा अगली कक्षा में अ से अनार के साथ अमरूद,अन्नानास, अदरख भी पढ़ता है तब उसे पता चलता है कि अ से बहुत शब्द बनते हैं अ अनार नही एक स्वतंत्र अक्षर है उसी प्रकार यदि मूर्ति पूजक भी यह सत्य जान ले कि मूर्ति में भी भगवान हैं,ठीक वैसे ही जैसे कण कण में हैं,किंतु मूर्ति ही भगवान नहीं है।परंतु पौराणिक मूर्ति को ही भगवान मान बैठा है उसका ज्ञान आगे बढ़ना ही नही चाहता।
आपने सत्य वचन कहा है मान्यवर ❤❤
वाह अदभुत
धन्य हैं
आप को प्रणाम है
आस्था का संबंध भाव से है, मूर्ति के रूप में भाव प्रदर्शित किए जाते हैं और उन्हें ही निहिलाया खिलाया और सुलाया जाता है।
@@user-tg8sb6dv1e 🤦♂🖐😃😃😃🤣
अत्यंत सहज व सरल अभिव्यक्ति।।ज्ञान का परम तो अ उ म से शब्द ब्रह्म को जान लेना है जो कि ध्वनि ॐ है जिसे माहेश्वर सूत्र में शिव के डमरू से पाण्नी महाराज ने प्रथम बार सुना,। तो *म* मकार से मौनता की अनुभूतिगम्यता हेतु हमारे सामने रख दिया। कोई सांसारिक ध्वनि नही केवल अनहद ॐ😊वही परमब्रह्म:तत्सत।।
वेद सत्य विद्याओं का पुस्तक है। इसमें सब विद्या की जननी है
Sanskaar dikhao ved me ...yagyapabit or nama Karan sanskaar dikhao ved me ..agar nehin hai toh karte kyun ho ?
Chal be
Satya koi praman nhi de sakta,ye anubhuti ka vishay, Bhagwan, Bed , aur ye sab lekar
Satya ka koi praman nhi hota, praman khali anubhuti, debate ek murkhta, jo avi ho raha hai, aur Guru ji jisko khe rahe ho, unka attitude koi gayni insaan ka lakshan nhi hai,isko ( Guru ji) kaha se le aaye.
@@bikashraut645
ये पता है वेद में कितने प्रकार के मुख्य विषय है ???
अच्छा मंच है होना ही चाहिए,,सत्य स्पष्ट होकर ही रहता है।वेदो अखिलो धर्ममूलम्।
सत्य वचन
Satya vachan❤
दर्शनशास्त्र का वचन है ज्ञानेंमुक्ति: यानी ज्ञान ही मुक्ति का मार्ग है | यानी जब हम वेद और दर्शन शास्त्र पढके ज्ञान प्राप्त करते हैं तब हमें परमात्मा का सही स्वरूप पता चलता है हमें परमात्मा के गुण कर्म स्वभाव के बारे में पता चलता है| बिना ईश्वर को जाने ध्यान साधना व्यर्थ है क्योंकि व्यक्ति ध्यान ही उसी चीज का करता है जिसे वह जानता है बिना ईश्वर को जाने अगर व्यक्ति ध्यान करता है तो वह ध्यान नहीं वह उस व्यक्ति की कल्पना मात्र है|
इसलिए मैं आदरणीय गुरुजी के बाद से सहमत हूं हमें ईश्वर को वेदों एवं दर्शन शास्त्र के माध्यम से जानना चाहिए और उसके बाद ध्यान करना चाहिए|
वेदों का ज्ञान आज की youth के लिए अनिवार्य है। कृपया कोई भी धर्म से जुड़े सवाल और उसके सही उतर ढूँढने का सही प्रयास करे। वेदों के ज्ञान के पूर्ण ही हम सब भारत वासी हर सवाल के सटीक उतर देने योग्य बनेंगे। 🙏🏻
बहुत सही कहा 👍
Jis dharm me bahut saare bhagwan ko puja jata hai use dharm nahi pakkhand kehte hai😃😃😃kaafir
आपने कभी वेद पढ़ा है?
आप बहुत बहुत धन्यवाद दूंगा आर्य समाज का जिन्होंने मेरे जीवन परिवर्तन किया
अति सुन्दर संवाद सत्य सनातन वैदिक धर्म की जय
शास्त्री जी को नमन। वेद ही जीवन है। हम सभी को वेद पढ़ना और पढ़ना परम कर्तव्य है। 🚩🙏🏻
यह सत्य है कि सत्य सनातन वैदिक धर्म ही सबसे सत्य है पर हमारे धर्म ग्रंथ में जितने भी मिलावट है उनको शुद्धि करण करना जरूरी है हरि ओम सत्य सनातन वैदिक धर्म कि जय 🕉️🙏🚩 जय जय श्री सीताराम
मैं भी यही मानता हूं कि इस्लाम धर्म ही सत्य है तो कैसे पता चलेगा कौन सही है 😂
@@rashidmohammad5050 तुम्हारे कुरान और हदीस में कौन आक्रांता ने कब्जा करके उसमें मिलावट किया था तुम लोग तो बोलते हो आसमानी किताब है तो इसमें कैसे मिलावट हो गया और मिलावट हुआ है तो उसको हटा दो अच्छा रहेगा नहीं तो जाकर एक्स मुस्लिम समीर के यूट्यूब चैनल देखो
@@rashidmohammad5050 अपने धर्म ग्रंथ को पढ़िए और अपनी बुद्धि से विचार करिए की जो आपके धर्म ग्रंथ में जो बातें लिखी है वह विज्ञान की दृष्टि से कितनी सही है|आप अपने धर्म के सिद्धांतों पर डिबेट भी देख सकते हैं उससे भी आपकी बुद्धि बढ़ेगी|
@@Brahmachari-df7lk yahi baat to aap par bhi fit hoti hai
@@rashidmohammad5050 हां भाई यह बात मुझ पर भी लागू होती है
लाजपत जी लाजवाब है उनका कथन सच है वेद से उपर कोई किताब नहीं है, और वेद को समजने वाले ही सच है बाकी तो सब दूकाने चलाने के लिए थीक है,
Ved se upar koi nehin par keval ved hi pramaan nehin hai ...yadi aisa hai..Sanskar jo karte ho yagyapabit aadi iska pramaan ved me hai kya ?
@@bikashraut645 जो वेद मे है यही प़माण है और कुछ उपनिषद जैसे की छंद उपनिषद,कठो उपनिषद तथा सत्यार्थ प्रकाश में भी हमारे 16 संस्कार को समझाया है लेकिन वोह पुरानो के संस्कार से थोड़ा अलग समझाया है जैसे कि 16 संस्कार तो है लेकिन उसे लेकर जो उनकी विधीयां है वोह पुरानो मे सिर्फ कर्मकांड में ही निपटा ली गई है सही अर्थ आप को सत्यार्थ प्रकाश में मील जायेगा और वेद सर्वोच्च हे उसका मतलब ऐसा नहीं हे की पुरान और दुसरे गंथ सही नहीं है लेकिन वोह वेद तुल्य नहीं है
@@bikashraut645 जो वेद मे है यही प़माण है और कुछ उपनिषद जैसे की छंद उपनिषद,कठो उपनिषद तथा सत्यार्थ प्रकाश में भी हमारे 16 संस्कार को समझाया है लेकिन वोह पुरानो के संस्कार से थोड़ा अलग समझाया है जैसे कि 16 संस्कार तो है लेकिन उसे लेकर जो उनकी विधीयां है वोह पुरानो मे सिर्फ कर्मकांड में ही निपटा ली गई है सही अर्थ आप को सत्यार्थ प्रकाश में मील जायेगा और वेद सर्वोच्च हे उसका मतलब ऐसा नहीं हे की पुरान और दुसरे गंथ सही नहीं है लेकिन वोह वेद तुल्य नहीं है
@@Jiwandarshnam19 संस्कार परम्पराओं की देन है ? जब आप के अनुसार वेद से भिन्न सभी अवैदिक है तब संस्कार वेद मे वर्णन ना होने के कारण अवैदिक कैसे नहीं है ? थुंक के चाटना ईसी को कहते हैं ,,। वेद मंत्र से जोडकर निष्ठावान किया जाता है ? जब विषय वेद है ही नहीं तब जोडना तो व्यर्थ ही है , कौनसा संस्कार वेद में है ? जो आप जोडने की बात करते हो ? और आप बोल रहे हैं मंत्र को पूर्णता प्रदान करते हैं ,अच्छा इसका अर्थ यह हुआ की मंत्र अपुर्ण है जीसको आप वाद मे जोडकर पुर्ण करते हो ? गझब है भाई , पर सिद्धान्त तो कुछ ओर ही कहता है की "पुर्ण से पुर्ण की उत्पत्ति होती है" तब वेद ईश्वर से उत्पन्न होने के कारण पुर्ण होने चाहिए था ,पर आपका तो कहना है की मंत्र को पूर्णता प्रदान करते हो 😊
Sabse pahle main apko dhanyawad deta hun jo aapne dharm ke vishay ko chuna.
Pahle aap dharm ko paribhashit
karway😂e.Meri alp jankari ke anussr dharm shabd ko bahut se
alag alag arthon me prayog kiya
jata hai.
Ekdam se bhagwan eeshwar per Sam ad samajhna mushkil hai.
75 वर्ष k गुरु जी 101%सत्य कह रहे है वेद k अनुसार.
Om
सिर्फ उम्र से तुम नही बता सकते वो कितना ज्ञानी है😂
आर्य समाजी बडे या तुकाराम महाराज ? तुकाराम जी कहते हैं: वेद अनंत बोलीला , अर्थ इतकाची साधिला, विठ्ठलाशी शरण जावे, निज निष्ठे नाम गावे!!
@@A-KR18Yajurveda Aadhya 32 mantra 3 padhke aa khud kabhi ved nahi padha joh padhe hai unhe Gyan deta hai nastik kahika😂
@@realisticcoments283ved bada ya tukaram ji Arya samaj wo kahta hai Jo ved mein likha hai ved virudh tum mante hoge hamm nahi
@@user-ep1ni5xm3o वेदका हम आदर करते है; लेकिन आर्यसमाज ने वेदों का अर्थ अपने मनगढंत रूप से किया है. तुकाराम महाराज के साथ तुम्हारे स्वामीने एक कोटी जन्म लिया तो भी बराबरी नहीं हो सकती; तुकाराम महाराज वैकुंठ गये, तुम्हारा महाराज विष से मर गया.
श्रद्धेय योग योगी श्रीमान बद्रीविशाल जी,के अद्भुत,दिव्य साथ ही सरल, शालीन,सुंदर व सत्य ज्ञान को स्वभाव को मेरा सादर नमन।।
🙌🙌
Excellent yogi ji🎉
I am with Aggarwal ji. Jasa jasa i listen you. I become fan of you. Now I will study Arya samaj
Same I'll also study about arya samaj
Read Satyarth Prakash first.
अनेक अवैज्ञानिक गपोड़ गाथाओं से सटीक और कम शब्दों में बुजुर्ग गुरु जी के कथन तार्किक है।
Guruji to nastik hai . Kya anubhab hai . Kuch nahin
Agar jankari Lena hai to adhyatmik Iswariya Viswavidyala ko khoj kijiye
Guruji ki naim par pura murkh hai
Bhagwan ka parichay koi shashtra de nahi Sakta hai parantu woh aakar khud deta hai . Isliye unhen Khuda kahagaya hai.
Om hi satya h🎉
Guruji is super
ईश्वर कभी आवतरित नहीं होता जब इंसानी समताये और उसके आयाम ऊपर जाने लगते है तो व्यक्ति उसे भगवान मानने लगता है
Avatar concept bhakti movement me aya i.e 4th century AD...
Hero worship pehle se chalti aa rahi thi especially from mauryan Empire
हमारा धर्म सत्य सनातन वैदिक धर्म है।
सनातन कोई धर्म नहीं है बल्कि हम खुद सनातनी हैं
@@shashiprabha9887bhai pehle dharm shabd ka arth Jano aur sanatan shabd ka arth pehele Sandi viched Karo phir tumhe apne aap pata chal jayega ❤
@@shashiprabha9887सनातन का अर्थ होता है ,सदा रहने वाला क्या आप का शरीर सदा रहेगा ? अगर आप का उत्तर" नही " है तो फिर सनातन क्या है ?
@@SanataniArya83bhai tera bat sahi hai sada rahne wala sada khane wala Lekin india me 90% mit machhli khata hai ? mit machhli khane wala aadmi hindu hai ki nhi
@@SanataniArya83gussa mat hona tera se jana chahte hai ye log hindu hai ki nhi
योगी जी बहुत बोले चुप नहीं हुए पर उत्तर कुछ भी नही दिया हां कविताएं अच्छी सुनाई 😂😂😂
आँप बताओ कि क्या सत्य हे
योगी जैसे लोग लाखो कमा रहे है इस पाखंड की साहयता से.. लोग बड़ा सम्मान करते है क्योंकि मंत्र सुनना और पढ़ना दोनों मुश्किल है.. लोगों को मजा आता है किस्से कहानियो मे. चमत्कार से भरी कथा ओ मे...
ईश्वर की वाणी वेदों को अपडेट करने की सामर्थ्य ईश्वर के सिवाय किसी में नहीं है।
लाजपत जी की बातें सटीक और न्यायसंगत प्रतीत होती हैं ।।
अग्रवाल जी से हम सहमत हैं
गुरु जी ने ईश्वर की प्रार्थना उपासना के प्रथम मंत्र का व्याकरण सहित हिंदी अनुवाद सत्य है ... वेदानुसार सत्य है
दीवाना अंचल दीवान
वेद नित्य, सत्य और शाश्वत ग्रन्थ हैं ! योगी जी को यह पता होना चाहिए कि नित्य सत्य ज्ञान को कभी अपडेट किया ही नहीं जा सकता! जैसे गन्ना मीठा होता है, यह सत्य है , तो क्या भविष्य में कभी गन्ने में उसके मिठास - गुण को अपडेट करने की अपेक्षा होगी, कदापि नहीं!
Genetic modification ke bare me kya khyal hai?
@@anuradhanandanrkyaduvanshi9489 जैनेटिक मोडिफिकेशन के सम्बन्ध में स्पष्ट करें कि क्या जानना चाहते हैं
@@anuradhanandanrkyaduvanshi9489 जैनेटिक मोडिफिकेशन के सम्बन्ध में स्पष्ट करें जी, कि क्या कहना चाहते हैं
महऋषि दयानंद सरस्वती जी की जय।
What is His parampara?
🙏🙏🙏❤️❤️
@realistiवेद की मन्ये और किसी का नहीं ccoments283
योगीजी मे अभी ज्ञान का अभाव है । सिर्फ़ बात घुमा रहे है तथ्यों से कुछ भी सिद्ध नहीं कर पा रहे । सनातन धर्म का आधार ही वेद है । अग्रवाल जी परम ज्ञानी है । वेद अल्पबुद्धि वालों के समझ के परे है तभी इससे पढ़ने का अधिका भी सबको नहीं था और इसलिए पुराणों की रचना की गई थी । वेद को समझने का सरल रास्ता वेदान्त है जिससे उपनिषदों के रूप मे रचा गया है । और किसीभी उपनिषद मे भी अवतार की चर्चा नहीं है । तत्वम् असि 🙏 एको ब्रह्म द्वितीयो नास्ति 🙏 अद्वैत वेदान्त ज्ञान को संतुष्ट करने वाला वेदों का सार ही है ।
Thottha channa bajje ghanna.
Yogi ji upnishad keh rahe hamare mukhya 11 upnishad mai kaunsa avtar ki charcha hai? Upnishad bhram ki charcha kar rahe..
Vedon mai devta aur bhramm hai
Ishwar sarwashaktiman hai. Nirakar bhi hai aur sakar bhi hai.
Nirakar gyan pradhan hai aur sakar prem pradhan hai .
Nirakar universal aur sakar personal.
Nirakar roop me ek hai to sakar roop me anek.
Ved gyan-vichar pradhan hai to Puran prem bhakti pradhan.
Nirakar roop dada sashwat hai to sakar roop samay ke anusar.
Nirakar aur sakar ek hin sikke ke do pahlu hai.
आप ने समझा नही अग्रवाल जी रट्टू है गियानी नही। इस बात को समझो
पहली बात तो आप पहले उसी व्यक्ति को बुलाओ जो बराबर का ज्ञान रखता हो अगर आप बुलाना चाहती हो तो अग्रवाल जी के सामने राघवाचार्य जी को बुलाओ फिर पता चलेगा अग्रवाल जी को ईश्वर अवतार लेते है कि नही
@@kapilkushwaha2658 बिल्कुल सही कहा आपने
परमात्मा सर्वव्यापी है औरनिराकार भी है जीव और परमात्मा में अंतर इतना ही है कि जीव शरीर को धारण करता है परमात्मा शरीर को धारण नहीं करता क्योंकि इसका विशिष्ट गुण निराकार है परंतु प्रत्येक पदार्थ को यह प्रभावित करता है इसलिए यह सर्वशक्तिमान है इसलिए इस अवतार लेने की आवश्यकता नहीं होती विशिष्ट कार्य के लिए आत्मा को प्रेरित करता है इस तरह प्रत्येक पदार्थ इनके अधीन है इसलिए परमात्मा सर्वशक्तिमान है आत्मा का अवतार होता है परमात्माका नहीं इसलिए वेद कहता है परमात्मा के विषय में नत्स्य प्रतिमा अस्ति इसलिए परमात्मा शक्ति के स्रोत हैं
✌️😎👌
जब शाश्वत परमात्मा पंचभूतों के द्वारा नश्वर अवतार धारण करता है, तब उसे भगवान कहा जाता है, और भगवान की ही प्रतिमा होती है, परमात्मा के विराट विश्वरूप की प्रतिमा संभव ही नहीं है ।
आत्मा, परमात्मा का ही स्वरूप है ।
🚩जय श्री सीताराम 🙏
नास्तिको वेद निन्दक:।
ईश्वर निराकार है, सर्वशक्तिमान है,अगर वह इच्छा अनुसार साकार रूप धारण करते हैं तो इसमें आश्चर्य की गुंजाइश नहीं। रिषि मुनि निराकार की अराधना करते हैं। लेकिन सर्व साधारण खासकर वह जो पढ़े लिखे नहीं है उनके लिए साकार की अराधना उपयुक्त है। कर्मकांड
Satya Sanatan Vedic Dharm 🔥❤🕉🚩
Are wa arya ji kmal ker diya 🙌🙌🙌🙌
केवल पुस्तकें पढ़ने मात्र से सत्य ज्ञान असंभव है, अनुभव अधिक अवश्यक हैं.
जैसे राष्ट्र पति की कोई पार्टी नहीं होती ठीक वैसे ही सृष्टि कर्ता ईश्वर का कोई मत महजब पथ सम्प्रदाय आदि अलग से नहीं होता है।। सत्य सनातन धर्म एक है और असत्य झूठ पाखंड मन घडंत पथ अनेक है। जय वेद भगवान्। ओउम्।
सही कहा गुरु जी वेद में ही केवल मंत्र है
Mantra sirf Vedo me nahi hai,agar Maa kisi bete se kah rahi waha mat jao gir jayega,to ye usake liye mantra hi hai.....
Mana kisne kiya ? Par Pramaan keval ved hi hai yeh kehna galat hai ..warna toot jaoge aap
Mantra ke mayne hai jisme mann ka tran ho yani jisse mann stambhit ho prasann ho
Upanishad me bhi hai
गुरुजी, परमात्मा अवतार लेते हैं परमात्मा कण कण में व्याप्त है वह असीम शक्तियों का मालिक है जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती उसका कोई स्वरूप नहीं,वहां निराकार है, लेकिन वह हर कण कण में हर आकार में व्याप्त है जिस भाव से उसे याद करोगे उस भाव में दर्शन देंगे । जाकी भावना जैसी प्रभु मूरत देखी वैसी ।
Bahut hi gyanvardhak snwad tha, aapko sabko pranam, aage bhi jaari rakhne nivedan hai
परंपराओं की तुलना में विवेक महत्व दे मैं योगी जी की बात से सहमत हूँ
Bedamejohebopuranmebhihe.ushukhetehegyan.bedapuranakujoalakmanatahe.boagyanhe
मैं भी योगी जी के तर्क से सहमत हूं।
जयश्री कृष्ण।।
agar parampara ki tulna main vivek ko priorty de to jese ki hum sab jante hai shruti ke parmpara hai hai to kya shruti parampara ko bekar samje
परंपरा को छोड़ देगे तो विवेक कहां से पाएंगे।
@@sonusona2488 bikul nahi
हर परंपरा खराब हो ऐसा जरूरी थोड़ी ना है
अग्रवाल जी सत्यबोल रहे हैं
मेने वेदों को पढ़ा तो मुझे उसमे कुछ भी विशेष नही ज्ञान अनुभव हुआ। इसके बाद मेने अलग अलग उपनिषद पढ़ा। उसमे कुछ थोड़ा समझा। फिर मैने अलग अलग गुरुओं से पूछा ओर आज कुछ आधुनिक गुरुओं से व्याख्या सुनी। तो समझने का दायरा बढ़ा। इस हिसाब से मुझे योगी विशाल के तर्क सही लगे। की अपडेट केवल आधुनिकता के साथ समझ के लिए जरूरी है।
जिस परमात्मा ने विशाल ब्रम्हांड को बनाया जिसमे अनगिनत आकाश गंगाए ,तारे,ग्रह बनाये है जिसने विविध प्रकार के जीव जंतु पक्षी ,विभिन्न प्रकार के पेड़ पौधे बनाये और अरबों की जनसंख्या में हर व्यक्ति की पहचान और चेहरा अलग है इतनी विविधता जिस परमात्मा ने बनायीं है उसके लिए अवतरित होना कोनसी बड़ी बात है जो निराकार होकर साकर सृष्टि की रचना करता है वो खुद भी साकर रूप में प्रकट हो सकता है उस सर्वशक्तिमान ईश्वर के लिए कुछ भी असंभव नही है।
सत्य ❤❤
Wo kar sakata hai par karega nahi ye uski attributes ke kilaf ab tum aise bol sakte iswar sabkuch kar sakta to use bhuk bhi lag sakti bachhe bhi paida kar sakta hai aorat se ye sab kar sakata par karega nahi ye uske attributes ke kilaf hai
आपने बिल्कुल सही कहाँ है गुरु जी ने 🙏🕉️
विशाल योगी जी को कोटी कोटी नमन
🙌🙌
गुरू जी ने बिल्कुल सही कहा है
सत्य सनातन वैदिक धर्म में सत्य शब्द में आपत्ति है। सत्य कहोगे तो असत्य को भी मान्यता प्राप्त होगी, अतः द्वंद है जो नहीं होना चाहिए।
योगी जी मैं आपसे सहमत हूं।❤❤❤ भगवान तो सिर्फ अनुभव का भगवान है।
Gud me neem ka anubhav ho sakte hai kya bhai
Tum To yogi Ji Se sahmat Ho Gaye na Kyunki dukaan Tumhara chal raha hai na jitne bhi Brahman Samaj yogi Ji ke Baton Se Sab sahmat hai
Nahi Abe unki baat dheyan se sun pahle thik hai wah bhagwan ko janne ki baat kar rahe hai manne ki nahi tum bhi Jano bhagwan kaun hai kaisa roop hai kya hai kya nahi@@mdalirahi67
Bhagwaan ka anubhav kis sources se hoga.... bta bhai
बिखरे हुए समाज को जो एक सूत्र में बंद है वही धर्म सबसे उत्तम धर्म है
गुरु जी ने यह बात तो ठीक कही है कि पूर्वाग्रह से प्रभावित होकर नहीं कहना चाहिए।
उचित तो यही रहेगा कि रामभद्राचार्य जी और गुरु जी की डिबेट करवाई जाए तो शायद यह डिबेट और ऊंचाइयों पर पहुंचाई जा सके।
yogi ji pranam
🙌🙌
वेद आदि सृष्टि में चार ऋषियों को ईश्वर द्वारा उपदिष्ट सम्पूर्ण ज्ञान है, वेद नित्य , सत्य और शाश्वत ज्ञान हैं अर्थात् वेद ज्ञान सदैव रहने वाला, तीनों कालों में अपरिवर्तित रहने वाला और अविनाशी है ! वेद पूर्ण परमात्मा का पूर्ण ज्ञान है और पूर्ण को कभी अपडेट करने की अपेक्षा नहीं होती!
आज के समय पर कोई वे्दोंको समाज नाही सकता, हमारे संतोने भगवान की असीम कृपासे वेदोंका सही अर्थ निकाला हे वही पुराण, संत तुकाराम महाराज जी की गाथा और संत ज्ञानेश्वर महाराज जी की ज्ञानेश्वरी पडीये 🚩🙏🙏
गुरुजी आज की जनरेशन जो अंग्रेजी माध्यम में पढ़ रही है उन्हें हमारे वेद और पुराणों का ज्ञान किस तरह समझाया जाए उस पर योगी जी काम कर रहे हैं ज्ञान आप दोनों का ही असीम है बस शिक्षक आप दोनों अलग तरह के है ।
Aapko agarwaal ji ka nahi pata
Sahitya jagat me inka naam hi kafi hai
Kuraan ,baibel,bodho ke granth sabki khaal utari hai agarwaal ji ne. Aapk kya jano inke bare me
🙏🌹धन निरंकार जी 🌹🙏
🙏🌹 परमात्मा को मानना और
जानने में बहुत अंतर है 🌹🙏
🙏🌹 परमात्मा शब्द में नहीं आ सकता और कहीं कोई जगह खाली नही है 🌹🙏
सत्य सनातन वैदिक धर्म की जय।
यह अच्छी चर्चा है। जब वेद एवं तर्कों के अनुसार सृष्टिकर्ता परमात्मा निराकार, सर्वव्यापी है तो वह सब स्थानों पर पहले ही है तो उसको अवतार लेने की आवश्यकता ही नही है। इसलिए अवतारवाद का सिद्धान्त गलत है। अतः अवतार होने प्रश्न नहीं उठता। जहां भी अवतार का समर्थन किया गया है वह भ्रमात्मक है। अवतारवाद के कारण बहुत से गलत विचार प्रचलित हो गये हैं। जब निराकार है तो परमात्मा की मूर्ती भी नहीं बनाई जा सकती। जड मूर्ति पूजा के कारण मजार पूजा भी प्रचलित हो गयी है और मूर्तियो व मजार पर चढावा चढाने का प्रचार करके जनता को चढावा चढाने के लिए प्रेरित किया जाता और चढावे को प्रचारकों व पुजारियों द्वारा उठा लिया जाति है। कुछ व्यक्ति अपने को ईश्वर या ईश्वर का अवतार बताकर चढावे आदि के द्वारा लूट रहे हैं। विद्वानों का कर्तव्य है कि वेद व तर्क के अनुसार सृष्टिकर्ता परमात्मा, आत्मा, व प्रकृति के गुणों व परिभाषा का सही सही प्रचार करके जनता से अज्ञान को दूर करें।
श्री लाजपत राय अग्रवाल जी देश के प्रतिष्ठित अमर प्रकाशन के संस्थापक है। ये अमर स्वामी के शिष्य है। गुरुकुल कांगड़ी के स्नातक है। हजारों पुस्तको के संपादक है। बहुत योग्य पुरुष है।इसीलिए वे टू द प्वाइंट उत्तर दे रहे है। योगी जी आपके सारे प्रश्न का उत्तर बहुत आसानी से मिल सकता है।प्रश्न का उत्तर नही दे रहे योगी जी
लाजपत राय जी के वर्णन किसी विद्वान के अनुसार तो नहीं लग रहे हैं....
मैं वेदों को मानने वाला हूं | मेरे लिए वेद ही परम प्रमाण है| वेद में लिखा है न तस्य प्रतिमा अस्ति यानी उसे परमात्मा की कोई प्रतिमा नहीं है यानी उसे परमात्मा के समान कोई भी वस्तु या पदार्थ पूरे संसार में नहीं है| इस मंत्र से जो साफ स्पष्ट हो जाता है कि वह ईश्वर अवतार नहीं लेता बिना शरीर के वह सारी सृष्टि बन सकता है चला सकता है प्रलय कर सकते हैं अथवा अनेक अनेक काम कर सकता है तो उसे अवतार लेने की आवश्यकता नहीं है इसलिए वह अवतार नहीं लेता|
ईश्वर का अस्तित्व है यह सच है, जिस प्रकार कुछ लोग आत्मा को नहीं मानते, लेकिन वही आत्मा शरीर से अचानक निकल जाती है तो शरीर मृत्य हो जाता है और वही आत्मा चेतन हो जागृत हो जाती है तो वही शरीर उठ खड़ा होता है ।
आस्था का संबंध भाव से होता है, और भाव ही प्रदर्शित किए जाते हैं मूर्ति के रूप में खिलाना सुलाना निहिलाना आदि ।
आर्य समाज 🎉🎉❤❤
बिल्कुल योगी जी ने सही कहा है कि परमात्मा ज्ञान से नहीं अनुभव से उद्यान के द्वारा उसको जाना जय सकता है
दर्शनशास्त्र का वचन है ज्ञानेंमुक्ति: यानी ज्ञान ही मुक्ति का मार्ग है | यानी जब हम वेद और दर्शन शास्त्र पढके ज्ञान प्राप्त करते हैं तब हमें परमात्मा का सही स्वरूप पता चलता है हमें परमात्मा के गुण कर्म स्वभाव के बारे में पता चलता है| बिना ईश्वर को जाने ध्यान साधना व्यर्थ है क्योंकि व्यक्ति ध्यान ही उसी चीज का करता है जिसे वह जानता है बिना ईश्वर को जाने अगर व्यक्ति ध्यान करता है तो वह ध्यान नहीं वह उस व्यक्ति की कल्पना मात्र है|
इसलिए मैं आदरणीय गुरुजी के बाद से सहमत हूं हमें ईश्वर को वेदों एवं दर्शन शास्त्र के माध्यम से जानना चाहिए और उसके बाद ध्यान करना चाहिए|
ईश्वर अवतार नहीं ले सकता क्योंकि वह सर्वशक्तिमान है और बिना अवतार लिए ही बिना सहायता के अपने सारे कार्यों को कर सकता है
सत्य सनातन बदीक धर्म जय हो
हवा जब चलती हे तो उसे महसूस कर सकते है लेकिन देख नही सकते किसी आकर में या दूसरे किसी भी तरह तो इस का मतलब ये थोड़ी हुआ की हवा का अस्तित्व नहीं है, अगर कोई कहता है हवा का अस्तित्व नहीं है तो फिर वह महसूस क्यों होती है। बस इसी तरह भगवान का असित्व है जो दिखता नहीं है लेकिन उसे हम हर जगह महसूस कर सकते है शक्ति स्त्रोत से ।
Pandit Yogi Vishal Tiwari Ji ko shat shat naman koti koti pranaam.❤❤❤🌹🌹🌹
Aapki saralta aur sookshm gyaan se mai bahut prabhavit hua hoon.
Aapke shabdo me vadant ki gahraayi hai.Aap vaad me baithkar samvaad sahit jabki vivaad se rahit hain.Aapka purna jor tatva gyan ke shravan manan aur chintan per tha na ki na ki vedo aur upnishad se mantro aur richao ko sunakar apne ko gyani siddha karne ka tha.🙏🙏🙏🙏👌👌👌👌
जीवात्मा अवतार लेता है परमात्मा नहीं क्यों कि जीव अनेक है और परमात्मा एक है।। जीवों में श्रेष्ठ जीवात्मा जो पुरुषार्थी होता है युग युग में शरीर धारण करता है ऐसे ही दुष्ट आत्मा भी शरीर धारण करते है। परमात्मा अच्छे और बुरे सबका निर्णायक है
सत्य सनातन वैदिक धर्म सहि है।गुरुजी हर शब्द सहि बोल रहेहै विशाल जि ने सत्य स्वीकार करन चाहिय।
विशाल जी, बातें घुमाते दिख रहे हैं। लाजपत जी, तर्क और तथ्य पर बात करते दिख रहे हैं।
haa reh mulle tere viradari wale hain arya namazi
सतय कभी भी बदलता नही केवल झूठ ही अपडेट होता है. सभी मनुष्य कृत वस्तुएं संशोधन मांगती हैं. ईश्वरकृत कोई वस्तु संशोधित नहीं होती. आप उनको बिगाड अवश्य सकते हैं 🙏🕉️
YOGI JI NE BAHUT SARAL SAMJHAYA HAI, JABKI GUR JI KE ANDAR AHANKAR PRATAIT HO RAHA HAI
योगी जी बिल्कुल सही कह रहे हैं गुरुजी तो बात बात पर गर्म हो रहे हैं जिसने वेद लिखे हैं उन्होंने उपनिषद लिखे उससे सरल भाषा में और उसे सरल भाषा में पुराण लिखें तो योगी महाराज तो सही कह रहे हैं कि भैया हर मानस के लिए जन जन तक पहुंचना पहुंचने के लिए ही उनकी रचना हुई भाषयो की यह तो सिर्फ दयानंद सरस्वती को पड़कर बैठ गए कभी कुरानो भी चले जाते हैं कुरानो से अपनों को क्या काम वह जाने उनका काम जाने योगी महाराज राइट है 👍🙏
हे योगी जी,गुरू जी ही सही,मान लीजिये थोड़े समय के लिये।इश्वर अवतार नही लिये। मगर इश्वर का एहसास गुरू जी को इस जन्म मे तो असंभव है।
रामभद्राचार्य जी से शास्त्रार्थ कराएं आर्य समाज वालो की🙏🙏🙏🙏🙏
Rambhadracharya , katha vachak jyada h, tatva charcha alag chiz h,
Ha , shankaracharya se prashna karna uchit h
भगवान के सब रूप है निराकार भी आकर भी ज्योति स्वरुप भी, कड़ कड़ मे भी वो है सबके अंदर भी वो है सब वो ही है उसके सिबा कुछ भी नहीं है जिसकी जैसी श्रद्धा है वैसा भगवान को मान लो उसी से बेडा पार हो जायेगा.. जय श्री राम
Sambhav sambhav hota hai asambhav sambhav nahi hota.
Samjhe kuch
Jiska akaar nahi ho sakta use hi to nirakaar kehte hai bhai
Uska aakar ho gya to nirakar nahi ho sakta
Nirakar ka definition...
Bhagwan Shiv Stya Narayan Stay Astya se bhi Kahin Bbit Jyada Unche aur Mahaan hain Sarv shresth hain Om Nmh Siwaay
जो अपडेट होता है वह सत्य नहीं हो सकता है। जो अपडेट होता है वह ना सार्वकालिक है,ना सार्वभौमिक है,और ना नित्य है,ना अनादि है,ना अनन्त है।
मे इस एपिसोड मे योगी विशाल जी से प्रभावित हुआ..बहुत ही सटीकता से बखान किया
,,वेसे मे आर्य समाज को भी सराहता हु
🙌🙌
एक भी प्रश्न का कोई उत्तर ही नही दिया विशालजीने। इतना घुमाया इतना घुमाया की में शिमला मनाली घूमने जाने की सोच रहा था वो प्लान कैंसल करना पड़ा। 😂🤣 मुजे लगा कुछ धर्म कर्म सीखूंगा वीडियो से, पर वो बूढ़े चाचा के अलावा कोई मुझे लॉजिकल लगा ही नही। चाचा बोले बहुत ही कम पर सीधा पकड़ के ही रखा बात को।😂
@@charlesjackson5509 अभी आपको बहुत कुछ सिखने की जरुरत...समझ तभी आयेगा
सनातन धर्म की जय
Sanatan Vedic Dharma ! Bolo.
Satya Sanatan Vadikdharm
सत्य सनातन वैदिक धर्म की जय 🚩
मेरे को तो इतना खुशी है कि हमारे सनातन धर्म में इतना महान व्यक्ति हैं जो भटके हुए लोगों को राहपे लाने के लिए अपनी पूरी जीवन वैद और ग्रंथ को समझने में और जनता तक पहुंचने में अपने सारा जीवन बिता देते है इस चैनल को मैं सब्सक्राइब किया हूं यही हमारे धर्म के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए जय सियाराम सत्य सनातन वैदिक धर्म कि जय
गुरु जी और योगी जी दोनो वीद्वान है परन्तु यदि अंहकार को छोड़ कर सहजता स्वीकार्यता सम्मान का सहारा लिया जाय,ओर सतर्कता से बात कही जाय, प्रमाण तब तक न मांगा जाय जब तक मंथन न करलिया जाय तो संवाद सार्थक होगा!
कृपया बताएं कि धर्म क्या है,यह प्रश्न योगी जी से व गुरुजी दोनों से है?
योगी जी कोई एक प्रमाण नहीं दिया
🎉 भारत खंड ऋषि महात्माओं की धरती है यहां की सभ्यता संस्कृति सबसे अलग है। दूसरी जगह पशु प्रवृत्ति है मांस भाक्षण उनके आहार है। लेकिन भारत में कुछ लोग शाकाहारी भी है। सभ्यता संस्कृति सबसे अलगहै इसलिए भारत खंड सबसे श्रेष्ठहै।
दयानंदी महोदय, जहाँ करुण पुकार होती है वहाँ कोई न कोई शक्ति प्रकट हो ही जाती है, यह भाव भारत में ही देखने में आता है इसलिए तदनुरूप भारत में अवतार होते हैं।
और सुनिए महाशय कोई भी कहीं भी, कभी भी पवित्र अंतहकरण से जब ईश्वर को पुकारता है तब वह उसके अंतर्स्थल में प्रकट हो ही जाते हैं।
ईश्वर का अस्तित्व है उसे तलाशने के लिए गल ना होता है, ध्यान,साधना, तपस्या के मार्ग से उसकी अनुभूति और दिव्य दर्शन किए जा सकते हैं, मैं इस बात को प्रत्यक्ष प्रमाणिकता से जानता और मानता हूं । जिन देखन तीन पाईया ।
🙏 हरि ॐ 🙏
यदि वह दयालु है तो वह निराकार कैसे दया तो भाव ही साकार का है ,
स ईक्षत कथं न्विदं मद्दते स्यादिति स ईक्षत कतरेण प्रपद्या इति । स ईक्षत यदि वाचाऽभिव्याहृतं यदि प्राणेनाभिप्राणितं यदि चक्षुषा दृष्टं यदि श्रोत्रेण श्रुतं यदि त्वचा स्पृष्टं यदि मनसा ध्यातं यद्यपानेनाभ्यपानितं यदि शिश् न विसृष्टमथ कोऽहमिति ॥
इस वचन से स्पष्ट है की परमात्मा ने विचार किया , एवं विचार मन का विषय है और मन सदा निराकार रहते हुए भी साकार में स्थित है , क्योंकि बिना किसी (बुद्धि , चेतना , शक्ति , इंद्री आदि ) साधन के उसका विचार किसी कार्य का नहीं , ठीक उसी प्रकार यदि किसी जड़ पदार्थ में गुण आदि चेतनता नहीं तो वह व्यर्थ है , एवं उस परमात्मा की रचाई श्रृष्टि में जहां भी जड़ता है वहां किसी न किसी रूप में चैतन्य है , जैसे औषधि जड़ प्रतीत होती है किंतु उसमे गुण की चेतनता है , उसी प्रकार बीज जड़ है किंतु उसमे वृक्ष के ज्ञान की चेतनता है और वह ज्ञान ही निराकार से वृक्ष रूप में आकर लेता है ,
तो हमारा मत यही है की (निराकार एवं साकार इस विषय पर तो शास्त्रार्थ निरर्थक है) क्योंकि जब वही "ईशा वाश्यम इदम् सर्वम्" है तो वही सभी आकर रूप में व्याप्त है और यदि उसका आकार है एवं उसमे चैतन्य है तो वही निराकार रूप में ही है ।
"ना साकार हूं ना निराकार हूं मैं भक्त के भाव से तदाकार हूं मैं" जहां जैसी दृष्टि हो वैसी ही सृष्टि है(संरचना) है । एवं जहां बात है भारत भूमि पर अवतरित होने की , भारत भूमि के सपूतों में वह प्रबल चेतना शक्ति है जो परमात्मा को पहचान लेती है । वही कहीं खंबे में देखती है , कहीं सिलबट्टे में तो कहीं मिट्टी में कहीं पक्षी में तो कहीं पशु में , जर्रे जर्रे में है झांकी भगवान की किसी सूझ वाली आंख ने पहचान की , अर्थात् भारत भूमि में वह सूझ वाली दृष्टि विकसित है जो परमात्म तत्व को पहचान ही लेटी है ।अब जैसे तिल में तेल है तो उसका प्रयोग तभी होगा जब वह अपने अदृश्य रूप का त्याग कर दृश्य रूप में बाहर आए , उसी प्रकार परमात्मा को भी अपने अदृश्य रूप का त्याग कर अपने दृश्य रूप में आना ही पड़ता है , एवं ऋषि मुनि उन्हे अवतरित करवाने वाला उपकरण सिद्ध होते हैं ।🙏 हरि ॐ 🙏
Hari om tatsat 🕉
Yogi ji apke samjhane ka tarika shandar hai
Great lajpat ji
महर्षि दयानंद सरस्वती जी महाराज की जय कृणवन्तोविश्मार्यम् 🙏🚩
आर्य समाज के गुरु जी सही कह रहे हैं क्या ईश्वर ने वेद में कहा है कि हम राम कृष्ण और शंकर भगवान के आए थे धरती
Jaye Shree Hari Vishnu🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
ईश्वर इस ब्रह्मांड के कण कण में व्याप्त है , जिसे आम आदमी साधारण आंखों से नहीं देख सकता उसके लिए पवित्रता ,साधना, आत्मा शुद्धि, कठोर जप तप जैसे मार्गो से आगे बढ़ते हुए परमपिता परमेश्वर की मर्जी से सुकृति होने पर दिव्य अनुभव यह दर्शन होते हैं ।
इश्वर कन कन में है तो साण्डस टट्टी में भी इश्वर है क्या ?????
गुरुजी बुद्धी के दम पर बोल रहे हे, और योगी जी भक्ती, गुरु के कृपा, बुद्धी के परे हो कर बोल रहे हे.🙏
भारत भगवान का हृदय भगवान हृदय में ही रहते हैं अंग में नहीं
भाई आज से ढाई 3000 साल पहले एक ही आर्यावर्त देश था उसमें चक्रवर्ती राजा शासन करते थे| जैस श्री रामचंद्र जी अपने समय में पूरे आर्यावर्त देश के चक्रवर्ती राजा थे| पहले तो देश ही एक था| आपके अनुसार देश मतलब हृदय पहले तो देश ही एक था तो पूरा संसार ही भगवान का हृदय होना चाहिए मतलब आपके अनुसार तब ईश्वर तो कहीं भी अवतार ले सकता था तो भारत में ही क्यों|
मैं वेदों को मानने वाला हूं | मेरे लिए वेद ही परम प्रमाण है| वेद में लिखा है न तस्य प्रतिमा अस्ति यानी उसे परमात्मा की कोई प्रतिमा नहीं है यानी उसे परमात्मा के समान कोई भी वस्तु या पदार्थ पूरे संसार में नहीं है| इस मंत्र से जो साफ स्पष्ट हो जाता है कि वह ईश्वर अवतार नहीं लेता बिना शरीर के वह सारी सृष्टि बन सकता है चला सकता है प्रलय कर सकते हैं अथवा अनेक अनेक काम कर सकता है तो उसे अवतार लेने की आवश्यकता नहीं है इसलिए वह अवतार नहीं लेता|
@@Brahmachari-df7lk
नाम ब्रह्मचारी है... और परमात्मा को रे ते कहकर संबोधित कर रहे हो... ये क्या तरीका है !
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कह रहे हो.. की मै वेद को मानने वाला हूँ /
तो क्या....
ये संस्कार वेदों से सीखे हो !
जरा बताना मुझे.. मैं जानने का इच्छुक हूँ ?? ऊँ.
@@user-xb2et2ql3p प्रिय भ्राता श्री, टाइपिंग में कोई भी प्रकार से गलती हो उसके लिए माफी चाहूंगा।
कृपया करके बोल की खाल मत निकालो।
@@Brahmachari-df7lk
मिस्टेक एक बार होता है.. बार बार नहीं /
खैर ---
मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता...
मैने ये तुम्हारे लिए कहा.. की अपवाधबोध से बचो !
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अब मैं.. चलना चाहूंगा ---
हमसे कुछ पूछने की इच्छा है तो पूछ लो ?? ऊँ.
दुख का कारण क्या है आत्मा शरीर को धारण करता है शरीर के दुख सुख का अनुभव करता है परमात्मा शरीर को धारण नहीं करता इसलिए दुख सुख से पड़े हैं इसलिए परमानंद के आसन पर प्रतिष्ठित है आत्मा और परमात्मा में इतना ही अंतर है परमात्मा सर्वव्यापी है मगर आत्मा सर्वव्यापी नहीं है दोनों दो पदार्थ हैं अतः जीव और परमात्मा का संबंध एक प्रजापत पुत्र के समान है अतः अलख निरंजन है
दुःख का कारण सुख है क्योंकि दुःख और सुख पृथक नहीं है जब सुख होता है तभी तो दुःख होता है
1:44:20 Interesting & logical Answer by Yogiji
आप दोनो को प्रणाम 🙏
सामवेद को धुनों और मंत्रों के वेद के रूप में जाना जाता है, सामवेद में 1975 मंत्र हैं जिसे 1200-800 ईसा पूर्व का माना जाता है।
वेद नित्य जब राम हुए तब भी वेद था । जब कृष्ण हुए तब भी वेद था । जैसे कि अश्वमेध यज्ञ राम जी ने किया जो कि यजुर्वेद के 22 अध्याय में प्रतिपादित है यज्ञ को ही सब कुछ माना गया है यज्ञ में ही ईश्वर का स्वरूप देखा गया है पुरुष सूक्त में यज्ञ की या उस नारायण का स्वरूप है उसकी व्याख्या किया गया है किंतु समय हमारे यहां ऋषियों ने शास्त्र स्मृति पुराण का का लेखन किया दयानंद सरस्वती जी 18 वीं शताब्दी के हैं उससे पूर्व हमारे यहां पतंजलि की आदि गुरु शंकराचार्य जी आदि ऋषि हुए हैं उन्होंने ईश्वर को स्वीकार किया है